हेलो दोस्तों, आज की इस मां की चुदाई कहानी में मैं आपको एक घटना बताने जा रहा हूं, जो शुरू मेरी एक फ्रेंड के साथ हुई। उसने अपने जीवन का एक बहुत ही गंदा सच मुझे बताया, जो आज तक उसने किसी से शेयर नहीं किया था। लेकिन उस घटना के परिणामों में मैं भी शामिल हुआ। मैं आज उसी की इजाजत से ये बात आप सब सामने रख रहा हूं। इस कहानी में पात्रों के नाम मैंने बदल दिए है। आपका ज्यादा समय व्यर्थ ना करते हुए मैं कहानी पर आता हूं।
मेरी एक फ्रेंड है निधि। हम दोनों स्कूल से साथ पढ़ रहे थे। स्कूल के बाद हम दोनों वैसे ज्यादा मिलते नहीं थे। बस मैसेज में या कभी कभार कॉल पर बात हो जाती थी (फिलहाल के लिए निधि का इतना परिचय ही पर्याप्त है। समय आने पर उसका भी परिचय मिलेगा)। वो मुझसे नॉर्मली सभी बातें शेयर करती थी, लेकिन हमनें कभी भी एक-दूसरे से गलत बात नहीं की। हमेशा अच्छे से ही रहते थे। लेकिन एक दिन उसका कॉल आया। मैंने कॉल रिसीव किया। वो कुछ बोले बगैर ही जोर-जोर से रोने लगी। मैंने पूछा-
मैं: अरे निधि, क्या हो गया तुम्हें? रो क्यों रही हो? सब कुछ ठीक तो है ना?
मगर वो बस रोए जा रही थी। कुछ बोल ही नहीं रही थी।
मैंने कहा: प्लीज पहले चुप हो जाओ, और हुआ क्या बताओ मुझे?
निधि: वरुण, मुझे कुछ नहीं समझ आ रहा कि क्या करूं। बहुत गुस्सा भी आ रहा है, और बहुत अजीब सा भी लग रहा है।
मैं: अरे कुछ बोलोगी भी या बस रोती रहोगी?
जब हमारी बात चल रही थी, उस वक्त शाम के करीब 4 बजे रहे थे। उसने कहा कि वो कॉल पर नहीं बता सकती।
निधि: तुम 6 बजे स्कूल के पास वाले पार्क में मिलो।
मैंने कहा: ठीक है, पर तुम रोना बंद करो।
फिर 6 बजे हम पार्क में मिले। ये पार्क हम दोनों के घर से दूर था, और सिटी से थोड़ा आउट साइड में था। तो वहा अंधेरा भी जल्दी हो जाता है, और लोग भी कम ही आते है। हम वहां कोने में एक पेड़ के नीचे चेयर पर बैठ गए।
मैंने कहा: अब बताओ क्या हुआ।
वो फिर रोने को हुई, तो मैंने उसे चुप कराया। फिर वो बोली-
निधि: वरुण मुझे समझ नहीं आ रहा है कि मैं क्या करूं। मुझे तुमसे बताते हुए शर्म आ रही है कि तुम क्या सोचोगे मेरे बारे में।
मैं: मैं क्या सोचूंगा, ये तो तभी पता चलेगा ना जब तुम मुझे सारी बात खुल कर बताओगी।
निधि: इसीलिए तो मैंने सिर्फ तुम्हें बताने की सोची। क्योंकि मैं किसी और पर विश्वास नहीं कर सकती।
मैं: तो फिर बताओ जल्दी।
अब आगे की कहानी निधि से सुनिए:-
मुझे और मेरे भाई को पढ़ने के लिए हमारे पड़ोस के अंकल आते है। वो कॉलेज में प्रोफेसर है, और कई सालों से हमारे यह आते-जाते रहते थे। मेरी मां ने उनसे कहा कि आप ही इन दोनों को होम ट्यूशन दे दीजिए। तो अंकल राज़ी हो गए, और वो तब से हमारे घर हमे पढ़ाने आते है। उन्हें आते हुए करीब 2 साल हो गये। वो पढ़ाई के टाइम बहुत ही स्ट्रिक्ट रहते है। अगर एक बार डांट देते है, तो किसी की हिम्मत नहीं पड़ती कुछ कहने की।
(यहां पर मैं सभी पाठकों को इस कहानी की पहली मुख्य किरदार का शारीरिक परिचय देना आवश्यक समझता हूं। तांकि आप सभी इस घटना का वास्तविक आनंद ले सकें।
निधि की मां की उम्र इस घटना के समय 40 वर्ष है। रंग साफ सामान्य भारतीय महिलाओं की तरह। बाल घने मीडियम लंबाई, 38-32-40 का जबरजस्त भरा हुआ लेकिन एक-दम टाइट बदन, दिखने में एक-दम धार्मिक पतिव्रता महिला। तो अब बढ़ते है आगे कहानी पर।)
तुम तो जानते ही हो पापा सुबह ही दुकान चले जाते है, और रात में ही घर आते है। दादा-दादी अपने कॉर्नर वाले रूम में ही रहते है सारा टाइम।
अंकल हमे पढ़ाने आते पापा के जाने के बाद। वो हमे थोड़ी देर पढ़ाते और फिर कुछ वर्क देकर अंदर चले जाते, और बोल जाते जब तक मैं ना आऊं कोई हिलेगा नहीं। हम भी डर के कारण कही नहीं जाते। वो अंदर रूम में चले जाते, जहा मां काम कर रही होती, और फिर 2-3 घंटे बाद आते। फिर थोड़ी देर पढ़ाते और फिर चले जाते।
पापा के आने के कुछ देर पहले ही वो हमें छुट्टी देकर चले जाते। हालांकि पापा को पता था कि वो हमे पढ़ाने आते थे, और घर आना-जाना लगा रहता था उनका। लेकिन उस टाइम वो पापा के आने से पहले ही निकल जाते। फिर बाद में आते और पापा के साथ डिनर करते।
जब अंकल हमे होमवर्क देकर अंदर रूम में जाते, तो उनके जाने के बाद रूम का डोर लॉक हो जाता। जब अंकल बाहर आते उसके बाद मां भी रूम से बाहर आ जाती।
मैंने कई बार नोटिस किया कि जब अंकल रूम में जाते, तब मां साड़ी में होती, और जब बाहर आते तब उनकी ड्रेस चेंज हो जाती थी। गाउन या मैक्सी में होती मां।
भाई छोटा है तो उन्हे ज्यादा कुछ समझ नहीं आता। लेकिन मुझे कुछ अजीब लगता। पर कभी हिम्मत नहीं हुई जा कर देखने की कि आखिर होता क्या था अंदर। लेकिन 6 महीने पहले जो मैंने देखा, उसे देख कर मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। गुस्सा भी आ रहा था, और अजीब सी बेचैनी भी हो रही थी।
अंकल जब हम वर्क देके अंदर जा रहे थे, तो वो बाथरूम की तरफ गए। तभी अचानक से जोर से बदल गरजे, तो मुझे लगा कहीं बारिश ना आ जाए, कपड़े सुखाने पड़े थे, भीग जायेंगे। इसलिए बिना सोचे मैं भाग कर छत पर गई, और कपड़े लेकर ऊपर वाले रूम में रख कर नीच आने लगी। तभी मेरी नज़र छत पर लगे जाल से नीचे वाले फ्लोर पर गई जहा अंकल मां के रूम की तरफ जा रहे थे।
मैंने सोचा कि आज देख ही लिया जाए कि मां और अंकल रूम में इतनी देर करते क्या थे। मैं सीढ़ियों से नीचे आई और जिस रूम में अंकल और मम्मी थे, उसी रूम की साइड वाली खिड़की पर पहुंच गई।
मैंने जो अंदर देखा, मेरे पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई। मेरी मां शीशे के सामने साड़ी में खड़ी थी, और अंकल उनके पीछे खड़े मां के नितंबों को सहला रहे थे। मां भी धीरे-धीरे अपने नितंब हिला रही थी।
फिर अंकल अपना हथियार कपड़ों के ऊपर से ही मां के नितंब से रगड़ने लगे, और अपने हाथ मां के स्तनों पर ले जाकर उन्हें मसलने लगे। अंकल मां के स्तनों को ब्लाउज और ब्रा के ऊपर से भी इतनी तेज मसल कर दबा रहे थे, और खींच रहे थे, जैसे स्तनों को उखाड़ लेंगे। मां भी मजे और दर्द से सिसकारियां ले रही थी।
अंकल ने मां के खुले बालों को एक तरफ किया, और अपना मुंह उनकी गर्दन पर रख कर धीरे-धीरे चूमने-चाटने लगे। वो बीच-बीच में गर्दन पर काट भी रहे थे, जिससे मम्मी की सिसकारी निकल जा रही थी। मम्मी अपने दोनों हाथ अपने सर के पीछे से ले जा कर अंकल के सर पर रख देती है, और उन्हें सहलाने लगती है।
अंकल ने मां के स्तनों को मसलने के बाद एक हाथ से पेटीकोट में फसी हुई सदी को खींचना चालू किया। तभी एक दम से मां अंकल को अपने से दूर कर देती है, और पलट कर एक धक्का देती है, तो अंकल पीछे पड़े बेड पर गिर जाते है।
तब मुझे लगा कि शायद अंकल, मां के साथ जबरदस्ती करने की कोशिश कर रहे होंगे, और मां बहक गई, पर उन्होंने एहसास होते ही खुद से दूर कर दिया। लेकिन अगले ही पल जो हुआ उसे देख कर मैं फिर हैरान हो गई।
इसके आगे की कहानी अगले पार्ट में। इस हिंदी सेक्स कहानी पर अपने विचार ज़रूर सांझे करें।
अगला भाग पढ़े:- एक बेटी की दास्तां-2