रजनी की चुदाई उसीकी की जुबानी-3

पिछला भाग यहाँ पढ़े – रजनी की चुदाई उसीकी की जुबानी-2

दीपक कच्ची नींद में था , या फिर बहाना बना रहा था, “अरे रजनी” ? मैंने लंड मुंह से बाहर निकल दिया और दीपक की तरफ देखने लगी की देखें क्या कहता है। वो बोला, “नीचे क्यों बैठी हो ऊपर आओ “। मैं पलंग के ऊपर बैठ गयी। दीपक ने अपना लंड अपने हाथ में लिया और बोला, ये लो आराम से चूसो। मैंने लंड पकड़ा और अपने मुंह में डाल कर चूसने लगी। संतोष के लंड की तरह का ही मोटा लंड ।

पांच सात मिनट की चुसवाई के बाद दीपक ने लंड मेरे मुंह से निकाल लिया। मुझे पूरी तरह नंगा करके, मेरी चूचियां चूसने लगा। साथ ही मेरी चूत में उसने उंगली डाल दी। जब उसे लगा की मेरी चूत अब लंड मांग रही है तो उसने मुझे बिस्तर पर लिटाया और मेरी टांगें उठा दी।

मुझे संतोष की चुदाई याद आ गयी – कैसे संतोष ने मेरे चूतड़ों के नीचे तकिया रख कर मेरी चूत ऊपर उठाई थी। मगर दीपक ने तो ऐसा कुछ नहीं किया – मगर जो दीपक ने किया वो वाकई अलग था। दीपक ने मेरी टांगें अपने कंधों पर रख दी। मेरी हालत ये थी की मैं अपने चूतड़ हिला भी नहीं पा रही थी।