इस भाग में – हमारी, मतलब मेरी – जसप्रीत – जस्सी और मेरे आधे अधूरे पति राज की सेक्स ग्रुप में एंट्री
हम इस ग्रुप में शामिल हो गए I बस बाकियों की “हां ” की जरूरत थी I अगर हां हो जाती तो फिर मेरी भी चुदाई या रगड़ाई – जो भी कह लो शुरू हो जानी थी I सोच सोच कर ही चूत बग़ावत कर रही थी
जैसा कि सपना ने बताया था, अगली मुलाकात सपना के घर हुई। सपना ने सब को हमारे बारे में बता दिया इस लिए हमसे मिलने पांचों जोड़े इस बार आ गए। सुमित – सपना तो थे ही। बाकी चार थे जुगल – अमृता, संदीप – पूनम, राजन – रश्मि, रेनू – अनूप।
सपना ने हमारा परिचय करवाया और कहा कि हम भी इस ग्रुप में शामिल होना चाहते हैं। फिर पूछा कि बाकी के पांचों जोड़ों की क्या राय है। सब ने हां कर दी। राज को तो वो लोग जानते ही थे। मैं ही नयी थी।
दस मिनट में ही खेल चालू हो गया। सब नंगे हो गए। हम अगर इस पहली मुलाक़ात में अगर चुदाई में भाग ना लेना चाहते तो किसी को कोइ एतराज़ नहीं था। मगर क्यों की सब नंगे थे इस लिए हमे भी कपड़े तो उतारने ही थे।
आखिर लड़कियों को राज का लंड और मर्दों को मेरी चूत जो देखनी थी।
सुन्दर तो मैं हूं ही। जिस्म भी मेरा कड़क है। तनी हुई चूचियां। भरे भरे चूतड़ – सपना के चूतड़ों से थोड़े ही छोटे – और उभरी हुई चूत जो किसी किसी लड़की की होती है।
संदीप और जुगल की नज़रें मेरी चूत से हट ही नहीं रही थी। वो दोनों तो मुझे ऐसे देख रहे थे जैसे कि उसी वक़्त चोद देना चाहते हों।
ग्रुप सेक्स का असली खेल शुरू हो गया। फैसला ये हुआ कि सब एक दूसरे के सामने ही चुसाई चुदाई करेंगे, जिससे हम देख सकें कि क्या और कैसे हो रहा है।
संदीप कि बीवी पूनम और अनूप कि बीवी रेनू एक दूसरी के साथ लग गयी। सपना संदीप का लंड चूसने लगी। राजन की बीवी रश्मि जुगल का चूसने लगी। जुगल की बीवी अमृता राजन के पास चली गयी। बचे अनूप और सुमित। वो दोनों मर्द एक दूसरे के बाहों में बाहें डाल कर एक दूसरे का लंड सहलाने लगे।
मैं और राज बैठे ये सब देख रहे थे।
राज ने अपना लंड पकड़ा हुआ था और मैं अपनी चूत सहला रही थी।
सपना और रश्मि संदीप और जुगल से चुदवाते चुदवाते झड़ चुकी थी और अब आखरी सीन आने वाला था।
संदीप और जुगल ने अपने घोड़े जैसे लंड सपना और रश्मि की चूत में से निकाल लिए और खड़े हो गये।
सपना और रश्मि जानती थीं की अब क्या होने वाला है। दोनों सोफे पर बैठ गयीं। संदीप और जुगल उनके सामने आये और उनकी चूचियों के निप्पलों पर अपने अपने लंड का सुपाड़ा फेरने लगे। साथ साथ सपना और रश्मि उनके लंड पकड़ कर मुठ मार रही थी।
जल्दी ही संदीप और जुगल के मुंह से आअह आअह की आवाजें निकलने लगी।
उन्होंने सपना और रश्मि के मम्मे पकड़ लिए और अपने लंड को उनकी उन मम्मों के बीच में जकड़ लियI। अब दोनों संदीप और जुगल मम्मों के बीच लंड से धक्के लगा रहे थे जैसे मम्मे – चूचियां – चोद रहे हों।
सपना और रश्मि ने पीछे से संदीप और जुगल के चूतड़ पकड़े हुए थे I
फिर एकदम दोनों ने एक ऊंची आवाज निकाली हाआआअह्ह और भल भल करके उनके लंडों में से ढेर सारा सफ़ेद सफ़ेद वीर्य निकल कर सपना और रश्मि की चूचियों पर फ़ैल गया।
सपना और रश्मि ने सारा वीर्य अपनी चूचियों पर पर मल लिया और हाथ चाट लिए।
लग ही रहा था की ये काम वो पहले भी कई बार कर चुकी हैं।
सब एक एक बार झड़ चुके थे।
सुमित और अनूप जो पहले एक दुसरे का लंड पकड़ कर बैठे थे वो अब वो लड़कियां चोद रहे थे।
राजन अनूप की बीवी रेनू को चोद रहा था और अनूप संदीप की बीवी पूनम को चोद रहा था। राज का लंड खड़ा हो गया था। ये देख कर जुगल की बीवी अमृता आयी और राज का लंड चूसने लगी।
मतलब अगर मैं और राज चाहें तो चुदाई में हिस्सा ले सकते थे।
मैं ही क्यों पीछे रहती, मेरा मन भी चुदवाने का होने लगा। मैं अपनी चूत रगड़ने लगी। मेरी नज़रें जुगल और संदीप की तरफ ही थी। वो भी मेरी ही तरफ देख रहे थे।
ग्रुप में एक नई चूत जो आयी थी।
संदीप मेरे पास आ गया हुए मेरी चूचियां दबाने लगा। मेरी सिसकारी सी निकली ….”आआह”।
सिसकारी सुनते ही संदीप मेरी चूची चूसने लगा।
संदीपकी तो चुसाई में भी जादू था – चुदाई में तो था ही – जैसा सपना ने बताया था।
मैंने संदीप का सर जोर से अपनी चूचियों पर दबा दिया।
अब संदीप ने देर नहीं की।
मुझे आगे की तरफ झुका कर संदीप मेरे पीछे आ गया।
अब सब लोग हमें देख रहे थे।
संदीप ने अपना लंड एक ही झटके से मेरी चूत में डाल दिया। क्या लंड था – चूत ही भर गयी मेरी। ये संदीप और जुगल के लंड का कमाल ही था जो सपना हमेशा इनसे चुदाई की बातें करती रहती थी।।
संदीप ने मेरी कमर पकड़ ली और चुदाई शुरू कर दी। जुगल मेरे आगे आया और लंड मेरे मुंह में डाल दिया। मेरी धुआंधार चुदाई शुरू हो गयी I
थोड़ी चुदाई के बाद जुगल पीछे आ गया और संदीप ने अपना लंड मेरे मुंह में डाल दिया।
बाकियों के लिए तो ये एक सीन था मगर मुझे जो मजा आ रहा था वो मैं बता नहीं सकती।
सच ही ऐसे चोद रहे थे जैसे कुत्ता कुतिया को चोदता है, दीन दुनिया से बेखबर।
कुत्ता कुतिया की कमर अपने अगले पैरों में पकड़ कर और धक्के ऐसे लगाता है जैसे कुतिया की चूत फाड़ देनी हो। कुतिया चाहे भी तो भाग नहीं सकती।
यही बात संदीप और जुगल की चुदाई में भी थी। चोदते हुए ऐसे कमर कस कर पकड़ लेते थे। जब धक्का लगा कर लंड चूत में डालते थे तो चूतड़ों को पीछे की तरफ कर लेते थे। लंड पूरा जड़ तक बैठ जाता था। लंड के नीचे लटके हुए टट्टे जब पट्ट की आवाज के साथ गांड के छेद से टकराते थे तब तो अलग ही मजा आता था। मन करता था गांड में भी लंड डलवा लूं।
ऐसे चोद रहे थे मुझे जैसे फाड़ देनी हो मेरी चूत – घुस जाना हो मेरी चूत में।
मगर मैं भागने वालों में से नहीं थी। मुझे तो इस चुदाई में इतना मजा आ रहा था की बस मैं यही नहीं कह रही थी, “चोदो भड़वो और जोर लगा कर चोदो, फाड़ो मेरी चूत, घुस जाओ अंदर।
जल्दी ही बाकी सब भी चुदाईयों में लग गए। मेरी चूत का पानी एक बार निकल चुका था। संदीप या जुगल – किसकी चुदाई के दौरान निकला किसकी चुदाई से निकला ये नहीं पता।
बारी बारी की पहली बार की मेरी चुदाई से संदीप और जुगल झड़ने को हो गए I
दोनों ने लंड मेरी चूत और मुंह से निकाले और मेरे सामने आ गए। दोनों मेरी चूचियों पर धार छोड़ने को तैयार थे।
मैं भी उनका पूरा साथ दे रहे थी। मैंने दोनों के लंड एक एक हाथ में पकड़े हुए थे। कभी मैं उनके लंड की मुठ मरने लगती, कभी चूचियों पर रगड़ने लगती कभी मुंह में ले लेते थी।
दोनों के मुंह से यह आह घररर घररर की आवाजें निकलने लगीं। वो अपने चूतड़ आगे पीछे हिलाने लगे। मुझे लगा की अब ये छूटेंगे। मुझे तो सोच सोच कर ही मस्ती आ रही थी की कैसे इन दोनों का ढेर सारा गर्म सफ़ेद लेसदार पानी मेरी चूचियों पर गिरेगा।
और वो पल भी आ गया। आआह आआह की आवाज के साथ संदीप और जुगल ने ढेर सारा सफ़ेद वीर्य मेरी चूचियों पर निकाल दिया। मेरी पूरी चूचियां ही इस पानी से सराबोर हो गयी।
आधे मिनट तक तो उनके लंड में से गर्म पानी ही निकलता रहा। मैंने दोनों हाथों से सारा लेसदार पानी पत्नी चूचियों पर मल लिया और जैसे सपना ने अपने हाथ चाटे थे, मैंने भी अपने हाथ चाट लिए। क्या खुशबू आ रही थी। हल्का नमकीन स्वाद था लेसदार सफ़ेद गर्म पानी का।।
जैसे ही मैं ये सब कर के हटी कि सब ने ताली बजाई। हमारा ग्रुप में स्वागत हो गया था।
मैंने मन ही मन सपना मेहता का धन्यवाद किया, जिसकी बदौलत मेरी इतनी बढ़िया चुदाई हुई थी।
इस बार चुदाई हमारे घर में होनी थी। इस बार चार जोड़े थे। मैं और राज । सपना और सुमित, संदीप और उसकी बीवी – जुगल और उसकी बीवी। राजन और अनूप इस बार नहीं थे।
राज मीट ले आया। राज मीट बहुत बढ़िया बनाता है। साथ बियर ले आया । दारू तो घर में पडी ही थी।
शाम छह बजे तक सब आ गए। थोड़ी गपशप के बाद साढ़े छह बजे सब ने कपड़े उतार दिए।
संदीप और जुगल से मेरी चुदाई तो होनी थी सो होनी थी, मुझे तो उनके लंड ही बहुत मस्त लगे। ये ढाई इंच मोटे और सात इंच लम्बे – तभी तो चूत की झाग बना देते हैं।
जुगल और संदीप की बीवियों ने इतनी दरियादिली दिखाई कि दोनों औरतखोरों को हमे – मुझे और सपना को चोदने कि लिए छोड़ दिया। खुद वो एक दूसरी की चूत का स्वाद लेने एक कमरे में चली गयीं।
एक कमरे में सपना का सुमित और मेरा राज एक दुसरे का लंड चूसने चले गए।
बचीं मैं और सपना। हमारे ऊपर सवार हो गए गधे जैसे लंड वाले संदीप और जुगल।
सच में क्या चुदाई कर रहे थे। पहले जुगल सपना के पीछे था और संदीप मेरे पीछे। फिर संदीप सपना कि पीछे चला गया और जुगल मेरे पीछे आ गया।
संदीप या जुगल, जो कोइ भी मुझे चोद रहा था, उनकी नज़रें सपना मेहता की 48 इंच कि चूतड़ों कि ऊपर ही थी।
मैंने भी सोचा, सपना से पूछूंगी कैसे इतने मोटे चूतड़ बन गए उसके। जिसको देखो, उसके चूतड़ों का दीवाना हुआ पड़ा है।
मानना पड़ेगा, क्या चुदाई करते हैं दोनों।
कमर ऐसे कस कर पकड़ लेते हैं और जो फिर धक्के लगाते हैं दिल करता है वो चुदाई कभी खत्म ही न हो।
चुदाई कि एक दौर के बाद सब ड्राइंग रूम में आ गए। मेरी और सपना की तो दो दो चुदाईयां हुई। संदीप और जुगल ने बारी बारी से हमे चोदा।
सच में ही दो दो सांडों से चुदने के बाद एक और चुदाई का दम नहीं रहा।
जुगल और संदीप की बीवियां उनसे चुदवाने चली गयीं। संदीप ने जुगल की पकड़ ली और जुगल की संदीप के पास चली गयी।
मैं और सपना दुसरे कमरे में एक दूसरी की फुद्दी चूसने चल पड़ीं।
राज और सुमित अभी भी कमरे में ही थे। ये नहीं पता कि लंड ही चूस रहे थे या एक दूसरी की गांड में लंड डाल रहे थे।
ग्रुप सेक्स वाले ग्रुप में लड़कों का आपस में चुदाई करना भी बुरा नहीं मना जाता था।
उलटा जब वो एक दुसरे का लंड चूस रहे होते हैं, बाकी के मर्द दबा कर उनकी बीवियां चोदते हैं – जैसे हमारे खसम आपस में लंड चुसाई में मस्त होते थे तो बाकी की सारे मर्द हमारी चुदाई कर रहे थे।
हमारे घर हुई इस ग्रुप चुदाई में एक और प्रस्ताव सर्वसम्मती से पास हो गया। वो ये कि अगली बार जब ग्रुप के सदस्य मिलेंगे तो गांड चुदाई की भी शुरूआत की जाएगी।
इस ग्रुप सेक्स की चुदाई से मुझे एक बात तो समझ में आ गयी कि अगर किसी ने ग्रुप सेक्स का मजा नहीं लिया, तो समझो कुछ नहीं किया।
घर में भी तो रोज रोज वही दाल वही चावल नहीं बनते। कई बार खाना भी तो बाहर जा कर खाने का मन करता है या मंगवा कर खाने का मन करता है। जब खाना भी बदल बदल कर बनता है तो चुदाई बदल बदल कर क्यों नहीं।
वही लंड, वही चूत, वही चुदाई।
अगर किसी भइया भाभी या जीजी और जीजा जी ने ऐसे किसी ग्रुप में अब तक भाग नहीं लिया तो कोशिश करें जल्दी भाग लें। तरह तरह ले लंड और चूतों के मजे लेने का इससे बढ़िया कोइ तरीका नहीं । सुन्दर सस्ता और टिकाऊ।
बिलकुल वैसे ही जैसे हींग लगे ना फिटकरी, रंग चोखा।