मेरी लालची मम्मी और बेवड़ा बाप-1

नमस्कार दोस्तों, मैं आपका Thor अगली चुदाई कहानी के साथ आप सब के लंड खड़े करने आ गया हूं। जिन लोगों ने भी मेरी पहले की कहानियां नहीं पढ़ी है, वो उनको जरूर पढ़ें। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं, कि उनको पढ़ कर आपको मज़ा जरूर आएगा। आज की सेक्स कहानी आदर्श और उसकी मम्मी बिमला की है। ये लोग भोपाल के रहने वाले है। तो चलिए कहानी शुरू करते है आदर्श के शब्दों में।

नमस्कार दोस्तों मेरा नाम आदर्श है। मेरी उमर 26 साल है, और मैं सरकारी नौकरी करता हूं। मेरी ऊंचाई 5 फुट 11 इंच है, और रंग मेरा गेहुंआ है। मेरी शादी हो चुकी है, और मेरा एक बेटा भी है। मेरे परिवार में मैं, मेरी बीवी, बेटा, और मम्मी रहते है। मेरे पापा का देहांत पिछले साल हुआ था। दोस्तों ये जो कहानी है, वो मेरी लालची मम्मी और मेरी है। कैसे मम्मी के लालच ने उसको मेरे लंड पे चढ़ाया। ये सब मैं आपको बताऊंगा। चलिए शुरू करते है।

मैं शुरू से देखता आ रहा था कि मम्मी-पापा का बहुत झगड़ा होता था। मेरे पापा को बहुत पहले बिजनेस में काफी नुकसान हो गया था, जिसके दुख में उन्होंने शराब पीनी शुरू कर दी। उसके बाद वो कभी काम कर ही नहीं पाए ढंग से। जब उनकी शादी हुई थी, तब उनका काम अच्छा-खासा था, जिस कारण उनको लड़की भी बहुत खूबसूरत मिली थी। और वो खूबसूरत लड़की मेरी मम्मी है।

मेरी मम्मी अपनी जवानी में बहुत खूबसूरत थी। मुझे ये उनकी पुरानी फोटोज देख कर पता चला। मम्मी का रंग दूध जैसा गोरा था, और फिगर मस्त था। वो इतनी सेक्सी दिखती थी कि किसी का भी लंड उनको देख कर खड़ा ना हो, ऐसा हो ही नहीं सकता था। आज भी मम्मी की खूबसूरती में पहले से कुछ ज्यादा फर्क नहीं पड़ा। बस उनके चूचे और गांड पहले से 2-3 इंच बड़े हो चुके है। इसलिए पहले वो खूबसूरत ज्यादा लगती थी, और अब सेक्सी ज्यादा लगती है।

खूबसूरत लड़कियां जितनी खूबसूरत होती है, उनके नखरे भी उतने ही होते है। जब तक पापा का काम ठीक था, तब तक तो वो मम्मी के नखरे उठा सकते थे। लेकिन जिस दिन बिजनेस में नुकसान हुआ, उस दिन से हमारे परिवार की सड़क पर आने वाली हालत हो गई थी। बस ले-दे कर एक घर ही बच पाया था। घर हमारा काफी बड़ा था, तो ऊपर के माले पर किरायेदार रख लिए गए थे, ताकि कुछ पैसों का सहारा हो जाए।

मम्मी ऐसी औरत नहीं हैं, जो पति के बुरे हालात में उसका सहारा बने। वो तो खुद से प्यार करने वाली औरत है, जो सज-सवर कर अपनी खूबसूरती को चार चांद लगाना चाहती है। बाकी दुनिया में चाहे आग लग जाए, उनको कोई परवाह नहीं। जब हमारी वित्तीय हालत खराब हुई, तो पापा मम्मी की जरूरतें पूरी कर पाने में असमर्थ हो गए। और इस वजह से मम्मी ने पापा से झगड़ना शुरू कर दिया।

क्योंकि मम्मी पढ़ी लिखी थी, तो उन्होंने खुद नौकरी करना शुरू कर दिया। लेकिन वो नौकरी वाली जिंदगी से कभी खुश नहीं थी। पापा वैसे कोई काम नहीं करते थे, और किराए पर ही निर्भर करते थे।

जब से मैंने होश संभाला था, तब से मैंने हमेशा अपनी मम्मी को उनकी जिंदगी से नाखुश देखा था। वो कभी पापा से ढंग से बात भी नहीं करती थी, और ना ही घर खर्च में पैसे देती थी। उनको बस अपने मजे की पड़ी रहती थी। घर का सारा खर्च किराए के पैसे से होता था।

मैंने नोटिस किया था कि मम्मी को पैसों का बड़ा लालच था। वो उन दोस्तों के पीछे पड़ी रहती थी, जो पैसे वाले थे। कईं बार तो मुझे लगता था कि मम्मी मुझसे कम और पैसों से ज्यादा प्यार करती थीं।

ऐसे ही वक्त बीतता गया, और मेरी स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई पूरी हो गई। उसके बाद मैंने जी तोड़ मेहनत की, और सरकारी नौकरी का एग्जाम पास किया। जिस दिन मैं एग्जाम पास करने की खबर घर लेके आया, उस दिन मम्मी सबसे ज्यादा खुश लग रही थी। मेरी शुरुआती तनख्वाह 70000 थी, और ये सुन कर तो मम्मी के पैरों के नीचे से जैसे जमीन निकल गई थी। आज उनको अपना बेटा याद आया था। आज वो मुझसे इतने प्यार से बात कर रही थी, जितनी उन्होंने कभी जिंदगी में नहीं की थी।

दूसरी तरफ मेरे पापा को ना तो खुशी थी, और ना ही वो दुखी थे। वो तो बस अपने दुख और और शराब के नशे में दूर रहते थे। फिर मैंने काम पर जाना शुरू कर दिया, और मेरे जरिए घर में पैसे आने लगे। मेरी मम्मी मेरे से नजदीकियां बढ़ने की कोशिश कर रही थी, जब देखो बेटा-बेटा करने लगी थी। लेकिन जिसने मेरा बचपन खराब किया, उस मां के लिए मेरे मन में वो सम्मान नहीं था।

मम्मी भी कहीं ना कहीं समझ चुकी थी कि अब वो मेरे दिल में उसके लिए मां वाला प्यार नहीं जगा सकती थी। इसलिए मां ने दूसरा रास्ता अपनाने का फैसला किया। और वो रास्ता था वासना का रास्ता।

अचानक अब मम्मी घर पर मॉडर्न और सेक्सी कपड़े पहन कर घूमने लगी थी। पापा को इस चीज से कोई मतलब नहीं था, कि वो घर पर क्या करती थी। इसलिए उनके पास पूरी आजादी थी। मम्मी घर पर टाइट लेगिंग्स और साथ में शर्ट टीशर्ट पहन कर घूमती। लेगिंग्स में से उनकी जांघें मस्त लगती थी, और टीशर्ट शॉर्ट होने की वजह से बार-बार उनकी सेक्सी कमर और कामुक नाभि के दर्शन कराती थी। कभी-कभी मम्मी घर पर शॉर्ट्स पहन कर घूमने लगी। उनकी शॉर्ट्स उनके चूतड़ों को ही ढक रही होती थी।

जब ये रोज़ होने लगा तो मैं समझ गया कि मम्मी क्या करना चाहती थी। मैं समझ गया कि वो मुझे सिड्यूस कर रही थी, ताकि जो पैसे मुझे मिलते थे अपनी नौकरी से, वो मैं उनके दूं। वो मुझे अपने वश में करना चाहती थी।

अब दोस्तों मैं भी एक मर्द हूं। एक कामुक औरत, जिसको हर मर्द चोदने के लिए बेताब हो सकता है, मैं कब तक उसको नजरअंदाज कर सकता था? कब तक मैं मां बेटे के हमारे बिना मायने के रिश्ते की लाज रख सकता था? कब तक मां के खूबसूरत जिस्म को प्यार किए बिना रह सकता था? आखिरकार मुझे वासना की आग के आगे झुकना ही पड़ा। और ये सब कैसे हुआ, वो मैं आपको अगले पार्ट में बताऊंगा।

सेक्स कहानी का ये पार्ट आपको कैसा लगा मुझे [email protected] पर मेल करके जरूर बताएं। जल्दी अगले पार्ट के साथ वापस आऊंगा।