मुझे तुमसे प्यार है मामा | ट्रिपल धमाल
हाथ लगाने पे और मज़ा आ रहा था. मैं मस्त हो उसे देखती रही और बोली,
मैं – “मौसी को आप रोज़…… ??.”
मामा – “हाँ मेरी जान तुम्हारी मौसी को रोज़ चोद्ता हूँ. तुम तैय्यार हो जाओ तो तुमको भी रोज़ चोदुन्गा. तुम कितनी खूबसूरत हो.मैक्सी को ज़रा सा और खोलो ना.”
मामा चूचियों को दब्बतें हुऐ एक हाथ गाल पर और दूसरा जांघ के बीच फेर रहे थे. मैं तो जैसे जन्नत मे थी
मामा – “मेरी जान. ज़्यादा बड़ी हो जाओगी तो इसका मज़ा उतना नही ले पाओगी जितना अभी लोगी. तुम्हारी चुत एकदम तैयार है बस हाँ कर दो.”
मैं – “मैं तो अभी बहुत छोटी हूँ.” और दोनो जांघ को पूरा खोल दिया.
मामा चालाक थे. पैर खोलने का मतलब समझ गये. मुस्करा कर मेरे होंट चूमते हुऐ बोले,
मामा – “मेरी छोटी बहन को तो तुम जानती हो, अभी 20 की भी नही है. उसकी चूचियों भी तुमसे छोटी हैं. वो भी मुझसे खूब चुद्वाती है.”
और तभी मामा ने मेरी चूत के फाँक को चुटकी से मसला तो मैं कसमसा कर बोली,
मैं – “हाए मामा अपनी छोटी बहन को भी ऐसे ही चोदते हो ?”
मामा – “हाँ घर मे, मैं अपनी छोटी बहन यानी तुम्हारी मौसी को खूब हचक कर चोद्ता हूँ”, तुम्हारी चूचियाँ तो खूब गदराई हैं. बोलो हो राज़ी.”
और मैक्सी के गले से हाथ अंदर डाल कर मेरी चूचियां मसलने लगा तो मैं राज़ी हो गयी और बोली –
मैं – “राज़ी हूँ पर मम्मी से मत बताना.”
मैं उसे यह एहसास नही होने देना चाहती थी की मैं तो जाने कब से राज़ी हूँ. उसके पास आते ही पूरा मज़ा आने लगा. मैं अपना 18 साल का ताज़ा बदन उसके हवाले करने को तैयार थी.
वो मेरी चूचियों को हाथ मे लेते ही मेरी कीमत जान गये थे. मेरे लिए यह पहला चान्स था. मामा मेरे साथ ज़बरदस्ती ना कर के प्यार से कर रहे थे. अब तक वो मेरी नंगी चूत को देख उसपर हाथ फेर रहे थे और चूम भी रहे थे पर मैने अभी तक उनका लंड नही लिया था.
मैक्सी के अंदर हाथ डाल कर और चूचियों को मसल कर बेकरार कर दिया था. मामा ने दुबारा मैक्सी के ऊपर से चूचियों को पकड़कर कहा,
मामा – “मम्मी से मत डरो.. बस तुम तैयार हो जाओ.”
और चूचियों को इतनी ज़ोर से दबाया की मैं तड़प उठी.
मैं – “मुझे कुच्छ नही आता.”
मामा – , “मैं सीखा दूँगा.”
और मेरे गाल पे काटा
मैं बोली – “ऊई बड़े बेदर्द हो राहुल.”
मेरी इस अदा पर मामा मस्त हो गाल सहलाते हुए मैक्सी पकड़ कर बोले,
मामा – “इसको उतार दो.”
मैं बोली – “हाए पूरी नंगी करके मानोगे क्या मामा.” –
मामा – “हाँ मेरी जान मज़ा तो नंगे होने मे ही आता है. बोलो पूरा मज़ा लेना है या नहीं.”
मैं बोली – “हाँ.”
मामा – “तो फिर नंगी हो मैं अभी आता हूँ.”
यह केह कर वो कमरे से बाहर चले गये.
मैं बता नही सकती की मुझे कैसा लग रहा था | मेरे पूरे बदन मे चीटियां चलने लगी. चूत फुदकने लगी थी. मैं पूरी तरह तैयार थी. मैने जल्दी से मैक्सी उतार दी और पूरी नंगी हो बेड पर लेट गयी. मम्मी तो अपने कमरे मे आराम से सो रही थी और मैं अपने नंगे जवान बदन को देखते हुए आने वाले लम्हो की याद मे खोई थी की तभी मामा वापस आया. मुझे नंगी देख वो खिल उठा. पास आ कर बैठा और पीठ पर हाथ फेर बोले,
मामा – “अब पाओगि जन्नत का मज़ा.”
मेरी नंगी पीठ पर हाथ फेर मज़ा देते हुए खडे होकर जब उसने झटके से अपनी चड्डी अलग की तो उनका लंड झटके खाने लगा. अभी उसमे फुल पावर नही आया था पर अभी भी उनका कम से कम 6 इंच का था. मैं लंड देख मस्ती से भर गयी.
वो बेड पर आए और पीछे बैठ कर मेरी कमर पकड़कर बोले,
मामा – “गोद मैं आओ मेरी जान.”
मेरा कमरा मेरे लिए जन्नत बन गया था. अब हम दोनो ही नंगे थे. जब मामा की गोद मे मैंने अपनी गांड रखी तो मामा ने फ़ौरन मेरी दोनो चूचियों को अपने दोनो हाथों मे ले लिया और तभी मेरे बदन मैं करेंट दौरा.
मामा – “ठीक से बैठो तभी असली मज़ा मिलेगा. देखना आज मेरे साथ कितना मज़ा आता है.”
नंगी चूचियों पर उसका हाथ चला तो आँख बंद होने लगी. अब सच ही बड़ा मज़ा आ रहा था.
मामा – “सोनम .”
मैं – “जी”
मामा – “कैसा लग रहा है?”
मेरी गांड मैं उसका खड़ा लंड गड़ रहा था, जो एक नया मज़ा दे रहा था. अब मैं बद हवास हो उसकी नंगी गोद मे नंगी बैठी अपनी चूचियों को मसलवती मस्त होती जा रही थी. तभी मामा ने चूचियों के टाइट निपल को चुटकी से दबाते हुए पूछा,
मामा – “बोलो मेरी जान.”
मैं – “अब और मज़ा आ रहा है. राहुल.”
मामा- “घबराओ नही तुमको भी मौसी की तरह पूरा मज़ा दूँगा. तुम्हारी चूचियाँ तो दीदी से भी अच्छी हैं.”
वो मेरी मस्तजवानी को पाकर एकदम पागल से हो गये थे. निपल की छेड़ छाड़ से बदन झंझणा गया था.
तभी मामा ने मुझे गोद से उतारकर बेड पर लिटाया और मेरे निपल को होंठ से चूस्कर मुझे पागल कर दिया. हाथ की बजाए मुँह से ज़्यादा मज़ा आ रहा था. मामा की इस हरकत से मैं खुद को भूल गयी. उसको मेरी चूचियाँ खूब पसंद आई. मामा 10 मिनिट तक मेरी चूचियों को चूस चूस्कर पीते रहे. चूचियों को पीने के बाद मामा ने मुझसे जाँघो को फैलाने को कहा तो मैने खुश होकर अपने बेहन्चोद मामा के लिए जन्नत का दरवाज़ा खोल दिया.
पैर खोलने के बाद मामा ने मेरी कुँवारी चूत पर अपनी जीभ फिराई तो मैं तड़प उठी. वो मेरी चूत को चाटने लगे. मामा ने चाटते हुवे पूछा,
मामा – “बोलो कैसा लग रहा है?”
मैं – “बहुत अच्छा मेरे राजा.”
मामा – “तुम तो डर रही थी. अब दोनो का मज़ा एक साथ लो.”
और अपने दोनो हाथ को मेरी मस्त चूचियों पर लगा कर दोनो को दबाते हुए मेरी कुँवारी गुलाबी चूत को चाटने लगे | मैं दोनो का मज़ा एक साथ लेते हुवे और तड़पति हुई बोली,
मैं – “हाए आआहह… बस करो राहुल ऊई नही अब नही.”
मुझे भी ग़ज़ब का मज़ा आ रहा था. वो भी मेरी जवानी को चाट कर मस्त हो उठे. फिर मेरे ऊपर आए.और मामा ने अपना मोटा काला लंड मेरी काली चुत पे रख कर पेल दिया . मामा धीरे धीरे पेलकर चोद रहे थे. मेरी चूत एकदम ताज़ी थी इसलिए मामा मेरे दीवाने होकर बोले,
मामा – “हाए अब तो सारी रात तुमको ही चोदुन्गा.”
मैं मस्त थी इसलिए दर्द की जगह मज़ा आ रहा था.
मैं – “मैं भी अब आपसे रोज़ चुड़वाओंगी.”
उस रात मामा ने दो बार चोदा था और जब वो अगली रात मुझे पेल रहे थे तभी मेरी चूचियों को पकड़कर बोला,
मामा – “अब तो तुम्हारी चुत्त चोदने लायक हो गयी है. लो मज़ा मेरे तगड़े लंड का.”
मैं – “ओह राहुल आप बहुत अच्छे हैं. बहुत अच्छा लग रहा है.”
अब मैं हमेश: मामा से ही चुदवाती हूँ.
अब हम दोनों शादीशुदा हैं | क्योंकि मैं मामा से रोज चुदने के कारन गर्भ से हो गई थी | और यह बात हमारे घर वालों को पता चल गयी थी | यह बच्चा मामा का ही था | बदनामी के डर से बचने के लिए | घर वालों ने ऐसा मैनेज किया कि किसि अंजान लड़के ने चोद कर गर्भ से कर दिया है | मेरी माँ को सारी बात पता थी और यह बात पापा को पता न चले इसलिए यह सब की | हमारी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी.
और इस्लिये माँ ने मुझे मामा के पास ही रहने को छोड़ दिया, और मेरी शादी उनसे कर दी ताकि कुछ खर्चा कम हो जाए | अपने ससुराल में मैं सुखी हूं | और कभी कभी माँ से मिलने भी आती हूं.| मैं बहुत मज़े में हूं |
शादी के बाद एक दिन जब मैं मामा के साथ सो राही थी तो मामा बड़े लाड़ से मेरी चादर में घुसा और चुपचाप लेट कर मुझे सिर्फ सहलाता रहा. उसने मुझे खाने को चॉकलेट दी. पर मुझसे वह खाई नहीं गई. मैं सोचती रही कि अब आगे क्या होगा. खैर कुछ ज्यादा नहीं हुआ.
मामा ने मेरी चूची सहलाई और ऐसे ही वह कुछ कुछ करता रहा. वह रात भर नहीं सोया और मुझे भी नहीं सोने दिया. वह मेरी चूची और चूतड़ों को कपड़ों के ऊपर से ही सहलाता रहा. उसने मेरे उभरते हुए नीम्बुओं को खूब दबा दबा कर सहलाया. मुझे भी कुछ मजा आया.
फिर यही काम मुझे पूरी नंगी करके किया. धीरे धीरे एक एक करके मेरे ना करने पर भी मेरे कपड़े उतारता गया.
ऐसे ही यह सिलसिला अब हरेक रात चलने लगा. अब वह खुद भी नंगा हो जाता था और अपना लंड मेरे हाथ में थामा कर मुझे कहता था-
मामा – इसे सहलाओ. मैं तुझे दुनिया की सारी खाने पीने की चीजें लाकर दूंगा.
मुझे पहले अच्छा नहीं लगा, फिर मैं भी उसकी हर बात मानने लगी. उसने मुझसे वादा किया कि वह मेरी चूत में लंड तब तक नहीं घुसाएगा, जब तक मैं उससे लंड की मांग न करने लगूं. मैं उससे कुछ नहीं बोली.
वह बोला- मैं तुझसे ही कहलवा कर छोडूंगा और यह भी की मुझे मालूम है तेरी चूत अभी मेरे लंड को झेल नहीं पाएगी क्योंकि तू प्रेगनेंट है और मैं तुझे दर्द नहीं होने दूंगा.
उसकी इन सब बातों से मुझे अब कुछ ठीक लगने लगा. कुछ दिन बाद उसने मुझे लंड चूसना भी सिखाया. मुझे लंड की मालिश करवाता. लंड की मुठ मरवाता. मेरे हाथ उसके माल से सन जाते तो मुझे लंड के माल को टेस्ट करने को भी कहता. मुझे भी उसके लंड के माल को खाने की आदत हो गई थी.
अब मैं उसके साथ सोने का पूरा आनन्द लेने लगी. वह मुझे अपना लंड चुसवाता. मैं हँसते खेलते उसके लंड को मुँह में पेल कर ख़ुशी से चूसती रहती. वह अब मेरी चूत को ऊपर से सहलाता और थोड़ी थोड़ी उंगली अन्दर को भी घुसाया करता था. बीच बीच में मुझे अपनी छाती से चिपटा लेता था
मामा रोज़ ऐसे ही मेरे बदन से खेलता और मैं भी खुश रहने लगी. मेरी चूची जल्दी ही गोल आकार लेने लगी और सारे बदन पर कुछ अजीब सा नशा रहने लगा. मामा धीरे धीरे मेरी चूत में अपनी उंगली से गहराई बढ़ाता गया. रात को वह मुझे पूरी नंगी कर देता. बल्कि अब तो वो सिर्फ ये कहता कि चल आ जा. अब सोना है. बस मैं खुद ही उसके साथ अपने शरीर को मजा दिलाने के लिए पूरी नंगी होकर उसके साथ बिस्तर में आ जाती. मामा खुद भी पूरा नंगा ही मेरे साथ आ जाता.
अब उसने मेरी गांड के छेद पर भी उंगली का जादू चलाना शुरू कर दिया था. वो मेरी गांड के छेद में ढेर सारी क्रीम भर देता और अपनी उंगली को गांड में करने लगता. पहले पहल दर्द होता था पर चिकनाई के कारण मुझे उसकी उंगली से गांड मरवाने में मजा आने लगा. उसने एक उंगली की जगह दो उंगलियों से मेरी गांड के छेद को फैला दिया था.
फिर अपने लंड लायक मेरी गांड को फैला दिया था, वो मेरी गांड के छेद में चिकनाई लगा कर सुपारा धकेलता रहता. रात को इसी तरह लंड को गांड की फांक में रख कर बाहर ही झड़ जाता. उसने अब तक लंड को मेरी गांड के भीतर नहीं किया था. वह जानता था कि लौंडिया गर्भवती है, इसलिए वो मेरी गांड के अन्दर लंड डालने की कोशिश भी नहीं करता. बस गांड के मुहाने पर रख कर थोड़ा सा दबाव बनाये रखता या जब तक झड़ न जाए, तब तक लंड घिसता रहता.
ऐसा ही खेल वह मेरी चूत पर लंड टिका कर करने लगा था. मुझे कोई दर्द न हो, इसका उसने पूरा ख्याल रखा. मैं भी निश्चिन्त होकर लंड का मज़ा लेती रहती.
मामा मुझे सारे बदन पर चूमता रहता. लगभग 6 महीना इसी तरह बीत गया. मैं भरपूर मस्त माल हो गई थी. मामा तो जैसे एक एक दिन गिन रहा था. वो रोज़ उंगली से यह भी टेस्ट करता था कि क्या अब मैं उसके लंड को झेलने लायक हो गई या नहीं.
एक दिन मामा बोला- आज तुझे बहुत नया मज़ा दूंगा. आज लंड पेलूंगा, तू डरना नहीं. एक बार को थोड़ा दर्द भी होगा, झेल लेना. ज्यादा होने लगे.. तो मैं लंड बाहर निकाल लूँगा, मेरा विश्वास कर.
मुझे विश्वास भी था और मन ही मन इस रात का इंतजार भी था. शाम से ही धड़कन बढ़ी हुई थी. जल्दी जल्दी सब निपटा कर हम दोनों बिस्तर में आ गए. मैंने मामा को नंगा किया.. मामा ने मुझे. अब मामा ने शरारत से हँसते हँसते अपना लंड मेरे मुंह में चूसने को दे दिया. मैं लंड चूसती रही. मामा मेरी चूत में क्रीम भर कर उंगली से अन्दर बाहर करते रहे.
फिर मामा ने मुझे गोद में उठाकर बिस्तर पर चित्त लिटाया और मेरी दोनों टांगों के बीच बैठ कर टांगें अपने कन्धों पर रख लीं. फिर मेरी चूत के मुँह पर अपना लंड रख कर धीरे धीरे लंड अन्दर खिसकाने लगा. मुझे एक आध इंच तक तो कुछ नहीं हुआ, पर उसके बाद लगा जैसे चूत चिर जाएगी.
मैं चिल्लाने को हुई तो मामा ने लंड बाहर निकाल लिया और मुझे समझाने लगे कि इससे कोई नुकसान नहीं होता. यदि ऐसा हुआ होता तो फिर कभी कोई बच्चा पैदा नहीं करता. लड़की लंड के पीछे दीवानी नहीं होती. तू थोड़ी सी हिम्मत कर, बस फिर मज़ा देखना.
उसने मेरी हिम्मत बढ़ाई और फिर जो लंड चूत पर रख कर पेला, वो सटाक से चूत के अन्दर घुसता चला गया. मेरी तो चीख निकल गई, आंखें फ़ैल गईं. मैं चिल्लाने लगी- उई माँ मर गई, उम्म्ह… अहह… हय… याह… राहुल मर गई.
बस मामा ने वहीं लंड रोक कर मेरे मुँह को अपने मुँह में भर लिया और फिर लगा चोदने. हाय हाय की आवाज़ भी गुटरगूं जैसी हो रही थी.
बस थोड़ी देर बाद, तो मुझे वो मज़ा आया कि मैं बता नहीं सकती. मामा ने लगातार धक्कों की बारिश सी कर डाली. मेरी चूत में जैसे फुव्वारा लगा हो. मेरी चूत से गरमा गर्म पानी फूट पड़ा. नीचे गांड को भिगोता हुआ ये पानी पूरा बिस्तर पर आ गया.
मैंने मामा को अपनी बाहों में भर लिया. मैं उससे छिपकली की तरह चिपट गई. उसके बाद निढाल होकर पड़ गई. वो भी बाजू में लेट गया. लेकिन उस रात मामा ने कई कई तरह से पोजीशन बदल – बदल कर मुझे सारी रात चोदा. मैंने भी पूरा साथ दिया. ये मेरी अब तक की सबसे अछि चुदाई थी इसके बाद तो मैं मामा की रण्डी जैसी बनकर रोज़ चुदी.
मामा ने इसके बाद मेरी गांड का उदघाटन भी कर डाला. अब वो मुझे दोनों तरफ से बजाते थे.
मुझे भी बिना चुदे चैन नहीं मिलता था. मेरी चूत लंड – लंड करने लगी थी | इसलिए ही तो मैं अपने राहुल मामा से बहोत प्यार करती हूँ | अब वो सिर्फ मेरे मामा ही नहीं बल्की मेरे पति और मेरे दो बच्चों के बाप भी हैं.