पड़ोसी भाभी संग पहली चुदाई

दोस्तों मेरी हिंदी सेक्स कहानी में आपका स्वागत है। मैं विक्रम बुराड़ी दिल्ली से हूं। मेरी लम्बाई 5 फीट 10 इंच है। मैं रोजाना जिम जाता हूं, जिसकी वजह से मेरी फिटनेस बहुत अच्छी है। मेरी उम्र 25 साल है। मैं आपको अपनी पहली चुदाई पड़ोस की भाभी के साथ की कहानी सीधे बताता हूं।

यह 3 साल पहले की बात है। मेरे घर के पास एक भैया और भाभी रहते थे। भैया रिक्शा चलाते थे, और भाभी हाउसवाइफ थी। उनके दो बच्चे थे। एक 15 साल का लड़का और एक लड़की 19 साल की। भैया और भाभी से मेरी अच्छी बनती थी। भाभी का नाम सरिता था, उनकी उम्र 42 साल थी। भैया का नाम रमेश था, उनकी उम्र 48 थी।

भैया बस काम में व्यस्त रहते थे। इसके लिए भाभी को कोई काम पड़ता था तो मुझे बोलती थी। भाभी हमारे घर अक्सर आती थी। उनकी मेरी मम्मी से अच्छी दोस्ती थी, इसके लिए कोई काम रहता था, तो मम्मी से बोलती थी, कि विक्रम को बुलाओ। मम्मी मुझे बोलती जा भाभी की मदद कर दे। मैं भाभी से मजाक करता था सामान्य।

फिर धीरे-धीरे हमको एक-दूसरे से मजाक करना अच्छा लगता था। एक दिन मैं छत पर पढ़ाई कर रहा था। मेरी सीधी नज़र नीचे गली में भाभी पर पड़ी। उन्होंने पीले रंग की साड़ी पहनी थी। आंखों में काजल, और गुलाबी सी लिपस्टिक लगी हुई थी। उनकी भी नज़र मेरे पर पड़ी। देखते ही उन्होंने स्माइल कर दी। मैंने भी रिप्लाई में स्माइल दे दी। फिर पता नहीं मुझे अजीब सा फील हुआ। यह मेरे लिए पहली बार था। ऐसा आज तक नहीं हुआ।

फिर मैं वही पर खड़ा रहा और वो भी बार-बार चुपके-चुपके मुझे देख रही थी, और मैं उन्हें देख रहा था। हमारी नज़र ने प्यार इज़हार कर दिया। किसी ने सच ही कहा है नज़र से प्यार हो जाता है। वहीं हुआ, लेकिन मुझे डर भी लग रहा था। अजीब सी ख़ुशी थी और डर भी। फ़िर कुछ दिन मैं उनसे नहीं मिला। फ़िर भाभी ने मेरी मम्मी से बोला कि रिचार्ज करवाना है विक्रम को भेज दो। मम्मी ने बोला कि भाभी का रिचार्ज करा दे। मैं खुश हो गया। मैं भाभी के घर गया।

मैंने पूछा: सब कह गए है?

भाभी बोली: रिश्तेदारी में गए है सब।

फिर मैं बोला: कैसे हो आप?

वो बोली: तुम तो भूल गए भाभी को।

मैंने बोला: भाभी को कैसे भूल सकता हूं? कौन सा रिचार्ज करना है?

वो बोली: मेरा।

मैंने बोला: क्यों भैया से नहीं करवाते।

फिर वो बोली: हां देवर से रिचार्ज करने का दिल कर रहा है।

मैंने बोला: मुझे क्या मिलेगा बदले में?

वो बोली: क्या लेना है बदले में?

मैंने हिम्मत करके बोल दिया: आपके आम खाने है (उनके दूध को देख कर बोला)।

वो बोली: तुम्हारे बस का नहीं है आम खाना।

मैंने बोला: एक मौका तो दीजिए।

फिर मैंने उनका इशारा समझ लिया, और अपने होंठ उनके होंठों पर रख दिए, और बहुत देर तक उनके होंठ चूसता रहा। फिर उन्होंने अचानक मुझे पीछे कर दिया, और बोली-

भाभी: विक्रम ये गलत है।

मैंने कहा: प्लीज़ भाभी आज मत रोकिए।

और मैंने फिर से चूमना शुरू कर दिया भाभी को। चूमते-चूमते मैंने उनकी साड़ी उठा कर उनके पेटीकोट में हाथ डाल दिया, और अपना हाथ उनकी पेंटी पर रख दिया। सरिता भाभी की पैंटी गीली हो चुकी थी। मैंने उसकी पैंटी में हाथ डाल दिया, और उसकी चूत को सहलाने लगा। यह सब मेरे लिए पहली बार था। मेरा लंड बहुत टाइट हो गया था। मैंने उनके होंठ चूसते हुए उनकी चूत में उंगली की। उनकी चूत में बहुत गर्मी थी।

भाभी: विक्रम जाओ, वो गेट बंद कर दो।

फ़िर मैंने उनकी साड़ी खोल दी। अब वो मेरे सामने पेटीकोट और ब्लाउज में थी। फिर मैंने चुंबन करते हुए उनका ब्लाउज खोल दिया। फिर पेटीकोट का नाड़ा भी खोल दिया। अब मेरे सामने काली ब्रा-पेंटी में थी वो। मैंने पहली बार किसी औरत को ब्रा-पेंटी देखा था। अब मैंने उनकी ब्रा और पेंटी भी उतार दी, और जल्दी से अपने कपड़े उतार दिये।

मैंने जिंदगी में पहली बार किसी को नंगा देखा था। मैं पागल हो रहा था। भाभी की चूत और बूब्स देख कर मैं सातवे आसमान में था। मैंने भाभी के बूब्स चूसना शुरू करा। पहले बूब्स की निपल्स पर अपनी जीभ घुमाई। फिर बूब्स को बहुत देर तक चूसा।

भाभी बोल रही थी: विक्रम बहुत मज़ा दे रहे हो‌। तुमने मेरे बूब्स लाल कर दिये। विक्रम मेरी आत्मा तृप्त कर रहे हो तुम।

फिर मैंने भाभी की चूत पर अपनी जीभ रख दी, और चाटने लगा। वो मेरा सर पकड़ कर चूत पर जोर से दबाने लगी, और वो बोल रही थी-

भाभी: ऐसा मजा आज तक नहीं आया। कितना अच्छा चाटते हो।

मैंने 15 मिनट उनकी चूत चाटी, और उनका नमकीन पानी मैं पी गया। साथ में उनका पेशाब भी पी लिया मैंने।

उसके बाद वो बोली: जालिम कितना तड़पाएगा? अब डाल दे मेरी चूत में अपना लंड।

मेरी गरम सांसे उनकी चूत पर थी, और उनकी चूत की खुशबू मुझे पागल कर रही थी। उसके बाद मैंने अपना लंड उनकी चूत पर रखा। वो सहम गई। मुझे ऐसे लगा कि मैंने किसी गरम चीज़ में अपना लंड रख दिया, और उन्होंने मेरी पीठ जोर से पकड़ ली। इससे मेरी पीठ पर नाखुन लग गया, और मेरा लंड धीरे-धीरे उनकी चूत को रगड़ रहा था। फ़िर मैं कभी उनके नीचे, कभी वो मेरे नीचे, फ़िर भाभी ने अपनी चूत में से एक धार छोड़ दी।

मैंने बोला: भाभी अगर पेशाब करना तो बोल देती, मैं रुक जाता। बिस्तर पर पेशाब क्यूं करा?

वो हंसने लगी।

वो बोल रही थी: तुमने कभी किसी औरत की चुदाई नहीं करी?

मैंने बोला: हां नहीं करी।

भाभी बोली: तुम्हें इसीलिए नहीं पता ये जो पानी की धार है, ये हर एक औरत चाहती है कि उसको ऐसा मर्द मिले, जो ये पानी निकाल दे (और चुदाई करते-करते मैंने उनका दो बार पानी निकल दिया था)।

हम दोनों का जिस्म पसीने से भीगा हुआ था। पूरे कमरे में लंड और चूत की गरम खुशबू थी। एक अजीब सा नशा था। हम दोनों के लंड और चूत के पानी के मिलने से एक मादक महक थी, जिसने मुझे पागल कर रखा था।

मैंने बोला: भाभी आपने तो अपना बिस्तर गीला कर दिया।

भाभी बोली: विक्रम आपने चुदाई ही ऐसी करी, कि मेरे जिस्म का सारा पानी निकाल दिया। बिस्तर तो गिला होना आम बात है।

सरिता भाभी खड़ी हुई। उनको दर्द होने लगा।

फिर चलने पर वो बोली: विक्रम तुमने तो आज मेरी चाल बदल दी। अब तुम जाओ, बहुत टाइम हो गया है।

फिर हम लोग कपड़े पहन कर अलग हो गए, और एक-दूसरे को किस्स करने लगे।

भाभी रो पड़ी और बोल रही थी: आपने मुझे बहुत खुशी दी है।

भाभी बोल रही थी: विक्रम आप मुझे कभी मत छोड़ना। अब जाओ जल्दी, बाद में बात करेंगे, बच्चे आने वाले हैं रिश्तेदारी से। फिर मैं चला गया, और जाते हुए भाभी की पेंटी ले गया। आगे की चुदाई कहानी अगले भाग में। [email protected]

अगला भाग पढ़े:- पड़ोसी भाभी संग पहली चुदाई-2