पिछला भाग पढ़े:- कुसुम आंटी-1
मैं देख रहा था कपड़े बदलने के लिए उन्होंने नाइटी उतार दी। उफ्फ क्या चूची थी बाप रे, मन किया कि चूस डालू। वो सिर्फ चड्डी में थी, पर नज़ारा दिख रहा था। उन्होंने सफेद ब्रा पहनी, उफ्फ चूचे ब्रा में अंधेरे में दो-दो सौ वोल्ट के सीएफएल लग रहे थे। फिर वो सूट पहनने लेगी, और फिर लाइट बंद करके चली गई।
मैं उठते ही बाथरूम भागा और लंड हिलाने लगा। 10 मिनट बाद मैं झड़ गया, और अपने रूम में ऊपर चला गया। अब मुझे उमर नहीं बस चूत नजर आ रही थी। मैं पक्का हो गया कि चूत मिलने वाली थी। मुझको चैन नहीं था। मुठ मार कर मैं थक चुका था। एक दो घंटे के अंतराल में मैं 4 बार मुठ मार चुका था। लंड भी अब जवाब दे चुका था। आंटी दिल दिमाग पर छा चुकी थी। मेरे अंदर आग दहक रही थी। मैं नहा-धोकर लेटा हुआ था। आंखें बंद करके आंटी को ही सोच रहा था।
कुछ समझ नहीं आ रहा था। अब पहल तो वो कर ही चुकी थी, पर ये कन्फर्म करना था कि वो नींद में थीं क्या। अगर वो नींद में थी, तो जो सामने कपड़े पहनना तो अनजाने में था। तभी आंटी आ गईं मेरे रूम में, अंकल भी थे पीछे।
अंकल ने कहा: राज सो लेते बच्चे वहीं।
मैंने कहा: ठीक है अंकल। सुबह भी हो गई है, फ्रेश वगैरह होकर नहाना भी है।
अंकल बोले: गुड।
फिर बोले: चलो जरा पौधों और फूलों की मिट्टी खोद दी जाए, गर्मी पड़ रही है।
हम लोग ये काम कर रहे थे, और आंटी गमला उठा-उठा जगह पर रख रही थी। मेरे पास से गमला लेने झुकी तो पूरी घाटियों के दर्शन कराने लगी। उनको और दिखाना था तो झुक-झुक के बोली-
आंटी: इसको और खोदो।
मेरा ध्यान उनकी चूची पर था और उनका मेरी आंखों और चेहरे पर। मैं समझ गया कि आग दहक रही थी उनकी।
फिर बोली: खोदो जल्दी, धूप हो रही है तेज़।
अब उनका हर बार खोदो, चोदो सुनाई देने लगा। काम निपट गया।
अंकल बोले: चलो अब।
आंटी बोली: चलिए नहाइए। मुझे भी नहाना है। तब तक मैं आती हूं।
अंकल चले गए। आंटी मेरे रूम में बैठ गईं और बोलीं: पानी लाओ राज, प्यास लगी है।
मैं पानी ले आया। वो अपना सूट आगे करके चूचियों का पसीना सुखा रही थी। मुझे देख कर ना घबराना, या ना सूट छोड़ना, सब बहुत नॉर्मली कर रही थी।
आंटी ने बोला: नींद अच्छे से आई?
मैंने कहा: हां।
फिर उन्होंने कातिल मुस्कान देते हुए पूछा: पक्का?
मैंने फिर कहा: हां।
मैं उनकी आंखों में आंखे डाल बात कर रहा था। फिर ध्यान चूची पर ही जा रहा था। पर हिम्मत नही हो रही थी कि बोल दूं जो दिल में था। मैं उनकी चूची अब खुल कर देख रहा था। उनको अच्छा लग रहा था।
फिर वो अचानक बोल पड़ी: सुबह नहीं देखी थी क्या?
मैं वासना में वशीभूत था।
मैंने बोला: देखा था, पर अब नज़र हटाने को दिल नही कर रहा।
ऐसा लग रहा था उन्होंने जादू कर दिया था। मैं बोलना नहीं चाह रहा था, वो बुलवा रही थी। मेरी बातें मुस्कुराते हुए सुन रही थी।
वो बोली: पहले लाइट तुम्हारी आंख खोलने के लिए ही थी।
फिर मैं भी खुल गया।
मैंने पूछा: और वो सुबह आपका मेरे पास आना?
वो बोलीं: सब जान-बूझ कर था। मुझे पता है कि तुम्हारे अंकल आधे घंटे में वाशरूम से आते हैं। इसलिए मैं तुम्हारे पास चली आई थी। रात में किचन में जो तुम्हारी छुअन थी, उसको भूल नहीं पा रही थी। तुमको बहुत पसंद करती हूं। मुझे कुछ समझ नहीं आया और मैंने सीधे आई लव यू बोल दिया।
वो बोली: बस मेरी इज्जत का ख्याल रखना। अब चल रही हूं, खाना मत बनाना, इडली बनाऊंगी आ जाना।
मैंने कहा: ठीक है।
मेरी धड़कने रुकने का नाम नहीं ले रहीं थी। खुशी भी हो रही थी कि चूत मिलेगी अब। नीचे जाते ही आंटी ने दस मिनट बाद सिर्फ ब्रा में फोटो भेजी शर्माने वाले इमोजी के साथ और ढेर सारी किस। मैंने फिर आई लव यू भेजा किस के साथ। उधर से जवाब आया लव यू टू।
फिर मैसेज आया: आओ ना ब्रा की हुक खोल दो।
मैंने कहा: ऊपर जब थीं तो खुलवा के जाना था ना (हंसते हुए)।
वो बोली: अब से तुम ही खोलोगे।
मेरा लंड फिर तैयार हो गया। मैंने देर ना करते हुए फोटो खींच कर भेज दिया।
जवाब आया: ये सिर्फ मेरा है (और ढेर सारी किस)।
वो बोली: अब जा रही हूं नहाने।
लगभग एक घंटे बाद फोन की आ जाओ खाना खाने। मैं नीचे गया आंटी ने नाइटी डाली हुई थी। अंकल और विनय थे तो दुपट्टा भी डाला हुआ था। मैं समझ गया था कि वो हर कदम सावधानी बरत रही थी। मेरी नज़र उनसे हट नहीं रही थी। हम सब ने खाना खाया। फिर ढेर सारी बातें हुई।
विनय भी था। विनय की गर्लफ्रेंड का फोन आ गया तो वो बात करने ऊपर मेरे रूम में चला गया। वो दो घंटे के लिए फुरसत में था। अब नीचे नहीं आने वाला था। अंकल का संडे भी बिजी रहता है, वो आधा दिन तो कॉलोनी वाले अपने मित्रों के साथ बिताते हैं। किसी का फोन आया, और वो बाहर चले गए। बच गए थे मैं और आंटी।
हम दोनों अपनी जगह से अचानक उठे और पास आकर एक दूजे के गले लग गए। बेखौफ हम दोनों गले लगे रहे। आंटी मेरे गालों को, माथे को, आंखों को चूमे जा रही थी। मैं भी चूम रहा था। हम दोनों रूम में चले गए। दुपट्टा हटा दिया उन्होंने। वो मुझसे दूर ही बैठी थी रूम में, ताकि कोई आ ना जाए। दरवाजा बन्द नहीं कर सकते थे।
मैंने कहा: आप बहुत सुंदर लग रही हैं।
वो बोली: कितनी?
मैंने कहा: बेहद।
मेरा लंड खड़ा हो चुका था। वो देख रही थीं। मैंने लंड सहलाते हुए बोला-
मैं: आपने दीवाना कर दिया है।
उन्होंने कहा: मैं तुमसे प्यार करने लगी हूं। मुझे नहीं पता ये वासना है या क्या, पर तुम्हारे पास रहना अच्छा लगने लगा है। या तुम मेरे पास रहो यही चाहिए।
मैंने कहा: ठीक है।
मैंने पूछा: आपका साइज क्या है?
उन्होंने कहा: उठो और अलमारी में ब्रा पड़ी है देखो।
मैंने कहा: नहीं आपने जो पहनी है उसका देखना है।
मैं पूरे हक में बात कर रहा था।
उन्होंने कहा: नहीं बच्चे, वहां देख लो।
मैंने उठ कर अलमारी खोली और एक ब्लैक रंग की ब्रा उठाई। उसपे 40 लिखा था। मैं तो पागल सा हो गया। मैंने ब्रा को अपने खड़े लंड पे टांग लिया। आंटी से रहा नहीं गया तो वो बेड से उठ कर मेरे पास आ गई। वो मुझसे गले लग गई। मैंने गले को बहुत जोर से पकड़ा, और कान में कहा-
मैं: सेक्स करना है मुझे। सुबह से 4 बार मुठ मार चुका हूं।
मैंने आंटी को दीवार से लगा कर उनके होठ, आंख, गाल, कान, गर्दन, सब चूमना शुरू कर दिया। मेरा हाथ उनकी चूचियों पे चला गया, और उनका हाथ मेरे लंड पर। नहीं समझ आ रहा था क्या करें। मैंने आंटी को घुटने के बल बैठा दिया, और लंड उनके मुंह में दे दिया। उफ्फ, जीभ की गर्मी मेरा लंड बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था। आंटी आंख बन्द करके लंड चूस रही थी। डर भी था कोई आ ना जाए। मुझसे काबू ना हुआ और मैं झड़ने को हो गया। मैंने आंटी से कहा-
मैं: बस झड़ने वाला हूं।
वो चूसती रहीं और उनके मुंह में ही झड़ गया। उन्होंने बिना कुछ कहे बिना सिकन के वीर्य घटक लिया और ब्रा से मेरा लंड और अपना मुंह साफ किया। तुरंत उल्टी जैसा हुआ तो बाथरूम चली गई और बोली-
आंटी: अभी आ रही हूं।
वो ब्रा भी ले गईं। धुलने ले गई और उल्टी भी कर रही थी। आंटी आई तो गले लग गई जोर से। मैंने सॉरी कहा।
उन्होंने कहा: कोई बात नहीं मेरी जान। तुम मेरे हो तो तुम्हारी हर चीज मैं स्वीकार करती हूं।
वीर्यपात होने के बाद कोई वासना नहीं रही मन में। दोनों नॉर्मल बेड पे अलग-अलग बैठ गए। आंटी को शरीर से ज्यादा प्यार की जरूरत थी मैं समझ गया। वो एक पत्नी नहीं एक महबूबा बन कर जीना चाह रही थी। मैंने भी सोच लिया जैसा वो चाहेंगी वैसा ही होगा, क्योंकि दोनों एक-दूसरे के पास एक-दूसरे के सामने थे।
फिर उन्होंने कहा: एक चीज दिखाऊं?
मैंने कहा: क्या?
उन्होंने नाइटी ऊपर की और चूत दिखाई। बाल थे पर चूत दिख रही थी, गीली थी चूत।
उन्होंने कहा: पास आओ और छूकर देखो।
मैंने छुआ बहुत नरम और गरम थी।
वो बोली: अब नीचे कर लूं?
मैंने कहा: ठीक।
सीधे होठ चूम कर बोली: आई लव यू।
फिर मोबाइल निकाला उन्होंने और हम लूडो खेलने लगे। ऐसे में उनके और पास था। दोनों सिर झुकाए खेल रहे थे, और एक-दूसरे को चूम भी रहे थे गालों पर। एक से मैं गोटी चल रहा था, एक हाथ से उनकी गोटी (निपल्स) मसल रहा था। तभी अंकल आए और आंटी ने दुपट्टा ओढ़ लिया। मैं मुस्काने लगा। अंकल कमरे में आए।
उन्होंने कहा: क्या बच्चों वाले खेल खेल रहे हो।
उनको क्या पता कि हम कौन सा खेल खेल रहे थे।
वो बोले: चलो तुम लोगों को घुमा लाता हूं। विनय को भी बुला लाओ।
मैं ऊपर तैयार होने गया, तो देखा विनय नंगा होकर अपनी गर्लफ्रेंड से वीडियो कॉल पे था। उसने मुझे इशारा किया चुप का। मैं चुप रहा। फिर उसने वीडियो ऑफ करके पूछा-
विनय: क्या हुआ?
मैंने कहा: चलो नीचे, मैं तैयार होकर आ रहा हूं, घूमने चलना है।
उसने कहा: ठीक है।
फिर वो कपड़े पहन कर नीचे चला गया। मैं भी तैयार होकर सेंट मार कर तैयार था।
इसके आगे क्या हुआ ये आपको कहानी के अगले पार्ट में पता चलेगा।
अगला भाग पढ़े:- कुसुम आंटी-3