मेरे चारों बच्चे मेरी जान-13

थोड़ी देर बाद चारों बच्चे और नौकरानी मेरे कमरे में ही नाश्ता वग़ैरह लेकर आये। आरती और अभिनव आकर मेरे पास बिस्तर में चढ़ गए और मुझसे पूछने लगे कि मेरी तबियत कैसी थी और मुझे प्यार करने लगे। अभिषेक और अखिल सामने खड़े होकर मुस्कुरा रहे थे। वो दोनों भी आकर मेरे पास बैठ गए और मेरा हाथ पकड़ कर सहला रहे थे। मुझे बहुत ख़ुशी होती है, जब मेरे चारों बच्चे एक साथ होते हैं मेरे साथ।

आज गोवा में हमारा आखरी दिन था, तो मैंने अखिल और अभिषेक को कहा कि वो बाकी दोनों बच्चों को कहीं घुमाने ले जाए। मुझे चलने में भी दिक्कत हो रही थी, तो मैंने उनसे आग्रह किया कि वो चारों चले जाए, और मुझे थोड़ा आराम करने दे, और बाकी कर्मचारियों को भी देख ले।

थोड़ी देर बातचीत करने के बाद चारों बच्चे घूमने निकल गए। मैं नहीं चाहती थी, कि मेरी वजह से उनका दिन ख़राब हो। वैसे भी आज आखरी दिन था।

नाश्ता वग़ैरह करके मैं सो गयी, और सीधा शाम के वक़्त मेरी नींद खुली। मैंने एहसास किया कि शरीर में दर्द कम हुआ था। चूत और गांड की सूजन भी कम हुयी थी, पर दर्द था अभी भी।