दोस्त की कामुक मां-1

हाय मेरे प्यारे दोस्तों, मेरा नाम (विवेक) है, और आज मैं आप सब को ये कहानी बताने जा रहा हूं, जो मेरे प्रिय मित्र (विशाल) की भरी हुई मां (लता) के बारे में है। मैं उस समय 19 साल का था। मैं मुंबई में रहता हूं, और उस वक्त मैं और मेरा दोस्त हम कॉलेज के पहले साल में थे।

लता मेरे दोस्त की मां थी। दोस्तों मैं क्या बताऊं उसके बारे में। उनके स्तन 38″ के थे, और बाकी क्या अंग थे उस औरत के। ऊपर से वो हर वक्त साड़ी पहनती थी।

उसके बड़े-बड़े दो स्तन, उसकी गोरी लचीली कमर, और उसके मुलायम गद्देदार नितंब (गांड) थे। जब भी चलती थी मटक-मटक कर आय‌-हाय! वो रसीले लाल होंठ, जिसे हम इंग्लिश में (MILF) कहते है, वो वहीं थी। उनके पति मरीन इंजीनियर थे, और वो महीनों तक घर नहीं आते थे।

तो एक बार हम, विशाल और मुझे, हमें कॉलेज से बहुत सारा असाइनमेंट करना था। मैं विशाल के बोला-

मैं: विशाल, हमें जो इतना असाइनमेंट मिला है, वो हम लोग तेरे घर पे करेंगे आज। तुझे चलेगा ना?

विशाल: हां भाई चलेगा। तू आज श्याम को आजा मेरे घर।

तो मैं श्याम को विशाल के घर गया। वहां जाके मैंने दरवाजा ठक-ठक किया। दरवाजा मेरी जान लता ने खोला। उसने पीली साड़ी पहनी थी, जिसमें उसका फिगर पूरा दिख रहा था। फिर वो बोली-

लता: आओ बेटा अंदर आजा।

मैं: हां लता आंटी‌।

फिर मैं अंदर चला गया। थोड़ा गुस्सा होते हुए

आंटी बोली-

लता: बेटा मुझे कितनी बार तुझे बोलना पड़ेगा कि मुझे लता आंटी मत बुलाया कर। लता (काकू) मराठी में

यानि लता चाची बुलाया कर।

मैं: ठीक है लता चाची। अब से लता चाची हो आप मेरी।

फिर वो थोड़ी देर बात करने के बाद किचन में गई। वो जैसे चलके गई, उसकी बड़ी गांड क्या मटक रही थी। जी कर रहा था उसकी सेक्सी गांड को दबोच लूं। उतने में विशाल आ गया और बोला-

विशाल: और भाई आ गया तू।

मैं: हां चल अब तेरे रूम में जाके पढ़ते है।

3 घंटे बाद जैसे ही हमारा असाइनमेंट खतम हुआ। मैं रुम से बाहर निकला, लेकिन बाहर बहुत तेज बारिश हो रही थी। बारिश देख कर मैं खुश हो गया।

मैंने मन में कहा: हे भगवान, आज बारिश मत रोकना। आज मुझे इस भरी हुई देवी के दर्शन बड़े पास से करने है।

उतने में लता आ जाती है। वो आके मुझे बोलती है-

लता: विवेक बेटा इतनी बारिश है। एक काम कर, तू आज यही सो जा, कल अपने घर चले जाना।

मैं जो इसी चीज का इंतजार कर रहा था, झट से बोल पड़ा-

मैं: ठीक है लता चाची, जैसा आप कहें।

लता: चलो तुम दोनों अब खाना खा लो।

फिर हम तीनों डाइनिंग टेबल पर बैठे और खाना खाने लगे। तभी लता ने मुझसे पूछा-

लता: विवेक बेटा खाना अच्छा है ना?

मैं: लता चाची आपका खाना तो बुरा हो ही नहीं सकता। जी कर रहा है कि आपकी उंगलियां भी चाट जाऊं, इतना स्वाद बना है सब कुछ।

लता: चल नटखट! इतना भी अच्छा नहीं बना है।

मैं: अरे, मुझे आपकी जैसी ही बीवी चाहिए, जो मुझे ऐसा खाना रोज बना कर खिलाए।

लता: बस कर बेटा अब, कितनी तारीफ करेगा?

मैं: लता चाची, चाचा नहीं दिखते आज-कल, कहां है वो?

लता: बेटा उस मनहूस को मत याद करो। जिसे अपनी पत्नी और बेटे की परवाह ना हो, ना ही फोन, ना ही मैसेज।

मैं: लता चाची अगर मैं आपका पति होता, तो आपको कभी छोड़ता ही नहीं।

लता: विवेक बेटा तू काफी नॉटी हो गया है। लेकिन तू तो मेरा दर्द समझ रहा है ना?

तो जैसे हमनें खाना खत्म किया, हम सोने की तयारी करने लग गए। मैं और विशाल अलग रूम में, और लता चाची अलग रूम में। लेकिन मुझे इस रात का फायदा उठाना था। फिर मैं चोरी से विशाल के रूम से निकला। विशाल गहरी नींद में सोया था।

मैं लता चाची के रूम की तरफ बढ़ा और दरवाजे के लॉक से देखने लगा अंदर क्या हो रहा था। मैंने जब अंदर देखा, मेरी आंखे तो फटी की फटी रह गई। लता चाची अपनी साड़ी बदल रही थी।

पहले उन्होंने अपना पल्लू गिराया, और मुझे उनके भरे हुए बबले दिखने लगे। फिर वो साड़ी उतारने लगी धीरे धीरे। आज मैं वो देख रहा था, जो मुझे बरसो से देखना था। वो भरा हुआ गठीला बदन, कामुक कर देने वाला। फिर उन्होंने अपने बालों को खोल दिया। क्या लंबे बाल थे!

जी कर रहा था कि बाल पकड़ कर पीछे से पेलता रहूं डोगी स्टाइल में। फिर उसने अपने सारे कपड़े उतार दिए। अब वो पैंटी और ब्रा में थी, लेकिन तभी मुझे विशाल ने बुला लिया। मैं पूरा देख तो नहीं पाया, लेकिन आज जो मैंने देखा वो मैं नहीं भूल सकता था। मैं भूल गया था कि वो मेरे दोस्त की मां थी।

इन दृश्य की वजह से मेरे दिमाग में बस लता चाची बस गई थी। मैं सो तो गया, लेकिन मेरे सपने में भी लता चाची आई कि मैं एक बार में बैठा हूं, और लता चाची उस बार में साड़ी में नाच रही थी। बार पूरा खाली था। ऐसे लग रहा था कि ये बार और लता चाची बस मेरे थे। मैं सोफा पर बैठा था, और लता चाची उसी तरीके से अपने कपड़े खोल रही थी।

पहले बंधे हुए बाल, फिर पल्लू, फिर साड़ी। जैसे ही मैं उसके करीब जाता, वो मुझे सोफे पे धकेलती। लता किसी रंडी की तरह लगी मुझे। वो डांसिंग पोल पे भी नाची जैसे कोई रंडी हो। तो इस सपने की वजह से मेरा लंड तो सुबह तक खड़ा था।

जैसे सुबह हुई, लता चाची हम दोनों को उठाने आती है। उसने लाल रंगी साड़ी पहनी थी और बैकलेस ब्लाऊज। वो रूम का दरवाजा खोलती है, और मुझे उठाने आती है। लेकिन मेरा खड़ा लंड देख कर चौंक जाती है

लता (होठ चबाते हुए): विवेक का तो लंड खड़ा है।

उसके मन में विचारों की बारिश आ जाती है। वो सोचती है कि एक बार हाथ लगाऊं या नहीं। लता ने पिछले 6 महीनों से अपने पति को नहीं देखा था, ना ही उसके लंड को महसूस किया था। अब उसके मन में अरमान जागने लगते है, कि एक बार तो उसे वो लंड छूना था। तो वो सब खयाल छोड़ आगे बढ़ती है मेरा लुंड छूने, धीरे-धीरे घबराते हुए। लेकिन वो हवस से भर गई थी।

दोस्तों इसके आगे की मजेदार कहानी आपको अगले पार्ट में पढ़ने को मिलेगी। अगर आपको यह तक की कहानी पढ़ कर मजा आया हो, तो कमेंट सेक्शन में जाके अपनी फीडबैक जरूर दे, ताकि हमें लिखने का हौंसला मिले।

अगला भाग पढ़े:- दोस्त की कामुक मां-2