भावना विपिन की बात बता रही थी, “जीजी मैंने अभी विपिन का लंड मुंह में ले कर चूसना ही शुरू किया था। विपिन का लंड सख्त होने लगा था । वो मस्ती में आ ही रहा था कि दरवाजे के घंटी बज गयी। महेश आ गया था”।
“साले चूतिये से खुद से तो चुदाई होती नहीं किसी और से भी चुदाई होने नहीं देते”।
“मैं उठ गयी, विपिन ने भी उठ कर दरवाजा बंद कर लिया ” I
भावना की बात सुन कर मुकुल खुश हो गयी, “कमाल है !!! अच्छा हुआ तूने बता दिया”। बीस साल के लड़के से चुदाई करवाने का तो मजा भी बड़ा आएगा – और लंड भी कैसा कमाल वाला – घर की बात घर में। इस बार आएगा तो देखती हूं कैसे पटाया जा सकता है “?
भावना ने कहा “जीजी ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। मुझे भी उसने कहां ना बोला जब उसका लंड मैंने मुहं में लिया। उल्टा मेरी चूचियों के निप्पल मसलने लगा था” ।
रात को आठ बजे रामजी आया। आते ही हाल दुहाई मचा दी।
रामजी ने मुकुल को बैग तैयार करने को बोला। अगले दिन सुबह आठ बजे की सूरत की फ्लाइट थी तीन दिन का ट्रिप था। चार बजे सुबह घर से निकलना था।
रामजी बोला मैं नीचे वाले कमरे में सो जाऊंगा सुबह टैक्सी आ जाएगी। चलो खाना लगा दो जल्दी सोना है। थका हुआ भी हूं भावना तो तुम्हारे साथ ही है। महेश बता रहा था हफ्ते के लिए सिंगापुर जा रहा है। कितने दिनों का प्रोग्राम है भावना का ?
मुकुल बोली “एक हफ्ते का ही है। मगर भावना बोल रही थी अगर महेश का प्रोग्राम आगे बढ़ा तो वो फोन कर देगा”।
रामजी बोला, “तो ठीक है, मैं नहा कर फ्रेश हो जाता हूं। तुम खाना लगा दो”।
खाना खा कर रामजी बैग ले कर नीचे सोने चला गया। भावना और मुकुल भी लेट गयीं एक दुसरे को बाहों में ले कर – चूचियों से चूचियां सटा कर – दबा कर। हो सकता ही रात को एक दूसरी की चूत, चूतड़ों की चुसाई भी कर लें।
रामजी भी तो नहीं था आस पास।
बस दो अकेली प्यासी चूतें।
मुकुल और भावना के लिए अगला दिन गुजारना भारी हो रहा था क्योकि कोइ चुदाई नहीं थी। सूखा ही निकलने वाला था वो दिन।
हालांकि पिछले दिन की जनक और अशोक की चुदाई ने मुकुल और भावना की तस्सली कर दी थी और अब दस बारह पंद्रह दिन चुदाई न भी हो तो भी चल सकता था।
मगर भावना नॉएडा वापस जाने से पहले मुकुल की चुदाई का पक्का इंतज़ाम का के जाना चाहती थी जिससे मुकुल किसी गलत आदमी के हत्थे ना चढ़ जाए और पूरी ज़िंदगी का बवाल पाल ले। मुकुल लाख जबान की तेज थी मगर चालाक नहीं थी।
मुकुल को याद आया की उन्होंने अशोक और साहिल को आने का टाइम तो दिया ही नहीं। चुदाई के शौक में कहीं सुबह जल्दी ही ना आजायें। उसने भावना को ये बात बताई। भावना ने भी कहा “बात तो सही है जीजी। काम वाली के होते हुए ही ना जाएं चुसाई चुदाई के शौक में”।
फिर भावना बोली, “जीजी काम वाली को बोलो हमने सुबह कहीं जाना है इस लिए नौ बजे तक काम कर के चले जाये। दोनों ने गांधी नगर से आना है। नौ के तो बाद में ही आएंगे”।
काम वाली आयी तो मुकुल ने उसको अगले दिन जल्दी काम खत्म करने को कह दिया।
वही हुआ। अगले दिन काम वाली पूरे नौ बजे काम खत्म कर के चली गए और दस बजे दोनों लड़के स्कूटी पर आ गए।
स्कूटी वो अंदर ही ले आये और नीचे आंगन में खड़ी कर दी।
अशोक ने भी बढ़िया कपड़े डाले हुए थे लग ही नहीं रहा थी की यही कल वाला खराब ज़िपें ठीक करने वाला लड़का है।
साथ वाला लड़का तो लग ही किसी कालेज का स्टूडेंट रहा था। साफ़ सुथरा, सुन्दर ब्रांडेड कपड़ों में सजा हुआ। लंड खुजलाता आ रहा था।
मुकुल और भावना एक दूसरी को देख कर हंस दी।
आते ही बोला नमस्ते मैडम। उसको देख अशोक ने भी नमस्ते की।
नमस्ते का जवाब दे कर भावना ही बोली, “तुम हो साहिल “?
“जी मैडम”, साहिल बोल। और साहिल ने एक बार फिर लंड को खुजला कर पैन्ट में ठीक से बिठाया।
भावना की फिर से हंसी छूट गयी, “क्या हुआ बड़ा खुजला रहे हो। बड़ी खुजली मची हुई है क्या “? भावना ने साहिल के लंड की तरफ इशारा कर के कहा।
वो भी बड़ी ढिठाई के साथ बोला, “मैडम इसमें तो परसों से ही खुजली मची हुई है जब से इसने आपके दोनों के बारे में बताया”। साहिल ने अशोक की तरफ इशारा कर के कहा।
“आओ बैठो, फिर भी आ तो बड़ी जल्दी गए तुम लोग “।
साहिल वैसे ही फुकरों की तरह बोला, “मैंने तो इसको कहा था की ग्यारह बारह बजे चलेंगे। सुबह सुबह कौन सेक्स करता है। हमे जल्दी आना पड़ा इसके बाप के कारण। जैसे ही उसे पता लगा की आज ये ज़िप ठीक करने नहीं जाएगा, इसको बैंक का काम बता दिया। पता था ना की आज चार सौ पांच सौ घर नहीं लाएगा ”।
मुकुल और भावना फिर हंस पडी, “कोइ बात नहीं, तू तो है। जब तक ये अपना बाहर का काम करेगा, तू यहां अपना काम करना। बाहर का काम भी तो जरूरी है – कब जाएगा ये “?
“अभी जाएगा, घंटे में लौट आएगा” और फिर स्कूटी की चाबी अशोक को दे कर बोला, “जा बे। मगर अब अगर बाप ने कुछ और काम बोला तो साफ़ मना कर देना “।
मुकुल और भावना को साहिल की बातों में मजा आ रहा था। सोच रहीं थीं, दोनों आये हैं तो चुदाई तो अब करके ही जायेंगे ही। जल्दी भी क्या है – पूरा दिन ही अपना है।
“और वैसे तो रात भी अपनी ही है”। घर वाला घर नहीं हमे किसी का डर नहीं।
“अच्छा साहिल ये बता तू करता क्या है। अशोक और जनक बता रहे थे की बाहरवीं पास के तुम प्राइवेट बीए की तैयारी कर रहे हो”।
साहिल बोला, “मैडम आधी बात सही है, मैंने बाहरवीं पास की है। प्राइवेट बीए वाली बात मैंने इनको बताई है, मगर मैं ऐसा कुछ नहीं कर रहा।
“मैडम एक बात बताओ आप, अगर मैंने दूकान पर ही बैठना है तो मुझे तो नोट गिनने आने चाहियें। बीए पास करके मैं कौनसी दूकान की कमाई बढ़ा लूंगा”।
“आज कल कंप्यूटर का जमाना है मैडम, इस लिए कंप्यूटर चलाना आना चाहिए। इस लिए मैं कंप्यूटर सीख रहा हूं”।
भावना बोली “और तेरे पापा ? वो क्या कहते हैं “?
“मैडम उनके पास फुरसत कहां इन बातों के लिए ? वो तो इस अशोक के बाप से भी ज़्यादा खड़ूस हैं”।
अब तो मुकुल और भावना खुल कर हंसी, “अच्छा ? ऐसा क्यों”।
साहिल बोला, “अब मैडम आप से छुपाना”।
“मेरे पाप की बिजली के सामान की दूकान है – बड़ी दूकान। आस पास की बड़ी बड़ी फैक्ट्रियों में हमारी सप्लाई है ग़ाज़ियाबाद नॉएडा तक। मेरा बड़ा भी भाई – दो साल बड़ा भाई – बाहर का काम देखता है। मेरा पापा गल्ले पर किसी को नहीं बैठने देता। महीने की आठ से दस लाख से ज़्यादा हमारी आमदन है मैडम – मतलब एक करोड़ से डेढ़ करोड़ से ज़्यादा हर महीने की बिक्री”।
“अब देखो आप”, साहिल मुकुल और भावना दोनों को बता रहा था। “तीन साल पहले जब मेरी मां को ब्रेस्ट कैंसर हुआ तो मेरा ये बाप ? मेरा बाप मेरी मां को उसको सरकारी हस्पतालों के चक्कर कटवाता रहा। ये नहीं हुआ की बढ़िया इलाज करवा के बचा ले उसे। विदेश ले जाए। इतना पैसा क्या गांड में लेना है या छाती पर रख के नरक में ले कर जाना है”।
मुकुल और भावना की तो हंसी ही नहीं रुक रही थी। दोनों सोच ये साहिल आज पहली बार घर आया है और इतना खुल कर बात कर रहा है। कमाल का लड़का है – मगर बातें तो कांटे के कर रहा है ?
साहिल बोलता रहा, “मर गयी मेरी मां। मैं तो कहता हूं, मेरे बाप ने मार दी”।
“और फिर पिछले साल 23 साल के मेरे भाई की शादी करवा दी – ये बोल कर कि घर में कोइ औरत होनी चाहिए – लक्ष्मी होनी चाहिए घर में । 20 साल की लड़की गुंजन के साथ – मेरे से चार छः महीने छोटी ही होगी लड़की और मेरी भाभी बन कर आ गयी”।
“अब मेरा बाप और भाई कहते हैं इसको भाभी जी बोलो I मैं नहीं बुलाता जी उसको भाभी जी, मैं तो गुंजन ही बुलाता हूं “।
“और मैडम और क्या बताऊं ? इतने जवान पति पत्नी – मेरे बाप ने शादी के बाद इनको हनी मून मनाने के लिए भी कहीं नहीं भेजा – कि चलो ढंग से चुदाई ही कर लेंगे”।
“शादी के महीने दो महीने ही तो होते हैं जब नए बियाहे जोड़े दिन में तीन तीन चार चार बार सेक्स करते हैं”।
“पैसा पैसा पैसा। काम का नुक्सान हो जाएगा। और मेरा भाई ? वो भी एक नंबर का भोसड़ी वाला है, बाप के सामने फटती है उसकी”।
मुकुल और भावना को साहिल की बातों में मजा आ रहा था। मुकुल और भावना तो जैसे कोइ कॉमेडी फिल्म देख रही थीं।
मुकुल और भावना ने मजे लेते हुए हंसते हुए उन्होंने पूछा, “अच्छा ? फिर “?
“फिर क्या, इन्हीं घटिया हरकतों के कारण मेरी मेरे बाप से नहीं बनती। हमारी रोज लड़ाई होती है I मैंने तो अपने बाप को बोल दिया है, मैं इस कचरे की दूकान में नहीं बैठूंगा”।
मुकुल और भावना सोच रहीं थीं कि दस लाख महीने की आमदन वाली दुकान को ये लड़का कचरे की दूकान बोल रहा है।
“मैडम हमारे साथ वाली दूकान भी हमारी ही है, मेरे दादा जी ने किराये पर दी थी। हलवाई की दुकान है – अब उसका काम नहीं चल रहा”।
“अब आप ही बताओ मैडम कहां हल्दीराम, बीकानेर, नत्थू स्वीट्स, अन्नपूर्णा और कहां ये चूतिये वर्मा स्वीट्स, शर्मा स्वीट्स”?
“अब हालत ये है की बुड्ढा किराया भी नहीं निकाल पाता। दूकान छोड़ने के बीस लाख मांग रहा है। मेरे हिसाब से तो ठीक ही है। बुड्ढे को और कुछ करना भी तो नहीं आता। बच्चे तो हलवाई बने नहीं – और अब बाप को पूछते तक नहीं”।
“कम से कम मैडम बुड्ढे का मरने तक का तो खाने पीने रहने का इंतजाम होना चाहिए”। फिर उसने दोनों कि तरफ मुंह करके पूछा “ठीक है ना मैडम “?
“बिलकुल ठीक है”। मुकुल और भावना एक साथ बोलीं।
“और एक बात बताऊं मैडम, ये बुड्ढा हलवाई तो दस ही मान रहा था, मैंने ही कहा ताऊ बीस मांग – देगा मेरा बाप। तेरे बच्चे भी तेरा ध्यान तभी रखेंगे जब तेरे पास रोकड़ा होगा”।
मुकुल और भावना तो हंसते हंसते ही दोहरी होती जा रही थीं – “ये लड़का चुदाई करने आया है “?
भावना बोले, “अच्छा फिर”?
साहिल बोला “फिर क्या, मैंने अपने बाप को बोला, मान जा मेरे बाप। वो बुड्ढा एक वकील को बुलाने की बात कर रहा है I वकील कह रहा था इन बिजली वालों को अदालतों के चक्कर कटवाऊंगा, तुझे चालीस दिलवाऊंगा”।
“और अब मेरा बाप बीस पर तैयार हो गया है। सही पूछो तो सीधी उंगली से घी निकलने का तो ज़माना ही नहीं”।
“अब वहां मैं अपनी अलग की दूकान – दूकान क्या जी, शो रूम खोलूंगा कम्प्यूटर्स, लैप टॉप, और मोबाइल फोन का”।
मुकुल ने मजे लेते हुए कहा, “अच्छा एक बात बता साहिल, ये जनक और अशोक बता रहे थे तुझे खाली लौंडे ही चोदने का शौक है। लड़कियां तू नहीं पटाता”।
“इसमें भी उनको आधी बात ही पता है”।
“इनके साथ मैं लौंडे ही चोदता हूं। मगर मैडम एक बात बोलूं। लड़के चोदना कोइ सेक्स नहीं है। ये तो पानी छुड़ाने वाली बात होती – एक ठरक, दिमाग़ी फितूर। मुट्ठ मार के लंड हल्का कर लो या लौंडा चोद के एक ही बात है “।
“चूत हो या गांड। लड़की की ही होनी चाहिए l भगवान ने लड़की का शरीर इसी लिए तो सुन्दर बनाया है। सुन्दर चेहरा। चूचियां और मोटे चूतड़ जो चलते वक़्त ऐसे हिलते हैं। साहिल ने दोनों हाथ आगे पीछे बताया। बताते वक़्त वो मुकुल को देख रहा था।
भावना और मुकुल की तो हंसी ही बंद नहीं हो रही थी।
भावना ने पुछा, “और वो लड़कियां पटाने वाली बात “?
साहिल बोला, “मैं नहीं पटाता जी लड़कियां, ये बेकार के चक्कर होते हैं ये।यहीं एक गेस्ट हाउस वाला मेरा दोस्त है। कालेज की लड़कियां वहां गेस्ट हाउस में मजे के लिए चुदवाने आती हैं। लड़के चोदने के लिए जाते हैं। लड़के लड़कियां दोनों गेस्ट हाउस वाले को कमरे के लिए पैसे देते हैं। आपस में पैसे का कोइ लेन देन नहीं। चुदाई करो, मजे लो और छुट्टी”।
“लड़के लड़की को अपनी चुदाई के लिए जगह चाहिए होती है, वो ये गेस्ट हाउस वाला दे देता है। और मैडम कई बार तो ऐसा होता है लड़के लड़की एक दुसरे को जानते तक नहीं और चुदाई हो जाती है। मुझे तो ऐसी चुदाई में बड़ा मजा आता है”।
“अब ये बात मैं इन दोनों जनक और अशोक को क्या बताऊं। ये कर ही नहीं पाएंगे ऐसी चुदाई। एक बार जाने में दो ढाई तीन हजार तक भी लग जाते हैं “।
“और एक बात बताऊं जी आपको ? अशोक और जनक को पता नहीं चलनी चाहिए”।
मुकुल बोली, “हां बता”।
” ये गुंजन चुदवाती है मुझसे”।
“तेरी भाभी “? मुकुल होठों पर हाथ रख कर बोली।
“हां जी लेकिन इसमे भी कसूर मेरे गधे भाई का ही है। बीस साल की नई ब्याही लड़की को तो रोज लंड चाहिए वो भी लम्बा और सख्त। अब उसे ये सब ना मिले तो वो क्या करे ? मन मार कर बैठ जाए ”?
“मैडम, सही पूछो तो लड़की की सही चुदाई की उम्र ही बीस और पचीस के बीच की होती है जब चूत अंदर से भी टाइट होती है। लंड जब अंदर जाता है तो चूट की साइडों से रगड़ खाता जाता है। वहीं तो लड़की को असली मजा आता है। एक बच्चा हो गया तो चूत अंदर से ढीली हो जाती है, फिर ये रगड़ाई का मजा नहीं आता, बस चुदाई के बाद पानी छूटने का मजा आता है। चूत की रगड़ाई तो खत्म सी ही हो जाती है”।
“और सुना है मैडम की विदेशों में तो तीस पैंतीस की उम्र के बाद लड़कियां अपनी चूत टाइट करवाती हैं, ऑपरेशन करवा के। अगर ऐसा है तो मैडम इस तरह के ऑपरेशन तो यहां भी होते ही होंगे। हमारे देश में ना तो पैसे की कमी है ना डाक्टरों की और ना ही चूत टाइट करवाने वालियों की।
साहिल की ये बात सुन कर मुकुल और भावना फिर हंसी और एक दूसरी की तरफ देखा। उन्हें भी तो इसी रगड़ाई का मजा आता है। सोच रही थी सही तो कह रहा है साहिल।
मुकुल ने पूछा, “अच्छा ये बता साहिल, तूने गुंजन को कैसे पटाया”।
“मैंने नहीं पटाया जी। मैंने तो आपको बताया ही है, मैं नहीं पटाता लड़कियां। लड़कियों को खराब करने की मेरी आदत नहीं। ये तो मेरा भाई गुंजन के साथ बढ़िया और मनमाफिक चुदाई नहीं कर रहा था तो उसने मेरे साथ ट्राई मार ली”।
साहिल बोला, “हुआ ये जी की मैं एक दिन दोपहर में घर पर अपने कमरे में लेटा था कि गुंजन आ गई और मेरे पास ही बेड पर बैठ गयी। बोली कुछ नहीं”।
मैंने पूछा “क्या हुआ गुंजन”?
वो बोली “साहिल तेरे भैया क्या ऐसे ही हैं”?
मैंने गुंजन से पूछा ,”गुंजन मैं कुछ समझा नहीं, ऐसे मतलब कैसे “?