पिछला भाग पढ़े:- मां को चोदने के लिए लोगों ने उकसाया-39
संगीता ने झुक कर मां के दोनों पांव छू कर प्रणाम किया। संगीता हमें अंदर लेकर गई। हेडमास्टर और उनकी पत्नी तो थे ही, असलम भी था। असलम भी अकेला नहीं था, उसके साथ एक बहुत ही ग़ज़ब की खूबसूरत लड़की भी थी। असलम की सबसे छोटी बेगम नगमा हर दूसरे-तीसरे दिन चुदवाने आती थी। नगमा भी रेखा से ज़्यादा सुंदर थी, लेकिन अब ये लड़की नगमा से कहीं ज़्यादा सुंदर थी। मेरी नज़र उसके उपर से हट ही नहीं रही थी।
मैंने हेडमास्टर और उनकी पत्नी को प्रणाम किया, लेकिन मेरी नज़र लड़की के चेहरे से नहीं हटी। असलम ने 15 दिन पहले ही कहा था कि वो अपनी बेगम के साथ अपनी एक बेटी नफ़ीसा को भी भेजेगा लेकिन मैंने ही मना कर दिया था। लेकिन लड़की को देख कर मैं बाक़ी सभी माल, इंदिरा, रेखा और संपा को भी भूल गया।
जी तो कर रहा था कि वही सब के सामने उस खूबसूरत लड़की को ही चोद दूं। मैं लड़की की ख़ूबसूरती में खोया हुआ था कि संगीता की आवाज़ ने डिस्टर्ब कर दिया।
संगीता: अमित जिसे तुम इतनी घूर रहे हो वो असलम की बड़ी बेटी नफ़ीसा है। मेरी सहेली है और अक्सर घर आकर मां की मदद करती है।
इंदिरा: संगीता, अमित की कोई गलती नहीं। स्वर्ग की कोई अप्सरा भी इतनी सुंदर नहीं होगी।
मैंने झेंप कर मां को सबसे मिलाया, असलम से भी मिलाया।
अमित: मां, ये असलम जी हैं। वैसे तो यहां के एक गार्ड हैं लेकिन यहां के सबसे पौपुलर आदमी है। यहां की हर छोटी बड़ी औरत और लड़कियां असलम को खूब बढ़िया से जानती है।
इंदिरा ने उड़ती नज़र से असलम को देखा। लेकिन वो बिल्कुल ही आकर्षित नहीं हुई। फिर थोड़ी देर फॉरमल बातें, एक-दूसरे के परिवार की बातें होती रही। नफ़ीसा ने सभी को शरबत पिलाया।
असलम: मैडम, पिछले 15-20 दिनों में अमित साहब सब की ज़ुबान पर आ गये है। 30-32 औरतों ने खुद मुझसे कहा है कि वे जल्दी से जल्दी अमित से मिलना चाहती है।
इंदिरा: हेडमास्टर साहब, मेरा बेटा यहाँ पढ़ने आया है औरतों से मिलने नहीं। सर प्लीज़ ध्यान रखिए कि औरतों के चक्कर में मेरे बेटे की पढ़ाई ना चौपट हो जाये।
संगीता: आंटी, आपने अच्छा याद दिलाया। अमित, मैं एक होमवर्क नहीं कर पा रही हूं, प्लीज़ हेल्प कर दो।
संगीता ने अमित का हाथ पकड़ा और उसे लेकर एक रुम के अंदर गई। अंदर से ही ज़ोर से बोली, “नफ़ीसा एक ग्लास पानी लेकर आ।”
पांच मिनट भी नहीं गुजरे, नफ़ीसा एक ट्रे में दो ग्लास पानी लेकर अंदर गई तो देखती है कि दोनों बिल्कुल नंगे थे, और अमित अपना लंड संगीता की बूर के अंदर-बाहर कर रहा था।
रुम में घुसते ही संगीता फटाफट नंगी हुई। ना उसने ब्रा ही पहना था ना ही पैंटी। अमित क्यों लेट करता। उसने भी कपड़े निकाले और बिना किसी ओरल के लंड को बूर पर दबाया और पेल दिया।
संगीता: मां ने बहुत कहा तो मैंने असलम से चुदवाया। मुझे बिल्कुल मज़ा नहीं आया। मैंने मां से कहा तो उसने खुशामद की कि उसे एक और मौक़ा दूं। मैं इसी बेड पर उसके साथ पूरी रात रही। साले ने तीन बार चोदा लेकिन मुझे खुश नहीं कर पाया। और जानते हो क्यों नहीं खुश कर पाया? क्योंकि इस बूर को अब सिर्फ़ एक ही लंड पसंद है और वो लंड है जो अभी मेरी बूर खा रही है।
अमित को भी इस अचानक की मस्ती में बहुत मज़ा आ रहा था।
अमित: संगीता, मुझे इससे कोई फर्क़ नहीं पड़ता कि मेरी माल को कौन चोदता है या वो किससे चुदवाती है। रचना ने चोदने के लिए मुझे शनिवार तक का समय दिया है। लेकिन वो यहां नहीं रहती है, कहां चोदू उसे। संगीता, मैंने रेखा को बहुत चोदा, नगमा को बहुत चोदा, गार्गी को चोदा, तुम विश्वास नहीं करोगी, वो 28-29 साल की औरत कुंवारी थी। कल होटल में तीन बढ़िया माल को चोदा, लेकिन किसी के साथ वैसा मज़ा नहीं आया, जितना तुम देती हो। मेरे साथ रात गुजारो ना।
तब तक नफ़ीसा ट्रे में पानी का ग्लास लेकर आई।
नफ़ीसा: दीदी, इतनी बेशर्मी ग़लत है। सब बाहर बैठे हैं।
संगीता: दरवाज़ा बंद कर और मेरे यार को जल्दी से अपनी जवानी दिखा। अभी तुम्हें चोदेगा नहीं सिर्फ़ देखेगा। नगमा से पूछ लेना ये कितना बढ़िया चोदता है। जल्दी तुम्हें इसके रुम में भेजूंगी। जल्दी से कपड़े खोल।
नफ़ीसा: अब्बू (असलम) के लंड से दोगुना लंबा है, मोटा भी है। देख कर ही बहुत डर लग रहा है।
उसने अब्बू के लंड की बात की तो दोनों को लगा कि असलम अपनी बेटी को भी चोदता था।
संगीता: असलम तुम्हें भी चोदता है?
नफ़ीसा ने सैकड़ों बार घर में असलम को लड़कियों और औरतों को चोदते देखा था। असलम का लंड पहला लंड था जो उसने देखा था। उसने यह भी सुना था कि चुदाई के बाद सभी असलम की बहुत तारीफ़ करती थी। तो उसे भी अपने अब्बू का लंड पसंद आ गया था, और वो भी अपने अब्बू असलम से चुदवाने को तैयार थी। लेकिन अमित का लंड देख कर वो बहुत ही ज़्यादा मोहित हो गई। नफ़ीसा चुदाई कर रहे जोड़े के पास गई और बेड पर बैठ गई।
संगीता: नंगा हो कर चूदाई देखने में बहुत ही ज़्यादा मज़ा आता है।
संगीता चूत्तड़ उछाल-उछाल कर चुदवा रही थी। नफ़ीसा मानो हिप्नोटाईज़ हो गई थी। लंड को बूर के अंदर-बाहर होते देखते हुए वो अपना सलवार, कुर्ता और शमीज निकाल कर अमित के सामने नंगी खड़ी हो गई। संगीता को चोदते हुए अमित इस नई खूबसूरत परी को ही देखता रहा।
नफ़ीसा 5 फ़ीट 4 इंच की बहुत ही स्लिम-ट्रिम बदन वाली लड़की थी। बहुत ही गोरा रंग तो था ही, चेहरे का कट बहुत ही प्यारा था। पतले-पतले होंठ, अंडाकार चेहरा, बड़ी-बड़ी काली आंखें, सुराहीदार गर्दन, गोलाई लिए हुए कंधे, पतली बाहें, चिपटी, अंदर की ओर धंसा हुआ पेट और 32 इंच गोलाई की बहुत ही प्यारी दिखने वाली चूचियां किसी को भी दीवाना बना सकती थी।
खूब घने और लंबे बाल चूत्तड़ों के बीच तक आते थे और चूत्तड़ों की गोलाई भी 34 इंच से कम ही होगी। चूत का हिस्सा बहुत ही छोटा और प्यारा था। लेकिन लड़की की जांघे संगीता की जांघों जैसी सुडौल और कड़क थी। ओवरऑल, अमित ने तब तक जितनी भी लड़कियां या औरतों को देखा था, नफ़ीसा सबसे ज़्यादा खूबसूरत थी।
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