मम्मी को सिड्यूस करके चोदने लगा-2

पिछला भाग पढ़े:- मम्मी को सिड्यूस करके चोदने लगा-1

जैसा कि आपने मेरी हिंदी सेक्स कहानी पिछले पार्ट में पढ़ा, कि रात में कैसे मेरी मम्मी के प्रति भावना बदलने लगी थी, और भाई के प्रैक्टिकल होने की वजह से कुछ दिन मैं मम्मी के साथ ही सोने वाला था।

मैं मम्मी के रूम में आकर लेट गया था, और मोबाइल चलाने लगा। थोड़ी देर बाद मम्मी रूम में आती है। फिर वो अपना नाइट पायजामा और कुर्ता लेकर बाथरूम में चली जाती है।‌ फिर थोड़ी देर में कपड़े बदलकर आ जाती है। फिर लाइट बंद करके बेड पर लेट कर मोबाइल पर पापा से बात करने लगती है। जब उनकी बात खत्म होती है, तो मैं भी मोबाइल रख देता हूं, और हम सोने लगते है।

पर मुझे नींद कहा आ रही थी। फिर भी इंतज़ार करते-करते घंटा बीत ही जाता है। आज बुखार तो ठीक था मेरा, पर मैंने जान-बूझ कर चादर ओढ़ी हुई थी। मम्मी कूलर की तरफ मुंह करके सोई थी, तो मेरी तरफ उनकी पीठ थी। मैंने अब आगे बढ़ने की सोची तो पहले मैंने हल्के से मम्मी को कई बार पुकारा। पर उनका कोई जवाब नहीं आया तो मैं समझ गया कि मम्मी जागी नहीं थी।

मैंने अपनी चादर को मुंह के ऊपर ढक लिया, पर चेहरे पर से उठा रखा था। फिर मैं धीरे-धीरे आगे सरकते हुए मम्मी के एक-दम पास तक आ गया। मैं अपने होंठ मम्मी की गर्दन के पीछे एक-दम नजदीक ले गया। इससे मेरी सांसे मम्मी की गर्दन पर टकराने लगी। कुछ ही पलों में मुझे मम्मी की कुछ सरसराहट सी महसूस हुई, पर वापस वो शांति से सोई रही, तो मैंने हिम्मत करते हुए होंठों को गर्दन से चिपका दिया।

ऐसा होते ही मम्मी के बदन में सरसराहट हुई, जो मैंने महसूस कर लिया। पर मैं वैसे ही रुक गया। फिर मम्मी के कुछ ना कहने पर मैं धीरे-धीरे होंठ गर्दन पर घुमाने लगा। कुछ ही पलों में मैं मम्मी के सांसों को तेज होते महसूस कर पा रहा था।

साथ ही साथ मेरी भी धड़कने काबू से बाहर हो गए थी। इसका असर ये हो रहा था, कि मेरे हाथ फड़फड़ा रहे थे। कुछ पलों एक ऐसा करते हुए जब मम्मी की तरफ से कोई हलचल ना दिखी, तो मैं एक हाथ चादर से निकाल कर आगे सरकाने लगा, और मम्मी के कमर से सटा दिया। ऐसा होते ही मम्मी की कमर हल्की सी आगे सरक गई, पर मैंने भी हाथ आगे सरका दिया, और उनकी कमर से वापस सटा दिया।

कुछ पल ऐसे ही रुक रहा। फिर धीरे-धीरे हाथ को कमर पे फेरने लगा। ऊपर मेरे होंठ उनकी गर्दन को कुरेद रहे थे। फिर मैंने अपनी जीभ से जैसे ही उन्हें चाटा, वो हल्की सी कसमसा गई। इससे उनकी कमर हल्की सी पीछे हुई तो मेरे हाथ के पंजे उनकी कमर में नीचे दब गए। मुझे मम्मी की मुलायम कमर की गर्मी मदहोश करने लगी। इसे मेरी जीभ मम्मी की गर्दन पर तेज-तेज घूमने लगी।

इसका असर ये हुआ कि अब मुझे मेरे हाथों पर मम्मी के शरीर की हल्की-हल्की हलचल महसूस होने लगी। मैंने इसी मौके का फायदा उठाते हुए धीरे से हाथ मम्मी की कमर से निकाल लिया। फिर धीरे से कमर से वापस सटा दिया। फिर धीरे-धीरे ऊपर की तरफ करते हुए, कमर के ऊपर ले जाकर, हाथ के पंजे से उनकी कमर को हल्का सा पकड़ लिया, और हल्के हाथ से कमर को दबाने लगा।

हाथ हल्का सा ऊपर सरकाते हुए मैंने कान के नीचे चाटना शुरू कर दिया। कुछ ही पलों में मम्मी की लंबी-लंबी आहें भरने जैसी सांस चलने लगी। मेरा भी सब्र जवाब दे रहा था। मैंने हिम्मत करते हुए हाथ को आगे सरकाना शुरू किया, और उनके पेट के ऊपर तक सरका दिया। ऐसा होते ही अचानक मम्मी ने मेरा हाथ पकड़ लिया। मेरी सारी आग वहीं ठंडी हो गई। मैं फिर भी वैसे ही रुका रहा, बिना कोई हलचल किए।

करीब 3 से 4 मिनिट बाद मम्मी की पकड़ मेरे हाथ पर ढीली हुई, पर वो आगे सरक गई। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मम्मी जागी थी कि नहीं, क्योंकि वो कुछ बोली भी नहीं। मेरी हिम्मत फिर बढ़ने लगी, कि मम्मी को पता तो था कि मैं ये सब जान-बूझ के कर रहा था। अगर उन्हें रोकना होता तो वो मुझे अभी रोक देती। मैंने अब एक साहसी फैसला लेने की सोची, कि वापस कोशिश करते है।

मैं वापस धीरे से मम्मी के पास सरक गया और अपनी चादर आगे से पूरी हटा दी थी। मम्मी कूलर की तरफ मुंह करके घुटने मोड़ कर सोई थी। मैंने भी अपने आपको आगे सरकाते हुए अपनी कमर को मम्मी की कमर से चिपका दिया। इससे मम्मी के शरीर में वापस हलचल हुई, पर मैंने बिना डरे कमर को और आगे करके पूरा चिपका रहा।

कुछ पलों तक ऐसा होने से मम्मी वापस शांत हुई। तो मैं अपने घुटने हल्के से मोड़ने लगा, और मम्मी के मुड़े घुटने के पीछे सटा दिया। ऐसा करने से मेरा लंड मम्मी के चूतड़ों पर सट गया। फिर हल्के से मैं ऊपर से भी उनसे चिपक गया, और अपना एक हाथ कमर के ऊपर से घुमा कर उनके पेट को सहलाने लगा। ऐसा होने से मम्मी का शरीर हल्के-हल्के कांप रहा था। साथ ही मेरे बदन में भी कंपकपी होने लगी।

मम्मी के कांपने की वजह से उनके चूतड़ मेरी कमर से घिसने लगे। मैं तो सातवें आसमान पर पहुंच गया था। मम्मी के मुंह से भी अब सांस लेने और छोड़ने की आवाज आने लगी थी। पर मम्मी के बदन की गर्मी, और उनके चूतड़ों के घिसने से मेरा धैर्य जवाब दे गया। मैं मम्मी के चूतड़ों से चिपके हुए ही झटके देने लगा, और मेरा लंड अपना काम-रस छोड़ने लगा। कुछ ही पलों में मैं ढीला पड़ कर मम्मी के बदन से पीछे हट कर सीधा लेट गया।

करीब 3 से 4 मिनट वैसे ही पड़ा रहा। फिर‌ उठ कर बाथरूम चला गया। वहां मैंने अपना अंडरवियर निकाला तो उसमें पहली बार इतना काम-रस बहा था कि पूरा गीला ही हो गया था। मैं उसे कोने में रख कर, अपने लंड को साफ करता हूं। फिर बाहर निक्कर में ही आता हूं, और बिस्तर पर लेट जाता हूं। मम्मी अभी भी वैसे ही सोई थी। मेरा भी जोश खत्म हो गया था, तो मैं भी चादर ओढ़ कर सो जाता हूं।

सुबह 8 बजे के करीब उठ कर मैं बाथरूम में जाता हूं तो देखता हूं, कि मेरा अंडरवियर जो रात में काम-रस से पूरा गीला था। वो धुल कर टंगा हुआ था। साथ ही मम्मी की रात वाली कुर्ता पायजामी भी धुली थी। मतलब मम्मी ने मेरा अंडरवियर धो दिया था। पर हमेशा तो मैं खुद ही धोता था।

खैर, मैं नहा कर कॉलेज के लिए तैयार हो कर बाहर आया, तो मम्मी रोजाना की तरह किचिन में खाना बना रही थी। फिर हम दोनों भाई नाश्ता करके कॉलेज चले गए। पर मुझे एक बात अखर रही थी, कि मम्मी को देख कर ऐसा नहीं लग रहा था कि मम्मी को कुछ पता भी था रात के बारे में। या वो जान-बूझ कर अनदेखा कर रही थी। मैं तो पूरे दिन आज रात में क्या-क्या हो सकता था, इसके ख्याली पुलाव पकाने लगा।

फिर घर आने पर पता चलता है कि‌ हमारे पिता जी बिना कुछ बताए घर आ गए थे। मेरे तो सपने पल भर में ही टूटते से प्रतीत होने लगे। इतना कम था कि तभी मेरी बुआ जी के दर्शन भी हुए। मेरी बुआ रागिनी जो कि 37 साल की है, 5 फुट 8 इंच की स्लिम औरत है। उनका खुद का ब्यूटी पार्लर है, और उनकी शादी बहुत ही अमीर घर में हुई है। उनके पति का कारोबार बहुत बड़ा है, तो वो भी ज्यादातर बाहर ही रहते है। बुआ के सास-ससुर को शहर पसंद नहीं है तो वो गांव में ही रहते है।

तो हुआ ये कि, रात के खाने पर पता चलता है कि बुआ मम्मी को अपने साथ ले जाने आई थी। उनकी डिलीवरी का समय आ गया था। उनकी सास तो है पर घर से वो मम्मी को भी चाहती थी। तो कल दोपहर में मम्मी को भी उनके साथ जाना था। मेरा तो पूरा दिल ही टूट गया। मुझे बुआ पर बहुत ही गुस्सा आ रहा था।

एक तो बुआ मालूम नहीं हर महीने मम्मी को 1 से 2 दिन किसी ना किसी काम के बहाने घर बुला लेती थी, और अब आधे महीने के लिए लेकर जा रही थी। मेरे से तो निवाला ही नहीं खाया जा रहा था। मैं आधा खाना छोड़ कर रूम में चला गया। पापा के पूछने पर भी मैं कुछ नहीं बोला। तो रूम में जाते हुए मैंने मम्मी को कहते सुना, “अरे जाने दीजिए, उसका मन नहीं होगा। शाम को ही खाया है उसने।”

खैर उस रात पापा हाल में सोए थे, और मम्मी और बुआ रूम में। अगले दिन हम दोनों भाई घर पर ही थे। दोपहर तक मम्मी ने खाना बना दिया था। हम सब खा कर बैठ कर टी.वी. देखने लगे। मम्मी और बुआ तैयार होकर जाने की तैयारी करने लगे। सब लोग बाहर चले गए, पर मैं अंदर ही बैठा था, क्योंकि मेरा मन नहीं कर रहा था, और दिमाग में गुस्सा तो इसे भी भरा था।

तभी मैंने अपने कंधे पर एक मुलायम हाथों का स्पर्श महसूस किया। मैंने मुड़ कर देखा तो मम्मी मुस्कराते हुए पीछे खड़ी थी। वो मेरे सामने आकर खड़ी हुई तो मैं भी खड़ा हो गया।

वो बोली: क्यों यश, तू मुझे बाहर बाय कहने नहीं आएगा क्या?

मैं कुछ नहीं बोला। मम्मी फिर बोली: मेरा लाडला बेटा नाराज़ है क्या मम्मी से?

मैं शांति से खड़ा था।

मम्मी ने मेरे कंधे पर वापस हाथ रखा और बोली: बेटा कहीं तू मेरे जाने से दुखी तो नहीं है ना? रात में भी तूने ये सुन कर खाना छोड़ दिया था। ये सुन कर मैं उनको देखने लगा। तो वो समझ गई, कि आखिर बात क्या थी।

तभी बाहर से पापा की आवाज आई कि, “यामिनी, लेट हो रहा है।” मम्मी ये सुन कर बाहर गेट की तरफ देखती है। फिर हल्का सा आगे बढ़ कर मुझे अपने गले से लगा लेती है। करीब आधे मिनट के इस मिलन के बाद वो मेरे कान में हल्के से कहती है-

मम्मी: तू चिंता मत कर, मैं जल्दी ही तेरे पास वापस आ जाऊंगी।

और ये कह कर वो बिना रुके बाहर चली जाती है। और मम्मी के आखिरी शब्द वापस आने वाले इतने पास से बोले गए थे कि‌ मेरा सारा गुस्सा कपूर की तरह काफ़ुर हो जाता है।

जैसा कि बुआ बहुत अमीर थी, तो कुछ दिन उनका कुक हमारा खाना बनाने आने वाला था। मैं कई बार मम्मी के बिना रहा हूं। पर इस बार पिछली 2 रातों के बाद कुछ भी पहले जैसा नहीं रहा था। 1-1 दिन महीने जैसा कटने लगा। 9 दिन बाद बुआ के यहां नन्ही परी ने जन्म लिया था, और हम सब उनको हॉस्पिटल में मिल कर वापस आ गए थे। इसी तरह 15 से बढ़ कर मम्मी को 25 दिन रुकना पड़ा। पापा की छुट्टियां खत्म हो गई थी, तो 2 दिन पहले ही वो चले गए थे।

आज इतने दिनों बाद मैं खुश था कि मम्मी वापस आ रही थी। आगे की सेक्स कहानी अगले पार्ट में… आप इसके बारे में अपनी राय जरूर शेयर कीजिए
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