पिछला भाग पढ़े:- राजू और उसके प्यारे सन्तोष मौसा-1
राजू को सामने देख मौसा ने अपने आप को लुंगी में छुपाया। वहीं राजू ने भी अनजान बन कर मौसा को ऐसा दिखाया कि वो पेशाब करने जा रहा था, और उसने कुछ नहीं देखा। ख़ैर इस घटना के बाद से मौसा को कुछ-कुछ शक तो हुआ, लेकिन राजू से ऐसे कुछ भी शुरू करने में उन्हें भी डर लग रहा था।
एक रात जब राजू अपने कमरे में और मौसा बाहर आंगन में सो रहे थे, तब बारिश होने पर मौसा अपना बिस्तर समेट कमरे में जाने को हुए तो उन्होंने राजू के कमरे में राजू को पेट के बल लेटा देखा। उसकी उभरी हुई गांड को देख कर मौसा के लंड ने एक जोरदार फुंकार मारी। जिसे मौसा ने सामान्य समझ कर उस पर ध्यान नहीं दिया। क्योंकि मौसा ने भी इससे पहले कभी लड़कों के साथ ऐसा कुछ किया या देखा नहीं था, लेकिन सुना बहुत था।
अपने कमरे में जाकर मौसा ने सोने की कोशिश की। लेकिन बारिश के बाद बढ़ी ठंडक से मौसा की ठरक जाग रही थी, और अब मौसा को हिलाने का मन हो रहा था। लेकिन साथ ही राजू की मस्त उभरी गांड भी उन्हें रह-रह कर याद आ रही थी। जब नहीं रुका गया, तो मौसा ने राजू को टेस्ट करने का मन बनाया, और अपनी लुंगी और बनियान कंधे पर रख राजू के कमरे में उसके बिस्तर पर उसके पास ही केवल देसी अंडरवियर में लेट गए। जिसमें लंड ने पहले ही तम्बू तैनात कर रखा था।
राजू के कमरे में पंखा चला रखा था। बारिश से ठंड बढ़ गयी तो पंखे की हवा शीत लहर लगने लगी। नींद में ही राजू को अपने पास लेटे मौसा जी के जिस्म की गरमी महसूस हुई, जिससे लिपट कर राजू ने ख़ुद को ठंड से बचाने की कोशिश की। लेकिन मौसा के बदन पर राजू का हाथ ज्यों ही पड़ा, लगा जैसे 12 साल से शांत ज्वालामुखी फूट पड़ा हो।
मौसी के मरने के बाद से मौसा यूहीं महीने दो महीने में अपना लंड हिला कर ख़ुद को शांत कर लेते थे। लेकिन आज राजू के हाथों ने ज्यो ही उनकी मर्दाना बालों से भरी छाती को छुआ, मौसा को लगा जैसे उनका लंड अकड़ कर लोहे का हो गया था। वो इस मजे को और महसूस करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने भी राजू को अपनी बाहों में कस लिया, और राजू की गर्म सांसों को अपनी गर्दन पर महसूस करने लगे।
राजू का मुलायम बदन मौसा के खुरदुरे हाथो में यूं लग रहा था, जैसे किसी शेर के पंजे में कोई मेमना फसा हुआ हो। उस रात मौसा की उससे आगे कुछ करने की हिम्मत नहीं हुई। तो वो ऐसे ही राजू को बाहों में भरें लेटे रहे। बाहर होती बारिश का असर हो या राजू के जिस्म का, आज मौसा बहुत देर तक सोते रहें। जब राजू की नींद खुली तो उसने अपने मुंह को मौसा के निप्पल के पास पाया, जिस पर बालों का पूरा जंगल छाया हुआ था।
राजू की आंखें उस गुलाबी निप्पल पर ही जम गई और मौसा के टोपे की झलक उसकी आंखों में तैर गयी। कुछ संभलने पर राजू को होश आया कि उसके घुटने में इतनी देर से जो चुभ रहा था, वो कुछ और नहीं मौसा का 8 इंच लंबा लंड ही था। मौसा को गहरी नींद में सोता देख आज राजू ने मौसा के लंड को अपने हाथ में पकड़ा।
अंडरवियर के ऊपर से जब मौसा के लंड को राजू ने पकड़ना चाहा, तो 3 इंच मोटा वो लंड बीच में कपड़ा होने की वजह से हाथ में पकड़ नहीं आया। अंडरवियर में नीचे से हाथ डाल कर आज राजू ने पहली बार किसी दूसरे मर्द के लंड को हाथ लगाया था। उभरी हुई नसों में खून का दौरान तेज हो गया और लंड फुंकार मारने लगा।
बाहर अभी भी बारिश तेज हो रही थी, और इधर मौसा और राजू के जिस्म हवस की आग में तप रहे थे। राजू के हाथ का स्पर्श अपने लंड पर पा कर मौसा की भी नींद भी खुल गयी। लेकिन वो सोने का नाटक करते रहें। इधर राजू की हिम्मत उसकी हवस के साथ-साथ बढ़ने लगी। पहले कुछ देर टोपी की खाल को हाथ से ऊपर-नीचे करने के बाद अब राजू उनके लंड को अंडरवियर के नीचे से निकाल कर आराम-आराम से हिला रहा था।
राजू ने हाथ पर थूक लगाने के लिए जब हाथ मुंह में लगाया, तो मौसा के लंड की खुशबू ने नाक को और लंड के स्वाद ने मुंह को अपना दीवाना बना दिया। दीवानगी कुछ ऐसी बढ़ी, कि अगले ही पल राजू ने खुद को मौसा की बाहों से अलग कर उनके लंड की टोपी को अपने मुंह में रख लिया। मुंह की गर्मी से मौसा की आह निकल गयी जिससे अब राजू जानता था कि मौसा भी मजा ले रहे थे।
लेकिन उसे आज किसी का डर नहीं लग रहा था। वो बस रंडियों की तरह इस लंड का जूस पीना चाहता था। मौसा का लंड आज पहली बार किसी मुंह में था। तो वो भी 7वें आसमान पर थे। आंखों को बंद किये हुए वो एक हाथ को राजू के सर पर फिरा रहे थे। वहीं दूसरे हाथ से अपना नाड़ा खोल कर लंड को पूरा आज़ाद छोड़ वो नंगे हो गए।
राजू ने उनका अंडरवियर उतार कर नीचे फेंका, और भूखे कुत्ते की तरह लंड को मुंह में भरना चाहा। लेकिन आधा लंड ही मुंह को पूरा भर गया। जोश में आने पर मौसा ने जोर-जोर से धक्के लगाने शुरू किए, और लंड को राजू की घाटी तक उतार दिया, और खुद राजू के ऊपर आकर उसके मुंह को जोर-जोर से चोदने लगे।
मौसा की बढ़ती स्पीड और धक्कों के जोर से राजू को मालूम पड़ा कि मौसा झड़ने वाले थे। तो उसने भी अपना मुंह पूरा खोल कर लंड के पानी को पीना चाहा। उसकी चाहत मौसा ने उसके मुंह में लंड से गाढ़े माल की 8-10 पिचकारी मार कर पूरी की। राजू का पूरा मुंह दही की तरह गाढ़े माल से भर गया, जिसे उसने पूरा पी लिया।
मौसा ने लंड मुंह से बाहर निकलना चाहा तो राजू ने उसे पूरी तरह चाट कर साफ करके उनके अंडों को भी चाटा। मौसा उठ कर नहाने चले गए।
नहा धो कर नाश्ता करते समय राजू और मौसा ऐसे कर रहे थे, जैसे कुछ हुआ ही ना हो। दोनो ही शर्म के मारे एक-दूसरे के कुछ नहीं बोल रहे थे। ना ही एक-दूसरे की तरफ की देख रहे थे। पर मन ही मन इतने सालों बाद मिले चरम सुख से मौसा को जो आनंद प्राप्त हुआ था, उसे वो दोबारा जल्दी ही लेना चाह रहे थे। पर इस बार कहीं और पिचकारी छोड़ कर।
इसके आगे की कहानी अगले पार्ट में। कहानी पढ़ने के लिए धन्यवाद।
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