पिछला भाग पढ़े:- मम्मी को सिड्यूस करके चोदने लगा-2
जैसा कि आपने हिंदी सेक्स कहानी के पिछले पार्ट में पढ़ा, कि कैसे मम्मी मुझसे 25 दिन के लिए दूर हो गई थी। पर अब मम्मी बुआ के घर से वापस आने वाली थी।
आज शाम को मम्मी का वापस आना तय हुआ था। तो हम दोनों भाई बुआ के घर गए थे, मम्मी को लेने के लिए। बुआ अभी भी कमजोरी में थी, पर फिर भी उन्होंने मम्मी को जाने के लिए कहा था, और हमें अपनी महंगी वाली कार ले जाने को कहा था।
शाम को हम तीनों लोग घर के लिए निकलते है। जय भैया कार चला रहे थे। मैं और मम्मी दोनों पीछे वाली सीट पर बैठे थे। हमें घर पहुंचने में 2 घंटे लगने वाले थे। मम्मी थकान की वजह से बार-बार झपकियां ले रही थी। तो कार के ब्रेक लगने से उनकी झपकियां टूट जाती थी। ये देख कर मुझे बुरा लगता है।
मैंने मम्मी से कहा: मम्मी आप यही सीट पर लेट जाओ, मैं आगे चला जाता हूं।
तो मम्मी ने टाल दिया। पर थकान ज्यादा होने से वापस वो झपकियां लेने लगी, तो मैंने वापस उन्हें कहा।
तो वो बोली: ठीक है।
मैंने भैया से रुकने को कहा, तो मम्मी बोली: अरे चलते रहो, मैं ऐसे ही लेट जाऊंगी।
ये कह कर उन्होंने अपनी सैंडल उतार दी। फिर थोड़ा मेरी ओर सरक कर अपने पैर मोड़ कर सीट पर रख दिए, और मुझे एक किनारे तक सरकने का इशारा किया। मेरे सरकने के बाद उन्होंने अपना सिर मेरी गोद में रख दिया। अब हालात ये थे कि मम्मी मेरे तरफ ही सिर करके सोई थी। तो मेरी गोद में उनका सिर होने के कारण उनका सिर बार-बार गाड़ी के झटकों से साथ पीछे सरक जाता। इससे उनका बैलेंस बिगड़ रहा था।
एक बार अचानक ब्रेक लगने से वो गिरने वाली थी, पर मैंने उनकी कमर पकड़ ली। मम्मी उठ कर बैठ गई।
तो मैंने कहा: मम्मी बस कुछ टाइम रुको।
ये कह कर मैंने आगे वाली सीट को थोड़ा और पीछे सरका दिया। फिर अपने दोनों पैरों को आगे वाली सीट के पिछले हिस्से से टीका दिया। इससे मेरे घुटने ऊपर टिक गए। मैंने फिर मम्मी की तरफ देखा। तो मम्मी ने वापस मेरी गोद में सिर रखा। पर घुटने ऊपर होने से मम्मी का सिर सरक कर मेरे पेट से सट गया। मैंने अपने एक हाथ से उनके सिर को हल्के से थाम लिया ताकि अब दिक्कत ना हो। पर कार के हल्के झटकों से उनकी कमर बार-बार सीट से नीचे की तरफ सरक रही थी।
फिर मैंने दूसरे हाथ से मम्मी के कमर को पकड़ लिया। मम्मी ने पहले तो ऐसा करने से अपनी कमर को जकड़ते हुए आगे सरका लिया। पर मालूम नहीं क्या सोच कर कुछ ही पलों में वापस शरीर को ढीला छोड़ दिया, जिससे उनकी मुलायम सी कमर वापस मेरे हाथों में सिमट गई। मम्मी का सिर अब गाड़ी के झटकों के साथ मेरे पेट के निचले हिस्से पर टकराता। मैंने लोवर पहना हुआ था, तो मम्मी को इस टकराव से कोई चोट लगने का खतरा भी नहीं था।
पर क्योंकि मेरे सपनों की रानी अब मेरी आगोश में थी, तो इतने दिनों का प्यासा मैं, ये मौका कैसे छोड़ देता? मैंने सामने देखा तो भाई ने इयरफोन लगा रखे थे। वो गाने सुनते हुए गाड़ी चला रहा था। मैंने भैया से ए.सी. तेज करने को कहा, तो भैया से ऐसा कर दिया। ऐसा होने के 3 से 4 मिनट के बाद ही मैं मम्मी के शरीर में हल्के से कड़कपन को महसूस करने लगा। शायद उन्हें ठंड लगने लगी थी।
मैंने मौके का फायदा उठाते हुए उनके सिर को हल्के से अपनी गोद में दबाया। तो अब उनका पूरा चेहरा ही मेरे पेट के हिस्से से सट गया था। मैंने दूसरे हाथ को भी अब हल्के-हल्के मम्मी की कमर पर फेरना शुरू कर दिया। मम्मी ने सूट और पायजामी पहनी हुई थी। क्योंकि मम्मी के पैर मुड़े हुए थे, तो उनके सूट का पिछला हिस्सा नीचे लटकने से उनके कमर का कुछ पिछला हिस्सा दिख रहा था। तो मैंने धीरे-धीरे हाथ को सरकाते हुए, मम्मी की कमर के पिछले हिस्से को जैसे ही छुआ, उन्होंने झटके से कमर को आगे कर लिया।
ऐसा होने से मैंने मम्मी के सिर की तरफ देखा, तो वहां कोई हलचल ना दिखी। तो मैंने हिम्मत करते हुए हाथों को आगे सरकाया, और पूरी हथेली को उनकी नंगी कमर से चिपका दिया। क्योंकि अब आगे सरकने की जगह नहीं थी, तो मम्मी बस मचल के रह गई। मैं भी मौके का फायदा उठाते हुए अब पूरी हथेली हल्के से उनकी नंगी कमर पर घुमा रहा था।
कुछ ही पलों में मुझे मेरी गोद में उनकी तेज़ चलती सांसों का एहसास होने लगा। पर तभी मैंने महसूस किया कि असल में ये सब मेरे खड़े हो चुके लंड की वजह से हो रहा था, जो लोवर के अंदर से ही उनकी गर्दन के पिछले हिस्से से कस कर चिपका हुआ था।
शायद वो भी इस चीज को महसूस कर रही थी। पर कुछ कह नहीं रही थी। तो मैंने भी हिम्मत करते हुए उनके सिर पर रखे हाथ पर थोड़ा सा जोर लगाते हुए, उन्हें और अपने पेट से चिपका लिया। फिर दूसरे हाथ को हल्के-हल्के फेरते हुए नीचे सरकाने लगा, तो मुझे उनकी पायजामी की रबड़ महसूस हुई। मैं भी जल्दबाजी ना करते हुए पायजामी के रबड़ को 1 उंगली से हल्के-हल्के कुरेदने लगा।
मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। पर ये एहसास मेरा लंड मम्मी को भी बता रहा था। लोवर मम्मी के सोने की वजह से टाइट हो गई थी, तो लंड के झटके लगने से अंडरवियर में लंड का बुरा हाल था। उधर मम्मी की सांसे भी उनके हाल को बयान कर रही थी।
मैंने भी अब देरी ना करते हुए भाई को देखा, तो वो अभी भी गाने में व्यस्त था। फिर मैंने हाथ को हल्के से और नीचे सरकाया, तो वापस मम्मी ने आगे कमर करने की कोशिश की। पर जगह ना होने से वो नाकाम को गई, तो उन्होंने अपने पैर सीधे कर दिये। इससे जगह होने से वो और आगे सरक गई। इससे मैं थोड़ा सा सहम तो गया ही था, पर मैं ये तो जानता था कि मम्मी भी काफी गरम हो गई था। और शायद वो इसे और आगे नहीं बढ़ने देना चाहती थी। वरना अगर उन्हें ये पसन्द नहीं होता, तो वो मेरी गोद से उठा जाती।
मैं आज ये मौका नहीं छोड़ने वाला था। वैसे भी जब हवस आपको काबू कर ले, तो किसका अपने पर बस चलता है? मैंने एक लंबी सांस ली, और उनके सिर पर थोड़ा सा जोर देते हुए और अपने तरफ दबाया। इससे हल्के से उनके शरीर में हलचल हुई। तो मैंने इसी का फायदा लेते हुए, दूसरे हाथ को तुरंत ही उनके चूतड़ों पर रख दिया।
ऐसा होने से मम्मी शायद अपने सिर को उठा कर उठना चाहती थी, पर मैंने हिम्मत करते हुए उन्हें हल्के से दबाए रखा, तो वापस वो शांत होकर वैसे ही लेटी रही। मैं समझ गया कि अब मम्मी मान गई थी। तो मैंने अब हल्के-हल्के से उनके चूतड़ों को सहलाना शुरू कर दिया। कितने मुलायम से महसूस हो रहे थे। मैं उनकी पेंटी की लाइन को भी पायजामी में महसूस कर पा रहा था।
ऐसा करते-करते जब मेरा जी भर गया, तो मैंने हल्के साथ से उनके ऊपर वाले चूतड़ को अपने हथेली में समेटने की कोशिश की। इससे मम्मी के शरीर में मैंने कंपकंपी महसूस की, पर मेरी हथेली ऐसा करने में असफल रही। शायद पेंटी की वजह से चूतड़ों को पकड़ नहीं पा रहा था।
फिर मैं अब हाथ की दो उंगलियों से दोनो चूतड़ों के बीच की दरार महसूस करने की कोशिश करने लगा। पर पेंटी की वजह से ये भी नहीं के पा रहा था। पर मेरी इन छेड़खानियों की वजह से मेरे लंड का बुरा हाल हो गया था, और अब मेरा धैर्य भी खोने वाला था। मैंने भी हार ना मानते हुए, अपनी उंगलियों को निचले चूतड़ पर सटाया, और अंगूठे को बाहर करते हुए, चूत वाले हिस्से को हल्के से दबाया।
ऐसा होते ही मम्मी की हल्की सी सिसक छूट गई, और उनका पूरा शरीर जैसे कांप सा गया। इससे उनके सिर से मेरे लंड को एक रगड़ मिली। मेरा तो बस निकलने को तैयार हो गया था। मैं भी अंगूठे के नाखून से उसी हिस्से पर दबाते हुए रगड़ने लगा। मैं वहां गीलेपन को महसूस कर पा रहा था।
अब मम्मी हल्के हल्के कांपने लगी थी, पर तभी मेरे लंड ने अपना लावा उगलना शुरू कर दिया। जिससे मेरी कमर अब हल्के-हल्के झटके लेने लगी। पर इन्हीं झटकों में मैंने शायद उनकी चूत वाले हिस्से को तेजी से रगड़ दिया। इससे उनका भी सब्र जवाब दे गया था, और उन्होंने अपने मुंह को मेरे पेट से कस कर चिपका लिया। पर मेरे हाथ पर उनकी कमर के लगते झटके बता रहे थे, कि मम्मी भी अपना कंट्रोल खो चुकी थी।
करीब आधे मिनट तक चले इन झटकों के साथ मम्मी की हल्की सिसकियां भी सुनी जा सकती थी। फिर हम दोनों शांत हो गए थे, पर मैं अब उनके चूत के हिस्से पर गीलापन साफ-साफ महसूस कर पा रहा था। मैंने भी अपना हाथ चूत से ऊपर सरका कर, चूतड़ों पर कर लिया था। पर अभी भी हम दोनों अजीब हालत में थे। क्योंकि अभी जो हमारे बीच हुआ था, वो इस रिश्ते को नए मोड पर ले गया था। और अभी हम दोनों में ही इस रिश्ते को नज़रें मिला कर मानने की हिम्मत नहीं थी।
मम्मी ने भी अपने सिर को मेरे पेट से थोड़ा पीछे सरका लिया था। अब मैं बाहर देखने लगा। हम शहर के पास पहुंच गए थे, तो मैंने फिर अपना हाथ उनके मुलायम से चूतड़ों से हटाया। फिर उनके सूट के पिछले हिस्से को ऊपर उठा कर सही किया, और उनकी कमर पर हाथ सरका लिया।
मम्मी भी शायद समझ गई थी, कि ऐसा करने का मतलब हम लोग घर पहुंचने वाले थे। तो वो उठ कर बैठ गई, और अपनी सैंडल पहन कर बिना मुझे देखे बाहर देख रही थी। मैं भी अपनी खिड़की से बाहर देखने लगा। फिर हिम्मत करके मैंने मम्मी की तरफ देखा, तो मैं उनके चेहरे पर खुशी तो नहीं महसूस कर रहा था, पर गुस्सा भी नहीं था।
ऐसे ही 15 से 20 मिनट में हम घर पहुंच गए। गाड़ी रुकते ही मम्मी बिना रुके अंदर चली गई। मैं और भाई सामान लेकर अंदर आए, तो मम्मी शायद अपने रूम में थी। मैं भी अपने रूम में चला गया, और खुद को साफ करके चेंज करके बाहर आया। मैंने देखा मम्मी ने भी कपड़े बदल कर मैक्सी पहन ली थी। भैया और मम्मी बैठ के बाते कर रहे थे। मैं भी शांति से बगल में जाकर बैठ गया। मम्मी ने एक नज़र मुझे देखा। फिर वापस भैया से बात करने लगी।
आगे की सेक्स कहानी अगले पार्ट में। आप इसके बारे में अपनी राय जरूर शेयर कीजिए
[email protected]
अगला भाग पढ़े:- मम्मी को सिड्यूस करके चोदने लगा-4