सब अभी भी हिचकिचा से रहे थे
तभी रजनी ने एक बड़ी ही अक्लमंदी वाला काम किया। वो कुणाल की बगल से उठी और मेरे पास बैठे पंकज का लंड पैंट से निकल अपने मुंह में ले लिया। ये मेरे लिए भी एक संकेत था।
मैं भी उठी और कुणाल के सामने नीचे बैठ कर राजन का लंड पैंट से निकल कर अपने मुंह में ले लिया। अब हम दोनों एक दुसरे के बॉय फ्रेंड का लंड अपने अपने बॉय फ्रेंड के सामने चूस रहे थी। सबकी हिचकिचाहट खत्म हो गयी।
पंकज ने कहा, “एक काम करते हैं, देर बहुत हो गयी है, भूख भी लगी है, कुछ हल्का खाने के लिए ले आते हैं “।
कुणाल ने भी कहा, “चलो सारे ही चलते हैं, हमारी तरफ देख कर कहा, “तुम लोग भी चलो क्या करोगी घर बैठ कर”।
“ठीक है”। और हम सब चल पड़े। गाड़ी पंकज की थी, वही चला रहा था, कुणाल आगे बैठा था। रजनी और मैं पीछे बैठी थी। रजनी ने एक हाथ मेरी चूत पर रखा हुआ था और चूत को सेहला रही थी साथ ही मुस्कुरा भी रही थी। दोनों रात भर चुदने भर के ख्याल से मस्त थी।
” मैं भी रात भी की चुदाई के ख्याल में डूबी हुई थी “।
रास्ते में पंकज ने गाड़ी एक वाइन शॉप पर रोक दी, “मैं बियर ले कर आता हूँ “। हमारी तरफ देख कर बोला, “तुम लोगी कुछ जिन या कुछ और “।
“कुणाल बोला बियर ही ले आ इनके लिए भी “। पंकज बोला, “चल यार तू भी चल, मैं अकेला उठाऊंगा कैसे ”।
उनके जाने के बाद रजनी बोली, “आभा आज लगता है धुआंधार चुदाई होने वाली है”।
मैंने जवाब दिया, “लगता तो ऐसा ही है, मेरी तो चूत में आग लगी हुई है, अभी से पानी पानी हुई जा रही है “।
रजनी हंसी, “चूत में आग लगी हुई है और पानी पानी हुई जा रही है – ये क्या बात हुई “।
मैंने कहा , “चुदाई के ख्याल से ऐसा ही होता है मेरी जान रजनी, देखें तेरी चूत का क्या हाल है “। मैंने उसकी सलवार में हाथ घुसेड़ने की कोशिश की मगर तभी पंकज और कुणाल आ गए “। बियर की बोतलें आगे रख कर गाड़ी स्टार्ट की।
आगे जा कर खाना पैक करवाया। खाना गाड़ी में छोड़ कर पंकज बोलै, “पंकज तू यहीं रुक, मैं सामने केमिस्ट से देसी वियाग्रा – ‘सुहागरा’ ले कर आता हूँ”।
कुणाल बोला “वियाग्रा क्या करनी है, मेरा लौड़ा तो अभी से फनफना रहा है”।
पंकज ने समझाया, “अरे भाई लंड खड़ा करने के लिए वियाग्रा नहीं लेनी – देख खूंटा बढ़िया से गड़ा हो तो चाहे चार गायें बाँध दो, हिलता नहीं।
आज हमने वियाग्रा खड़ा करने के लिए नहीं बल्कि खड़ा रखने के लिए खानी है, क्यों आभा, रजनी”।
“मुझे पहली बार शर्म आयी “।
पंकज जाने लगा तो मैंने बुलाया, “पंकज जैल भी लेते आना “। पंकज रुका, हंसा और चला गया।
कुणाल और रजनी हैरान हो गए, “जैल किस लिए” – कुणाल बोला, “क्या गांड चुदाई का भी प्रोग्राम है” ?
मैंने कुणाल से पूछा, “तुम गांड चोदते हो” ?
“अरे चोदता हूँ ? गांड चुदाई में तो मेरी पी.एच.डी है”।
अब रजनी बोली, अगर ऐसा है तो आज तक तो हमारी गांड की तरफ तो तुमने कभी देखा तक नहीं”।
“तुमने लोगों कभी गांड मारने का न्योता ही नहीं दिया ”
“अगर हमने गांड चोदने का न्योता नहीं दिया तो तुम ही बोल देते की तुमने हमारी गांड भी रगड़नी है – हम मना थोड़े ही करती, क्यों आभा “रजनी ने मेरी तरफ देख कर पूछा”।
“और क्या”, मैंने भी रजनी की हाँ में हाँ मिलाई।
सब हंस पड़े, तब तक पंकज भी आ गया, दो बड़ी बड़ी ट्यूब मुझे दे कर बोला, “ये लो जैल”।
“मैं बोली तुम लोग ही रखो, लगानी तो तुम लोगों ने ही है”। सब लोग जोर से हंस पड़े।
घर पहुँच कर सब ड्राइंग रूम में बैठ गए। मैंने कहा मैं कुछ हल्का नमकीन लाती हूँ, बियर के साथ खाने के लिए”। पंकज और कुणाल दोनों मेरे पीछे ही आ गए। दोनों ने एक एक गोली ‘सुहागरा’ खाई, गिलास लेकर वापस ड्राइंग रूम में चले गए।
एक एक बियर पीने के एक दौर खत्म हुआ । मुझे और रजनी को बियर की आदत नहीं थी। हमे तो एक बोतल बियर में ही सुरूर होने लगा।
रजनी उठी और सारे कपड़े उतार दिए और बोली, “सालो पढ़ाई करने आये हो या चुदाई करने, उतरो अपने अपने कपड़े”।
सब हंसने लगे। सब ने कपड़े उतार दिए।
हम ने तो एक बियर के बाद दूसरी बियर धीरे धीरे पीनी शरू की। कुणाल और पंकज दो दो बियर खत्म कर चुके थे।
उधर वियाग्रा ने भी अपना असर दिखाना शुरू कर दिया। दोनों के लंड फनफना रहे थे।
कुणाल अपना लंड पकड़ कर हमारी तरफ देख कर बोला, “थोड़ा चूसो”।
मैं उठी और कुणाल का लौड़ा अपने मुंह में डाल लिया। पंकज रजनी के सामने जा कर खड़ा हो गया और अपना लंड उसके मुंह के सामने लहराने लगा। रजनी ने भी पंकज का लंड अपने मुंह में ले लिया। हम दस मिनट तक उनका लंड चूसती रही। हमारी चूतें गर्म हो चुकी थी और लंड मांग रही थी, मगर पंकज और कुणाल पर कोइ असर ही नहीं था।
“तो ये है विआग्रा की करामात, लगता है आज हमारी चूतों की तौबा होने वाली है।
पंकज बोला, “देखो देवीओ आज हमारे लंड न तो जल्दी झड़ने वाले हैं ना ही ढीले पड़ने वाले हैं, इस लिए अपनी तैयारी पूरी करलो। चलो चलें और चढ़ाई चुदाई शुरू करें”।
सब उठे और बड़े कमरे की और बढ़ गए। एक ही बेड पर हम दोनों चुदने वालीं थी।
कुणाल बोला, “किससे शुरू करें, कौन किसका लंड लेगी ?”
पंकज बोला, “एक दुसरे की गर्लफ्रेंड से शुरू करते हैं “।
बस तो होगया फैसला। मैंने कुणाल का लंड पकड़ लिया और रजनी ने पंकज का।
कुणाल से लगता था रहा नहीं जा रहा था। उसने मुझे झुकाया, घोड़ी बना कर मेरी कमर पकड़ी और बड़ी ही बेदर्दी से सख्त लंड मेरी चूत के अंदर धकेल दिया। मेरे मुंह से हल्की सी सिसकारी निकली, “आह मजा आ गया पूरा गया कुणाल, एक बार और करो ऐसे ही “।
कुणाल ने अपना लंड बाहर निकाला और दुबारा एक ही झटके से मेरी चूत में डाल दिया। निहाल हो गई मैं तो। कुणाल ने आठ दस बार फिर ऐसे ही किया। पूरा लंड बाहर निकल कर झटके से पूरा अंदर घुसेड़ दिया।
अगले दस मिनट कुणाल ने बिना रुके मेरी चूत की चुदाई की। उधर अब रजनी को लिटा कर उसकी टांगें उठा कर पंकज धुआधार चुदाई कर रहा था। दोनों हर धक्के के साथ बेड आगे पीछे हिल रहा था।
“लगता था आज हमारी चूतों के साथ साथ बेड की भी खैर नहीं थी”।
मेरा और रजनी, दोनों का पानी छूट चुका था। चुदाई का एक दौर खत्म हो चूका था। पंकज और राजन ड्राइंग रूम में सोफे पर नंगे बैठे बियर की चुस्कियां ले रहे थे।
“लंड उनके ऐसे खड़े थे की चाहें तो बियर से भरे गिलास उन पर रख लें “।
हम दोनों निढाल पड़ी थी। मैंने रजनी से पूछा, “रजनी और कितनी बार चुदाई करेंगे ये आज “।
वो बोली,” दो बार और तो कहीं नहीं गए। आखिर के ट्रिप में गांड चुदवाएंगे “। वो बुदबुदाई।
“एक बात बोलूं आभा, लड़की को शादी से पहले लड़के की खाली शकल ही नहीं देखनी चाहिए, उसका खड़ा लंड भी देखना चाहिए। अगर लंड मोटा लम्बा और कड़क ना हो तो वहीं मना कर देना चाहिए। अगर लंड ठीक तो चुदाई आजमानी चाहिए – बेकार में सारे ज़िंदगी तो इधर उधर मुंह नहीं मारने पड़ेंगे”। और रगड़ाई तभी बढ़िया होती है अगर लंड मोटा और सख्त हो – और अगर लम्बा भी है तो फिर सोने पर सुहागा।
असल में तो मैं भी इस बात से सहमत थी। आखिर चूत बच्चे पैदा करने के लिए ही तो नहीं बनी। अगर ऐसा होता तो चूत रगड़ाई का इतना आंनद ही ना आता।
असल में तो ज़िंदगी में दो ही तो चीज़े चाहिए होती हैं, “अच्छी कमाई और अच्छी चुदाई “।
अब हम में दम आ चुका था। ड्राइंग रूम से गुज़र कर हम दोनों बात रूम चली गयी। पेशाब किया – चूत धोने का तो सवाल ही नहीं था। गीली लेसदार हुई पड़ी थी।
रजनी बोली, “अब मैं कुणाल के साथ और तू पंकज के साथ ”?
“हाँ ठीक है, अब चुसवाने का मन है “।
वापस कमरे में जाते हुए हम दोनों से बोली, “आ जाओ अब”।
कमरे हम टांगें उठा कर और चौड़ी कर के लेट गयी।
दोनों अंदर आये, “क्या हुआ, एकदम सीधे चुदाई ? अरे लंड को मुंह में तो लो “।
मैं बोली, “हम चुदाई नहीं चुसवाने के लिए लेटी हैं “।
उन्होंने आव देखा ना ताव – हमारी टाँगें चौड़ी कर के अपना मुंह हमारी चूत में घुसेड़ दिया और लपड़….. लपड़….. चपड़…. चपड़….. सपड़ ….सपड़ …..की आवाज़ों के साथ चूत चटनी शुरू कर दी। जल्दी ही हम फिर गरम हो गयीं। रजनी बोली, “कुणाल उल्टा लेटो और अपना लंड मेरे मुंह में डालो “। कुणाल उठा और अपना लंड रजनी की मुंह में डाल दिया और चूत चाटने लगा।
मैं पंकज से बोली ,”क्या तुम्हें अलग से बोलना पडेगा ” ? वो हंसा और अपना लंड मेरे मुंह में डाल कर मेरी चूत चूसे लगा।