मम्मी को सिड्यूस करके चोदने लगा-6

पिछला भाग पढ़े:- मम्मी को सिड्यूस करके चोदने लगा-5

जैसा कि आपने मेरी xxx हिंदी सेक्स कहानी के पिछले पाठ में पढ़ा, कि कैसे वापस मम्मी पानी छोड़ने पर मजबूर हो गई, और आज सारी हदें टूटने वाली थी।

तो हम सब लोग रात में सो गए थे। पर मुझे नींद कहां आ रही थी। मन में कई तरह के सवाल उठ रहे थे। फिर भी लेटे-लेटे नींद आ ही गई थी। पर देर रात 3 बजे के आस-पास नींद खुली तो मेरी आंखों के सामने ही मम्मी का हसीन चेहरा था। वो मेरी तरफ ही मुंह करके सोई हुई थी। मैं उन्हें देख कर मंत्र मुग्ध हो गया था, पर तेज पेशाब लगी थी तो उठ कर बाथरूम में पेशाब करने गया।

वहां से आने लगा तो मैंने अपना अंडरवियर वही उतार कर टांग दिया, और सिर्फ कैप्री में ही आ गया। मैं आकर बिस्तर में लेटा तो मम्मी दूसरी तरफ मुंह करके सोई थी। ये देख कर तो मुझे बहुत खुशी होने लगी। मैंने सावधानी से दोनों तरफ नजरें घुमाई तो सभी सोते हुए मालूम हुए। अब मुझे मम्मी का डर तो था नहीं, क्योंकि अब तक मम्मी ने कुछ नहीं कहा था। मैं अब धीरे-धीरे आगे सरकने लगा, और धीरे से उनकी चादर उठाते हुए मम्मी के बदन से चिपक गया।

ऐसा होते ही मेरे बदन में सुरसुरी सी दौड़ने लगी। मैंने अपने घुटने को भी आगे मोड़ते हुए उनके घुटनों के पीछे चिपकाया, तो मेरे लंड ने मम्मी के चूतड़ों के दरार में अपनी जगह बना ली। मम्मी भी इस एहसास से कांप उठी, पर आज उन्होंने आगे सरकने की कोशिश नहीं की थी। फिर मैंने अपने होंठों को उनकी गर्दन से चिपका लिया। मैं उनके बदन से आती हुई सोंधी सी सुगंध में खोता जा रहा था।

मैंने तभी महसूस किया कि मेरे लंड पर आज कुछ ज्यादा ही गरम सा एहसास हो रहा था। और कल की अपेक्षा आज ज्यादा आराम से मेरी कमर उनसे रगड़ खा रही थी। जिस कारण मुझे उनके मुलायम चूतड़ का एहसास पूरी तरह से हो रहा था। इस कारण मेरा लंड अपने आप ही फड़कना शुरू कर देता है। तभी मुझे मेरे लंड पर हल्का सा दबाव महसूस होता हैं। मैं अपने आप को कंट्रोल करके जब इस चीज पर ध्यान देता हूं, तो मेरी सांस ही अटक जाती है।

आज मम्मी ने अपनी कच्छी नहीं पहनी हुई थी। इस कारण मेरे लंड पर जो दबाव डाल रही थी, वो उनकी चूत की निकली फांके थे, जिनके बीच ने मेरा लंड रगड़ खा रहा था।‌ मैं तो उनकी चूत में धधकती आग को पूरा महसूस कर पा रहा था, जो मम्मी की मचलती हुई कमर से मेरे लंड पर हो रहा था।

मैं खुशी से पागल हुए जा रहा था, फिर भी में इस मजे को खत्म नहीं करना चाहता था। तो मैंने किसी तरह से अपने आप पर काबू करना शुरू किया। कुछ देर बाद मैं अपनी सांसों पर काबू कर लेता हूं। अब मैं पूरी तरह से आश्वस्त हो गया था कि मम्मी का सोने से पहले परफ्यूम लगाना, बिना कच्छी के सोना, ये सब इस बात की तरफ इशारा कर रहा था, कि मम्मी भी चाहती थी कि हमारे रिश्ते में एक नयापन आए।

मैंने अब बिना झिझक के, अपने हाथ को आगे सरकाते हुए, उनके पेट को सहलाने लगा। मैं उनके कुर्ती के ऊपर से ही, पूरे पेट को सहलाते हुए उन्हें मुठ्ठी में भरने की कोशिश करता, तो मम्मी का बदन कांप के पीछे सरकने की कोशिश करता। पर पीछे से मेरे लंड का पूरा आकार उनकी चूत को रगड़ देता। इस एहसास से उनके बदन में सरसराहट सी उठ जाती। उधर मैं अब उनके कान को चूस रहा था। मुझसे अब बर्दास्त नहीं हो रहा था, क्योंकि लंड का सुपाड़ा सीधा खड़ा था, जिस कारण कैप्री के कपड़े से रगड़ खाने से मेरी उत्तेजना ज्यादा हो रही थी।

ऐसे मेरा लंड बहुत बड़ा नहीं है, पांच-साढ़े पांच इंच का सुपाड़ा होगा। अब क्योंकि मुझे कोई डर नहीं था, तो मैं हल्के से पीछे हुआ, और उनके पेट से हाथ हटा कर मैंने धीरे-धीरे अपनी कैप्री को नीचे सरका के घुटने तक कर दिया। इससे मेरा लंड फनफना कर बाहर आ गया। मैंने इसे अपने हाथ में पकड़ा, तो ये एक-दम से तना हुआ था, और झटके दे रहा था।

मैंने भी बिना देरी के लंड को पकड़ कर, मम्मी के चूतड़ों के बीच में किया। फिर वापस उनके चूतड़ों से चिपका दिया। ऐसा होते ही लंड सीधा उनकी चूत की दरार को कपड़े के ऊपर से तेजी से रगड़ते हुए आगे बढ़ जाता है। पर मम्मी की पायजामी के कपड़े से रगड़ खाने से मुझे दर्द भी होता है, और मेरे मुंह से कांपते हुए कराहने की आवाज निकलती है। पर साथ ही मम्मी भी छटपटा कर रह जाती है, क्योंकि मेरा आजाद लंड सीधा उनकी चूत की फांकों को रगड़ते हुए आगे निकला था।

अब मैं पूरी तरह से अपने लंड पर, उनकी चूत के साथ-साथ उनकी जांघों की धधकती आग भी महसूस कर पा रहा था। मैंने अब बिना देरी किए अपने हाथ को वापस आगे सरका कर, उनके पेट पर रख कर, उन्हें हल्के से दबाते हुए खुद से चिपका लिया। फिर उनके कान के नीचे जीभ से खेलना शुरू कर दिया। कुछ पल ऐसा करते हुए मैं अपने हाथ को ऊपर सरकाने लगा। मम्मी भी शायद समझ गई थी कि अब आगे क्या होने वाला था।

उनकी उखड़ती हुईं सांसे और तेज होने लगी थी, और कुछ ही पलों में मेरे हाथों को मम्मी के नरम स्तनों का अनुभव होता है। मैंने ये सोचा था कि शायद मम्मी ने ब्रा भी नहीं पहनी होगी। पर मेरा सोचना गलत था। मेरे हाथ उनके निचले स्तन को पूरा महसूस करने की कोशिश करने लगते है।

मम्मी के स्तन, बहुत ज्यादा बड़े तो नहीं थे, पर छोटे भी नहीं थे। मैं जितना इन्हें हाथ में समाने की कोशिश करता, वो उतना ही फिसल जाता। ब्रा की वजह से सही तरह से मैं इसे पकड़ भी नहीं पा रहा था। पर स्तन बहुत मुलायम थे, तो उन्हें सहलाने में भी मजा आ रहा था। मैं ऐसे ही स्तन को सहलाने लगा, ऊपर उनके कान को चूसते हुए। नीचे से लंड उनकी चूत में दबा हुआ था। मैं मम्मी की हिलती कमर में अब पायजामी के हल्के गीलेपन को महसूस कर पा रहा था।

कुछ पल ऐसा होने के बाद अब मेरा बहुत बुरा हाल हो गया था, और अब मैं झड़ने की कगार पर आ गया था, तो मैं जोश में आ गया और उनके स्तन को ब्रा के ऊपर से ही तेज-तेज मसलने लगा। इससे मेरी कमर भी अब उनके चूतड़ पर हल्के-हल्के धक्के लगाने लगे। मम्मी भी शायद झड़ने की कगार पर आ गई थी, तो वो भी अपनी कमर हिला रही थी। मेरी और मम्मी की हल्की-हल्की सिसकियां निकल रही थी।

फिर कुछ ही पलों में मेरा और मम्मी का सब्र टूट जाता है। मैं उनके गले पर होंठ चिपका कर झड़ने लगा। मम्मी ने भी अपने मुंह को अपने हाथ से ढक लिया था। हम दोनों झड़ते हुए हल्के-हल्के कराह भी रहे थे। करीब 25 से 30 सेकंड तक झड़ने के बाद हम दोनों ही शांत हो जाते हैं। पर अभी भी हम उसी हालत में लेटे थे। हमारी सांसे अब धीरे-धीरे शांत होती है।

करीब 2 मिनट के बाद शायद मम्मी उठना चाहती थी, तो वो आगे होने लगती है। पर मैं आज किसी और ही मूंड में था। मैंने जल्दी से अपने हाथ को उनके पेट पर सरका कर उन्हें वापस अपने से चिपका लिया। इससे वापस उनके चूतड़ मुझसे चिपक गए। उधर मैं वापस अपनी जीभ से उनके कान को छेड़ने लगा। मम्मी ने अपना हाथ मेरे हाथ पर रख कर हटाने की कोशिश की, तो मैंने भी थोड़ा जोर लगा कर हाथ वहीं रहने दिया।

2 से 3 बार कोशिश करने के बाद मम्मी भी समझ गई थी कि मैं अभी उन्हें छोड़ने वाला नहीं था। वो उन्होंने अपने हाथ का दबाव ढीला कर दिया। मैं मम्मी की तरफ से विरोध ना देख कर खुश हो गया। मैंने हल्के से उनके कान को चाटा और बोला-

मैं: मेरी प्यारी मम्मी, आई लव यू।

और वापस उनके कान को होंठों में भर लिया। कुछ पल ऐसे खेलने के बाद अब मैंने थोड़ा आगे बढ़ने की सोची। मैं हल्के से ऊपर की तरफ सरका। इससे मेरा लंड रगड़ खाते हुए चूत की दरार से ऊपर सरक कर उनके चूतड़ों के बीच दबाव बना रहा था। कच्छी ना होने से मेरा लंड उनके चूतड़ों के बीच समा रहा था। पर पूरी तरह से नहीं।

उधर मैंने अपने चेहरे को थोड़ा आगे करके उनके कान के आगे चेहरे को जीभ से टटोला, तो मम्मी हल्के से कांप उठी। मैं अब अपनी जीभ से उनके गालों को चाटने लगा। उधर मैंने उनके हाथ को हल्के से सरकाते हुए नीचे किया। फिर धीरे से मैंने उनकी कुर्ती के अंदर हाथ डालते हुए, उनके पेट को हाथ में भींच लिया। इससे उनके चूतड़ पीछे होने से लंड दरार में और आगे सरकने लगा।

मैं अब उनके नंगे पेट पर हाथ फेर रहा था, और ऐसा करते-करते मैं हाथ को ऊपर करने लगा। मम्मी की सांसे वापस तेज हो गई थी। मैंने ऐसा करते हुए, अपने हाथों को उनके स्तन तक सरका दिया। फिर उनके गालों को होंठों में भर कर जीभ से सहला रहा था। ऐसा करते हुए मैंने अपने हाथ को उनकी ब्रा के ऊपर नीचे वाले स्तन पर रखा। इस बार मेरे हाथ में उनके स्तन अच्छे से समा पा रहे थे।

मैं अच्छे से उनके मुलायम स्तन को महसूस कर पा रहा था। मन तो कर रहा था कि अभी इन्हें दबा-दबा कर चूसने लगूं। पर मैं अपनी मम्मी से प्यार करना चाहता था, ना कि जबरदस्ती। और मम्मी मुझे जो मौका दे रही थी, मैं उसका मजा खराब नहीं करना चाहता था। मैं ऐसे ही ब्रा के ऊपर से ही उनके स्तन को हल्के-हल्के दबाते हुए सहला रहा था।

ऐसा होने से मम्मी की सिसकी निकल रही थी। पर आज मुझे मम्मी की सिसकी कुछ अलग-अलग सी महसूस हो रही थी। कल के दिन जब मैंने मम्मी को झड़ने पर मजबूर किया था, तो उस समय उनकी सिसकी की आवाज अलग थी। खैर, मैंने इस बार पर ज्यादा ध्यान ना देते हुए, उनके गालों को चाटते हुए स्तन दबाना चालू रखा।

मैं आपको बता दूं, कि ये सब चादर के अंदर ही हो रहा था। बाहर ज्यादा अंधेरा था तो कोई बस इतना समझ पाता कि मैं मम्मी के पास चिपका था। ऐसे ही सहलाते हुए मैंने स्तन को हल्का सा तेज दबाते हुए आगे निप्पल की तरफ दबाया, तो मुझे ब्रा के ऊपर हल्का सा गीलापन महसूस हुआ। इससे उत्तेजित होकर मैं ऐसा करने लगा। इससे अब मम्मी के कराहने की आवाज हल्के-हल्के तेज हो रही थी।

मुझे ऐसा करते हुए बड़ा मजा आ रहा था। साथ ही उनकी निकलती सिसकी मुझे और जोश दिला रही थी। मैंने अब हल्के से हाथ को पीछे सरका कर ब्रा को ऊपर सरकाया, तो उनके नीचे वाला स्तन बाहर आ गया। पर तभी मुझे उनके स्तन पर पानी सा महसूस होने लगा। जिससे उनके स्तन ज्यादा मुलायम हो गए थे। मैंने उनके स्तन को अपने हाथ में पूरा भरा और हल्के से दबाते हुए आगे किया, तो उनके निप्पल मेरी उंगली में आए। पर मुझे वापस वह पानी का एहसास हुआ।

मैं समझ नहीं पा रहा था कि मम्मी के स्तन गीले क्यों थे। पर उत्तेजना में सोचने का टाइम कहां था? मैंने उनके निप्पल को अंगूठे और उंगली में पकड़ कर मसला तो मुझे निप्पल पर वापस पानी का एहसास हुआ। साथ ही मम्मी एक-दम से सिसक उठी। मम्मी को कराह सुन कर मैं जोश से भर गया, और अब जल्दी-जल्दी उनके निप्पल को मसलने लगा। इससे उनकी तड़प बढ़ने लगी। सिसकियां भी तेज हो गई थी।

मैं अब उनके चूतड़ को हिलते हुए महसूस करने लगा। ऐसा करते हुए मैं उनके गालों को पूरा गीला कर चुका था। साथ ही अब मैं उनके चूतड़ों पर धक्के भी लगा रहा था। धीरे-धीरे मैं उनके स्तन को तेज-तेज दबाते हुए निप्पलस मसलने लगा। इससे मेरे हाथ में पूरा गीलापन हो गया था। मम्मी और मैं अब वापस झड़ने की कगार पर पहुंच गए थे, और कुछ ही पलों में हम दोनों कामरस छोड़ने लगे।

इस दौरान मैं उनके निप्पल को जितना दबा रहा था, उतना ही पानी मेरे हाथों पर महसूस हो रहा था। कुछ पल झड़ने के बाद हम दोनों की सांसे सामान्य होने लगी। करीब 2 से 3 मिनट बाद अचानक मम्मी ने मेरे हाथ को कुर्ती के अंदर से पकड़ कर निकाल दिया। फिर वो मेरी चादर को अपने ऊपर से हटा कर आगे सरक गई। इससे मेरी चादर मुझे पूरा ढक चुकी थी। पर इतना होने के बाद मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी कि मैं चादर के बाहर देखूं।

मैं वैसे ही पड़ा रहा। इस दौरान मम्मी उठ कर अंदर गई थी और कुछ पल बाद वापस आकर सो गई थी। उनके जाने के बाद मैंने दूसरी तरफ मुंह कर लिया था। इस दौरान मैंने अपने कैप्री को वापस ऊपर कर लिया था। मेरा सारा वीर्य मम्मी के पायजामी पर अपनी छाप छोड़ चुका था। मैं खुश था कि आज मम्मी ने मुझे आगे बढ़ने दिया था। ऐसे ही खुशी मैं सपने देखते-देखते मैं सो गया।

सुबह मम्मी के जागने पर मैं उठा, और बाथरूम में चला गया। तो आज भी मेरा अंडरवियर वहां नहीं था। मैं खुश था कि मम्मी ने वापस आज धो दिया था। मैं अपनी उन उंगलियों को देखने लगा जिनसे रात में मैंने मम्मी के मुलायम निप्पल को रगड़-रगड़ कर दबाया था, तभी मुझे उंगलियों से सोंधी सी महक महसूस हुई, जो मुझे कुछ अलग सी ही लग रही थी। शायद वो रात में उनके गीले स्तनों की थी। जो मेरे हाथों में लग गई थी।

खैर, मैं नहा कर जब वापस आया तो मैंने देखा मम्मी ने रात वाली ही पायजामी पहनी हुई थी। ये देख कर मुझे समझ नहीं आया कि ऐसा कैसे हो सकता था? मैंने रात में 2 बार उनकी पायजामी पर अपनी छाप छोड़ी थी, पर उनकी पायजामी को देख कर तो बिल्कुल नहीं लग रहा था कि रात में कुछ हुआ था। मैं कुछ देर सोचने के बाद इस नतीजे के ऊपर पहुंचा, कि शायद मम्मी के पास इसी रंग की 2 पायजामी हो और मुझे पता ना हो।

खैर, ऐसे ही नाश्ता करने के बाद पता चला, कि आज मम्मी-पापा दादा-दादी के पास जा रहे थे। भाई भी उनके साथ जा रहा था। करीब 2 हफ्ते का प्रोग्राम बना था, पर फूफा जी के जॉब पर वापस जाने के कारण बुआ ने मुझे अपने घर पर रखने का प्लान किया था। ये सुन कर मुझे बहुत बुरा लग रहा था कि कल जो प्यार मैंने पाया था, अब वो कुछ दिनों के लिए जुदा हो जाएगा। साथ ही बुआ के घर पर मुझे अच्छा भी नहीं लगता था। क्योंकि वहां कोई काम नहीं होता था, हर चीज के लिए नौकर थे। और ना कोई दोस्त थे वहां मेरे।

मैंने इस बारे में पापा से कहा, तो उन्होंने कहा कि खुद फूफा जी ने कहा था, तो वो मना भी नहीं कर सकते थे। खैर, रात का खाना खा कर हम लोग स्टेशन निकल गए। वहां पापा, मम्मी और भाई के जाने के बाद हम लोग वापस बुआ जी के घर पहुंच गए।

दोस्तों, आज के लिए बस इतना ही।
आगे की सेक्स कहानी अगले पार्ट में आएगी।

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