मेरी मम्मी बनी घर की रंडी-1

हेलो दोस्तों, मैं आपकी अपनी जैस्मिन सिसी (sissy) हाजिर हूं, आपके लिए एक गर्म कहानी के साथ। ये सेक्स कहानी मेरी मम्मी के बारे में है, कि कैसे वो धीरे-धीरे पूरे घर के मर्दों से चुदी, और उनकी आजीवन रंडी बन गई। तो चलिए कहानी शुरू करते हैं।

मेरा नाम जैस्मिन है, मैं एक पार्ट टाइम सिस्सी बॉटम हूं। जानकारी के लिए सिस्सी वो लड़के होते हैं जिन्हे लड़कियों की ड्रेस और लड़कियों की तरह रहना पसंद होता है। मुझे गांड मरवाने की आदत है। अभी मेरी उम्र 21 साल है। मैंने गांड मरवाना 2 साल पहले शुरू करवाया था। मैं बहुत बार बाजार में भी स्कर्ट टॉप पहन के चली जाती हूं।

मेरा असली नाम जैस है, मेरा सिसी सीक्रेट घर में किसी को भी नहीं पता। मैं अपने शरीर के सारे बाल साफ ही रखती हूं। मेरी गांड एक-दम लड़कियों की तरह चिकनी और मुलायम है।

मेरे घर में कुल 7 सदस्य हैं – मैं, मम्मी, पापा, दादा जी, मेरा बड़ा भाई, मेरे ताऊ जी और चाचा जी। मतलब घर में सिर्फ एक औरत और बाकी सब मर्द‌ है। किसी वजह से ताऊ जी और चाचा जी की शादी नहीं हो पाई।

मेरी मम्मी की उम्र 40 साल है। लेकिन वो देखने में 25 साल की ही लगती है। उनका फिगर 34-32-36 का है। उनकी गांड बहुत मोटी है। वो हर तरह की ड्रेस पहनती हैं, कभी जींस, कभी साड़ी।

मेरे पापा विदेश में नौकरी करते हैं, तो साल में 1-2 बार ही घर आ पाते हैं। ये कहानी आज से 6 महीने पहले की बात है। हमारे घर दूध वाला दूध देने सुबह 6 बजे आता है। उस समय मम्मी के अलावा कोई भी नहीं उठता। सब 8 बजे तक सोये रहते हैं। एक दिन मैं सुबह जल्दी उठ गया, और नीचे मुंह धोने के लिए गया तो मैंने कुछ ऐसा देखा कि मेरी आँखें फटी की फटी रह गई।

मेरी मम्मी दूध वाले का लंड चूस रही थी। हे भगवान, ये मैंने क्या देख लिया! मैं तो अपनी मम्मी को आज तक संस्कारी औरत समझता था, लेकिन ये तो एक नंबर की लंड खोर निकली। मैं ये सब ऊपर खड़ा छुप कर देख रहा था। अब दूध वाले ने लंड मम्मी के मुँह से निकाला, और आंड मम्मी के मुँह दे दिये। दूध वाले का लंड बहुत मस्त था। उसे देख कर मेरे भी मुँह से लार टपकने लगी। थोड़ी देर बाद दूध वाला मम्मी के मुँह पर झड़ गया।

मम्मी ने साड़ी के पल्लू से मुँह पोंछ लिया। फिर दूध वाले ने अपनी पैंट की ज़िप बंद की, और मम्मी की चूची दबा के बोला, “ठीक है मेम साब कल मिलते हैं।” अब मैं प्रतिदिन सुबह-सुबह उनकी फिल्म का मज़ा लेने लगी, और तो और कभी-कभी उनकी चुदाई देख के मैं अपनी गांड में उंगली भी करती।

कुछ दिन ऐसा ही चलता रहा। फिर एक दिन हमेशा की तरह मम्मी गेट पे दूध वाले का लंड चूस रही थी झुक कर। वो पीछे से नंगी थी। उनकी गांड पे कोई भी कपड़ा नहीं था। मुझे उनकी मोटी गांड साफ दिख रही थी। वो बिल्कुल आधी नंगी थी, सिर्फ टीशर्ट मे लंड चूस रही थी |

तभी अचानक बड़ी रफ़्तार से दादा जी वहां आये, और अपनी जूती निकाल कर ज़ोर मम्मी की गांड पे दे मारी। ये सब देख के मम्मी की तो पेशाब निकल गई। फिर दादा जी ने दूध वाले धमकाया और कहा, “दोबारा यहां मत आना कभी भी।”

मेन गेट बंद करके दादा जी मम्मी के पास आए। तब तक मम्मी ने लोअर पहन लिया था। दादा जी ने कहा, “साली रांड, घर की इज्जत मिट्टी में मिला दी तूने। जब तू बिना पैंटी के घर में गांड हिलाते हुए घूमती थी, तभी मैं समझ गया था कि तुझे कोई सांड की ज़रूरत है।”

मेरे दादा जी एक सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी हैं। उनकी उम्र 60 साल है, लेकिन आज भी उनकी ऊर्जा में कोई कमी नहीं। दादा जी ने मम्मी के बाल पकड़ के कहा, “माँ की लौड़ी, चल अपना मूत साफ कर, और फिर मेरे कमरे में आजा। आज तेरी सारी गरमी उतारूंगा। बड़ी हरामखोर होती जा रही है तू। तुझे सुधारना पड़ेगा।”

सच कहूं, तो दादा जी को गुस्से में देख कर मेरी भी गांड फट रही थी। मम्मी ने अपना मूत साफ किया, और दादा जी मम्मी का हाथ पकड़ कर अपने कमरे में ले जाने लगे। मैं भी पीछे चला गया, और खिड़की के पास जाके खड़ा हो गया। दादा जी ने गेट बंद किया, और अपनी पैंट खोल के लंड निकाला, और सीधा मम्मी के मुँह में डाल दिया।

एक ही झटके में दादा जी ने लंड मम्मी के गले में उतार दिया। मम्मी का मुँह लाल हो गया और आँखों से आंसू आने लगे। दादा जी कहने लगे, “तुझ जैसी कुतिया को तो खाने की जगह भी लंड ही मिलना चाहिए। इसी लायक है तू। मेरा बेटा तो बाहर ही रहता है‌। आज से मैं ही तेरा पति हूं, और तू मेरी बहू नहीं बीवी है, समझी? साली बड़ी भोसड़ी वाली!”

अब दादा जी ने लंड बाहर निकाला और मम्मी को नंगी होके मुर्गी बनने को कहा। मम्मी ने अपने सारे कपड़े उतारे, और नंगी हो कर मुर्गी बन गई। मम्मी की गांड विंडो की तरफ थी। मुर्गी बन जाने की वजह से मुझे मम्मी की गांड का छेद साफ दिखाई दे रहा था।

मम्मी का छेद काफी टाइट दिख रहा था। मम्मी बोली, “मुझे माफ कर दीजिए ससुर जी। मैं वादा करती हूं दोबारा ऐसा कुछ नहीं होगा।” दादा जी ने गुस्से में आके बोले, “गन्दी नाली की रांड, तूने बिना इज़्ज़त की परवाह किये किसी गैर मर्द का लंड ले लिया। मैं तेरा ससुर नहीं। आज से तू मेरे नाम का सिन्दूर लगाएगी।”

अब दादा जी ने अपना लंड मम्मी की गांड में ठोक दिया, और मम्मी को घोड़े की तरह चोदने लगे। ऐसा लग रहा था जैसे कोई सांड भैंस पे चढ़ा हुआ हो। दादा जी बिना रुके घपा-घप लंड पेल रहे थे। आधे घंटे तक गांड मारने के बाद दादा जी ने कहा, “चल अब खड़ी हो जा। तेरी फुद्दी मारूंगा।”

इस तरह करीब 1 घंटे तक दादा जी ने मम्मी को खूब चोदा। अब 8 बजे ही वाले थे। दादा जी बोले, “आज से तू वहीं पहनेगी जो मैं कहूंगा। आज तू साड़ी पहनेगी, वो भी बिना पैंटी के‌। अपनी सारी ब्रा और पैंटी मुझे लाके दे देना। उनका कोई काम नहीं है आज से तेरी जिंदगी में। चल अब सब के लिए नाश्ता बना, सब उठने वाले हैं।”

मम्मी से ठीक से चला भी नहीं जा रहा था‌। मैं खुश था कि ऐसी रांड के साथ ऐसा ही होना चाहिए। अब मैं अपने कमरे में चला गया, और कॉलेज के लिए तैयार हो गया। कुछ देर बाद सब उठ चुके थे। मम्मी डाइनिंग टेबल पे सब को नाश्ता परोसने लगी।

तभी चाचा जी मम्मी की हालत देख के बोले, “क्या हुआ भाभी जी, आपकी तबीयत तो ठीक है ना?” तो मम्मी ने जवाब दिया, “जी देवर जी, मैं बिल्कुल ठीक हूं।”, इतने में दादा जी बोले कि, “सारा दिन काम करती रहती है,‌ तो थकान तो सामान्य है।”

मैं नाश्ता करके कॉलेज चली गई। कॉलेज में मेरे कुछ दोस्तों को मेरे सिसी सीक्रेट का पता था। जब मैं अपनी कक्षा में पहुंची, तो पहला घंटा खाली था। तो मेरे बगल वाले लड़के मुझे छेड़ने लगे, और बंटी बोला, “क्या यार, तेरी गांड तो बिल्कुल तेरी मम्मी पे गयी है।”

मैंने पूछा, “तुमने मेरी मम्मी को कब देखा?” तो संजू बोला कि, “हम तो रोज़ तेरी मम्मी को सब्ज़ी मंडी में देखते हैं। गांड उछाल-उछाल कर सब्जी के भाव कम करवाती है।” इतने में बंटी बोलता है, “एक नंबर की चालू माल है साली। सारे अंकल उसकी गांड देख के हिलाते हैं और वो उनको लाइन देती है।”

ये सब सुन कर मुझे शर्म आने लगी। अब बंटी ने मुझे लंड चूसने को बोला तो मैंने मना कर दिया। आगे क्या हुआ जानने के लिये इंतजार कीजिये कहानी के अगले भाग का‌। कहानी लंबी होने वाली है, और हर हिस्से में मजा आएगा। आपकी प्यारी कुतिया जैस्मिन।