हेलो दोस्तों, आपने कई मां-बेटा सेक्स कहानियां पढ़ी होंगी, पर आज जो कहानी मैं बताने जा रहा हूं, अगर उसे पढ़ कर आप सच में महसूस नहीं कर पाए, तो आज से कहानी लिखना बंद कर दूंगा।
ये कहानी मेरे किसी जानकार की है, जिसने कैसे अपनी मम्मी को अपने प्यार में मदहोश कर दिया, और आज वो दोनों अपने साथ कई और पारिवारिक लोगों के साथ प्यार भरा समय बिता रहे हैं, ये सब मैं अपने शब्दों में बयान करूंगा। उम्मीद है आप लोग इसे दिल से महसूस कर पाए।
मेरा नाम यश है। मैं 19 साल का हूं। मेरे परिवार में, मेरे पापा आकाश, मेरी मम्मी यामिनी, मेरा बड़ा भाई जय है। मेरे पापा आर्मी में है, तो लगभग बाहर ही रहते है। हमारा घर ज्यादा बड़ा नहीं है। इसमें नीचे 3 कमरे ही है। बाहर वाले रूम में टी.वी. और सोफे है, जिसमें मेहमान बैठ सकते है। और अंदर 2 रूम है।
एक रूम में मैं और भाई दोनों सोते है। दूसरा रूम मम्मी-पापा का है। दोनों रूम के बीच में ही जॉइंट बाथरूम है, जिसके दरवाजे दोनों रूम में खुलते हैं। छत पर भी एक स्टोर रूम है।
मेरा नाम यश है। मैं 19 साल का हूं। मेरे परिवार में, मेरे पापा आकाश, मेरी मम्मी यामिनी, मेरा बड़ा भाई जय है। मेरे पापा आर्मी में है, तो लगभग बाहर ही रहते है। हमारा घर ज्यादा बड़ा नहीं है। इसमें नीचे 3 कमरे ही है। बाहर वाले रूम में टी.वी. और सोफे है, जिसमें मेहमान बैठ सकते है। और अंदर 2 रूम है।
एक रूम में मैं और भाई दोनों सोते है। दूसरा रूम मम्मी-पापा का है। दोनों रूम के बीच में ही जॉइंट बाथरूम है, जिसके दरवाजे दोनों रूम में खुलते हैं। छत पर भी एक स्टोर रूम है।
तो जैसा कि मैंने बताया हम घर पर तीन ही रहते हैं। मेरे भाई के कई दोस्त है जिनके साथ वो पढ़ाई करने के लिए कभी-कभी उनके घर ही रुक जाता है, तो उस दिन मैं और मम्मी एक साथ ही सो जाते है। मेरी मम्मी यामिनी 40 साल की मनमोहक यौवन की महिला है। वो 5 फुट 4 इंच लम्बी है। बर्फ की तरह गोरी देह, सुडौल नैन नक्ष, बाहर की और निकले सुडौल वक्ष स्थल, उनकी सुंदरता में चार चांद लगाते थे।
मम्मी घर पर नॉर्मली कुर्ती पयजामी और साड़ी पहनती थी। और रात में सोते समय कभी मेक्सी, तो कभी नाइट वाला गाउन पहन कर सो जाती थी। मैं अपनी मम्मी का लाडला बेटा था, जैसा कि हर घर में छोटे बच्चे के साथ होता है। इस वजह से कई बार ऐसे मौके पर वो मेरे सामने पड़ जाती थी, कि में क्या बताऊं।
कभी-कभी नहाने के बाद वो पेटीकोट को ऊपर वक्ष तक रख कर सामने से गुज़र जाती। इससे पेटीकोट के गीले होने की वजह से उनके गदराई जिस्म के उभार महसूस किए जा सकते थे। मैंने आज तक कभी मम्मी को उन गलत नजरों से नहीं देखा था। पर आज की रात हुए अनहोनी किस्से की वजह से अब मेरा नज़रिया बदल गया।
हुआ ये कि, सुबह से ही मुझे बुखार था। रात का खाना खाकर भाई अपने दोस्तों के यहां चला गया। मैं मम्मी के रूम में आकर बेड पर सो गया। थोड़ी देर बाद मम्मी ने आकर विक्स लगाया, और मुझे चद्दर ओढ़ा कर खुद दूसरी ओर लेट गई। गर्मी के दिन थे, तो मम्मी ने कूलर चला रखा था। कूलर मम्मी के सामने की तरफ था, तो मेरे तक हवा नहीं आ रही थी। मैं कब सो गया पता ही नहीं चला।
रात के करीब 2 बजे मुझे ठंड लगने लगी। मैं फिर घूम कर मम्मी की तरफ हुआ, तो अचानक से मुझे मेरे पेट पर गर्म सा एहसास हुआ। मेरी नींद खुल गई। मैंने देखा, मम्मी मेरी तरफ मुंह करके सोई थी, और उनका एक हाथ मेरे पेट के नीचे हल्का सा दब गया था। मुझे उनके हाथ की गर्मी अच्छी लग रही थी। फिर थोड़ी ही देर में मेरी सांसे अपने आप तेज हो गई थी।
ये पहली बार था जब मैं इस भावना को महसूस कर रहा था। रूम में नाइट बल्ब जल रहा था।। उसकी रोशनी बेड तक हल्की-हल्की आ रही थी। मेरे मन में तरह-तरह के खयाल आने लगे। मैंने सिर से हल्के से चादर हटाई तो देखा मम्मी का सुंदर सा चेहरा मेरे एक-दम सामने था। उनके सुर्ख गुलाबी होंठ उनके सांस लेने और छोड़ने के साथ ही हल्के-हल्के फफक रहे थे।
मुझे ये देख कर पता नहीं क्या हुआ, मेरा सिर अपने आप ही थोड़ा आगे सरक गया। इससे मेरा चेहरा एक-दम उनके चेहरे के सामने था। मैं उनकी सांसों को अपने चेहरे पर महसूस कर पा रहा था। उनके बाल हालांकि चोटी में थे, पर आगे के कुछ बाल उनके चेहरे पर छितराए हुए थे।
मेरी मम्मी किसी परी से कम नहीं लग रही थी। मेरे में मालूम नहीं कहां से हिम्मत आ रही थी, कि मैंने एक हाथ चादर से निकाल कर हल्के से, उनके चेहरे के बालों को कान के पीछे कर दिया, और उन्हें एक-टक देखने लगा। तभी मालूम नहीं क्या हुआ, मम्मी ने अपना हाथ मेरे पेट से निकाल लिया, और सीधी होकर सो गई।
मैं तो डर ही गया कि कहीं मम्मी जग तो नहीं गई ना। पर थोड़ी देर तक कोई और हरकत नहीं हुई। मुझे उनके हाथ का स्पर्श अच्छा लग रहा था, पर अब मैं क्या करता? पर मेरा मन अब मानने वाला कहां था। मैंने पहले मम्मी की नींद चेक करने का निर्णय लिया और जान-बूझ कर 2-3 बार थोड़ा तेज-तेज खांसा। पर मम्मी की तरफ से कोई हरकत ना देख कर मैंने राहत की सांस ली।
फिर मैं धीरे-धीरे आगे सरकते हुए बस 1 इंच दूर तक आकर रुक गया। मैं फिर मम्मी की तरफ करवट लेकर लेट गया। फिर मैंने एक और बार चैक करने के लिए अपने पैरों के पंजे चादर से बाहर निकाल कर, आगे सरकाते हुए, मम्मी के पैर के तलवे के बीच में सटाये। मम्मी के बदन में हल्की सी सरसराहट हुई, और मैंने तुरत ही चादर को आंखों तक उठा लिया।
पर इसके बाद उनकी तरफ से कुछ हरकत नहीं हो रही थी। फिर कुछ पल रुकने के बाद मैंने अपने पंजे हल्के-हल्के उनके तलवे में रगड़ने शुरू कर दिये। मुझे बहुत मजा आ रहा था। ऐसा करते हुए मैंने धीरे-धीरे अपने घुटने तक के पैर चद्दर से निकाल कर, उनके पैरों से सटा लिए। इससे मुझे असीम आनंद महसूस हो रहा था।
मैं ऐसा करते हुए मम्मी के चेहरे पर देख रहा था, पर मुझे मम्मी के चेहरे में कोई अलग प्रतिक्रिया नहीं दिख रही थी। मैं उनके चेहरे से नज़रे हटा ही रहा था, कि उनके ऊपर-नीचे होते स्तनों पर मेरी नज़र टिक गई।
मम्मी ने मेक्सी पहनी हुई थी। मम्मी की छाती थोड़ा तेज-तेज ऊपर-नीचे हो रही थी, जो उनकी तेज चलती सांसों को बता रही ही। मतलब मम्मी मेरी हरकतों को महसूस कर रही थी? मैं तो डर गया, और वैसे ही शांति से रुक गया। 4 या 5 मिनट तक मैंने कोई हरकत नहीं की। तब जाकर मम्मी की सांस नॉर्मल हो गई थी।
पर मेरी समझ नहीं आ रहा था, कि मम्मी जागी थी या सोई थी? क्योंकि जागी होती तो मेरा तो अब तक बुरा हाल कर देती। पर उनकी तरफ से कोई हलचल ना देख कर मेरी हिम्मत बढ़ने लगी थी। मैंने वापस उनके तलवे पर पंजे रगड़ना शुरू कर दिया। मेरी नज़रें उनकी छाती पर ही थी। करीब 2 से 3 मिनट में ही उनकी छाती के ऊपर-नीचे होने की रफ्तार तेज हो गई।
इसका मतलब मम्मी वापस गर्म होने लगी थी। मैंने इस बार हिम्मत जुटा कर, अपना एक हाथ चद्दर से बाहर निकाला, और बेड से सरकाते हुए उनकी कमर तक ले गया। फिर हाथ उनकी कमर से सटा कर रख दिया। इससे मुझे मम्मी का शरीर हल्के से कांपते हुए महसूस हुआ, पर मैं इसकी परवाह ना करके, हल्के-हल्के हाथ भी कमर में रगड़ने लगा।
दोस्तों मैं बता भी नहीं सकता मैं इस समय किस तरह सांसे ले पा रहा था। मेरे अंडरवियर में मेरा नुन्नी कब की लंड बन गया था और झटके दे रहा था। ऐसा करते हुए 3 से 4 मिनट ही हुए थे, कि मम्मी ने हल्के से अंगड़ाई ली, और कूलर की तरफ मुंह करके सो गई। मेरी तो सांस हलक तक आ गई थी। पर कुछ देर तक कुछ हलचल ना होने पर मैंने राहत की सांस ली।
फिर मैंने उठ कर बाथरूम में जाकर अपने लंड को शान्त किया। फिर बिस्तर में आकर लेट गया। अब मेरी हिम्मत जवाब दे गई थी, तो मैंने सोना ही बेहतर समझा। मेरी नींद अगली सुबह खुली तो मम्मी बिस्तर पर नहीं थी। मैं उठ कर ब्रश करके बाहर आया, तो देखा मम्मी किचेन में नाश्ता बना रही थी।
मुझे देख कर उन्होंने मेरी तबियत के बारे में पूछा और अपने काम में लगी रही। इससे मैं समझ गया कि मम्मी को रात में हुई चीजों के बारे में कुछ पता नहीं था। पूरा दिन घर पर ही था। मैंने टीवी देखा, सोया, फिर टीवी देखा, रात में खाना खाने के बाद मैं भाई के साथ रूम में जाने लगा सोने, तो भाई बोला-
भाई: मम्मी कुछ दिन इसे अपने रूम में ही सुलाओ। मेरे प्रैक्टिकल स्टार्ट होने वाले है। तो मैं ऑनलाइन ग्रुप स्टडी करने वाला हूं। ये मुझे पढ़ने नहीं देगा।
ये सुन कर मैं मम्मी को देखने लगा। उन्होंने एक नज़र मुझे देखा और भाई से बोली-
मम्मी: कोई बात नहीं। ये तो कही भी सो जाएगा। तुम अपने प्रेक्टिकल पर ध्यान देना।
ये सुन कर में चुप-चाप मम्मी के रूम में चला गया। आगे की कहानी अगले पार्ट में…
आप इस सेक्स कहानी के बारे में अपनी राय जरूर शेयर कीजिए
pariwarkikahani@gmail.com
अगला भाग पढ़े:- मम्मी को सिड्यूस करके चोदने लगा-2