मैं वरुण हूं – उम्र 21 साल।
मेरी 44 साल की मम्मी की एक जुड़वां बहन है, मम्मी से सिर्फ एक मिनट बड़ी – मेरी मौसी। आज कल रेवाड़ी में रहती है।
मेरी मम्मी और मेरी मौसी, दोनों में बहुत सी समानताएं हैं। दोनों पढ़ी लिखी हैं। दोनों लम्बी और सुन्दर हैं – छरहरे शरीर वाली। दोनों ही 44 की होने के बावजूद 34 – 35 से ज्यादा की नहीं लगती।
अगर सीधी शहरी भाषा में समझाना हो तो “सेक्सी” हैं।
मगर दोनों जुड़वां बहनों की किस्मत अलग है।
मेरी मंम्मी एक नौकरी पेशा आदमी से ब्याही है – एक बैंक मैनेजर से। उनका एक बेटा है – मैं – वरुण 21 साल का।
मेरे पापा मेरी मम्मी से दो साल बड़े हैं। बैंक में होने के कारण हर दो या तीन साल के बाद उनका तबादला हो जाता है। आज कल वो मुंबई में हैं।
उधर मेरी मौसा जी मेरे मौसी से छह साल बड़े हैं और कारोबारी परिवार से हैं उनका रेवाड़ी में पीतल के सजावटी सामान का बहुत बड़ा शोरूम है। सजावटी सामान का निर्यात भी करते हैं।
रेवाड़ी मॉडल टाउन में ही उनका एक चार कमरे का घर है जिसे अब मौसा जी ने दुमंजिला कर लिया है।
मेरे मौसा पढ़े लिखे हैं, देखने में भी अच्छे हैं – थोड़ा भारी शरीर के हैं, जैसे अक्सर कारोबारी लोगों का होता है।
मेरी मौसी इस शादी से खुश नहीं।
मौसी बिज़नेस – कारोबारी परिवार में शादी ही नहीं करना चाहती थी। मौसी का मानना है कारोबार वाले अपने परिवार को ज़्यादा समय नहीं दे पाते। उनका जिंदगी को देखने परखने का नजरिया अलग होता है।
यही कारण है के मौसा और मौसी के बहुत अच्छी नहीं बनती। आपस में झगड़ा तो नहीं होता मगर छोटी मोटी बहस हमेशा ही होती रहती है। मौसा मौसी में आपस में जिस्मानी रिश्ते कितने हैं, ये नहीं पता।
मौसी की एक बेटी है काजल – 19 साल की मेरी मौसेरी बहन। रेवाड़ी में ही पढ़ती है। बिलकुल अपनी मां यानि मेरी मौसी पर गयी है।
लम्बी सुन्दर और सेक्सी।
मौसी को घर का काम करने में कोइ दिलचस्पी नहीं। दो नौकरानियां सुबह नौं बजे आ जाती हैं। एक झाड़ू पोचा और बर्तन करती है, दूसरी सुबह के नाश्ते से लेकर रात का खाना तैयार करती है। बारह बजे से पहले फारिग हो कर दोनों चली जातीं हैं।
घर में खाना इक्क्ठे बैठ कर खाने का कोइ दस्तूर नहीं। खाना महाराजिन सुबह ही बना जाती है, उसके बाद जिसका जब मन करता है गरम करके खा लेता है।
एक धोबन आती है, हर दूसरे दिन। सारे धोने वाले कपड़े ले जाती है और धो कर इस्त्री कर के तीसरे दिन ले आती है। घर में स्वचलित – ऑटोमैटिक – कपड़े धोने की मशीन भी है, लेकिन इसमें केवल रसोई के गंदे कपडे, कच्छे, बनियान, मोज़े, रुमाल और तौलिये ही धुलते हैं।
मां बेटी घर में मैक्सी डालती है – आराम रहता है – जब मर्ज़ी, जहां मर्ज़ी उंगली कर लो।
मैं सोहना में इंजीनियरिंग कालेज में पढ़ता हूं। हॉस्टल में ही रहता हूं।
छुट्टियों में मैं अक्सर मौसी के यहां रेवाड़ी चला जाता हूं। मौसी और काजल दोनों के साथ मेरी अच्छी पटती है।
सुबह के गए मौसा शाम को ही घर लौटते हैं। घर में तीन ही लोग हैं मगर फिर भी मौसा के घर वालों से बात किये कई कई दिन गुजर जाते हैं।
मौसी और मौसा कमरे में अलग अलग बिस्तर पर सोते हैं। ऐसा उनके घर का रिवाज है। अब तो कई बार मेरी मौसी अलग कमरे में भी सोती है – वो कहती है सोते समय मौसा खुर्राटे बहुत लेते हैं, जिस कारण उनकी नींद में खलल पड़ता है।
अब जो वाकया मैं बताने जा रहा हूं वो इस साल की दशहरे की छुट्टियों के दौरान का है।
इस बार जब मैं दशहरे की छुट्टियों में घर गया तो सब ठीक था – पहले जैसा ही – केवल एक बात को छोड़ कर ।
मेरी 19 साल की बहन और मौसी को अब टीवी पर चल रहे सेक्सी सीरियल देखने का चस्का लग गया था। गाली गलौज वाली भाषा और जिस्म दिखाऊ एकता कपूर के बनाये सीरियल I
इन सीरियलों को परिवार के साथ बैठ कर देखना मुश्किल होता है। लेकिन अब दोनों मां बेटी – मेरी मौसी और मेरी मौसेरी बहन यही देखतीं हैं, इक्क्ठे बैठ कर।
दशहरे पर जब मैं रेवाड़ी पहुंचा तो काजल की भी छुट्टियां चल रही थीं।
शाम होते ही टीवी चालू करके मां बेटी बैठ कर टीवी पर सेक्सी सीरियल रागिनी MMS – 2 देख रहीं थीं।
इस वेब सीरियल के चर्चे अखबारों में भी बहुत हुए हैं। इसका विरोध भी बहुत हुआ था। ये सीरियल देखते हुए उनके साथ बैठने में उलटा मुझे शर्म आ रही थी।
मैंने कह ही दिया, “मौसी ये क्या देखते हो आप लोग – गंद – सारा नंग धडंग और गाली गलौज वाली भाषा”।
मौसी बोली, “अरे, क्या बुराई है इनमे ? आज कल जमाना ऐसा ही है। यही कुछ तो होता है आज कल।
आज कल रामायण, महाभारत कौन देखता है। अब जो लोगों को पसंद है और लोग जो देखना चाहते हैं, वही फिल्म और टीवी वाले बनाते हैं और दिखाते हैं”।
मैंने कहा “मगर मौसी, कम से कम काजल का तो लिहाज करो”।
मौसी भी पूरी ढिठाई के साथ बोली, “क्यों, काजल कोइ बच्ची है ? वो उन्नीस साल की बालिग है”।
ये सब कहते हुए मौसी तो हंस ही रही थी, काजल – उन्नीस साल की मेरी मौसेरी बहन भी मुस्कुरा रही थी।
मैं भी मन मार कर वहीं बैठ गया, उनके साथ ही। कई कई सीन तो ऐसे आते थे की मुझे दूसरी तरफ देखना पड़ता था, मगर मौसी और काजल सीरियल भी देखती जाती थीं और बीच बीच में अपने आगे खुजली भी करती जाती थी।
मुझे तो बताते हुए भी शर्म लगती है – “चूत खुजलाती थी”।
मुझे हैरानी तो तब हुई जब चूत खुजलाते हुए कभी कभी मेरी मौसी और मेरी बहन दोनों मेरी तरफ देखती थीं।
मुझे ये बात बड़ी ही अजीब सी लग रही थी।
कुछ देर में मौसी उठ कर अपने कमरे में चली गयी।
मैंने काजल की ओर देखा और चिढ़ाने वाले अंदाज़ से पूछा, “तुम लोगों का मनपसंद सीरियल तो अभी चल रहा है, फिर ये क्यों उठ कर चली गयी “?
काजल ने हँसते हुई कहा,”कुछ जरूरी काम करने गयी हैं आ जाएगी अभी” ।
दस मिनट के बाद मौसी आ गयी और फिर बैठ कर सीरियल देखने लगी।
मैंने नोट किया काजल मेरी और देख कर मुस्कुरा रही थी जैसे कह रही हो, “क्यों बोली थी ना मैं, आ जाएगी अभी “।
अगले दिन सुबह सुबह रोहतक से मौसा को फोन आ गया। मौसा के बड़े भाई की पत्नी – मौसा की भाभी का पिछली रात देहांत हो गया था। उसी दिन दोपहर को संस्कार था। मौसा और मौसी का जाना जरूरी था।
वैसे तो मौसी मौसा की तरफ वाले रिश्तेदारों से ज़्यादा कुछ वास्ता नहीं रखती थी – मगर ये मौक़ा ही ऐसा था, मौसी को जाना ही पड़ा।
मौसा और मौसी अब तीन चार दिनों के बाद आने वाले थे चौथे की रस्म पूरी होने के बाद।
अब घर में मैं था और काजल। दोपहर से ही काजल टीवी के सामने बैठ गयी और वही गंद सीरियल लगा लिया रागिनी MMS 2, कल वाला। कोइ सेक्सी सीन आता था तो चूत खुजला लेती थी और मेरी और देख लेती थी।
सीरियल के शुरू में ही लिखा हुआ था “18 साल से बड़ी उम्र के लोगों के लिए”।
मेरे हिसाब से तो ये भी लिखना चाहिए की “परिवार के लोग इक्क्ठे ना देखें”।
मगर मैं करता भी तो क्या करता। काजल कोइ बच्ची तो थी नहीं। मौसी भी तो यही बोल रही थी।
दोपहर बाद तीन बजे को हम दोनों सोफे पर पसरे हुए थे। काजल ने फिर से वही कल वाला सीरियल लगाया हुआ था रागिनी MMS 2 वाला।
क्या था इस सीरियल में जो काजल इसके पीछे ही पड़ गयी थी।
इस तरह के वयस्क – एडल्ट सीरियल तो मुफ्त के चैनलों पर आते भी नहीं। इसके लिए हर महीन पैसे भरने पड़ते हैं। इसका मतलब मौसा को भी ये पता था – या फिर उनसे छुप कर ये चैनल लगवाया हुआ था।
सीरियल शुरू होने के दस मिनट के बाद ही चूमा चाटी शुरू हो गयी। नंगे नहाने के सीन होठ, चूसना चूचियां पकड़ना दबाना हर सीन में था। केवल चुदाई ही नहीं थी बाकी सब कुछ था।
रागिनी MMS 2 वाला वेब सीरियल क्या था हल्की फुल्की पोर्न फिल्म थी – चुदाई वाली फिल्म थी । बस चूत और लंड ही नहीं थे। चुदाई के सारे सीन वैसे ही थे। चूत के धक्के, सिसकारियां और दूसरी आवाजें जैसी चुदाई के वक़्त होती हैं। कभी लड़का ऊपर तो कभी लड़की ऊपर। कभी लड़का लड़की के पीछे।
“और मेरी मौसी और बहन ये वेब सीरियल इक्क्ठे बैठ कर देखते थे”।
जिस तरीके से काजल बेशर्मी से मेरे सामने ये सीरियल देख रहे थी, अपनी चूत खुजला रही थी, मुझे तो लगा उसने जान बूझ कर ये सीरियल दुबारा लगाया था।
एक बार तो मेरा मन किया की उठ कर चला जाऊं, मगर दिल के एक कोने में छुपा राक्षस कुछ और ही सोच रहा।
आग और घी पास पास थे। बस वक़्त की बात थी कभी भी कुछ भी हो सकता था।
एक नहाने का सीन आया। लड़की की चूचियां साफ़ दिख रही थीं लड़का लड़की इक्क्ठे नहा रहे थे। लड़का अपने सीने से लड़की की चूचियां दबा रहा था”।
मेरा लंड कुछ कुछ हरकत करने लगा। मैंने लंड को थोड़ा ठीक से बिठाया। “काजल सब देख रहे थी”।
जब दुबारा ऐसा ही सीन आया और मैंने लंड को पैंट ठीक किया तो एका एक वो उठ कर मेरे पास आ गयी और मेरी जांघ पर हाथ रख दिया। मेरा मन तो चाहा के वहां से उठ जाऊं, मगर वही बात।
“मन के कोने में बैठा राक्षस अब करवट लेने लगा था”।
मैंने कहा, “काजल ये क्या कर रही हो”I
लेकिन मैंने जुबान ही हिलाई, हाथ नहीं। ना तो मैंने काजल को रोका, ना ही उठकर गया।
काजल ने अपना हाथ मेरे सख्त होते हुए लंड पर रख दिया।
मैंने फिर जुबान हिलाई, “नहीं काजल”।
मगर काजल नहीं रुकी। वो मेरे लंड पर हाथ फेरने लगी I
अब काजल मुझे मेरी मौसेरी बहन नहीं केवल एक लड़की लगने लगी थी – एक उन्नीस साल की जवान लड़की।
लंड इस तरह खड़ा होने लगा की आज कल की तंग पैंट में दब कर दर्द करने लगा। मुझे बार बार उसे ठीक से इधर उधर करना पड़ रहा था”।
काजल अब पेंट के ऊपर से लंड को दबा रही थी।
मेरी सांसें तेज़ तेज़ चलने लगीं। काजल भी लम्बी लम्बी सासें ले रही थी।
अचानक काजल ने मेरी पेंट की ज़िप खोल दी और अंदर हाथ डाल कर लंड बाहर निकाल लिया। सात इंच का मेरा लंड काजल – मेरी बहन काजल के हाथ में था।
काजल के मुंह से निकला, “इतना बड़ा “?
मुझे तो जैसे लकवा मार गया। ना मैं काजल को मना कर पा रहा था ना, उठ कर जा ही रहा था। मेरे दिमाग ने काम करना ही बंद कर दिया था।
काजल उठी मेरे सामने ही फर्श पर बैठ कर लंड मुंह में ले लिया और चूसने लगी। एक उन्नीस साल की लड़की मेरा लंड चूस रही थी। दो मिनट भी नहीं हुए होंगे की मुझे मजा आने वाला हो गया ।
मैंने जल्दी से लंड काजल के मुंह से निकाला और मुठ मारने लगा।
साथ ही मेरे मुंह सी आह आह की आवाजें निकल रहीं थी। काजल ने मेरा हाथ हटा कर लंड अपने दोनों हाथों में ले लिया। काजल के छोटे छोटे हाथों में इतना लम्बा लंड समा भी तो नहीं रहा था।
काजल हाथ आगे पीछे हिला कर मेरे लंड की मुठ मारने लगी।
जल्दी ही मेरा वीर्य निकल गया – काजल की हाथों पर।
मेरा मन ग्लानी से भर गया”।
काजल कुछ देर ऐसे ही लंड हाथ में ले कर बैठी रही फिर उठी और एक तौलिये से अपने हाथ साफ़ किये और मेरे लंड पर लगे पानी को भी साफ़ किया और मेरी और देख कर बोली, “इतनी जल्दी कैसे निकल गया वरुण ? कभी किसी लड़की ने लंड नहीं पकड़ा ?
मेरी बोलती बंद थी। मेरे से छोटी मेरी मौसेरी बहन काजल, हद से ज्यादा बेशर्मी से पेश आ रही थी।
काजल खड़ी हुई और उसने अपने सारे कपड़े उतार दिए। उधर 55 इंच के टीवी पर कामुक सीरियल चल रहा था, इधर एक कड़क जवान लड़की नंगीं मेरे सामने खड़ी थी।
काजल की तनी हुई चूचियां चूत पर छोटे छोटे चमकीले भूरे बाल। मेरी हालत खराब हो रही थी। लेकिन काजल को नंगा देख कर अब मेरा मन चुदाई का होने लगा था।
मैं काजल की तरफ एकटक देख रहा था I
काजल ने मेरी आँखों में मेरे मन की बात पढ़ ली।
वो बिलकुल मेरे सामने आ गयी। काजल की चूत बिलकुल मेरे मुंह के सामने थी। एक अजीब सी मस्त कर देने वाली चूत की गंध – एक ऐसी गंध जो केवल लड़की के पेशाब और चूत के पानी से मिल कर बनती है I
ये अजीब सी चूत की गंध मेरे अंदर चुदाई की इच्छा को और बढ़ा रही थी।
मेरा लंड अभी भी पैंट से बाहर ही था। अचानक मैंने काजल के चूतड़ पकड़ लिए और उसे खींच कर उसकी चूत पर अपना मुंह रख दिया।
काजल मेरे मुंह पर अपनी चूत रगड़ने लगी।
एकता कपूर के सेक्सी सीरियल देख देख कर काजल पूरी तरह बेशर्म हो चुकी थी।
अब मुझ पर भी वासना हावी थी। मैं भूल चूका था की काजल मेरी बहन है – मेरी छोटी मौसेरी बहन – सगी बहन जैसी “।
मैं खड़ा हुआ और काजल को बाहों में ले कर उसके होंठ चूसने लगा। काजल ने भी मुझे अपने बाँहों में भींच लिया”।
काजल ने अपने होठ मेरे होठों से अलग किये और फुसफुसा कर बोली “चलो वरुण अंदर चलते हैं”।
अब ना की कोइ गुंजाइश नहीं थी। अब एक उन्नीस साल की सेक्सी लड़की के साथ चुदाई के लिए बुला रही थी।
मुझे उस समय एक कड़क जवान लड़की के साथ चुदाई के मजे लेने के अलावा कुछ नहीं सूझ रहा था”।
शर्म हया को उतार कर ही चुदाई के पूरे मजे लिए जा सकते थे”।
मैं काजल के साथ अंदर खिंचता चला गया। अंदर पहुँचते ही काजल बिस्तर पर लेट गयी। उसने अपनी टांगें उठा कर चौड़ी कर दी। अपने हाथों की उँगलियों से अपनी चूत की फांकों को खोल दिया।
छोटी से गुलाबी चूत मेरी आखों के सामने थी।