नमस्कार दोस्तों, मैं Thor अपनी अगली चुदाई की कहानी आपके सामने लेके हाजिर हूं। उम्मीद है कि मेरी कहानियां आपकी रातें रंगीन कर रही होंगी। ये कहानी मध्य प्रदेश के आदित्य और उसकी अंजली आंटी की है। तो चलिए शुरू करते है सेक्स कहानी, आदित्य की जुबानी।
हैलो दोस्तों, मेरा नाम आदित्य है। मैं मध्य प्रदेश कर रहने वाला हूं। मेरी उमर 21 साल है, और मैं कॉलेज में द्वितीय वर्ष का विद्यार्थी हूं। मेरी कद काठी अच्छी है, और लंड भी मेरा मोटा, लंबा, और तगड़ा है। इस कहानी में मैं आपको बताऊंगा, कि कैसे मेरी एक मोबाइल शॉप वाली आंटी से दोस्ती हुई, और फिर मैंने उसको उसी की दुकान के ऊपर बने कमरे में चोदा। तो चलिए बताता हूं सब कैसे हुआ।
एक दिन सुबह मैंने अपना फोन देखा, तो पता चला कि मैं कॉल नहीं कर पा रहा था। तभी मुझे याद आया, कि मेरा पिछला रिचार्ज खत्म हो चुका था, और नया रिचार्ज करवाने की तारीख आ चुकी थी। फिर मैं तैयार हो कर पास की दुकान पर गया रिचार्ज करवाने के लिए जहां हमेशा जाता था।
वहां पहले हमेशा एक लड़का बैठा होता था, लेकिन आज जब मैं वहां पहुंचा, तो वहां एक सेक्सी आंटी बैठी थी। उसने साड़ी पहनी थी हरे रंग की, और वो काउंटर के दूसरी तरफ बैठी थी। मेरी नज़र सीधे उसके ब्लाउज में कसे हुए चूचों पर गई, जिनको देख कर मैं मंत्रमुग्ध हो गया, और मेरी नज़र वहीं पर टिक गई।
तभी जब आंटी ने मुझे “जी बोलिए” कहा, तो मेरा ध्यान टूटा। फिर मैंने उनसे पूछा उस लड़के के बारे में जो वहां बैठा होता था, तो उन्होंने कहा कि उन्होंने वो दुकान खरीद ली थी। मैंने वैसे ही उनसे थोड़ी जान-पहचान बढ़ाई तो पता चला कि उनका नाम अंजली था।
अंजली आंटी की उमर तकरीबन 40 के आस-पास लग रही थी। उनका रंग गोरा था, और शरीर भारी था। ऐसे मर्द जिनको भारी शरीर वाली औरतें पसंद होती है, उनका तो आंटी को देख कर ही लंड खड़ा हो जाएगा। मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही था। मैंने जान-बूझ कर कोई चीज दिखाने के बहाने आंटी को खड़ा करवाया, जिससे मुझे उनकी गांड के दर्शन हुए। क्या गजब की गांड थी उनकी, देखते ही खून में उबाल आ गया। ऐसी गांड को तो बंदा खा ही जाए।
उस दिन के बाद मैं अक्सर आंटी की दुकान पर जाने लगा। धीरे-धीरे आंटी मेरे साथ कंफर्टेबल होने लगी। फिर एक दिन मैंने उनकी कहा-
मैं: आंटी आपके पति कभी नज़र नहीं आते?
आंटी: बेटा वो नहीं है।
मैं: मुझे माफ कीजियेगा, मुझे पता नहीं था।
आंटी: अरे मरे नहीं है, हमारा डाइवोर्स हो गया काफी पहले।
ये सुन कर मैं और खुश हो गया। मुझे लगा कि आंटी को तो लंड की प्यास जरूर होगी।
फिर मैंने कहा: आंटी आपका गुजारा कैसे होता है?
आंटी: मतलब?
मैं: मतलब बिना पति के आपको अकेला महसूस नहीं होता?
आंटी: ऐसे पति का भी क्या फायदा जो पति के नाम पर कलंक हो। जो मारता हो, लेकिन वो ना करता हो जो करना होता।
मैं: क्या करना होता?
आंटी: तुम सच में भोले हो या भोले बन रहे हो?
मैं: मुझे साफ में नहीं समझ आया आंटी।
आंटी: शादी के बाद पति और पत्नी में जो होता है, वो ना करता हो तो पति का क्या फायदा? अब ये मत कहना कि तुम्हें पता नहीं कि शादी के बाद क्या होता है, और वो भी तुम्हे बताना पड़ेगा।
मैं मुस्कुरा कर बोला: आंटी ये तो मुझे पता है। वैसे अगर ना पता होता तो आप कैसे बताती?
ये बोल कर मैंने आंटी को आंख मार दी।
आंटी बोली: तू सिर्फ जुबान ही तेज चलाता है या तेरा हथियार भी काम का है?
मैं: आंटी वो तो आपको इस्तेमाल करके ही पता चलेगा।
तभी आंटी खड़ी हो गई, और दुकान के ऊपर वालें कमरे की सीढ़ियां चढ़ने लगी। जाते हुए वो बोली-
आंटी: शटर बंद करके ऊपर आजा। देखती हूं तेरा हथियार टेस्ट करके।
ये सुन कर मैं उत्तेजित हो गया। मैंने जल्दी से दुकान का शटर बंद किया, और आंटी के पीछे चला गया। जब मैं ऊपर पहुंचा, तो मेरे आँखें फटी की फटी रह गई। आंटी सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में खड़ी थी। क्या मस्त बदन था आंटी का। लंड मेरा पैंट में खड़ा हो कर दर्द करने लगा, इतना सख्त था।
फिर मैं आंटी के पास गया, और उनको अपनी बाहों में भर कर अपने होंठ उनके होंठों से मिला दिए। अब मैं उनके रसीले होंठों को चूसने लगा, जिसने आंटी भी मेरा साथ दे रही था। आंटी के ब्रा में कसे चूचे मेरी छाती में दब रहे थे। बड़ा कमाल का एहसास था।
फिर मैंने किस्स करते हुए आंटी के पेटीकोट में हाथ डाल दिया। आंटी ने नीचे पैंटी नहीं पहनी थी, तो मेरा हाथ सीधे उनकी नंगी गांड पर गया। मैं उनके चूतड़ को मसलने लगा, और वो आह आह की सिसकियां भरने लगी।
फिर मैंने आंटी के होंठों को छोड़ा, और उनके ब्लाउज में से उनके चूचे बाहर निकाल लिए। अभी मैंने उनके चूचे चूसने शुरू ही किए थे, कि आंटी ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया, और मेरे ऊपर 69 पोजीशन में आ गई। फिर उन्होंने मेरी पैंट और अंडरवियर नीचे करके मेरा लंड बाहर निकाला, और उसको मुंह में डाल लिया।
इधर मैं भी पेटीकोट में मुंह डाल कर आंटी की चूत चाटने लगा। कुछ देर ऐसा ही चलता रहा। क्या मस्त स्वाद था आंटी की चूत का। उनकी चूत ने एक बार पानी भी छोड़ दिया, जो मैंने पी लिया। फिर वो पूरी नंगी होके मेरे लंड पर बैठी, और लंड चूत में ले लिया। मेरा लंड उनकी थूक से चिकना हुआ पड़ा था, तो पूरा एक ही बार में अंदर चला गया। आंटी की चूत टाइट थी, तो हम दोनों की आह निकल गई।
फिर आंटी ने मेरी छाती पर हाथ रखे, और लंड पर ऊपर-नीचे होने लगी। उनकी आंखों की मस्ती ये बता रही थी कि उनको कितना मजा आ रहा था। यहां मैं भी जन्नत में था। कुछ देर में आंटी तेजी से मेरे ऊपर उछलने लगी, और जोर-जोर से अपनी गांड को मेरे लंड पर मारने लगी। वो आह आह आह आह करके कूदती गई। मैं भी नीचे से धक्के मार रहा था। फिर वो आह आह करते हुए झड़ गई, और मेरे ऊपर लेट गई।
मेरा अभी हुआ नहीं था, तो उन्होंने नीचे जाके लंड मुंह में डाला और चूसने लगी। फिर 5 मिनट बाद मेरा माल उनके मुंह में निकल गया, जिसे वो पी गई। फिर कुछ देर साथ नंगे लेटने के बाद जब वो कपड़े पहनने लगी, तो मैंने पूछा-
मैं: आंटी मैं टेस्ट में पास हुआ या फेल?
आंटी बोली: तू फर्स्ट आया है। अब आते रहना ऐसे ही टेस्ट देने।
फिर मैं भी वहां से आ गया। अब अक्सर आंटी की चुदाई के लिए जाता रहता हूं।
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