मामी के घर में उनको चोदा-1

सुबह जब उठा तो मम्मी ने कहा कि आज मामी के वहां जाना था। बात यह थी कि मामी की मम्मी की डेथ हो गयी थी। कुछ दिन पहले ही वो गांव से लौट कर आयी थी तो उनका दुख बांटने जाना था। मम्मी को स्कूटी चलानी नहीं आती थी, तो मुझे ही साथ जाना था।

मामी और हम एक ही शहर में रहते हैं, बस 6-7 किलोमीटर दूर। गरमी के दिन थे। मेरा जाने को मन सा ना था। लू के थपेड़े सुबह से लगने शुरू हो चुके थे। जब मैं ब्रश कर रहा था तब मुझे 7-8 साल पुरानी एक बात याद आयी। उस समय हम शहर में नए थे। आए हुए एक दो साल हुए थे, और मामी के मकान के पास ही एक जगह किराये में रहते थे।

एक दिन मामी को शाम को कहीं बाहर जाना था। उनके दो बच्चे छोटे थे, मैं उनसे बड़ा था। तब मुझे कहा गया कि शाम को उनके वहां आ जाऊं जब तक कि वो लौट के नहीं आ जाते। शाम को मैं वहां चले गया। जब मैं उनकी छत पर गया तो मुझे मामी की काली रंग की पैंटी एक कोने में कुछ लकड़ियों के ढेर, जो कि जाड़ों के लिए अभी से इकठ्ठा किए हुए थे, के ऊपर सुखाने के लिए डाले हुए दिखी।

मैं उसकी तरफ ध्यान नहीं देना चाह रहा था, लेकिन मेरी नज़र वहीं जा रही थी। मेरा लंड कड़ा होने लगा था। मुझसे रहा नहीं जा रहा था, इसलिए मैंने पहले आस-पास देखा कि किसी मकान की छत पर कोई था तो नहीं। फिर मैंने पैंटी को उठाया जैसे कि मैं सूखे कपड़े अंदर ले जाने के लिए आया हूं और मौंटी की सीढियों पर जाकर उसे अपनी चड्डी के अंदर डाल दिया।