मेरा नाम अजय है, और ये कहानी मेरी पहली बार चुदाई करने की है। ये बात उन दिनों की है, जब मेरी मासी के दोनों हाथ में फ्रैक्चर हुआ था, यानि मेरे मासी के दोनों हाथ थोड़े टूट गए थे। मेरी मासी दस साल पहले ही अपने पति को तलाक देकर अकेले ही रहती थी। मुझ पर उनके कई एहसान है, इसलिए एसी हालत में मैं उनके घर उनकी मदद करने गया था। मैं उनका घर साफ करता, उनके लिए खाना बनाता, उनको खाना खिलाता और उनकी सारी जरूरतों का ध्यान रखता।
एक दिन जब मैं उनको जूस पिला रहा था तब गलती से वो जूस उनकी पहनी टी-शर्ट पे गिर गया, जिसको साफ करने के लिए मैंने उनकी पहनी टी-शर्ट निकाल दी। उसके नीचे उनके दो बड़े-बड़े बूब्स उनकी एक दम टाइट ब्रा में आराम कर रहे थे। उन्हें देख कर मेरा हथियार खड़ा हो गया। मेने जल्दी से जूस साफ किया और वापस दूसरा टी-शर्ट पहना दिया। पर अभी भी मेरा लंड खड़ा था।
उसे बिठाने के लिए मैं अपने कमरे में गया, और उसको सहलाने लगा। तभी मेरी मासी ने मेरा 6 इंच बड़ा लंड देख लिए। उसको देख मेरी मौसी के अंदर की आग जल गई। मौसा के साथ तलाक लेने के बाद भी मासी ने अपनी चूत कई और मर्दों से चुदवाई थी। पर पिछले पांच साल से उस चूत को खुद मासी ने भी हाथ नहीं लगाया था। आज वो सोई हुई चूत जाग गई। मासी को अब उस चूत में कुछ डालना था, पर उनके हाथ टूटे हुए थे, जिन्हें ठीक होने में अभी भी पांच दिन लगने थे। अब मासी उसी प्यास को चूत में दबाए सो जाती थी।
अगले दिन जब मैं किचन में काम कर रहा था, तब मैंने मासी की आवाज़ सुनी। मैं जल्दी से उनके कमरे में गया।
मैंने पूछा: मासी आपको कुछ चाहिए?
मासी ने कराहते हुए कहा: मेरे पेट के पास बहुत जोर से खुजली हो रही है, क्या तुम उसे सहला दोगे?
मैंने मासी के नाभी के पास धीरे से अपनी उंगलियां रखी, और मेरे शरीर में जैसे एक गर्माहट सी आ गई।
मैंने मासी से पूछा: क्या यहां?
मासी ने बोला: थोड़ा और नीचे अजय।
मैंने नाभी के नीचे अपनी उंगलियां सहलाते हुए पूछा: यहां?
मासी: थोड़ा और नीचे।
मैंने देखा कि उसके नीचे मासी की चड्डी और उसके ऊपर उनकी लेंगिंगस थी।
मैंने मासी से पूछा: पक्का इसके और नीचे?
मासी ने अपने आज तक के सबसे मधुर सुर में कहा: हां अजय थोड़ा और नीचे।
मैंने अपनी मासी की चड्डी में हाथ डाला। मुझे वहां गर्माहट महसूस हुई। जैसे ही मैंने अपनी मासी की चूत पर हाथ रखा, मासी की चीख निकल गई।
मासी: आह आह अजय, बस वहीं अपनी उंगलियां फेरते रहो।
मैं जैसे-जैसे अपनी उंगलियां उनकी चूत के पास फेरता रहा, उनको और मजा आने लगा। मुझे कुछ समाज नहीं आ रहा था। मैंने कभी ऐसा कुछ नहीं किया था, तो मैं मासी के बताए मुताबिक उनकी चूत के अंदर भी अपनी उंगली डालने लगा। हालांकि उनकी चूत में बड़े-बड़े लंड घुसे होंगे, पर तब वो चूत बहुत ही गरम और टाइट थी। में धीरे-धीरे अपनी उंगलियां अंदर-बाहर करता रहा।
मासी ने बोला: थोड़ा और तेज अजय।
मैंने बोला: पर आपकी ये चड्डी बीच में आ रही है।
मासी: तो उतार दो उसे।
मैंने झट से मासी की चड्डी उतार दी। अब उनकी चूत मेरी आंखों के सामने थी। उनकी चूत में हल्के-हल्के बाल थे।
मासी ने कहा: मेरी ब्रा भी निकाल दो, यहां भी खुजली हो रही है।
मैंने मासी की ब्रा भी निकाल दी। अब वो मेरे सामने पूरी तरह से नंगी थी। फिर मैं मासी के कहे मुताबिक अपनी दो उंगलियों को उनकी चूत में घुसा कर दूसरे हाथ से उनकी चूची को मसलने लगा।
मासी मजा लेते-लेते बोल रही थी: आ हह अजय बस ऐसे ही डालो आह। अजय और अंदर डालो अजय। निकल रहा है आह।
फिर एक आखरी बार आह चीख कर उन्होंने उस चूत से पांच साल तक जमा किया हुआ पानी बाहर निकाला। मेरा भी लंड खड़ा हो गया था, पर मुझे अपनी मासी को चोदने का आत्मविश्वास अभी तक नहीं था। तो मैं अपनी मासी की चूत से निकले पानी से हुए गीले हाथ लेकर अपने कमरे में गया, और अपने लंड को उसी गीले हाथ से हिलाने लगा। मेरी मासी वहीं पर नंगी सो गई।
शाम को मैं उनके कमरे में गया। वो अपने बिस्तर पर नंगी सो रही थी। मैंने पहले उनको जी भर के देखा। उनके वो बड़े-बड़े बूब्स, उनकी बड़ी और टाइट चूत, उसकी बड़ी और सुंदर गांड। फिर मैंने उनको जगाया। उनकी चूत के पानी की वजह से उनका बिस्तर और वो खुद गीली हो गई थी।
मासी ने कहा: अजय?
मैंने जवाब दिया: हां मासी।
मासी: क्या तुम मुझे नहला दोगे?
मैंने भी हां बोल दिया। आखिर उनके दोनों हाथ टूटे जो थे। मैं अपनी मासी को लेकर धीरे-धीर बाथरूम में गया, और शावर चालू किया।
मासी ने बोला: तुम भी अपने कपड़े उतार कर आ जाओ।
मैंने हिचकिचाते हुए कहा: क्या मैं?
मासी ने कहा: हां, अब शरमाओ मत, आ जाओ।
मैंने अपने कपड़े उतारे। मेरा लंड अभी भी बहुत सख्त था। मैं धीरे से अपनी मौसी के शरीर पर साबुन मलने लगा। तब मेरा लंड भी मेरी मासी के बदन को धीरे-धीरे छूने लगा।
मासी ने कहा: क्या तुम मेरे नीचे का हिस्सा अच्छे से साफ कर दोगे?
मैंने पूछा: अच्छे से मतलब?
मासी ने जवाब दिया: उंगलियों से तो कल ही साफ किया। आज अपनी जीभ से साफ करो।
मैं भी हिचकिचाते हुए नीचे बैठा, और अपनी जीभ को मासी की चूत पर फैला कर चाटी। तभी मासी की चीख निकल गई।
मैं थोड़ी देर ऐसे ही उनकी चूत को चाटता रहा।
मासी: आह अजय?
मैंने पूछा: क्या हुआ मासी?
मासी: मुझे बेडरूम में ले चलो, वहां चाटना मेरी चूत।
मैं अपनी मासी को बेडरूम में ले गया। वहां उनको लिटाया, और फिर उनके होंठों को चूमा। फिर धीरे-धीरे नीचे आते हुए उनके बूब्स को चूमा, उनको मसला। फिर धीरे-धीरे उनके पूरे शरीर को चूमते हुए मैंने उनकी चूत को चूमा। मैंने अपनी जीभ को मासी की चूत में डाल दिया, और वहीं पर उनकी चूत को चाटते हुए उसे खाने लगा।
मासी मजे में कांप रही थी। जिससे मैं थोड़ा रुका तो मासी ने बोला-
मासी: रुकना नहीं अजय, चाटो मेरी चूत को, आहह, अजय चोदो मुझे अपनी जीभ से, आह आह अजय।
मासी और जोर से कांपने लगी, पर में रुका नहीं। मासी को बहुत मजा आने लगा।
मासी: अब अपना लंड भी इस चूत में डाल दो अजय।
मैं थोड़ा घबरा गया। मुझे लगा मेरा लंड मासी की अनुभव से भरी चूत को शांत नहीं कर पाएगा। मैं झट से वहां से अपने कमरे में गया, और खुद को कमरे में बंद करके हिलाने लगा। थोड़ी दिन मेरी मासी से अच्छे से बात नहीं हुई। फिर एक दिन मासी के हाथ ठीक हो गए। उस रात जब मैं अपने कमरे में सो रहा था, तब मासी मेरे कमरे में आई।
मासी: अजय क्या मैं यहां सो जाऊं?
मैंने हां बोला। मासी वहीं पर सो गई। हम दोनों का मुंह एक-दूसरे की तरफ नहीं था, बल्कि दूसरी तरफ था।
मासी: क्या तुम अभी तक कुंवारे हो अजय?
मैंने आश्चर्य से पूछा: क्या?
मासी: तुमने अभी तक किसी के साथ सेक्स नहीं किया ना?
मैंने निराशा से कहा: नहीं।
मासी: कोई बात नहीं, इसमें उदास होने की कोई जरूरत नहीं है। आओ मैं तुम्हें सिखाती हू़ं चोदना।
एसा बोल कर मासी अपने हाथों से मेरे लंड को सहलाने लगी। मुझसे भी रुका नहीं गया। मैं भी उनके बूब्स को मसलने लगा। थोड़ी देर में उन्होंने उनके सारे कपड़े उतारे, और फिर मेरे भी कपड़े उतार कर मेरे लंड को चूसने लगी। मानो एक बच्चा लोलीपोप चूस रहा हो, वैसे ही मासी मेरे लंड को 10 मिनट तक चूसती रही।
फिर उन्होंने मुझे बिस्तर पर लिटाया, मैं देखता रहा। उन्होंने मेरा लंड पकड़ उसको अपनी गरम और नरम चूत में घुसाया, और उसके ऊपर बैठ गई। धीरे-धीरे मासी ऊपर नीचे हो कर मेरे लंड को अंदर-बाहर करती रही। जैसे-जैसे वो अपनी तेज़ी से चूत में मेरा लंड डाल रही थी, वैसे-वैसे उनकी आवाजें भी बढ़ रही थी।
मासी: आह अजय चोदो अपनी मासी को, तुम जैसा लंड मैंने आज तक अपनी चूत में नहीं डाला। आह आह अजय चोदो, चोदो मुझे आह।
मैं उनको अपने करीब लाया, और उनके होंठों को जोर से चूमने लगा। मानो दो जान अब एक ही जिस्म बन चुके हो, वैसे ही हम साथ में मजे ले रहे थे। हम शर्म, उम्र, संबंध, सब भूल के एक-दूसरे में खो गए थे। मेरी मासी के बूब्स मेरी छाती को छू रहे थे। हमरे दिल साथ में धड़क रहे थे। थोड़ी देर बाद मैंने अपना स्पर्म मासी के चूत में छोड़ते हुए एक झटका मारा, और वहा मेरी मासी को बड़ा मजा आया। वो बात मुझे उनकी चीख से पता चली।
अब जब भी मासी की वो प्यारी सी चूत को मेरी जरूरत होती है, मेरा लंड हमेशा तैयार होता है।