रजनी की चुदाई उसीकी की जुबानी-2

पिछला भाग यहाँ पढ़े – रजनी की चुदाई उसीकी की जुबानी

अगले दिन माँ ने तो कुछ नहीं कहा, दीपक मुझे अजीब नज़रों से देख रहा था। “हे भगवान कहीं इसको भनक तो नहीं लग गयी की मैंने इसे माँ को चोदते देख लिया है, कहीं खिड़की जान बूझ कर तो नहीं खुली छोड़ी गयी जिससे मैं सारा नज़ारा देख सकूं”? उधर सरोज भी मुझे देख देख कर मुस्कुरा रही थी। मैं हैरान थी की आखिर ये हो क्या रहा है ?

दस दिन गुज़र गए। मैं जान चुकी थी की दीपक हर दुसरे दिन माँ को चोदता है। मुझे भी हर चुदाई देखने का चस्का लग गया था। सरोज अब अजीब अजीब सी बातें करने लगी थी, बात को घुमा कर मुझसे जाना चाहती थी मेरा कोइ बॉय फ्रेंड है क्या ? कहाँ तक है हम लोगों की दोस्ती – मैं मतलब समझती थी।

सरोज जानना चाहती थी की क्या मैंने चूत चुदवाई है या नहीं ? मगर क्यों ? कहीं इसने मुझे खिड़की में से चुदाई देखते हुए देख तो नहीं लिया ? क्या ये सरोज माँ और दीपक की चुदाई के बारे में जानती है ?

Leave a Comment