मित्रों एवं सहेलियों, अपनी सेक्स कहानी की शुरुआत करने जा रहा हूं।
साल 2023 में मेरे जीवन में एक तलाकशुदा महिला आई, और मेरे जीवन ने एक नया मोड़ लिया। आज मैं आपको अपने साथ घटी वहीं सत्य घटना शेयर कर रहा हूं। उम्मीद है आप सभी को पसंद आएगी।
पहले थोड़ा अपने बारे में बता दूं। मेरा नाम है राघव। मूलरूप से दिल्ली एन.सी.आर. का रहने वाला हूं। उम्र करीब 38 साल है। और मैं दो बच्चो का बाप हूं। मेरा वैवाहिक जीवन बड़े ही मज़े से गुज़र रहा था। अच्छा घर, अच्छा परिवार, अच्छी नौकरी, मतलब सब एक-दम बढ़िया चल रहा था।
फिर आया साल 2023। जिस कंपनी में मैं नौकरी कर रहा था, साल के पहले महीने में ही वो कंपनी दिवालिया घोषित हो गई, और हम 800-900 एम्प्लाइज सभी बेरोज़गार हो गए।
बेरोज़गार होते ही मैंने हिसाब लगाया – बच्चों की फीस, घर का किराया, घर का खर्च, गाड़ी की किश्त आदि सब मिला के कम से कम पचास से साठ हज़ार रुपए हर महीने मुझे चाहिए। कंपनी से मिला बकाया, बैंक बैलेंस सब मिला के पांच से छह महीने आराम से निकल जाएंगे, और पांच-छह महीने में कोई तो अच्छी नौकरी मिल ही जाएगी।
लेकिन जब आपकी किस्मत में लौड़े लिखे हों, तो कहीं से भी आपके लौड़े लग ही जाते हैं। छह महीने गुज़र गए। धीरे-धीरे पैसे ख़त्म हो चले थे। गाड़ी बैंक वाले उठा ले गए और नौकरी मिल नहीं रही थी। हालात खराब थे। अब काम बस दोस्तों से उधार लेके चल रहा था।
एक शाम मैं इंटरव्यू देकर कैब से घर आ रहा था। फ़्रस्ट्रेशन में सोचा कि थोड़ी दारु पी के फिर घर जाऊंगा। फिर मैं घर के पास वाले ठेके पर उतर गया। पीने के बाद वहां से पैदल घर जाने में दस-पंद्रह मिनट ही लगने थे। अब शुरू होता है मेरे जीवन का पहला मोड़।
ठेके पर जाके मैंने 100 पाइपर का पव्वा मांगा ही था, कि पीछे से एक महिला ने भी 100 पाइपर का पव्वा मांगा। ठेके वाले ने बताया कि स्टॉक नहीं आया था, और 100 पाइपर का एक ही पव्वा था। मैंने पीछे पलट के देखा तो एक गेहुए रंग की करीब 35-40 साल की आम सी दिखने वाली एक महिला खड़ी थी। मैंने ठेके वाले से कहा कि ये पव्वा आप मैडम को दे दो। महिला पव्वा लेकर चली गई। मैंने भी अपने लिए वैट 69 का पव्वा, पानी, कोल्ड-ड्रिंक सब लिया और पीने की जगह तलाशने लगा।
ठेके के पास ही अंधेरे में कई गाड़ियां खड़ी थी, और लोग दारु पी रहे थे। मैं भी वहीं दो खाली खड़ी गाड़ियों के बीच में अपना अड्डा जमा के पीने लगा। मुझसे एक-दो गाड़ी की दूरी पर एक गाड़ी में बैठी मुझे ठेके पर मिली महिला दिखी। वो भी शायद गाड़ी में बैठ के दारु पी रही थी।
एन.सी.आर. में महिला का दारु पीना कोई नयी बात नहीं है। लेकिन ये जानने के लिए कि वो अकेली थी गाड़ी में, या कोई और भी था, मैं भी पीता हुआ बार-बार उसी गाड़ी की तरफ देख रहा था।
इस दौरान, उस महिला ने भी दो बार मुझे देखा। तीसरी बार जब हमारी नज़र मिली, तो महिला ने अपना पेग उठा कर दूर से ही चियर्स किया। मैंने भी अपना पेग दिखा के चियर्स किया। अपनी-अपनी जगह पर खड़े हुए अब हम कई बार एक-दूसरे को देखते, मुस्कुराते, और अपना-अपना पेग पीते।
ऐसा नहीं था कि वो महिला बहुत ही खूबसूरत थी। वो महिला एक आम सी दिखने वाली महिला थी। लेकिन पता नहीं क्यों मुझे उस महिला को बार-बार देखना अच्छा लग रहा था, और शायद उसको भी मेरी तरफ देखना अच्छा लग रहा था।
मेरा पव्वा ख़तम हो चूका था। मैंने सोचा एक पव्वा और ले आता हूं, थोड़ी देर और इस महिला को देख लेंगे। ये सोच के मैं ठेके की तरफ चल दिया। जैसे ही मैं उस महिला की गाड़ी के नज़दीक आया, तो वो महिला भी गेट खोल कर बाहर आ गयी। उसने मुझसे हाए कहा। बदले में मैंने पूछ लिया-
मैं: मेरी ख़तम हो गई है, और लेने जा रहा हूं। आपको चाहिए?
उसने कहा: हां।
ठेके पर गया तो याद आया कि 100 पाइपर तो थी ही नहीं। मैं अपना वैट 69 का पव्वा लेकर वापिस आ गया। महिला बाहर ही खड़ी थी।
मैंने उसको याद दिलाया: आपका ब्रांड तो नहीं है। अगर आप चाहें तो मेरे ब्रांड में से पी सकती हैं।
उसने कहा: अब तो कोई भी चलेगी यार…। बस पिला दो।
मैंने उसको पव्वा देते हुए कहा: आप पीजिए, मैं अपने लिए दूसरा पव्वा ले आता हूं।
उसने कहा: थोड़ी-थोड़ी इसी में से पी लेते हैं। ज़रूरत लगी तो फिर ले आएंगे।
मैंने समर्थन में सर में हिलाया। तो वो फिर बोली: तुम्हारी गाड़ी में बैठेंगे या मेरी में बैठ लें?
मैंने कहा: मेरे पास गाड़ी नहीं है।
वो बोली: यार इसी में बैठ लो। क्या मेरा क्या तुम्हारा।
हम दोनों उसकी गाड़ी में बैठ गए। मैंने दोनों के लिए एक-एक पेग बनाया। चियर्स हुआ, और हमने पीना शुरू किया। दूसरे पेग के बाद उसने मेरा नाम पूछा, और क्या काम करता था पूछा। मैंने अपने बारे में बता कर उससे पूछा कि उसका क्या नाम था।
उसने कहा: मेरा नाम स्मिता है। मैं सरकारी बैंक में मैनेजर हूं।
मैंने पूछा: और आपकी फैमिली?
वो थोड़ी से गंभीर होकर बोली: फैमिली नहीं है।
मैं थोड़ा हैरान था ये सुन के। लेकिन सोचा किसी की पर्सनल लाइफ में क्यों ऊंगली करना। थोड़ी देर हम शांत हो कर ऐसे ही दारु पीते रहे।
फिर वो बोली: एक बोतल और ला सकते हो?
मैंने कहा: ज़्यादा हो जाएगी।
वो बोली: मुझे और पीनी है।
मैंने कहा: मेरे पास पैसे नहीं है।
उसने मुझे अपना एटीएम कार्ड और पिन दिया और कहा एक बोतल ले आओ।
मैं ठेके से बोतल लेके आया तो वो बोली: थोड़ी देर मेरे साथ बैठ सकते हो?
मैंने हां में सर हिलाया। वो पेग बना के पी रही थी। मेरी और पीने की स्थिति नहीं थी। फिर उसने अपने बारे में बताया।
दस साल पहले उसकी शादी हुई थी। लेकिन फिर एक ही साल में तलाक पर बात आ गयी। तब से वो अकेली रहती थी। मुझे अपने सवाल पर बुरा महसूस होने लगा। तभी मेरी बीवी का फ़ोन आया। मैंने उसको बताया मुझे टाइम लगेगा घर आने में। मैंने स्मिता की तरफ देखा। वो कुछ ज़्यादा नशे में लग रही थी।
मैंने पूछा: आप कहां रहते हो? मैं आपको छोड़ देता हूं। मुझे भी घर जाना है।
उसने कहा: थोड़ी देर और बैठ जाओ यार। घर पे तो अकेले हो जाउंगी।
मैंने कहा: आपने ज़्यादा पी ली है। मैं आपको घर छोड़ देता हूं।
वो बोली: थोड़ी देर साथ बैठोगे घर पे, तो छोड़ दो घर। वरना चिंता मत करो, मैं चली जाउंगी।
मैंने एक बार सोचा कि बोल रही थी तो चली ही जायेगी। गाड़ी तो रोज़ ही चलाती होगी। फिर मैं जब गाड़ी से निकलने वाला था, तो सोचा घर छोड़ ही आता हूं।
मैंने कहा: चलो घर छोड़ देता हूं।
उसने मेरी तरफ देखा तो मैंने ज़वाब दिया: हां बैठूंगा तुम्हारे साथ। चलो अब घर चलते हैं।
पास ही की एक सोसाइटी में उसका 4 bhk अपार्टमेंट था। अंदर जाके मैं सोफे पे बैठ गया, और स्मिता मेरी साइड में बैठ के दो पेग बना रही थी। हमने एक-एक पेग और लिया। फिर स्मिता ने अपने पती के बारे में, शादी के बारे में बताना शुरू किया। पता नहीं कब हम दोनों एक-दूसरे के हाथ में हाथ डाल कर एक-दूसरे में सहारा ढूंढने लगे।
अब वो थोड़ी सहज लग रही थी, तो मैंने पूछा: खाना आर्डर कर दूं?
उसने हां में सर हिलाया।
मैंने पूछा: क्या मंगाऊ?
वो बोली: तुम्हारी पसंद का कुछ भी।
मैंने खाना आर्डर कर दिया और उससे कहा: मैं जाऊं?
स्मिता और मैं सोफे पे हाथ पकड़े बैठे थे, कि उसने अपना सर मेरे कंधे पे रख दिया। एकाएक उसका मुंह, मेरे मुंह के काफी नज़दीक आ गया। मैंने उसकी तरफ देखा। वो शायद मेरे देखने का इंतेज़ार कर रही थी। फिर पता नहीं क्या हुआ, बिना कोई शब्द, बिना कोई इशारा किये हम दोनों के होंठ एक-दूसरे में समा गए।
कहानी आगे बढ़ाने से पहले आपको बताना ज़रूरी है, कि मेरी हाइट 5 फुट 7 इंच है। शरीर की बनावट औसत हैं। देखने में मैं एक आम आदमी जैसा हूं। स्मिता की हाइट 5 फुट 2 इंच है। देखने में एक औसत महिला है। स्मिता के स्तन 36″, कमर 30″ और गांड 38″ इंच के हैं। फिगर कमाल ही है उसका।
मेरा लंड खड़ा होने के बाद 8.5 इंच लम्बा और मोटाई करीब 3 इंच है। बेहतरीन मुखमैथुन या बेहतरीन फोरप्ले के बाद सम्भोग के दौरान मुझे कभी-कभी सम्पूर्ण उत्तेजना होती है। सम्पूर्ण उत्तेजना में मेरा लंड 9 इंच लम्बा हो जाता है, और थोड़ा और मोटा हो जाता है।
अब बढ़ते हैं कहानी की ओर। होंठ से होंठ मिलने के बाद, जाने कब मेरे हाथ स्मिता की चूचियों पर चले गए, और स्मिता का हाथ मेरे लंड पर आ गया। वो मेरा लंड ऐसे दबा और खींच रही थी, मुझे लग रहा था जैसे मैंने पैंट ही नहीं पहनी हो। उत्तेजना में मैं भी उसकी चूचियों को दबाए जा रहा था। हमारे होंठ और जीभ एक-दूसरे में ऐसे लार मिला रहे थे, जैसे कोई संगीत बज रहा हो।
करीब दस मिनट चले इस चुम्बन के बाद हम दोनों थोड़ा सा अलग हटे। फिर एक-दूसरे की तरफ देखा, और फिर गले लग कर चुम्बन शुरू कर दिया। इस बार स्मिता ने मुझे सोफे पर लिटा दिया, और किस्स करते-करते मेरे ऊपर आ गयी। हम दोनों इस आलिंगन के नशे में चूर थे, कि मेरा फ़ोन बजा। स्मिता भी रुक कर बैठ गयी।
इसके आगे क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा। कहानी के बारे में अपनी राय जरूर दें।