मम्मी को सिड्यूस करके चोदने लगा-8

पिछला भाग पढ़े:- मम्मी को सिड्यूस करके चोदने लगा-7

नमस्कार दोस्तों, मेरी हिंदी सेक्स कहानी के अगले पार्ट में आपका स्वागत है। पिछले पार्ट में आपने पढ़ा, कि मैं अपनी बुआ के घर में था। वहां सुबह-सुबह मैंने अपनी बुआ का स्तन देख, और फिर बुआ को उनकी नौकरानी के साथ सेक्स करते देखा। उसके बाद बुआ चली गई। अब आगे-

मैंने तिरछी नज़र से मीना को देखा तो मैं दंग रह गया। मीना के निचले होंठ पर हल्का सा खून सा लगा था। मैंने तुरंत नजरे मीना के चेहरे पर की तो पता चला कि खून सच में आ रहा था। जिसकी बूंद बड़ी हो रही थी। मुझे अपनी ओर देखते देख मीना ने पूछा क्या हुआ? मैंने अपनी उंगली को अपने निचले होंठ पर रख कर इशारा किया, कि आपके खून निकल रहा है।

ये सुन कर वो हड़बड़ा सी गई। मैं भी समझ गया कि आखिर किस्स जो बुआ ने किया था, उसी समय उन्होंने अपना ये निशान मीना के होंठों पर दे दिया था। मीना उठ कर बेसिन के पास चली गई और वापस होंठ धोने लगी। फिर वो बुआ के रूम में चली गई।

मीना बुआ के घर पर 2 साल से काम कर रही थी। दोनों मियां-बीवी पर बुआ बहुत विश्वास करती थी, तो दोनों को किसी तरह की रोक-टोक नहीं थी। कुछ देर बाद वो रूम से बाहर आ गई। शायद वो दवा लगा के आई थी, क्योंकि उनके होंठों से अब खून नहीं निकल रहा था। मैं तो जानता ही था कि क्या हुआ था।

फिर भी मैंने पूछा: क्या हुआ आंटी?

तो उन्होंने कहा: कुछ नहीं, पानी की कमी से भी कभी-कभी होठ सूख जाते है। इसलिए खून निकल रहा होगा।

मैंने भी ज्यादा जोर नहीं दिया। खैर कुछ देर बाद मैं अपने रूम में चला गया। करीब 2 से 3 घंटे बाद बुआ वापस घर में आ गई। फिर हमने खाना खाया, खाने के बाद हम टीवी देखने लगे। बुआ और मैं साथ ही बैठे थे। बगल के सोफे पर मीना गुड़िया को लेकर बैठी थी। मैं टीवी देखते-देखते बोर होने लगा तो मैं अब रूम में जाने की सोचने लगा।

फिर मैंने बुआ की तरफ देखा तो मैंने पाया कि बुआ का ध्यान टीवी की तरफ नहीं था। वो तो गुड़िया की तरफ देख कर मुस्करा रही थी। जबकि गुड़िया तो सोई हुई थी। तभी मेरी नजर मीना के चेहरे पर गई तो मैं उसके चेहरे पर एक अलग ही भाव को देख रहा था। उसकी मचलती आंखे, फड़कते होंठ, साथ ही उसके एक हाथ की बंधी मुट्ठी ये बताने के लिए काफी थी कि वो अभी किसी बैचेनी को महसूस कर रही थी। कुछ ही पल में मीना की नजर मुझ पर पड़ी तो अचानक से उसके चेहरे के भाव हल्के पड़ने लगे। पर फिर भी वो अपनी बैचेनी छिपाने में समर्थ सी थी।

तभी बुआ भी मुझे देखने लगी तो मैंने बुआ से कहा: बुआ मैं सोने जा रहा हूं।

तो बुआ बोली: ठीक है।

फिर मैं उठ कर अपने रूम में चला गया। पर मैं कुछ पल वहीं बिस्तर पर बैठ कर कुछ देर पहले हुए वाकये को याद कर रहा था। पर मालूम नहीं क्यों मेरे मन ने एक बार बाहर झांकने को कहा। फिर मैंने हिम्मत जुटा कर दरवाजे को हल्का सा खोल कर झांका, तो पाया बुआ उठ कर मीना के सामने खड़ी थी। मीना ने गुड़िया को बगल के पालने में सुलाया। फिर बुआ ने मीना का हाथ पकड़ा और अपने रूम की तरफ ले जाने लगी।

मीना भी हल्के विरोध के साथ उनके साथ जा रही थी। फिर रूम के अंदर जाकर बुआ ने गेट बंद कर दिया। मैं ये तो समझ ही गया था कि बुआ और मीना के बीच जिस्मानी रिश्ता था। मेरा मन तो बहुत कर रहा था कि मैं उनके इस रिश्ते का गवाह बनू। पर अब जब दरवाजा बंद हो चुका था, तो मैं ये चाह कर भी नहीं कर सकता था। तभी मेरे मन में मम्मी की पिछली रात के हसीन पल याद आने लगे, और बर्दाश्त ना होने के कारण मैंने एक बार मुठ मारा तब जाकर थोड़ी शांति सी मिली।

शाम को करीब 6 बजे मुझे मीना ने आकर जगाया। मेरी जब आंख खुली तो पाया कि मीना ने अपने कपड़े बदल लिए थे, और उसके बाल खुले हुए थे। बाल कुछ आगे थे बाकी पीछे लटक रहे थे। फिर वो मुझे जगा कर चली गई। जाते हुए उसकी चाल के साथ लहराते हुए बाल उसकी सुंदरता को बढ़ा रहे थे। कुछ देर बाद मैं बाहर आया तो हमने साथ चाय पी। फिर मैं कॉलोनी में घूमने निकल गया था।

ऐसे तो मैं कई बार यहां आया था, पर मेरा अब तक कोई दोस्त नहीं बना था। चलते-चलते मैं बुआ के पार्लर के सामने से गुजरा। तभी मुझे किसी की आवाज आई, “अरे बेटा तुम यहां?” ये सुन कर मैं घूमा तो देखा एक 40 से 42 साल की महिला‌ थी, जो नैन-नक्ष से बिल्कुल बुआ की तरह थी, पर मेरी मम्मी की तरह गोरी काया की मालकिन थी। वो बुआ के पार्लर से उतरते हुए मेरे पास आई, और मुस्करा कर बोली, “तुम यामिनी के बेटे हो ना?”

मैं ये सुन कर उन्हें देखता ही रह गया। वो मेरी नजरें देख कर समझ गई थी कि मैं उन्हें पहचान नहीं पा रहा था। वो हंस कर बोली, “अरे बेटा, तुम मुझे कैसे पहचानोगे? मैंने तुम्हे गोद में खिलाया है। उसके बाद मैं बाहर विदेश चली गई थी। अक्सर यामिनी के फेसबुक पर तुम्हारी फोटो देख करती थी। आज सुबह ही वापस आई थी, तो सोचा रागिनी से मिल लूं। पर वो यहां तो नहीं है। तो मैं उसके घर ही आ रही थी। और बताओ, कैसी है वो कमीनी यामिनी?”

ये सुन कर मुझे झटका सा लगा और गुस्सा भी आया। एक तो पहली बार ये मिली थी, ऊपर से ये मेरी मम्मी को गाली भी दे रही थी। मेरे चेहरे के बदलते तेवर देख कर वो समझ गई थी कि क्या बात थी। फिर वो मेरे कंधे पर एक हाथ से थपथपा कर बोली, “क्या एक लंगोटिया सहेली को हक नहीं है दूसरी सहेलियों को कुछ कहने का?”

ये सुन कर मैं अचंभे से उन्हें देखने लगा। वो फिर बोली, “यामिनी, मैं, और रागिनी, तीनों ने एक साथ ही कॉलेज किया हैं। यहां तक कि हम हॉस्टल में भी एक ही रूम में रहते थे। फिर मैं आगे पढ़ने के लिए विदेश चली गई, और कुछ टाइम बाद पता चला कि यामिनी ने रागिनी के भाई से ही शादी कर ली थी। जबकि दोनों तो एक-दूसरे से मिले भी नहीं थे। फिर रागिनी ने भी शादी कर ली, और मुझे उन्होंने शादी में बुलाया भी नहीं। तभी से मैंने उनसे बात करना छोड़ दिया था। पर समय के साथ बुरी यादें धुंधली हो जाती है, तो मैं अब वापस अपनी सहेलियों से मिलने आई थी।”

इतने में उनका फोन बजने लगा। वो थोड़ा साइड जाकर बात करने लगी। फिर आकर बोली, “माफ करना बेटा, कुछ जरूरी काम आ गया है। तो मैं बाद में रागिनी से मिलने आऊंगी। पर तब तक बेटा, प्लीज, दोनों को मत बताना मैं आई हूं। मैं सरप्राइस देना चाहती हूं।” मैं हल्के मुस्करा के हां में सिर हिला देता हूं। फिर वो वहां से चली जाती है। पर अब मेरे मन में कई सवाल उठने लगे थे। आज तक मम्मी ने या बुआ ने कभी नहीं बताया कि दोनों की कोई दोस्त भी थी। और जब मम्मी पापा से मिली भी नहीं थी तो अचानक से शादी कैसे हो गई? और ऐसा क्या हुआ था कि 3 साल तक साथ पढ़ने वाली सहेली को शादी में बुलाया ही नहीं गया?

खैर, इन सवालों के साथ मेरा घूमने का मन नहीं कर रहा था, तो मैं वापस घर लौट आया। घर आकर हमने खाना खाया, मीना अपने घर जा चुकी थी। मैं और बुआ बैठ कर टीवी देख रहे थे। मेरा मन तो कर रहा था कि बुआ से अभी सारे सवालों के जवाब मांग लूं। पर हिम्मत नहीं हो पा रही थी। ऐसे ही कुछ समय बीत जाता है। तभी मुझे अपने कंधे पर बुआ के सिर का एहसास होता है। बुआ ने अपना सिर मेरे कंधे से टिका लिया था। उनकी गोद में गुड़िया सोई हुई थी।

बुआ ने वापस काले रंग का नाइट कोट पहन लिया था। बुआ की इस हरकत से मेरा मन अब मचलने लगा था। मैं टीवी की तरफ देख तो रहा था पर ध्यान पूरा बुआ की तरफ ही था।

तभी बुआ बोली, “बेटा तू कितना ध्यान रखता है मेरा। काश तू मेरा बेटा होता।” ये सुन कर मैं बोला-

मैं: बुआ मैं आपका भी तो बेटा हूं ना।

तो बुआ बोली: अच्छा ऐसा है तो मेरा बेटा मुझसे झूठ नहीं बोलेगा ना?

ये सुन कर मैं सकपका गया कि बुआ को क्या जानना था? फिर भी मैं धीरे से बोला-

मैं: नहीं बुआ।

फिर बुआ ने अपना सिर, मेरे कंधे से हटाया। उसके बाद उन्होंने उठ कर गुड़िया को पालने में सुलाया। फिर मेरे बगल में आकर बैठ गई, फिर वो मेरा एक हाथ पकड़ कर अपने दोनों हाथों में पकड़ कर बोली-

बुआ: बेटा फिर सच-सच बता। आज शाम को पार्लर के पास तुझसे कौन सी औरत मिलने आई थी?

ये पूछ कर वो पूरी शिद्दत से मेरी आंखों में देखने लगी। मैं तो घबरा गया, क्योंकि आंख फेरने का मतलब था कि मैं झूठ बोलने वाला था। तो मैं सच ही बोल पड़ा-

मैं: वो शायद आपकी और मम्मी की सहेली थी। आप लोग हॉस्टल में भी साथ रहते थे।

ये सुनते ही मुझे मेरे हाथ पर बुआ की पकड़ कसती हुई महसूस हुई। मैं बुआ के चेहरे के भाव बदलते देख रहा था। तभी मैंने बुआ से पूछा-

मैं: बुआ आप लोगों ने उनके बारे में आज तक क्यों नहीं बताया है?

तो बुआ मुझे घूरते हुए बोली: और क्या कहा उसने?

मैं उनकी आवाज में अब कड़कपन महसूस कर रहा था। मैं हल्का सा सकपका गया था।

मैंने कहा: वो बोल रही थी कि आप दोनों ने बिना उन्हें बुलाए शादी भी कर ली। बुआ आप लोगों ने उन्हें क्यों नहीं बुलाया था? ये सुन कर बुआ ने मेरा हाथ छोड़ दिया और उठते हुए बोली-

बुआ: यश तू जा अपने रूम में सो जा।

मैं ये सुन कर अवाक रह गया।

मैंने उठते हुए कहा: बुआ बताओ ना?

तो वो थोड़ा गुस्से से बोली: मैंने कहा ना, जा, सो जा।

बुआ को इतना गुस्से में मैंने कभी नहीं देखा था। पर मैंने वापस हिम्मत करके उनका एक हाथ पकड़ कर कहा-

मैं: नहीं बुआ, आपको बताना ही पड़ेगा कि क्या हुआ था?

बुआ ने गुस्से में अपना हाथ झटका, पर मैंने कस कर पकड़ रखा था।

फिर वो बोली: मैं आखिरी बार बोल रही हूं। छोड़ दे मेरा हाथ, और जा सो जा।

पर मैंने कोई जवाब नहीं दिया। ना ही उनका हाथ छोड़ा। पर तभी बुआ ने दूसरे हाथ से एक कस कर थप्पड़ लगाया मुझे। ये थप्पड़ मेरे दिमाग ठिकाने लगाने के लिए काफी था। इसके कारण उनका हाथ भी मेरे हाथ से छूट गया। वो फिर गुस्से में वहां से अपने रूम में चली गई। मैंने कभी भी नहीं सोचा था कि बुआ मुझे मार भी सकती थी।

कुछ देर की हैरानी के बाद मैं ये विश्वास कर चुका था कि बुआ का प्यार सिर्फ दिखावा था, और मैं कल ही अपने घर चला जाऊंगा। ये सोचते हुए मैं अपने रूम में आ गया। गुस्से में मैंने दरवाजे को धक्का देकर बंद किया, जो तेज आवाज के साथ लग कर वापस आधा खुल गया। मैं बिस्तर पर लेट कर अभी हुए हादसे के बारे में सोचने लगा। मन में गुस्सा इतना भरा था कि क्यों बुआ को इतना प्यार करता था? इनको इतना सीधा समझता था? और तरह-तरह के खयाल आ रहे थे।

करीब 15 से 20 मिनट तक इसे सोचता ही रहा कि मुझे रूम के दरवाजे पर खटखटाए जाने का एहसास हुआ। मैं गुस्से से मुंह फेर कर दीवार की तरफ घूम गया। तभी मुझे किसी के कदमों की आवाज पास आती हुई महसूस हुई। कुछ पलों में मेरे कंधे पर एक मुलायम हाथ का स्पर्श महसूस हुआ।

एक प्यार भरी आवाज बोली: मेरे बेटे, माफ कर दे।

मैंने कोई जवाब नहीं दिया।

तो बुआ वापस बोली: बेटा प्लीज अपनी बुआ को माफ नहीं करेगा क्या?

मैं वापस कुछ नहीं बोला।

तो बुआ ने आगे झुकते हुए मेरे गाल पर एक किस्स देते हुए कहा: देख ले, तेरी बुआ तुझे कितना प्यार करती है। एक तू है जो छोटी सी बात पर मुंह फुला कर बैठा है। अच्छा चल मैं तुझे सच बताती हूं। पर मेरी एक शर्त है।

ये सुन कर झट से मैं उठ कर बैठ गया। ये देख कर तो बुआ भी हड़बड़ा गई। मैंने उनका हाथ पकड़ कर उन्हें बगल में बिठा लिया। बुआ मुस्करा उठी और बोली-

बुआ: अच्छा तो तब से साहब के नखरे चल रहे थे।

मैं मुस्करा के बोला: बताओ ना बुआ?

तो वो बोली: ठीक है सुन।

तो दोस्तों आज की कहानी बस यही तक था। बुआ की पिछले समय की कहानी अगले पार्ट में बताऊंगा कि कौन थी वो औरत? क्या किया था उसने जो बुआ उसके बारे में जान कर इतना गुस्सा हो गई। क्यों मम्मी और बुआ ने जल्दी से शादी कर ली और उसे बुलाया तक नहीं? जानने के लिए जुड़े रहे हमारे साथ।
pariwarkikahani@gmail.com

अगला भाग पढ़े:- मम्मी को सिड्यूस करके चोदने लगा-9