सहेली के मंगेतर के लंड की ताकत-3

पिछला भाग पढ़े:- सहेली के मंगेतर के लंड की ताकत-2

दोस्तों मेरी हिंदी चुदाई की कहानी का अगला पार्ट लेके हाजिर हूं। पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि कैसे जब दीपा और कमल नहाने गए, तो कमल ने दीपा को वहां भी खूब चोदा। फिर वो उसकी चूत में झड़ गया। अब आगे-

दीपा: हम दोनों की सांसे फूली हुई थी। मैंने कमल से कहा कि मुझे सहारा देकर अब बिस्तर पर ले जाकर लिटा दे। कमल ने बड़े प्यार से मुझे अपनी गोद में उठाया, और बैडरूम में ले जाकर बिस्तर पर धीरे से लिटा दिया। तीन-तीन चुदाई के बाद अब शरीर का कोई भी अंग ऐसा नहीं था जिसमें ताकत बची हो। मेरी तुरंत आंख लग गयी। लगभग दो घंटे बाद मेरी आंख खुली, तो देखा कि कमल मेरी बगल में लेटा हुआ था, और मुझे देख रहा था।

दीपा:‌‌ मैं हैरान हो गई। हम एक-दूसरे को लगभग एक साल पहले मिले थे, और तीन महीने पहले हमने सगाई की थी। तब से हम लगभग हफ्ते में तीन बार मिलते हैं, और सेक्स करते हैं। ज़्यादातर तो रात में एक बार चुदाई होती है, और कभी-कभार फिर सुबह उठ कर एक बार और। लेकिन आज तीन-तीन बार होने के बाद भी कमल अभी तक जाग रहा था। इतनी ताकत लाया कहां से?

दीपा: मैं कुछ कहती उससे पहले कमल मुझे जागा हुआ देख कर मुस्कुराया, प्यार से मेरा गाल चूमते हुए बोला, “जान, मैं अभी आया।” फिर वो रसोई से एक ग्लास में हल्दी वाला दूध गर्म कर के लाया, और मुझसे बोला, “लो इसे पी लो। थोड़ी ताकत मिलेगी।” सच मे, दूध पीकर काफी सुकून मिला।

दीपा: फिर मैं बीते कुछ घंटे याद करके मुस्कुराने लगी। कमल ने पूछा, क्या हुआ? क्या सोच कर हंस रही हो?” मैं बोली, “यहीं की तुम आज कौन सी गोली लेकर आये हो?” कमल बोला, “अरे मैडम, अगर अपनी ही बीवी से प्यार करने के लिए किसी गोली-वोली की ज़रूरत पड़ने लगे, तो लानत है ऐसे प्यार और ऐसी मर्दानगी पर।” मैं बोली,‌ “ज़्यादा बातें ना बनाओ। इतना जोश में तो मैंने तुम्हें कभी नहीं देखा।” कमल बोला, “बस ऐसे ही। आज तुम भी साथ दे रही थी, तो खुमारी रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी।”

दीपा: मैं बोली,‌ “मेरी तो तुमने हालत ही पतली कर दी। दो बार होने के बाद तो मेरी चूत बिल्कुल जलने लगी थी। अगर तुम जीभ डाल कर मुझे चाटते नहीं, और आराम ना देते, तो मैं तीसरी बार तुम्हारा लंड अंदर नहीं ले पाती।” कमल बोला, “पर ये तो नाइंसाफी हुई।” मैं बोली, “कैसी नाइंसाफी?” कमल बोला, “तुम्हारी चूत को दो बार चुदने के बाद मेरी जीभ और मुह ने आराम दिलाया, लेकिन मेरा लंड भी तो तीन बार चुदाई कर चुका है। क्या तुम इसे चाट कर या चूस कर मुझे आराम नहीं दोगी?”

दीपा: मैंने कहा, “तुम्हारा दिमाग खराब है? अब अगर तुमने कुछ भी किया तो मेरी जान चली जायेगी, और तुम मर्डर के इल्ज़ाम में जेल में सड़ोगे। फिर वहीं पर सारी जिंदगी किसी से चुस्वा के आराम पाना।” कमल बोला, “अरे क्या यार दीपा, मैं कहां कुछ करने को कह रहा हूं। मैंने तो बस इतना कहा कि इसे एक बार मुह में लेलो। देखो, मैंने इसे ठीक से धोकर तुम्हारे लिए तैयार कर दिया है।”

दीपा: मैंने देखा कमल का लंड पूरी तरह फिर से तन कर खड़ा हुआ था। कमल ने अपना चेहरा बिलकुल मासूम सा बनाया, जैसे कोई बच्चा खिलौनों के लिए मिन्नतें कर रहा हो। मैं फिर से पिघल गयी और उसे सीधा लिटा कर उसके पैरों के बीच आ कर बैठ गयी। मैंने अपने दाएं हाथ से उसका लंड मुठ्ठी में पकड़ा, जो मेरी मुठ्ठी में थिरकने लगा। धीरे-धीरे मैंने उसकी चमड़ी को ऊपर-नीचे करना शुरू किया। कमल आंखें बंद करके लेटा हुआ था।

दीपा: कुछ देर बाद मैंने झुक कर उसके लंड के ऊपरी हिस्से को चूमा तो कमल ने एक लंबी आह भरी। मैंने फिर अपनी जीभ निकाल कर लंड के छेद को चाटा। धीरे-धीरे मैं पूरे लंड को मुंह मे लेकर चूसने लगी। एक बार मैंने जोश में आकर लंड को हल्का सा दांतो से काट लिया। कमल दर्द के कराह उठा।

दीपा: वह बोला, “धीरे करो जान, दर्द होता है।” इतनी सी बात सुन कर मुझे पता नहीं क्या हुआ, पर मैं जोश में आते हुए बोली, “अब तुम्हे दर्द हो रहा है तो कह रहे हो धीरे करो। मैं इतना दर्द से बिलबिला रही थी, तो मुझे बेरहमी से चोदे जा रहे थे। अब चुप-चाप पड़े रहो, और मैं जो करूं करने दो।”
दीपा: कमल शायद मेरा ये रूप देख कर चौंक गया होगा, पर मेरी मर्ज़ी देख कर लेटा रहा। मैंने लंड चुसाई की स्पीड बढा़ दी, और साथ ही साथ उसके अंडों से भी खेलने लगी। दर्द में भी शायद सुख होता है, इसीलिए कमल का लंड अब लोहे जितना कड़क हो चुका था।

दीपा: बहुत देर तक चूसने के बाद मैं ऊपर की तरफ आई और कमल की छाती पर चूमने लगी। उसके मर्दाना निप्पल को भी अपनी उंगलियों में पकड़ कर ज़ोर से निचोड़ा। कमल में मुह से आह निकल गयी, और साथ ही साथ वो कमर थोड़ी हवा में उछाल कर तड़पने लगा। मैंने फिर उसके निप्पल को जीभ से चाट कर दर्द को कम किया।

दीपा: लेकिन अब मेरे अंदर जैसे एक भूखी शेरनी घुस गई हो। मैंने अबकी बार कमान अपने हाथों में रखना तय किया। मैं झट से उठ कर कमल के मुंह पर बैठ गयी, और उसे अपनी चूत चाटने को कहा। कमल बेचारा आज्ञाकारी साथी की तरह उतना करता गया जितना मैंने उसे कहा। आज तक जितनी भी बार मेरी चूत चाटी गयी थी, चाहे वो मेरा पहले वाला पति हो या अब कमल हो, तब मैं नीचे लेटी हुई थी, और एक बार बाथरूम में खड़ी थी, पर किसी के ऊपर चढ़ कर कभी चूत नहीं चुसवाई थी।

दीपा: कमल ने अपने हुनर से बहुत जल्दी मुझे गर्म कर दिया। थकान के बावजूद एक आखरी चुदाई के लिए मैं तैयार थी। मैं कमल के मुंह से उतर कर लंड पे जा बैठी। उस लोहे को अपने छेद पर टिका कर धीरे-धीरे नीचे बैठने लगी। जब लंड पूरी तरह से घुस गया, तो अब मैंने धीरे-धीरे उछलना शुरू किया। कभी थोड़ा आगे-पीछे होकर लंड से चूत के अंदर की दीवारों की मालिश करती।

दीपा: मेरे हर उछाल के बाद जब मैं लंड पर बैठती, तब आह-आह करती, तो कभी सी-सी करती सिसकारियां निकल जाती। कमल भी नीचे से अपनी कमर उठा-उठा कर मेरे साथ ताल मिलाने की कोशिश कर रहा था। कमल ने मेरे उछलते बूब्स को लेटे-लेटे पकड़ लिया और हल्के-हल्के से दबाने लगा। वो बोला, “ओह दीपा, तुम्हारे बूब्स सचमुच बहुत सेक्सी हैं। जी करता है हमेशा इनसे खेलता रहूं, इन्हें चूसता ही रहूं।” मैं बोली, “तो कर लो ना बेबी, मैंने कब रोका। ये तुम्हारे लिए ही तो हैं।”

दीपा: इतना कह कर मैं थोड़ा आगे की ओर झुकी, और अपने बूब्स को कमल के मुंह के ऊपर लटका दिया। वो फिर मेरे बूब्स को ऐसे चूसने लगा, जैसे एक बछड़ा गाय के स्तनों को चूसता है। मेरे बूब्स को कमल ने चूस-चूस कर लाल कर दिया था। आग तो ऐसी लगी थी कि पूछो मत।

दीपा: थोड़ी देर बाद कमल का शरीर अकड़ने लगा और नीचे से वो और भी ज़्यादा तेज़ धक्के मारने लगा। मैं भी अब जल्दी ही झड़ जाना चाहती थी, तो मैंने भी तेज-तेज़ उछलना शुरू किया। कुछ ही देर में आह आह ऊह चिल्लाते हुए हम दोनों निढाल हो गए। मैं उसकी छाती पर ही गिर कर सो गई। हम दोनों की सांसे बहुत देर तक तेज़-तेज़ चलती रही, और जब शरीर मे थोड़ी जान आयी, तो मैं उस पर से उठी और बगल में लेट गयी।

दीपा: घड़ी में समय देखा तो रात के साढ़े तीन बजे रहे थे। हम लगभग पांच घंटो से चुदाई कर रहे थे। मेरे लिए ये समझना मुश्किल था कि इतनी देर तक हम कैसे कर पाए। बाकी दिनों में तो एक घंटा भी बहुत हो जाता है। खैर मैं ये सोचते-सोचते कब सो गई मुझे पता भी नहीं चला।

दीपा: सुबह उठी तो ग्यारह बजे रहे थे। कमल कब उठ कर काम पर चला गया मुझे पता भी नहीं चला। मैंने अपना फ़ोन उठा कर देखा तो कमल ने मेरे बॉस को व्हाट्सएप्प करके छुट्टी के लिए बोल दिया था, यह कह कर कि मेरी तबियत खराब थी। बेड के बगल में एक क्रोसिन की गोली पड़ी थी, जो ज़ाहिर है कमल ही रख कर गया होगा। गोली खाने के कुछ देर बाद थोड़ा ठीक लग रहा है।

दीपा की बातें सुन कर मैं खुद गर्म हो गयी थी। मैंने पूछा, “उठने के बाद कमल से फ़ोन पर बात की?”

दीपा: नहीं बाबा! क्या मालूम अगर मेरी आवाज़ सुन कर उसके अंदर का वहशी फिर से जाग गया तो आधे दिन की छुट्टी लेकर घर आ जायेगा और मेरी बैंड बाजा देगा।

मैं खूब ज़ोर से हंस पड़ी। फिर दोनों इधर-उधर की बातें करने लगे, लेकिन मेरा ध्यान कहीं और ही था। एक ऐसी बात थी जो मुझे उलझाए हुए थी।

वो बात क्या थी, वो मैं आपको आगे की किश्तों में कभी और बताउंगी। तब तक के लिए धन्यवाद। सेक्स कहानी कैसी लगी इसका जिक्र कमेंट में ज़रूर करें।