मम्मी को सिड्यूस करके चोदने लगा-11

पिछला भाग पढ़े:- मम्मी को सिड्यूस करके चोदने लगा-10

दोस्तों मेरी हिंदी अन्तर्वासना कहानी के अगले पार्ट में आपका स्वागत है। पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि बुआ मुझे अपनी कहानी सुना रही थी, और कहानी सुनाते हुए अचानक वो मेरे होंठों को चूमने लगी। अब आगे की कहानी-

मैं इस एहसास से ही कांपने लगा। इससे मेरे होंठ भी फड़कने लगे। बुआ ने भी ये महसूस कर लिया, तो वो अपने हाथ को मेरे सिर के पीछे लगा कर, मेरे सिर को आगे दबाते हुए, मेरे होंठों को चूसने लगी। करीब 1 से 2 मिनट के चुम्बन के बाद उन्होंने मेरे होंठों को आजाद कर दिया। मैं इस अचानक से हुए हमले से बुरी तरह कांप रहा था। मैंने अपने सिर को नीचे झुका लिया।

तभी बुआ थोड़ा सा पीछे सरकी, और बेड पर लेटते हुए अपना सिर मेरी गोद में रख लेती है, जिससे वापस उनका चेहरा मेरे चेहरे के सामने आ जाता है। मैं तुरंत ही सिर ऊपर करके सामने देखने लगता हूं। तो बुआ मुस्करा के कहती हैं-

बुआ: क्यों रे, तू इतना शर्मा क्यों रहा है? परसो रात में तो तूने मेरा बुरा हाल कर दिया था। मालूम नहीं कब तक मेरी चूत पानी छोड़ती रही। अब जब मैं खुद तेरी गोद में हूं, तो तू नज़रें फेर रहा है।

ये सुन कर तो मेरी गांड ही फट गई। मैं फटी आंखों से उनके चेहरे को देखने लगा। तो वो कातिल मुस्कान देते हुए बोली-

बुआ: क्यों बेटा, तुझे क्या लगा। तू अपनी मां को सेट करेगा तो मुझे पता भी नहीं चलेगा? पहली रात ही मैंने देख लिया था कि कैसे तू उसकी चूत रगड़-रगड़ कर उसका पानी निकाल देता है। फिर अगली सुबह मैंने यामिनी से अपने तरीके से पूछा तो उसने रात में हुए पूरे हादसे को बता दिया। फिर अगली रात मैं तेरी मां जो परफ्यूम लगा कर आई थी, वो मैंने ही उसे दिया था। जिसे वो क्वालिटी टाइम में लगाए।

बुआ: मैं महक से ही समझ गई थी कि आज रात उसने कुछ स्पेशल प्लान किया था। तो मैंने उसे रूम में ले जाकर पूछा तो उसने बताया कि आज रात वो क्या करने वाली थी। पर मैंने उसे तड़पाने के लिए उसे बाद में मेरी जगह सोने के लिए मजबूर किया था, और रात में जो भी तू अपनी मम्मी समझ कर कर रहा था, उससे सच में इंप्रेस हो गई हूं।

ये सुन कर मैं वैसे ही बुआ को देखते ही रहा। फिर वो मेरा हाथ पकड़ कर अपने एक स्तन पर रखते हुए कहती है: इनको भूला तो नहीं? परसो रात तूने इन्हें दबा-दबा के इतना दूध बर्बाद कर दिया था, कि कल बेचारी गुड़िया को आधे पेट ही सोना पड़ा। बड़ा जालिम हे रे तू। तेरा बस चले तो तू उसे भूखे ही मार दे।

ये कहते हुए वो मेरे हाथ को अपने स्तन पर हल्के से दबाते हुए मुस्कराने लगी। मैं शर्म से पानी-पानी हो रहा था। मेरा हाथ उनके स्तन पर तो था, पर इतनी हिम्मत भी नहीं हो रही थी कि उनके स्तन को दबा कर महसूस कर लूं।

जब कुछ देर तक मेरी तरफ से कोई हरकत नहीं हुई, तो बुआ बोली: अरे मैं तो तुझे आगे की कहानी बताना ही भूल गई।

ये कहकर बुआ आगे बोलने लगी: यामिनी को कुछ पल चूमने के बाद यामिनी ने मुझे हल्के से धक्का देते हुए खुद से दूर कर दिया। यामिनी फटी आंखों से मुझे देख रही थी।

मैंने हंस कर कहा: क्या हुआ मेरी रानी को? लगता है इसे टीचर का कड़क चुम्मा ही पसंद था।

ये सुन कर यामिनी के चेहरे के भाव में गुस्सा आने लगा। तभी मैंने यामिनी को आगे धक्का देते हुए बेड पर लिटा दिया, और सरक कर उसके बगल में गई।

फिर उसके चेहरे पर झुकते हुए बोली: अगर तुम्हे अच्छा ना लगे तो मुझे धक्का देके वापस रोक भी सकती हो।

ये कह कर मैं अपने हाथ से उसके गले को पकड़ कर, वापस उसके होंठों को अपने होंठों में भरके चूसने लगी। साथ ही गले को हल्का-हल्का दबा भी देती थी। यामिनी ने एक हाथ से मेरे हाथ को हटाने की हल्की कोशिश तो की, पर कुछ ही पलों बाद उसका विरोध खत्म हो गया, और उसका हाथ मेरे हाथ पर रखा था।

मैं भी उसकी सहमति देखते हुए उंगली से उनके दांतों को रगड़ने लगी। तो यामिनी ने हल्के से मुंह को खोला। इससे मैं अपनी जीभ के साथ उसकी जीभ से खेलने लगी। साथ ही एक हाथ से सूट के ऊपर से ही उनके स्तनों को सहलाने लगी। इससे वो भी उत्तेजित होने लगी, और कुछ ही पलों बाद यामिनी भी साथ देने लगी। अब वो भी अपने जीभ से मेरे जीभ को टटोलने लगी। इससे उत्तेजित होते हुए मैंने जीभ को उसके मुंह में अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। साथ ही स्तनों को भी हल्के-हल्के मसलने लगी।

करीब 3 से 4 मिनट तक इस लंबे चुम्बन के बाद मैंने यामिनी को देखा, तो अब मुझे उसकी आंखों में गुस्से की जगह प्यार दिखने लगा था।

मैंने हंस कर कहा: यामिनी तुझे नहीं मालूम। तुझे तो पहली नज़र में देख कर ही मुझे प्यार हो गया था। और मैं कब से तेरे होंठों को पीने के लिए तड़प रही थी।

ये कह कर मैं वापस उसके होंठों को चूसने लगी। यामिनी के होंठों चूसते हुए मैं अपने हाथ को सरका कर पेट तक ले गई, और सूट के अंदर हाथ डाल कर पेट को मसलने लगी। मैं बेतहाशा उसके होंठों को चूस रही थी। तभी हमारे दरवाजे पर किसी के खटखटाने की आवाज आई।

आवाज सुन कर हम दोनों होश में आ गई। यामिनी ने मुझे धक्का देते हुए अपने से अलग कर दिया, और झट से उठ कर खड़ी हो गई।‌‌ फिर अपने कपड़े ठीक करने लगी। मैं भी बेड से उतर कर दरवाजा खोलती हूं।तो सामने का दृश्य देख कर मैं सन्न रह जाती हूं। सामने मनीषा सिर झुका के खड़ी थी। उसे देखते ही मेरा पारा चढ़ गया।

मनीषा मुझे देख कर सहमी हुई गिड़गिड़ा के बोली: प्लीज़, मुझे अंदर आने दो। फिर मैं सब समझा दूंगी।

ये सुन कर मेरा सब्र टूट गया और मैं आगे बढ़कर उसे थप्पड़ लगाने जाती हूं, कि तभी‌ यामिनी ने पीछे से मेरा हाथ पकड़ लिया। फिर वो आगे बढ़ कर मनीषा का हाथ पकड़ कर रूम के अंदर करती है, और दरवाजा बंद कर देती है। फिर घूम कर मनीषा को कस कर थप्पड़ लगा देती है। इससे मनीषा नीचे गिर जाती है। यामिनी का ये रूप देख कर तो मैं भी शॉक हो गई थी। फिर वो नीचे बैठते हुए मनीषा के बाल पकड़ कर खींचती है, तो मनीषा दर्द से कराह उठती है।

यामिनी गुस्से से बोलती हैं: बोल कुत्ती कमीनी, तूने ऐसा क्यों किया?

ये कह कर यामिनी ने उसके बाल कस कर खींचा तो मनीषा दर्द में कराह उठी।

फिर वो तड़पते हुए बोली: प्लीज़ मुझे माफ कर दो। उसने मुझे फेल करने की धमकी दी थी, अगर मैं तुझे उसके पास नहीं ले जाती।

ये सुन कर यामिनी मनीषा के चेहरे की तरफ कातिल मुस्कान देते हुए देखने लगी। फिर उसने एक थप्पड़ खींच के उसके गाल पर मारा। फिर दूसरा, ऐसे ही 6 से 7 थप्पड़ से उसके गोरे गाल को पूरा लाल कर दिया।

मैं वहां खड़े होकर बस देख रही थी। तभी यामिनी ने उसके बाल छोड़ दिये, और खड़ी हो गई।

फिर वो मेरे बगल में आते हुए बोली: चल तुझे एक मौका देती हूं, पर तुझे मेरा एक काम करना होगा।

ये सुन कर मनीषा अपनी भीगी पलकों से हमे देखने लगी। मैं भी यामिनी के चेहरे की तरफ ही देख रही थी। यामिनी मनीषा को देखते हुए बोली-

यामिनी: मैं उस कुत्ते को सबक सिखाना चाहती हूं। अगर तू साथ देगी तो‌ तुझे माफ कर दूंगी।

ये सुन कर मनीषा खड़े होते हुए बोली: हां-हां, मैं जरूर साथ दूंगी।

तभी यामिनी ने उसे इशारे से बैठे रहने को कहा, तो मनीषा वापस घुटने के सहारे बैठ गई। यामिनी उसके सामने जाते हुए बोली-

यामिनी: उस दिन मुझे बहुत अच्छा लगा जब तू मेरी चूत चाट रही थी। जरा कुत्ती बन कर मेरे पैर तो चाट के बता।

ये कह कर यामिनी ने अपने चप्पल को उतारते हुए उसके मुंह के सामने एक पैर बढ़ा दिया। ये देख कर मैं भी यामिनी के पास जाते हुए बोली-

मैं: हां यामिनी, मैंने भी देखा था।

और ये कह कर मैंने भी अपनी चप्पल उतार के अपना एक पैर बढ़ा दिया। मनीषा अभी भी वैसे ही बैठी रही। तो मैं आगे बढ़ कर, झुकते हुए, उसके बाल पकड़ कर पीछे खींच देती हूं। वो सिसक के रह गई। मैं उसके गाल को जीभ से चाट कर, उसके कान के पास गई, और धीरे से बोली-

मैं: तू शायद प्यार से मान जाएगी।

ये कह कर मैं वापस खड़ी हो गई।

इसके आगे क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा। फीडबैक pariwarkikahani@gmail.com पर दें।

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