मेरे चारों बच्चे मेरी जान-5

अभिषेक उठ कर मेरे चुत पे एक चुम्मी देकर चुत के दीवार को खोलने लगा और अपने खड़े लंड को सीधे अंदर घुसा दिया। अब वो सिखने लगा था। इतने तेज़ी से घुसाया की मेरी बहुत ज़ोर की चीख निकल गयी। चुत में काफी रस था और “फच फच्च फच फच” की आवाज़ आ रही थी।

अभिषेक अब तेज़ी से चोद रहा था और मैं बड़बड़ाये जा रही थी, “हाय बेटु, और ज़ोर से मेरे शोना, और ज़ोर से मेरे बाबू। आह बेटा, उफ़ आह आह आह और तेज़ चोद अपनी माँ को बेटा। उफ़, ओह्ह, ओह, अपने पापा की जगह ले ले बेटा। मुझे चोद के मेरा बुरा हाल कर दे बेटा। चुत को लाल कर दे बेटा।”

इसी बीच अभिषेक भी मेरे बातों का जवाब देता, “हाँ माँ, तेरा चुत लाल कर दूंगा माँ, तुझे हर दिन चोदूँगा माँ, तुझे रोज़ खुश रखूँगा माँ।” और हर जवाब पे उसकी तेज़ी बढ़ती जाती।

इसी बीच मैं झड़ गयी, “आह, ओह्ह, बेटु, मैं झड़ गयी।” और मैं जल्दी से उठ कर निचे ज़मीन पर आ अपने घुटनो पर बैठ गयी और मेरा बेटा मेरे ऊपर आ गया। उसका लंड लेकर मैं ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगी और बेटा भी झड़ गया। उसका पूरा वीर्य मेरे चेहरे पर गिर गया। एक दो बूँद ज़मीन पर भी गिरे। मैंने एक एक बूँद उठा के पी लिया और लंड में लगे आखरी बूँद तक को नहीं छोड़ा।