पिछला भाग पढ़े:- माँ को लगी लंड की लत-2
हैलो दोस्तों मैं अजय अपनी कहानी का तीसरा और अंतिम भाग लेकर हाजिर हूं। पिछली कहानी में आपने पढ़ा कैसे सुशांत, संजय, और अशोक ने मम्मी को उनके जन्म दिन के दिन गरम किया।
सुशांत मम्मी के होंठों को चूमने लगा, मम्मी ने भी उसे अपना चुंबन दिया। संजय ने मम्मी की बिकनी बलाऊज उतार दी। मम्मी ब्रा और पैंटी तो पहनती नहीं थी। उनके तने हुए बूब्स की एक चूची को संजय, तो दूसरी चूची को अशोक चूसने लगा। सुशांत उनकी गर्दन और पीठ को चाटने लगा।
अब सुशांत ने शर्ट उतारी और सब को हटा कर मम्मी को सीने से चिपका कर प्यार करने लगा। मम्मी भी उससे लिपट कर उसका बदन चूमने लगी। मम्मी की साड़ी उतार कर उसने पेटीकोट भी खोल दिया।
मैंने देखा मम्मी ने अपनी पूरी चूत को क्लीन शेव कर रखा था। संजय मम्मी की चूत की लिप्स को दांत से काटने लगा, और चूत में उंगली डाल कर हिलाने लगा । मम्मी भी मद भरी सिसकारियां लेते हुए इसका आनंद लेने लगी।
मम्मी बोल पड़ी, “अब और बर्दाश्त नहीं होता, मेरी चूत की प्यास बुझा दो”।
ये सुनते ही सुशांत मेरी नंगी मां को गोद में उठाया, और बेडरूम ले जाने लगा। संजय और अशोक भी चल दिये। मैं भी पीछे-पीछे उनके साथ आ गया।
बेड पर लिटा कर सुशांत ने अपनी पैंट उतारी, और अपने लंबे मोटे लंड को सीेधा मम्मी के मुंह में घुसा कर उनके मुंह को चोदने लगा। अशोक अपना लंड मम्मी के बूब्स पर रगड़ने लगा, जबकि संजय अभी भी मम्मी की गीली चूत में जीभ डाल कर जीभ से ही चोदने और चूसने लगा।
दस मिनट तक मम्मी के मुंह को चोदने के बाद सुशांत ने अपना लंड निकाला, और संजय को हटा कर मम्मी की चूत पर रख दिया। सुशांत का लंड मम्मी की चूत से नाभि जितना लंबा था। उसका लंड अशोक से भी ज्यादा बड़ा और मोटा था।
तभी सुशांत ने एक धक्के में अपना आधा लंड मम्मी की चूत में डाल दिया, और दूसरे धक्के में अपना पूरा लंड चूत में घुसा दिया। मम्मी की जोर से आह निकल गई। संजय मम्मी के बूब्स के बीच लंड रख कर रगड़ने लगा, और अशोक ने उनके मुंह में लंड डाल दिया।
करीब दस मिनट तक मम्मी को चोदने के बाद सुशांत ने मम्मी को उठाया, और अशोक का लंड मम्मी की चूत में डाल दिया। और खुद मम्मी की गांड में लंड डाल कर आगे-पीछे होने लगा। गांड में लंड जाने पर मम्मी दर्द से छटपटाने लगी । वे सैंडविच बना कर मम्मी को चोदने लगे, मम्मी जोर-जोर से आह आह, मेरी गांड, मेरी चूत चिल्लाने लगी और मस्ती से चूत और गांड में लंड के आगे-पीछे होने का मजा लेने लगी। अब उनका दर्द भी कम हो गया था।
पंद्रह मिनट तक ऐसे ही चोदने के बाद सुशांत और अशोक दोनों झड़ गये, और अपना पूरा वीर्य मम्मी पर बहा दिया। दोनों थक कर लेट गये। पर ये देख कर मैं हैरान था कि मम्मी अभी भी नहीं थकी थी। इतनी बेरहमी से चुदने के बाद भी वो और सेक्स करना चाहती थी।
संजय अभी भी बचा हुआ था, उसने शराब मम्मी के जिस्म पर गिरा कर उनकी नाभि से पीना शुरू कर दिया, और साथ ही उनके बूब्स और जिस्म को दांत से काटने लगा। फिर मम्मी के दोनो बाहों को खोल कर उनकी आर्मपिट को चाटने लगा। कुछ देर बाद उसने मम्मी को दीवार से सटा दिया, और उनकी चूत जो पहले से ही खुली हुई थी, उसमे लंड डाल कर चोदने लगा।
मम्मी अपनी आंखें बंद करके सिसकारियां ले रही थी। संजय की जांघ और मम्मी के हिप्स टकरा रहे थे, जिससे थप-थप की आवाजें आ रही थी। मम्मी के दोनो टांगो को उठा कर वो तेजी से चोद रहा था। मम्मी भी बीच-बीच में और तेज और तेज कह कर उसे चोदने को उकसा रही थी।
बीच-बीच में संजय मम्मी की गांड पर स्लैप करता, जिसके कारण उनकी गोरी गांड एक-दम लाल हो गई। मम्मी भी मदमस्त होकर चुद रही थी।
फिर उसने मम्मी को खड़ा किया, और आगे से आकर चोदने लगा। दस मिनट तक अलग-अलग पोज में मम्मी को चोदने के बाद वो भी झड़ गया, और अपना लंड निकाल कर मम्मी के बूब्स पर पूरा वीर्य गिरा दिया और सोफे पर लेट गया। शादी से पहले तो अशोक से मैंने मम्मी को कई बार चुदते देखा था, पर उस दिन पहली बार मैंने मम्मी का गैंग-बैंग होते देखा था।
मम्मी भी अब थक कर चूर हो गई थी, और हाफ रही थी। रह-रह कर उनकी चूत से पानी और वीर्य दोनों निकल रहे थे। थोड़ा देर सुस्ताने के बाद मम्मी उठ कर बाथरूम जाने लगी। पर इतनी भयंकर चुदाई के बाद उनकी चूत और गांड सूज गई थी, और वो ठीक से चल नहीं पा रही थी। तो मैं उन्हे पकड़ कर बाथरूम ले गया। मुझे देख कर वो थोड़ा हिचकिचा गई। अपने बदन को साफ करने के बाद वो बाहर निकली। उनका नशा भी उतर गया था। मैंने उन्हे साड़ी ब्लाउज लाकर दिया, और पहनने में मदद की।
मैंने पूछा, “मम्मी ये सब क्या था? आपकी तो शादी अशोक से हुई है। मुझे ये समझ नहीं आ रहा। आखिर अशोक अपने भाईयो को आपके साथ संबंध बनाने कैसे दे रहा है”?
तब मम्मी ने मुझे अपनी सुहागरात में किये वादे और तीनो भाईयो के लिये एक-एक बच्चे की सारी बात बताई और कहा, “हर बार देवर जी और ये मेरे साथ अकेले सेक्स करते थे। दोनो देवरों के साथ एक-एक हफ्ते उनकी पत्नी बन कर रहती हूं। सुशांत के साथ मैं सबसे ज्यादा समय बिताती हूं, क्योंकि वो सबसे बड़ा है। और अशोक परिवार का बिजनेस देखता है इसलिये उसके साथ कम समय रहती हूं। पर पता नहीं क्यो आज पहली बार, तीनों ने एक साथ मुझसे संबंध बनाया”।
मैंने पुछा, “क्या आप ऐसे खुश हो?” तो मम्मी बोली, “पगले मैं इतने बड़े घर पर मैं अकेले राज कर रही हूं। इस मकान और सारी जमीन जायदाद की मैं बस अकेली मालकिन हूं। सारी संपत्ति तुझे और आगे चल कर जो तेरे भाई बहन होते है, उन्हे ही तो मिलेगी जो मेरे ही बच्चे होंगे। साथ ही अपने जिस्म की प्यास मिटाने के लिये एक नहीं तीन-तीन मर्द मिले, एक पति और दो देवर। इससे ज्यादा मुझे और क्या ही चाहिये? तू बस अपनी पढाई पे ध्यान दे”।
छुट्टियां खत्म होने के बाद मैं होस्टल वापस चला गया। इन चार सालो में मम्मी अब तक तीसरी बार प्रेगनेंट हो चुकी है।
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