हेलो दोस्तों मेरा नाम फ़राज़ है। आज मैं आप लोगों को अपनी कुछ छिपी हुई बातें शेयर करना चाहता हूं। जब मैं कॉलेज में पढ़ता था, मेरी उमर ज्यादा नहीं थी। लगभग 18-19 साल रही होगी। छुट्टियां खत्म होने के बाद कॉलेज खुल गए थे, और अभी ज्यादा बच्चे नहीं आते थे। लेकिन मैं रोज कॉलेज जाया करता था।
धीरे-धीरे समय बीतता गया, और अब क्लास फुल हो चुका था। मेरी भी दोस्ती कई लड़कों से हो गई थी। उसी में एक राजन था, जिसे मैं सबसे ज्यादा मानता था। दोस्त तो और भी थे, लेकिन उस तरह से नहीं। हमारे हालात बहुत अच्छे नहीं थे। लेकिन जरूरत पड़ने पर राजन मेरा पूरा साथ देता था, और मैं कभी उसकी बातों को टालता नहीं था।
जब कभी भी हमारा मन करता हम लोग राजन के बाग में जाकर समय बिताते। उसका बाग बहुत ही बड़ा था, कि आदमी पैदल चलते-चलते थक जाए। मैं दिखने में काफी सुंदर था, गोरा रंग, पतली सी कमर, बाहर की तरफ निकला हुआ तरबूज़ जैसा चूतड़। क्लास में सबसे ज्यादा आकर्षक मैं ही था।
मैं बहुत ज्यादा डरपोक भी था। एक दिन की बात है। मैं कॉलेज की टैरिस पे खड़ा था। तभी एक लड़का मेरे पास आया, और बगल में खड़ा हो गया। उसका नाम शारिक था। वो क्लास में ही पढ़ता था, और उमर में मुझसे बड़ा भी था।
उसने कहा: यहां क्यों खड़े हो? आओ अंदर बैठते है।
मैंने कहा: हां चलो।
फिर मैं उसके साथ क्लास में चला गया। क्लास में कुछ देर तो ठीक था। फिर वो मुझे छेड़ने लगा। वो कभी मेरे गाल छूता, तो कभी पीठ सहलाता।
मैंने कहा: ये क्या कर रहे हो?
उसने कहा: यार तुम बिलकुल हिरोइन लगते हो, बस क्लास में तुम्हें ही देखता रहता हूं। बहुत सुंदर हो तुम।
उसने मेरी कमर पकड़ कर अपने ऊपर बिठाना चाहा, लेकिन मैंने मना कर दिया। फिर उसने मेरी लोवर में हाथ डाल दिया, और मेरे चूतड़ को दबाने लगा। उसने मुझे लोवर उतारने के लिए कहा, लेकिन मैं वहां से हट गया। वो फिर मेरे पास आया और मुझे अपनी बाहों में भर कर चूमने लगा। एक बार तो बड़ा अजीब लगा, लेकिन मैंने खुद को रोक लिया। उसने मेरे निप्पल दबा दिए, और कहा-
शारिक: एक बार देदो यार।
मैंने उससे खुद को अलग किया, और बाहर निकल गया। फिर जब तक कॉलेज में लड़के नहीं आ गए, मैं नहीं गया। उस दिन राजन भी कॉलेज नहीं आया। असल में उसके घर शादी थी। छुट्टी के बाद मैं घर चला आया, लेकिन सुबह की वो घटना मेरे दिमाग में गूंज रही थी। जब रात को मैं बिस्तर पे लेटा, तो सोचने लगा ऐसा क्या था जो शारिक इतना उतावला था?
मैंने कमरे का दरवाजा बंद किया, और शीशे के सामने खड़ा हो गया, और अपने आप को निहारने लगा। मैं अपना चेहरा देख रहा था। फिर मैंने अपनी शर्ट उतारी, और फिर अपने निप्पलों को दबाया। लेकिन वो बात नहीं थी, जो उसके दबाने में थी। फिर मैंने अपनी लोवर भी उतार दी।
अब मैं बिल्कुल नंगा शीशे के सामने खड़ा था। फिर जब मैंने ध्यान से खुद को देखा, तो लगा इसमें उस बेचारे की क्या गलती थी? मैं तो था ही ऐसा। जब मैंने शीशे में अपना चूतड़ देखा, तो मैं समझा। आज मैं मन ही मन बहुत खुश हो रहा था। मैंने अपने चूतड़ पे हाथ रखा एक-दम चिकना था, कोई रूकावट ही नहीं थी। मैं काफी देर तक सहलाता रहा, और फिर नंगा ही बिस्तर पे लेट गया।
किसी तरह से रात गुज़री। सुबह फिर जल्दी कॉलेज के लिए निकल गया। सोचा शायद आज भी वो जल्दी आए, लेकिन आज वो थोड़ी देर से आया, और मेरे पास बैठ गया। उसका एक और दोस्त था। हम तीनों एक ही बेंच पे बैठ गए। मैं उससे बात नहीं कर रहा था। उसे लगा मैं उससे नाराज़ था। लेकिन ऐसा नहीं था। मन में तो कुछ और ही था, लेकिन जल्दी ही मैं उससे बात करने लगा। आज जब उसने मुझे छुआ तो मैंने विरोध नहीं किया।
एक क्लास खत्म होने के बाद वो बोला: बाहर चलो, बैठा जाए।
मैंने कहा: और क्लास का क्या?
उसका दोस्त बोला: क्लास कल कर लेंगे।
कॉलेज के पीछे सड़क पार करके एक नहर थी। हम तीनों वहीं पे चल दिए। वहां पहुंच कर शारिक ने मुझे चूम लिया, और कहा-
शारिक: कल के लिए साॅरी।
मैं बोला: कोई बात नहीं।
तब शारिक़ ने मेरे चूतड़ पे हाथ रख दिया और कहा: कोई दिक्कत तो नहीं है?
मैंने ना में सर हिला दिया, तो वो मुझे बोला: चलो उधर झाड़ियां हैं, कोई देख नहीं पाएगा।
फिर हम तीनों वहां चले गए। फिर शारिक मेरे होठों पे किस करने लगा। वो बहुत ही उतावला था। उसका दोस्त पास में ही खड़ा था। शारिक ने मुझे छोड़ दिया, और बैठ गया। उसका दोस्त भी उसके साथ बैठ गया।
शारिक ने कहा: अब अपने कपड़े उतारो।
मैंने वैसा ही किया। पहले मैंने अपनी टी-शर्ट उतार दी। फिर उसने मुझे लोवर उतारने को कहा। मैंने लोवर भी उतार दी, और बिलकुल नंगा उनके सामने खड़ा हो गया। शारिक ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया, और मेरे चूतड़ों को अपने मुंह के सामने कर लिया। फिर उसने चूतड़ की नालियों को फैला दिया, और गांड के छेद को चाटने लगा।
जैसे ही उसकी ज़ुबान ने मेरी गांड के छेद को छुआ, मैं सिहर उठा। मेरी आंखे बंद हो गई। होठों को दांत से दबा लिया। मैं जन्नत जैसा सुख महसूस कर रहा था। वो काफी देर तक मेरी गांड चाटता रहा, और फिर उसने अपना लंड बाहर निकाला, और मुझे चूसने को कहा। मैं उसका लंड चूसने लगा। उसका दोस्त भी देख कर बर्दाश्त नहीं कर पाया, और अपना लंड निकाल कर मेरे हाथ में पकड़ा दिया।
एक मुंह में, दूसरा हाथ में, मानो मेरे मुंह में गुलाबजामुन और हाथ में डेरिमिल्क हो। कुछ देर तक लंड चूसने के बाद शारिक मेरे पीछे आया, और अपने हाथ से गांड को सहलाने लगा। पहले उसने एक उंगली गांड में डाल दी। गांड में उंगली और मुंह में दूसरा लंड, क्या ही बात थी उस वक्त! कुछ देर एक उंगली अंदर-बाहर करने के बाद उसने दो उंगली चूतड़ में घुसा दी, और अंदर-बाहर करने लगा।
बड़ा ही सुहाना एहसास था। ये मेरा पहला अनुभव था, जब मैंने उंगली को अपनी गांड में लिया था, और लंड चूसा था। फिर शारिक ने अपने बैग से एक बड़ा रूमाल निकाला, और मुझे उस पर लेटने को कहा। मैं पेट के बाल लेट गया।
शारिक मेरा बदन चूमने लगा। मेरे पूरे बदन में सिरहन होने लगी। अब उन दोनों ने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए, और मुझे चूमना शुरू कर दिया। मैं तड़प के रह गया। अब और बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था। मैं अपना चूतड़ ऊपर-नीचे कर रहा था, लेकिन उन दोनों को मुझे तड़पाने में मज़ा आ रहा था। पूरे जिस्म में सरसराहट हो रही थी।
मेरी गांड चुदने को आतुर थी। लेकिन शरिक ने कहा: थोड़ी देर और मेरी जान, तुम्हारे जिस्म से खेलने में मज़ा ही अलग आ रहा है। ये तो कई दिनों की भूख है, ऐसे ही नहीं छोड़ सकता। इतनी जल्दी चोद के फुर्सत नहीं करूंगा। अभी तो सिर्फ शुरू किया है। अभी तो तुम्हे बहुत मज़ा मिलेगा, बस साथ देते रहना मेरी जान।
अब उसने वहीं से थोड़ी सी लंबी घास उखाड़ी, और मेरी गांड पे सहलाने लगा। मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था। मैंने उसके दोस्त लंड पकड़ लिया, और अपने मुंह में भर लिया, और चूसने लगा।
फिर शरिक ने कहा: तुम चुदने के लिए पूरी तरह तैयार हो।
उसने मुझे डॉगी पोजिशन में किया, और ढेर सारा थूक गांड की छेद पे लगाया। फिर अपने लंड का सुपाड़ा छेद पे टिका दिया, और एक ज़ोर का झटका दिया। लेकिन बेचारा असफल रहा। उसने फिर से कोशिश की, लेकिन फिर भी कमियाबी ना मिली। ये पहली बार था मेरे लिए। इससे पहले कभी गांड में एक सूई तक नहीं घुसी थी, इतना मोटा लंड कैसे चला जाता इतनी जल्दी?
अब शरिक और उसका दोस्त मेरी गांड के पास बैठ गए, और उंगलियां गांड में घुसानी शुरू की, ताकि जगह बन जाए। दोनों ने साथ में उंगली डाली। गांड थूक से चिकनी हो चुकी थी, तो उंगली आसानी से घुस गई। पहले तो वो उंगलियों को अंदर-बाहर करते रहे। फिर उन लोगों ने गांड को फेलाना शुरू किया। फिर दो-दो उंगलियां डाल दी। थोड़ा सा दर्द हुआ, लेकिन अच्छा महसूस हो रहा था। दोनो ने मेरी गांड को काफी फैला दिया।
शरिक ने फिर अपना लंड मेरी गांड के छेद पे टिकाया, और इस बार हल्का झटका दिया, और उसका लंड करीब आधा अंदर घुस गया था। एक आह निकल गई मेरे मुंह से। अब उसने मेरी गहराई नाप ली। मैं आह आह कर रहा था, लेकिन शरिक ने अपना लंड अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। थोड़ा दर्द महसूस हो था। मैं आह आह ओह ओह करता गांड चुदवाने का मज़ा ले रहा था।
अब उस जालिम ने अपनी गति को बढ़ा दिया, और गांड को चोदने लगा। मुझे मज़ा आने लगा था। अब मैं भी अपनी गांड को पीछे-आगे करने लगा। शरिक ने फिर अपना लौड़ा बाहर निकाला।
मैंने कहा: इसे बाहर क्यों किया? जल्दी से डाल दो जान। अभी मेरे चुदने की इच्छा पूरी नहीं हुई है। आज मैं अपनी ख्वाहिशों को पूरा करूंगा।
उसने कहा: अब तुम खड़े हो जाओ।
मैं खड़ा हो गया, और वो मुझे एक पेड़ के पास लेकर गया, और पेड़ को पकड़ने के लिए बोला। मैंने पेड़ को पकड़ लिया। उसने मेरी कमर पकड़ी, और चूतड़ को अपनी ओर किया, और लंड का सुपाड़ा सटा कर धकेल दिया। लंड पूरा अंदर दाखिल हो गया, और अब मेरी घमासान चुदाई होने लगी।
काफी देर तक मैं इसी पोजिशन में चुदा, और फिर वो सीधा लेट गया। उसने मुझे अपने लौड़े पे बिठाया, और मुझे लौड़े पे धीरे-धीरे उठने-बैठने को बोला। मैं उठक-बैठक चुदाई करवाने लगा। अब शायद उसका पानी निकलने वाला था। इसलिए उसने लंड को बाहर किया, और मुझे सीधा लिटा दिया। फिर अपना लंड मेरे मुंह में डाल दिया। उसके लंड का गर्म और नमकीन पानी बहुत ही स्वादिष्ट लगा।
उसका सारा पानी मैं पी गया, और फिर ज़ुबान से चाट-चाट कर उसका लौड़ा भी साफ किया। वो एक तरफ को लेट गया, और अब उसके दोस्त का नंबर आया।
उसने कहा: मेरी जान अब ज़रा मेरे लंड का भी मज़ा लेलो।
मैंने उसके लंड पे एक प्यारी सी किस्स की, और मुंह में लेकर चूसने लगा। चूसते-चूसते उसका लंड एक-दम गीला हो गया था। उसने वहीं से एक पतली डंडी तोड़ी, और मेरे चूतड़ पे दे मारी, और पूछा मुझे कैसा महसूस हो रहा था?
मैंने कहा: अच्छा लग रहा है।
उसने फिर मेरी गांड पे डंडी से मारा, और फिर कहा: अब कैसा लगा?
मैंने कहा: बहुत मजा आ रहा है।
तब उसने अपनी बेल्ट उठा ली, और अब अपनी बेल्ट से मेरे चूतड़ों को पीटना शुरू किया। मैं आह आह कर रहा था, लेकिन बेल्ट की मार का दर्द नहीं हो रहा था। ना जाने क्यों और मार खाने का मन कर रहा था।
मैंने उसे कहा: और तेज़ मारो मेरी जान। मार-मार के गांड लाल कर दो।
एक तो गोरी चिकनी गांड। उसपे चमड़े की बेल्ट की मार। मेरा चूतड़ लाल हो गया था। अब उसने बेल्ट रख दी, और गांड पे लंड को टिकाया, और पूरी ताकत से पेल दिया। ऐसा लग रहा था, अब सही से मेरी सील टूटी थी। शरिक की चुदायी भी कमाल थी। लेकिन इसने जो बैल की तरह गांड में लंड घुसेड़ा था, मेरी आंत तक हिल गई थी। ये पूरी ताकत लगा कर मुझे पेल रहा था। मैं आह उह करते हुए चुद रहा था।
बड़ी देर इसी तरह गांड मरवाता रहा, और फिर उसने मुझे कुतिया जैसा बनाया, और लंड को ठूस दिया मेरी गोरी गांड के अंदर। फिर राजधानी की रफ्तार से पेलने लगा। मेरा पूरा शरीर हिल रहा था। फच फच की आवाज़ से पूरा मौसम सुहाना हो गया था। उसकी चुदायी से मेरे लंड का पानी गिरने लगा। अब मैं लंड को और अंदर तक लेने लगा। पीछे से वो धक्का दे रहा था, और मैं अपनी गांड को पूरी ताकत से उसके लंड की ओर धकेले हुए था।
मेरा पानी गिर गया था, और मेरा शरीर ठंडा हो गया था। लेकिन वो अभी भी चोदने में मगन था। अब मैं एक पुतले की तरह सर को जमीन पे टेके और चूतड़ ऊपर उठाए लेटा था। कुछ ही देर में उसका भी पानी निकल गया, और वो मेरी गांड में ही ठंडा हो गया। मुझसे खड़ा नहीं हुआ जा रहा था, जो चुदायी हुई थी आज मेरी।
फिर हम सब ने अपने-अपने कपड़े पहने, और काफी देर वहीं बैठने के बाद सब घर के लिए निकल गए। मुझे चुदे हुए करीब 3 घंटे बीत चुके थे। अब बेल्ट की मार दर्द करने लगी थी, और चूतड़ के बल बैठा नहीं जा रहा था। कैसी लगी मेरी गे सेक्स कहानी दोस्तों?