पिछला भाग पढ़े:- भाभी जी ने दी लंड को ठंडक-1
“बहुत ही मस्त है भाभी जी।”
फिर भाभी जी मुसकुराती हुई उनका काम करने लग गई। अब मैं अगले दिन का इंतज़ार करने लगा। फिर मैं तैयार होकर जॉब पर चला गया। लेकिन आज मेरा काम में मन नहीं लग रहा रहा था। मेरा लंड तो भाभी जी की चूत मांग रहा था। कल का नज़ारा बार-बार मेरी आंखों के सामने घूम रहा था।
तभी मैं जॉब से वापस आ गया। भाभी जी घर पर अकेली ही थी। वो हॉल में बैठ कर टीवी देख रही थी। तभी मैं भी तुरंत कपड़े बदल कर भाभी जी के साथ आ बैठा। भाभी जी बिल्कुल चुप थी।
तभी मैं भाभी जी के साथ चिपकने लगा, और उनकी कमर को सहलाने लगा। अब भाभी जी मेरे हाथ को दूर हटाने का नाटक करने लगी।
शायद कल की घटना के बाद भाभी जी अब ठुकाई कराने के लिए तैयार थी।
तभी मैं भाभी जी का हाथ पकड़ कर उन्हें बैडरूम में ले जाने लगा। तभी भाभी जी नखरे करने लगी।
“रोहित जी यार क्या कर रहे हो आप?”
“वो ही कर रहा हूं भाभी जी जो मुझे करना चाहिए।”
तभी भाभी जी चुप हो गई।
“ओह रोहित जी आप भी बड़े ज़िद्दी हो।”
“ज़िद्दी तो आप हो भाभी जी जो इतने नखरे दिखा रही हो। क्या बिगड़ रहा है आपका पानी पिलाने में? क्या आप एक प्यासे को पानी नहीं पिला सकती? बोलो?”
“पिला तो सकती हूं, लेकिन यार डर लगता है। किसी को कुछ पता चल गया तो?”
“किसी को कुछ पता नहीं चलेगा भाभी जी। आप चिन्ता मत करो।”
अब भाभी जी उनकी चूत फड़वाने के लिए तैयार हो चुकी थी। तभी मैं भाभी जी को बैडरूम में लेजा कर उनके रसीले होंठो को पर हमला बोल दिया। अब मैं भाभी जी के रसीले होंठो को बुरी तरह से चूसने लगा।
तभी पुच्च ऑउच्च पुच्च की आवाज़े पूरे कमरे में गूंजने लगी। भाभी जी बिल्कुल चुप थी। वो खुद को मुझे सौंप चुकी थी। अब मैंने भाभी जी के बोबों को पकड़ लिया और फिर भाभी जी के बोबों को जम कर मसलने लगा।
आह्ह! आज तो मेरे लंड का भाग्य खुल चुका था। बहुत मेहनत के बाद आज भाभी जी के बोबों को दबाने का मौका मिल रहा था। भाभी जी धीरे-धीरे गर्म हो रही थी।
तभी मुझे लगा ये ही सही मौका था, भाभी जी को बेड पर पटक दे और चढ़ जा भाभी जी पर, ठोक दे भाभी जी की चूत में लंड।
तभी मैंने भाभी जी को उठा कर बेड पर बेड पर पटक दिया, और मैं झट से भाभी जी के ऊपर चढ़ गया। फिर मैं भाभी जी के चिकने गले पर किस करने लगा। तभी भाभी जी आतुर होकर मुझे बाहों में कसने लगी। मैं भाभी जी के गले पर ताबड़-तोड़ किस कर रहा था।
“ओह रोहित जी। उन्ह सिसस्ससस्स आह्ह।”
भाभी जी कसमसाते हुए मुझे बाहो में दबा रही थी। तभी भाभी जी ने मेरी टी-शर्ट खोल फेंकी। अब भाभी जी मेरी पीठ पर नाख़ून गढ़ाने लगी।
“उन्ह ओह सिससस्स आह्ह सिसस्ससस्स।”
फिर मैंने बहुत देर तक भाभी जी के गले पर किस किये। अब मेरा लंड ज्यादा इंतज़ार करने के मूड मे नहीं था। तभी मैं फ़टाफ़ट से नीचे सरका और फिर भाभी जी की टांगे उठा कर उनकी चड्डी को खोल फेंकी। भाभी जी की चड्डी पूरी गीली हो रही थी। इसका मतलब भाभी जी का पहले ही पानी निकल चुका था। अब मैंने मेरा पाजामा खोल कर लंड बाहर निकाल लिया।
अब मैंने भाभी जी की टांगे खोल दी। तभी मुझे भाभी जी की चूत के दर्शन हुए। भाभी जी की चूत काली घनी झांटो से घिरी हुई थी। शायद भाभी जी ने सालों से अपनी फसल को नहीं काटा था। उनकी चूत में सफ़ेद पानी चमक रहा था। अब मैं लंड को भाभी जी की चूत में सेट करने लगा। तभी भाभी जी मेरे मोटे तगड़े लंड को देख कर डरने लगी।
“रोहित आराम से डालना। मुझे तो आपका बहुत बड़ा लग रहा है।”
“आप चिंता मत करो भाभी जी मैं आराम से ही डालूंगा।”
तभी मैं सोचने लगा। बस कैसे भी करके एक बार मेरा लंड आपकी चूत में घुस जाये फिर क्या धीरे? जम कर बजाऊंगा आपको।
तभी मेने भाभी जी की टांगे पकड़ कर ज़ोर से भाभी जी की चूत में लंड ठोक दिया।मेरा मोटा तगड़ा लंड भाभी जी की चूत को फाड़ता हुआ एक ही झटके में पूरा अंदर घुस गया। तभी भाभी जी ज़ोर से चीख पड़ी।
“आईईईईई मम्मी। आईईईईई आईईईई ओह रोहित जी बहुत दर्द हो रहा है। आईईईईई। प्लीज लंड बाहर निकालो।”
तभी मैंने लंड बाहर निकाला और फिर से भाभी जी की चूत में लंड पेल दिया। अब भाभी जी क्या कहती? अब मैं भाभी जी को झमाझम चोदने लगा। आज बहुत महीनो के बाद मेरा लंड चूत का स्वाद चख रहा था। मेरा लंड ताबड़-तोड़ भाभी जी की चूत के परखच्चे उड़ा रहा था।।
“आह्ह आह्ह आईईईई आह्ह ओह मर्रर्रर्रर्र गईईई उन्ह धीरे-धीरे चोदो रोहित जी। बहुत दर्द हो रहा है। अआईईई आईईईईई।”
“ओह भाभी जी चोदने दो। आह्ह बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा है। आह्ह बहुत ही मस्त चूत है आपकी तो, आह्ह।”
मेरे लंड के धक्कों से भाभी जी की हालत खराब हो रही थी। शायद भाभी जी पहली बार इतना मोटा तगड़ा लंड ठुकवा रही थी।
“ओह भाभी जी मुझे तो जन्नत मिल गई आज आह्ह। खूब बजाऊंगा आज तो मैं आपको आह्ह।”
“ओह्ह्ह मम्मी आह्हा आह्हा आईई आह्हा आईई।”
मैं भाभी जी को ताबड़-तोड़ चोद रहा था। मेरे लंड को भाभी जी की चूत में बहुत ज्यादा ठंडक मिल रही थी। मैं गांड हिला हिला कर भाभी जी की चूत में लंड पेल रहा था। भाभी जी की दर्द भरी सिसकारियां बैडरूम में गूंज रही थी।
“आह्ह आह्ह आह्ह उन्ह सिससस्स आह्ह आह्ह आह्ह।”
“ओह भाभी जी पहले ही चुदवा लेती ना।मेरा लंड इतना तो नहीं तड़पता आह्ह।”
“ओह रोहित जी आपने ही बहुत देर की पटाने में। पहले ही पटा लेते तो मैं आपके लंड को प्यासा नहीं रहने देती।”
“ओह भाभी जी, आह्ह आह्ह बहुत मज़ा आ रहा है आह्ह।”
मैं भाभी जी को झमाझम चोद रहा था। भाभी जी जैसी रापचिक माल को बजाने में मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। फिर ताबड़-तोड़ ठुकाई के बाद भाभी जी की चूत के उबाल आ गया, और मेरा लंड भाभी जी के गरमा-गरम पानी में भीग गया।
“आह्ह आह्ह सिससस्स आह्ह उन्ह ओह आह्ह। ओह रोहित जी आपने तो मेरा पानी निकाल दिया।”
“अभी तो और पानी निकलूंगा भाभी जी आपका आह्ह।”
“निकाल दो रोहित जी जितनी आपकी इच्छा हो। मैं भी सालो से बहुत प्यासी हूं।”
“आज मैं आपकी पूरी प्यास बुझा दूंगा भाभी जी।”
अब मेरा लंड चिकना होकर भाभी जी की चूत में तगड़ा घमासान मचा रहा था। भाभी जी बुरी तरह से चुद रही थी। उनको बजाने में मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।
“आहा आह्ह सिससस्स आह्ह आह्ह ओह उन्ह सिससस्स आह्ह।”
तभी भाभी जी का पानी निकल गया। भाभी जी पसीने में भीग कर बुरी तरह से नहा गई। अब मैंने भाभी जी के पेटीकोट और साड़ी को खोल फेंका। अब भाभी जी नीचे से पूरी नंगी हो चुकी थी। उनकी चिकनी जांघे बहुत चमचमा रही थी।
अब मैंने भाभी जी की टांगे पूरी मोड़ कर उन्हें फोल्ड कर दिया। अब मैं खड़ा होकर भाभी जी की चूत में झमाझम लंड पेलने लगा।मेरा लंड एक दम सीधा भाभी जी भाभी जी की चूत में प्रहार कर रहा था।
“आह्ह आह्ह सिससस्स आह्ह आह्ह ओह मर्रर्रर्रर्र गईईईई आह्ह आह्ह।”
“ओह मेरी प्यारी भाभी जी आह्ह।”
मैं गांड हिला-हिला कर भाभी जी की चूत में जम कर लंड पेल रहा था। भाभी जी को फोल्ड कर बजाने में मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। भाभी जी बस चुदती जा रही थी।
“आह्ह आह्ह सिससस्स आह्ह ओह उन्ह आह्ह।”
“ओह भाभी जी बहुत ही मस्त हो आप आह्ह।”
“आह्हा आहह आईई आह्हा आईई। ”
भाभी जी की टांगे अब आगे की जगह उनके सिर से होते हुई पीछे जा चुकी थी। मैं भाभी जी को जम कर बजाए जा रहा था। मेरा लंड भाभी जी की चूत में जम कर घमासान मचा रहा था।
“आह्हा आह्हा ओह्ह्ह आईई आह्हा उन्ह आह्हा आईई आह्हा। ”
फिर मैंने बहुत देर तक भाभी जी को फोल्ड कर बजाया। अब मैंने भाभी जी को वापस सीधा कर लिया। भाभी जी की हालत खराब हो चुकी थी।
“ओह रोहित जी बहुत बुरी तरह से ठोका आपने तो। मेरी तो कमर ही दर्द करने लग गई।”
“कोई बात नहीं भाभी जी। मज़ा भी आया होगा ना?”
“हां वो तो आया है ना।”
अब मैं भाभी जी के बलाऊज के हुक खोलने लगा। अब आज भाभी जी मुझे नहीं रोक रही थी। तभी मेने भाभी जी के बलाऊज के हुक खोल उनकी ब्रा को ऊपर खिसका दिया।
“आह्ह भाभी जी बहुत ही रसदार बगीचा लग रहा है आह्ह।”
तभी मैं भाभी जी के बोबों को बुरी तरह से निचोड़ने लगा। आह्ह, भाभी जी के बोबों को कसने में मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। तभी भाभी जी दर्द से तड़पने लगी।
“आहा सिससस्स आह्ह उह ओह रोहित जी धीरे।
“दबाने दो भाभी जी। आह्ह बहुत ही मस्त चुचे है आपके आह्ह, बहुत मज़ा आ रहा है।”
तभी भाभी जी ने कुछ नहीं कहा। मैं बुरी तरह से भाभी जी के बोबों को मसल रहा था। इधर भाभी जी का हाल बेहाल हो रहा था। वो दर्द के मारे उछल-उछल कर पड़ रही थी।
“आहा सिससस्स आह्ह उन्ह ओह रोहित जी। आह्ह सिसस्ससस्स मरर्रर्र गैईईईई।”
फिर मैंने भाभी जी के बोबों को मसल मसल कर लाल कर दिया। अब मुझसे सब्र नहीं हो रहा था। तभी मैंने भाभी जी के आम को मुंह में ले लिया और जम कर चूसने लगा। आह्ह, भाभी जी के आम बहुत टेस्टी लग रहे थे। अब मैं जम कर भाभी जी के आम चूस रहा था।
“ओह भाभी जी आह्ह मज़ा आ गया आज तो।”
भाभी जी अपने अनुभव को दिखाते हुए आराम से बोबे चुसवा रही थी। उनके बोबों में बहुत सारा रस भरा हुआ था। भाभी जी भी उनके आमों का सारा रस पिलाने को बेताब हो रही थी।
“उन्ह आहा सिससस्स आह्ह ओह रोहित जी आह्ह।”
मैं सबड़-सबड़ कर भाभी जी के चूचों को चूस रहा था। भाभी जी अब आराम से मेरे बालो को सहला रही थी। मैं झंझोड़ कर भाभी जी के चूचों को चूस रहा था। फिर मेने थोड़ी देर में ही भाभी जी के चूचों को बुरी तरह से चूस डाला।
अब मैंने फिर से भाभी जी की टांगे खोल दी। मैंने भाभी जी की चूत के लंड सेट कर दिया और फिर भाभी जी की चूत को भोसड़ा बनाने लग गया।
“आह्ह आह्ह सिससस्स आह्ह ओह उन्ह। बहुत मोटा लंबा लंड है रोहित जी आपका।”
“हां भाभी जी, तभी तो ये मुझे चूत के लिए इतना परेशान कर रहा था। वो तो अच्छा हुआ कि आपने आज चूत दे ही दी वर्ना पता नहीं क्या होता।”
“हां चूत तो ज़रूर मांगता होगा ये।”
“हां भाभी जी”
मैं झमाझम भाभी जी को चोद रहा था। मेरा लंड भाभी जी की चूत में लगातार अंदर-बाहर हो रहा था। अब मैंने भाभी जी को मुझसे चिपका लिया। अब भाभी जी की टांगे हवा में लहरा रही थी।
“आह्ह आह्ह सिससस्स आह्ह उन्ह ओह रोहित जी।”
अब भाभी जी फिर से पसीने में भीगने लगी थी। उनका गोरा चिकना जिस्म पानी पानी हो चूका था। मैं गांड हिला-हिला कर भाभी जी को बजाये जा रहा था।”
“भाभी जी अब तो मेरे लंड को सिर्फ आपका ही सहारा है।”
तभी भाभी जी मेरी बात समझ गई।
“हां रोहित, मौका मिलने पर मैं आपको पानी पिलाती रहूंगी।”
“हां भाभी जी।”
फिर ताबड़-तोड़ ठुकाई के बाद भाभी जी का पानी निकल गया। भाभी जी बुरी तरह से पानी-पानी हो गई। मैं भी अब भाभी जी के पसीने में भीग रहा था। मेरा लंड भाभी जी की चूत के लगातार घुस रहा था।
“आहा आह्ह सिससस्स आह्ह ओह आह्ह सिससस्स आह्ह ओह सिससस्स।”
फिर मैंने बहुत देर तक भाभी जी को ऐसे ही बजाया।
कहानी जारी रहेगी……
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