मेरे चारों बच्चे मेरी जान-4

अगले दिन से मेरी और अभिषेक की एक नयी दुनिया शुरू हो गयी। अगला दिन रविवार था तो सारे बच्चे रविवार को देर से उठते हैं और कामवाली भी देर से ही आती है। लेकिन माँ होने के नाते मैं आदतन जल्दी ही उठ जाती हूँ।

सारे बच्चे सो रहे थे, तो मैं चुपके से अभिषेक के कमरे में चली गयी। मेरा बेटु सो रहा था। मैं उसके बगल में जाकर सो गयी। और उसके गालों को चूमने लगी। वो जाग गया और डर गया, “माँ, आप यहाँ?”

“हाँ मेरा बेटु, रात भर मैं सो नहीं पायी। तुम्हारी नींद पूरी हुयी या नहीं?” ये कह कर मैं उसके पयजामे के ऊपर से उसका लंड सहलाने लगी। पर उसने मेरा हाँथ पकड़ कर हटा दिया।

मुझे कुछ अजीब सा महसूस हुआ।

Leave a Comment