हेलो दोस्तों, मेरा नाम मनीष सिंघल है और आज मैं आपको अपनी एक कहानी बताने जा रहा हूं। ये मेरी सच्ची कहानी है और मैं जो लिख रहा हूं आशा करता हूं आपको पसंद आएगा। मैं पेशे से आर्किटेक्ट हूं, और मेरी उम्र 48 साल है। मेरी बीवी मुझसे तलाक लेकर बच्चों के साथ चली गई है, और मैं अपनी मां के साथ अकेला घर में रहता हूं।
काम का बोझ बहुत है तो मैं एक असिस्टेंट रखने की सोच रहा था। पर बहुत कोशिश के बाद भी कोई मेल असिस्टेंट नहीं मिला। फिर मेरे ऑफिस में आई “अदा”, वो बला, जिसने मेरी पैंट के बुझते दिए को जिंदा कर दिया। पर अपने उमर की वजह से मैंने कोई गलत हरकत नहीं की थी। अब मैं आपको अदा के बारे में बता देता हूं।
अदा, एक दूसरे धर्म की लड़की थी, जिसके घर की हालत बहुत खराब थी। उसके पिता उसकी मां को तलाक देकर किसी और के साथ रहते थे। अदा पढ़ाई में कमजोर थी तो उसने सिविल से आईटीआई/डिप्लोमा कर लिया था। उसकी उमर कोई 21 साल की थी, और उसका फिगर 34-26-34 का था। मेरा अनुमान था कि उसकी चूचियां बहुत छोटी थी, और उसकी चूत पर बाल नहीं नरम रूये होंगे।
खैर, एक प्रोजेक्ट के सिलसिले में मुझे उत्तराखंड जाना पड़ रहा था। मैंने अदा को ऑफिस के बारे में सब बता दिया था, और दूसरे लड़के को अपने साथ साइट पर जाने के लिए तैयार कर लिया था। पर होना तो कुछ और ही था। दूसरे लड़के को डेंगू हो गया, और उसे अस्पताल ले जाना पड़ा। मेरा साइट पर जाना बहुत जरूरी था, इसलिए मैंने हार कर अदा से चलने के लिए पूछा।
घर की हालत को देख कर और नौकरी छूटने के डर से अदा ने हां कर दी, पर उसका परिवार डर रहा था। मैंने उसकी मां के लिए कुछ एडवांस करवा दिया, और हम दिल्ली से चल पड़े। 12 घंटे की ड्राइव के बाद हम उत्तरांचल के पहाड़ों में थे। अदा बहुत खुश थी क्योंकि वो पहली बार इस तरह बाहर आई थी। वो बार-बार फोटो खींचने के लिए कार से उतर जाती थी।
हमने एक अच्छा सा होटल देख कर दो अलग कमरे ले लिए, और फ्रेश होने चले गए। क्योंकि हमारे पास दिन था, तो हम साइट के लिए निकल गए। साइट शहर से 20 किमी और ऊपर किसी गांव के पास थी। कैब ड्राइवर हमें वहां छोड़ कर चला गया। क्योंकि भूस्खलन बहुत होता रहता है, और सड़क बहुत छोटी है, तो मैंने अपनी कार होटल पर ही छोड़ दी। हम साइट पर पहुंच गए और अदा मुझे हर पॉइंट के बारे में बता रही थी और मैं मार्किंग कर रहा था।
तभी बारिश शुरू हो गई और हमारे पास छतरी भी नहीं थी। पूरा रास्ता सुनसान था। ना कोई कार, ना कोई स्कूटर, ना कोई आदमी वहां से जा रहा था। अदा के सारे कपड़े गीले हो गए। मैंने देखा कि अदा ने सफेद रंग का टॉप और सफेद रंग की लेगिंग पहन रखी थी। कपड़े गीले होने की वजह से अदा की लाल रंग की ब्रा और पैंटी साफ़ नज़र आ रही थी। वो बार-बार उसे छुपाने की कोशिश कर रही थी। अब ठंडी हवा भी चल रही थी। हम दोनों को ठंड लग रही थी।
अदा: सर, अब क्या करें? रात होती जा रही है।
मनीष: रोड के साथ चलते हैं शायद कोई मिल जाए।
थोड़ी आगे जाने पर हमें दूर एक रोशनी जलती दिखाई दी।
मनीष: आओ अदा वहीं चलें।
अदा: सर, मुझे डर लग रहा है।
मनीष: चलो देखते हैं, और कोई विकल्प नहीं है।
अदा और मैं कॉटेज के पास आये। शायद वो किसी विभाग का गार्ड रूम था। बाहर से लॉक भी नहीं था। हमने दरवाजा खोला तो अंदर एक कुर्सी, एक सिंगल कम्बल, व्हिस्की की बोतल और गिलास रखे थे। शायद अधिक बारिश की वजह से कोई आया नहीं था।
मनीष: अदा तुम केबिन को अंदर से लॉक कर लो, और कपड़े सुखा लो। मैं बाहर रुका हूं।
वैसे मैंने अपने बारे में नहीं बताया। मैं आर्किटेक्ट हूं। मेरी हाइट 5’3” है, और मैं 85 किलो का हूं। देखने में हैंडसम नहीं, पेट निकला है। फेस भी अब काला हो गया है। बाल सफेद हो गए हैं, और अंकल जी जैसा लगता हूं। आप लोग जो भी अंडर नॉर्मल सोच सकते हैं मैं वैसा ही हूं।
अदा ने केबिन लॉक कर लिया और शायद अंदर कपड़े खोल कर सुखाने डाल दिये। बाहर में अभी भी बारिश में खड़ा था। क्योंकि केबिन की छत आगे तक नहीं थी, मुझे ठंड लग रही थी, कपकपी छूट रही थी। फिर अदा ने दरवाजा खोला और कहा-
अदा: सर आप भी अंदर आ जाइये।
मैं भी अंदर चला गया। बल्ब की रोशनी में देखा तो अदा बिल्कुल नंगी खड़ी थी। उसके कपड़े कुर्सी पर सूख रहे थे, जो इस मौसम में सूख नहीं पाते। अदा अपने दोनों हाथों से अपनी चूचियों और चूत को छुपाने की कोशिश कर रही थी।
अदा: सर आप भी कपड़े उतार लीजिए, नहीं तो ठंड लग जाएगी।
मैंने आपने कपड़े उतारने शुरू किये, और मैं भी नंगा हो गया। मेरा लंड छोटा है, और ज़्यादा मोटा नहीं है। पर मेरी पूर्व पत्नी सेक्स में पूरा मजा लेती थी। केबिन के फर्श पर कारपेट लगा था, तो हम दोनों बैठ गए। रात के 8.00 बज रहे थे। मैंने बैग में से नमकीन के पैकेट निकाले, और अदा को दिए। अदा ने आगे हाथ बढ़ाया। अब मुझे अदा का नंगा शरीर दिखा जो बहुत सुंदर था।
उसकी चूचियां छोटी थी, जिन पर अनछुए निप्पल खड़े हो गए थे। चूत भी गुलाबी रंग की थी। चूत पर रूयी जैसे बाल थे, जो चूत की शोभा बढ़ा रहे थे। मैंने व्हिस्की की बोतल उठा ली, और एक पैग बना लिया। पानी के लिए बाहर जाकर छत से गिर रहे बारिश के पानी से भर लिया, और एक घूंट में पी गया।
मनीष: अदा तुम भी लोगी क्या?
अदा: सर, मैं नहीं पीती।
मनीष: एक पेग पी लो गरमी आ जायेगी।
अदा: सर, आप भी मत पीजिए। कोई आ गया तो?
पीने के बाद तो आदमी शेर होता है।
मनीष: मैं हूं ना!
मैंने अदा को कंबल में लपेट दिया। पर मुझे ठंड लग रही थी।
अदा: सर, आप भी कम्बल में आ जाओ।
मैं भी धीरे से कंबल में घुस गया। अब हम नंगे बदन एक-दूसरे से चिपक कर बैठे थे। मैंने फिर अदा का हाथ अपने हाथ में लिया और उसे किस किया।
इसके आगे क्या हुआ, वो आपको कहानी के अगले पार्ट में पता चलेगा। मुझे अपनी ऑफिस सेक्स कहानी पर आपकी फीडबैक का इंतजार रहेगा।
अगला भाग पढ़े:- मेरी नई असिस्टेंट-2