हेलो दोस्तों, मेरा नाम है आर्य (बदला हुआ नाम) है, और मैं सीकर के एक छोटे से गांव का रहने वाला हूं। यह सेक्स कहानी मेरी और मेरी मामा की लड़की रोशनी की है।
पहले मैं मेरे बारे में बता दूं। मेरी उम्र 21 है। मैं अभी जयपुर में पढ़ाई कर रहा हूं, और मैं राजस्थान में सीकर (बदला हुआ) के एक गांव से हूं। मेरे घर में मम्मी-पापा और मेरी 2 बहनें हैं, जिनकी शादी काफी पहले हो चुकी है। मेरा कद 5 फुट 8 इंच है, और अच्छी खासी हेल्दी बॉडी के साथ दिखने में काफी गोरा और हैंडसम हूं। और मेरे लंड की लंबाई 6 इंच है।
अब आपको रोशनी के बारे में बता दूं। वह मुझसे 1 साल बड़ी है। उसकी शादी मुझसे लगभग 1 साल पहले हुई थी, और वह अभी जीजू के साथ शहर में रहती है। वह यौवन की मलिका है, एक-दम दूध सी गोरी, गुलाब सी मुलायम और परी जैसी सुंदरता है। उसका कद लगभग 5 फुट 6 इंच है, और उसका फिगर 36-24-36 है।
मेरी यह कहानी 3 साल पहले की है, जब मैं कॉलेज के द्वितीय वर्ष में था। रोशनी मेरी मामा की बेटी थी, तो हमारे पास एक-दूसरे के नंबर थे। पर हमारी कभी बात नहीं हुई थी, क्योंकि मैं अपने ननिहाल बहुत पहले गया हुआ था। हम बस एक-दूसरे को नाम से ही जानते थे, इसलिए हमारे बीच बात नहीं होती थी।
जब मेरी द्वितीय वर्ष में सगाई हुई, तो उसने मुझे बधाई का मैसेज किया और उसके बाद हमारी कभी-कभी चैट पर बातें होने लगीं। वह मजाक में भाभी के हाल-चाल पूछ लेती थी। मैं पढ़ाई में होशियार था, तो वह मुझे काफी मासूम मानती थी। इसी के चलते वह कभी-कभी मुझे सिखाती थी कि मुझे किस तरह की बातें करनी चाहिए। इसी के चलते वह यह भी कहने लगी कि मुझे थोड़ी गंदी बातें भी करनी चाहिए होने वाली पत्नी के साथ, और ऐसे हम दोनों काफी खुल चुके थे। हमारी अब लगभग रोजाना बातें होने लगी।
हालांकि, अभी हमारे बीच ऐसा कुछ नहीं हुआ था, कि मेरी उसके लिए कोई गलत सोच हो। मुझे वह बस एक अच्छी दोस्त लगने लगी थी। उसके बाद मेरी शादी के दिन नजदीक आने लगे और मेरी और रोशनी की बातें और भी ज्यादा होने लगी। मैंने जैसे-तैसे करके रोशनी को मेरी शादी में जल्दी बुला लिया था, क्योंकि मेरी उसके साथ काफी बन गई थी।
मेरी शादी 24 फरवरी को थी। 18 फरवरी को मैं दिन में छत पर कमरे में सो रहा था। अचानक मेरे गाल पर कोमल हाथों का स्पर्श महसूस हुआ। मेरी आँखें खुली तो सामने गोरी जवान और नींद उड़ा देने वाली रोशनी पास में बैठी हुई थी। मैं अचानक से उठा और बहुत खुश होकर बोला।
मैं: अरे दीदी, आपने तो अचानक से सरप्राइज़ दे दिया (और मैं दीदी को निहारने लगा। क्या लग रही थी, दोस्तों! बता नहीं सकता, उनका पूरा शरीर कमल के फूल जैसा मुलायम लग रहा था, और उनके गुलाबी गाल और गुलाबी होठ देख कर मेरा मन मचल रहा था। रोशनी दीदी बहुत सज कर आई थी, तो मैं उन्हें ऊपर से नीचे तक निहार रहा था)।
फिर अचानक से रोशनी हंस कर बोली-
रोशनी: और नहीं तो कौन? और तू अभी से नींद जमा कर रहा है क्या शादी की रात के लिए (और ऐसा बोल कर मुस्कुराने लगी)?
मैं: अरे दीदी, आप तो आते ही मेरी टांग खींचने लग गई।
रोशनी: अब चल उठ, और हां, काफी हैंडसम लग रहा है रे तू तो उठते ही।
मैं: अरे, कहां यार, ये तो आपकी सुंदरता को देख कर चेहरा गुलाबी हो रहा है।
रोशनी: चल अब बातें मत घुमा और जल्दी उठ, मुंह धो ले। बहुत बातें करनी हैं। अभी तो तुझे बहुत सिखाना पड़ेगा शायद।
मैंने इस बारे में कुछ नहीं पूछा, और उठ कर नीचे चला गया। बाद में शादी में और दोस्त और भाई आए हुए थे, उनसे मिला, बातें करने लगा और ऐसे करते-करते रात हो गई। खाना खाने के बाद नाच-गाना शुरू हुआ, तो सब बहुत नाचे। फिर मैं लास्ट में सोने बाहर कमरे में चला गया भाइयों के पास। तो देर रात को 1 बजे लगभग फोन पर मैसेज आने लगे। मैंने फोन देखा, तो वो मैसेज रोशनी के थे।
रोशनी: हैलो।
मैं: हाय।
रोशनी: सो गया क्या?
मैं: हां, बस सो ही रहा था।
रोशनी: यार, तू तो पूरे दिन वापस मिला ही नहीं मुझे। कहा चला गया था?
मैं: क्या बताऊं दीदी, आज बाहर वाले दोस्त आ गए थे। तो उनके साथ ही निकल गया दिन। कोई ना, ये छोड़ो, आपका मन तो लग गया ना यहां?
रोशनी: काफी लगा, बस तू पास और रहता तो बहुत बातें करते।
मैं: कोई ना, कल आपके साथ खूब बातें करूंगा, पक्का।
ऐसे ही हमारे बीच कुछ देर तक बातें होती रही, लगभग 30 मिनट से ज्यादा।
रोशनी: यार, तेरा शरीर काफी अच्छा है। तुझे उठते ही मन तो कर रहा था गले लगा लूं।
मैं: तो रोका किसने था? मैं तो खुद ये चाहता था। पर मैं तो आपको देख कर बस मूर्ती बन गया था।
रोशनी: रोका तो नहीं था, पर हम इतने अच्छे दोस्त हैं और हम गले भी नहीं मिले। मुझे अच्छा नहीं लग रहा।
मैं: लो, ये कमी तो पूरी करूंगा। दिन में तो बातें नहीं कर पाया, बताओ अभी कहां पर सो रही हो आप?
रोशनी: सच्ची! अभी! मैं तो छत पर कमरे में हूं, और सब कमरे में हैं। बाहर कोई नहीं है छत पर।
मैं: आओ आप बाहर, मैं भी आ रहा हूं ऊपर।
रोशनी: अरे! रुको, ऐसे कोई देख लेगा तो गलत समझेगा। जो हमारे बीच कुछ है भी नहीं।
मैं: अरे, सब नाचने के बाद थक कर सोए हुए हैं। अब सुबह से पहले कोई नहीं उठने वाला। आप ये बताओ दीदी, आपके पास सब सो गए क्या?
इतना बोलते ही मैं छत पर कमरे के एक तरफ पहुंच चुका था, चुप-चाप से।
रोशनी: हां, सो गए।
मैं: आप बाहर आओ अब, दीदी।
रोशनी: 1 मिनट।
रोशनी कमरे से बाहर निकल कर साइड में आई। वो मुझे देख कर मुस्कुराने लगी। मैं भी मुस्कुरा दिया, और उसे देख कर मुझे पहली बार कुछ-कुछ होने लगा, जो आज तक नहीं हुआ था। मेरे शरीर में आग सी जलने लगी। मन कर रहा था खा जाऊं उसे। पर वो रिश्ते में बहन थी, तो मैंने खुद पर काबू किया और उसे हाथ हिला कर हेलो बोला। उसने भी मुस्कुराकर वापस वहीं किया। उसने साड़ी पहन रखी थी।
अब हम दोनों आगे बढ़े और बिना कुछ बोले बस गले लग गए। मेरा हाथ जैसे ही उसकी कमर पर लगा, मेरी सांसें तेज हो गईं। रोशनी ने मुझे और जोर से बाहों में जकड़ा। इससे उसके मम्मे मेरी छाती पर महसूस होने लगे। मेरा लंड जोश में आने लगा, जो उसे भी नीचे महसूस हुआ होगा।
अब मैं थोड़ा दूर होने लगा, तो रोशनी भी दूर हो गई। अभी हम ज्यादा दूर नहीं थे, हमें एक-दूसरे की सांसें स्पर्श हो रही थी। वो एक-दम से ठंडी रात, धीरे-धीरे बहती हवा में अपना नियंत्रण ना खो दूं, इसी डर से मैंने अचानक से कहा-
मैं: तो चलूं अब मैं?
रोशनी के चेहरे पर मायूसी छा गई और उसने कहा: हां, कोई आ भी सकता है।
मैंने उससे हाथ मिलाया जाते हुए, और कहा: बाकी बातें कल दिन में करते हैं, हसीना (मेरे मुंह से ये नाम निकला, और दिल धड़कने लगा)।
रोशनी: हां हीरो, देखती हूं कल कितनी बातें करते है।
मैं: ज़रूर।
इतना बोलते ही मैं वहां से चला गया, और नीचे जाकर कमरे में सोने लगा। इतने में फोन पर मैसेज आया।
रोशनी: थैंक्स यार।
मैं: अरे थैंक्स की क्या बात है? मैं दिन में गले मिलना भूल गया था, तो अभी मैंने मेरी गलती सुधारी है।
रोशनी: पर कुछ कमी अभी भी रह गई शायद। कोई ना, छोड़ तू, अभी मुझे भी नींद आ रही है, सो जा तू भी।
मैं: हां यार, अभी सोना ही सही है।
और फिर हम दोनों एक-दूसरे को शुभ रात्रि बोल कर सो गए।
इसके की सेक्स कहानी आपको अगले पार्ट में पढ़ने को मिलेगी। यहां तक कि कहानी की फीडबैक [email protected] पर दें।
अगला भाग पढ़े:- मुझे ममेरी बहन का प्यार शादी से पहले मिला-2