पिछला भाग पढ़े:- आंटी का दीवाना-1
उसको नंगा देख के हवस मेरी आंखों में भर गई थी। मैं उसको कभी कही चूमता, कभी कहीं। मैं उसके दूध पीने लगा खड़े होके। आंटी भी मेरे चूतड़ दबाने लगी, फैला रही थी मेरे चूतड़। मजा आ रहा था। मैं उसके निप्पल पीते हुए उसके चूतड़ों की दरारे में हाथ फिराने लगा। आंटी इतनी एक्साइटेड हो गई और बोलने लगी-
आंटी: प्लीज एक बार अब घुसा दो।
मैंने भी बिना देर किये उसको झुकाया और घुसा दिया। एक बार तो उसकी चीख निकल गई।
आंटी बोली: दर्द होने लगा है, आराम से करो। बहुत दिन से नहीं हुआ है।
मैं पहले तो आराम से कर रहा था। फिर उसको स्पीड में करने लगा। शायद उसको अब मजा आने लगा था। मैं उसके कंधे पकड़ के चोद रहा था उसे। कुछ देर चोदने के बाद दोनों का एक साथ पानी आ गया। फिर आराम से नहाए हम लोग, और बाहर आ गए। फिर आंटी खाना बनाने लगी और बात-चीत करने लगे।
मैंने कहा: मजा आया?
आंटी बोली: हां बहुत मजा आया पहली बार।
मैंने कहा: तुमने भी पूरा चुदने का मूड पहले से बनाया हुआ था। इसलिए चाय के लिए बुलाया।
आंटी बोली: हां मेरा बहुत पहले से प्लान से था। मैं भी पसंद करती थी तुम्हें।
मैंने कहा: तभी चूत के बाल बना रखे थे?
आंटी बोली: हां, आज मॉर्निंग मैं ही बनाए थे। और आज चुदवाना भी पहले से ही था।
अब आंटी बिलकुल खुल के बात कर रही थी मुझसे। उसके बाद खाना हुआ। हम लोग फिर उसके बैडरूम में सोने गए। आंटी सोने से पहले कपडे चेंज करने गई, और जब बैडरूम में आई तो ब्लैक नाईटी में आई। उसका गोरा शरीर कयामत लग रहा था। फिर नाईट बल्ब जला के लेट गई आके। मैंने भी बिना देर किये उसे पकड़ लिया, और किस करने लगा उसके।
अब तो ऐसा लगा रह था मानों मैं उसे नहीं वो मुझे चोदने के मूड में हो। मेरे मुंह में जीभ को अंदर डाल के आंटी किस करती जा रही थी। मैं भी उसके मुंह का पूरा स्वाद ले रहा था। मैंने भी जीभ घुसा दी उसके मुंह में, और लिपलॉक किए जा रहा था। फिर उसकी नाईटी ऊपर करके चड्डी में पीछे से उसके चूतड़ों में हाथ घुसा दिया, और चूतड़ दबाने लगा।
इतने में उसने मुझे सीधा लिटा दिया। मैं सिर्फ अंडरवियर मैं था और मेरे होंठों से चूमना शुरू करके, गर्दन, चेस्ट, उसके बाद मेरे निप्पल चूसने लगी। मुझे बड़ा मजा आ रहा था। धीरे-धीरे करके मेरे लौड़े पे आ गई और किस किया हलके से, और मुंह में ले लिया। फिर लौड़ा चूसने लगी।
मैंने कहा: रुको अभी।
आंटी रुक गई। फिर मैंने उसके कपड़े निकाल दिए, और उसे 69 पोजीशन में ले लिया। आंटी मेरे ऊपर थी। उसकी चूत ठीक मेरे मुंह पे और मेरा लंड उसके मुंह में। मैंने उसकी चूत को फैलाया। उसकी पूरी चूत गीली हो चुकी थी। मैंने जीभ डालके चाटना शुरू किया, चूसने लगा, उसकी चूत को अंदर तक चाट रहा था।
मेरे चाटने से उत्तेजित होके आंटी मेरे लंड को तेजी से चूसने लगी। उसने दोनों हाथों से मेरी टांगे फैला कर मेरी गोली भी चूसनी शुरू कर दी। माहौल बहुत गरम हो चुका था। मेरे चाटने से ही एक बार आंटी मेरे मुंह में ही झड़ गई थी।
उसके बाद मैंने उसे नीचे लिटाया, और मैं बेड से नीचे खड़ा हो गया, और उसकी चूत को फैलाया। उसने बड़े अदब से मेरे लंड को अपनी चूत के मुंह पे रख दिया। मैंने भी एक ही झटके में पूरा घुसा दिया। इससे आंटी एक-दम से चौंक गई। मेरा हाथ कस के पकड़ लिया उसने, लेकिन उसने कुछ कहा नहीं।
मैं फिर उसको चोदने लगा। उसके पैर मेरे कंधे पे थे, और मेरे दोनों हाथ उसके दूध पे थे। मैं उसके दूध दबा-दबा के चोद रहा था स्पीड में। 10 मिनट की चुदाई के बाद मैं लंड निकाल के उसकी चूत को तुरंत चाटने लगा। क्यूंकि पानी बहुत था, तो बड़ा स्वाद आ रहा था उसकी चूत के पानी का।
उसके बाद मैं लेट गया और आंटी बैठ के मेरे लंड पे लगे हुए पानी को चाटने लगी। थोड़ी देर चूसने के बाद टांगे फैला के मेरे लंड पे बैठ गई, और एक ही बार मैं पूरा डाल लिया। उसकी चूत बहुत चिकनी थी। पानी के कारण एक-दम से चला गया। फिर थोड़ी देर बैठी रही।
आंटी बोली: कैसा लग रहा है?
मैंने कहा: ऐसा लग रहा है, जैसे सब कुछ मिल गया।
फिर उसने झटके देने शुरू किए। मुझे बड़ा मजा आ रहा था। उसने मेरे दोनों हाथ अपने बूब्स पे रख दिए, और मैं दबाने लगा। उसके दूध काफ़ी बड़े थे, लेकिन टाइट थे। मजा आ रहा था। मैं निप्पल को चिकोट रहा था। आंटी धक्के मार रही थी। मैंने उसके निप्पल तेजी से खींच दिए, तो उसने कहा आराम से दबाओं। मैं दोनों हाथों से मसाज करने लगा।
इतने में धक्के मारते हुए आंटी मुझे किस करने लगी। मैंने पीछे से चूतड़ पकड़ लिए उसके, और कस के मसल रहा था। तब तक आंटी फिर से झड़ गई, और लेट गई आके नंगी।
आंटी बोली: जिंदगी में पहली बार इतना सुकून मिला।
लेकिन मेरा पानी नहीं आया था।
मैंने कहा: यार मेरा तो हुआ नहीं है।
आंटी बोली: बहुत टाइम लेते हो तुम।
मैंने कहा: हां मेरा जल्दी नहीं होता है।
मैंने फिर उसे घोड़ी बनाया। अब उसकी बड़ी और चौड़ी गांड मेरे सामने थी। क्या नजारा था पीछे से उसका। पहले तो मैंने पीछे से उसके चूतड़ों में मुंह घुसा के चूत को एक बार किस किया। फिर लंड को बुर मैं घुसा दिया और चोदने लगा। इस बार आंटी आवाज ज्यादा निकाल रही थी। शायद दर्द हो रहा था उसके।
तो मैंने उसकी चड्डी उसके मुंह में घुसा दी और कहा: आवाज मत निकालना।
और फिर चोदने लगा। पीछे से उसकी गांड पकड़ के चोद रहा था तेज-तेज। मुझे एक शरारत सूझी। मैंने अपना अंगूठा उसकी गांड में घुसा दिया चोदते हुए। आंटी एक-दम से अलग हो गई और बोली-
आंटी: गांड में नहीं।
मैंने कहा: सिर्फ अंगूठा डालूंगा।
आंटी बोली: दर्द हो रहा है।
मैंने कहा: नहीं होगा। थोड़ा होगा लेकिन मजा आएगा।
मैंने उसको फिर घोड़ी बनाया, और लंड घुसा दिया, और उसकी गांड को अंगूठे से चोदने लगा। मैं बहुत स्पीड में चोद रहा था, और फिर झड़ गया। मैं उसके ऊपर ही गिर गया। काफ़ी देर लेटा रहा उसके ऊपर। फिर अलग हुआ। उस रात हम लोगों ने तीन बार चुदाई की। तब तक सुबह हो गई। आंटी बहुत ख़ुश थी और मैं भी।
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