दोस्तों आंटी की चुदाई कहानी में आप सब का स्वागत है। मेरा नाम कबीर है, और मैं 33 साल का हूं। मेरी शादी हो चुकी है, और 2 बच्चे भी है। लंड मेरा 7 इंच का है, और ऊंचाई 5 फुट 8 इंच है। ये कहानी तब की है जब मैं कॉलेज के प्रथम वर्ष में पढ़ता था। तो चलिए बिना समय गवाए अपनी सेक्स स्टोरी शुरू करता हूं।
मेरी बड़ी बहन की शादी के दिन थे, और उसके मेकअप के लिए पार्लर भी बुक किया गया था। मैं अपनी मम्मी के साथ पार्लर देखने गया था। वहां जाके देखा तो पार्लर एक लेडी का था, जो विधवा थी। उसकी 2 बेटियां भी थी, एक 10 साल की, और दूसरी 15 साल की। जब मैंने पहली बार आंटी को देखा, तो देखता ही रह गया।
आंटी की उमर 38 साल थी, लेकिन लगती वो 31-32 साल की थी। उनका रंग गोरा, और शरीर भरा हुआ था। बॉडी का साइज तकरीबन 36-32-38 होगा। वो काफ़ी हसमुख थी, और उनकी गांड और बूब्स काफ़ी सेक्सी थे। आंटी के जिस्म को देख कर तो मेरा दिमाग घूमने लगा। उनका नाम करिश्मा था।
दोस्तों आप तो जानते ही है, कि जवान लौंडों को बड़ी उमर की औरतें हमेशा पसंद होती है। मेरा भी कुछ ऐसा ही हाल था। मैं हर वक्त यहीं सोचता रहता था कि काश कोई आंटी मुझसे पट जाती। करिश्मा आंटी को देख कर मुझे मेरे अरमान पूरे होते हुए नजर आने लगे। और वैसे भी वो विधवा थी, तो मुझे लगा कि वो आसानी से पट जायेंगी।
फिर वहां से कुछ बातें करने के बाद मेरी मम्मी ने आंटी का नंबर लिया, और हम वहां से वापस आ गए। घर आके मेरे सामने आंटी का ही चेहरा और बदन घूमे जा रहे थे। उनके वो रसीले होंठ, दूध से भरे बड़े-बड़े बूब्स, मोटी गांड, सब मुझे पागल कर रहे थे। मैं काफी उत्तेजित हो गया था, और मुझे मुठ मार कर अपने लंड को शांत करना पड़ा।
फिर मैं ये सोचने लगा कि आंटी को चुदाई के लिए मनाऊंगा कैसे। इसके लिए सबसे पहले मैंने मम्मी के फोन से उनका नंबर निकाल कर अपने फोन में सेव किया। अब मुझे कोई बहाना चाहिए था आंटी से बात करने का। थोड़ा सोचने के बाद मुझे एक इंडिया आया। मैंने झट से व्हाट्सएप खोला, और एक हंसी वाली वीडियो उनको भेज दी। जब उन्होंने वीडियो देखी तो पूछा-
आंटी: जी, कौन हो आप?
मैं: ओह माफ कीजिएगा आंटी, ये वीडियो गलती से आपको आ गई।
और मैंने उनको अपने बारे में बताया। फिर वो बोली-
आंटी: कोई बात नहीं।
फिर अगले दिन मैंने दोबारा उनको एक और हंसी वाली वीडियो भेजी। इस बार उन्होंने हंसी वाला इमोजी भेज दिया। मैं समझ गया कि उनको मेरे वीडियो भेजने से कोई दिक्कत नहीं थी। फिर धीरे-धीरे हमारी बातें होने लगी, और हमारे बीच दोस्ती हो गई।
अब आंटी मेरे साथ हर तरह की बातें करती थी, लेकिन सेक्स की कोई बात हमारे बीच अभी हुई नहीं थी। लेकिन मुझे तो जल्दी से उनको चोदना था। फिर मैंने उनसे मिलने का सोचा, और अगले दिन सीधे उनके पार्लर पर चला गया। आंटी ने गुलाबी रंग का पजामी सूट पहना हुआ था, और उसी रंग की कुर्ती पहन रखी थी। दुपट्टा वो लेती नहीं थी, क्योंकि इससे काम में परेशानी होती थी। मुझे अचानक वहां देख कर वो हैरान हो गई।
मैंने कहा: मैं यहीं पास में आया था, तो सोचा मिल लूं।
फिर आंटी ने मुझे बिठाया, और किचन में पानी लेने गई। मैं भी उनके पीछे चला गया, और पीछे से उनको हग कर लिया। अचानक हुए इस हमले का उन्हें कोई अंदाजा नहीं था, और उन्होंने मुझे धक्का दे कर नीचे गिरा दिया। फिर वो बोली-
आंटी: ये क्या बदतमीजी है कबीर।
मैं: माफ करना आंटी मेरा तरीका गलत हो सकता है, लेकिन मैं आपको बहुत पसंद करता हूं, और आप से प्यार करना चाहता हूं।
आंटी: दफा हो जाओ यहां से।
मैं: मेरी बात तो सुनो।
आंटी: मैंने कहा ना, दफा हो जाओ।
मुझे समझ नहीं आया कि अब मैं कैसे उनको समझाऊं, तो मैं वापस आ गया। लेकिन मैंने अगले दिन से आंटी को मैसेज करना बंद कर दिया।
दोस्तों जब कोई औरत विधवा हो जाती है, तो वो बहुत अकेली हो जाती है। ना तो उसके पास कोई इमोशनल सपोर्ट होता है, और ना ही उसको वो शारीरिक प्यार मिल पाता है, जो उसको उसके पति से मिल रहा होता है। तो ऐसी परिस्थिति में अगर उसकी किसी के साथ दोस्ती हो जाए, तो वो ज्यादा दिन उसके बिना रह नहीं सकती। ऐसा ही कुछ करिश्मा आंटी के साथ भी हुआ था।
जब कुछ दिन तक मैंने उनको कोई मैसेज नहीं किया, तो उनकी तरफ से मुझे मैसेज आया-
आंटी: हैलो कबीर, कैसे हो?
मैं: ठीक हूं, आप बताओ।
आंटी: मैं भी ठीक ही हूं।
मैं: बढ़िया है। मैसेज क्यों किया, कोई काम था क्या?
आंटी: क्यों, अगर सिर्फ काम हो, तब ही मैं तुम्हें मैसेज कर सकती हूं क्या?
मैं: हां, ऐसा ही करें तो बेहतर होगा। क्योंकि आप तो धक्के मार कर मुझे अपने घर से बाहर निकाल दोगे। बाद में परेशानी में मैं पड़ जाऊंगा, और दिल मेरा टूटेगा।
आंटी: ऐसी बात नहीं है कबीर।
मैं: ऐसा ही है।
आंटी: कबीर उस दिन तुमने अचानक से मुझे पकड़ लिया, और जो मैं सोच भी नहीं सकती थी वो करने लगे। तो बताओ मैं क्या करती? अगर किसी को पता चल जाता तो मैं किसी को मुंह दिखाने के लायक नहीं रहती।
मैं: ऐसे-कैसे किसी को पता चल जाता? और अगर पता चल भी जाता, तो कौन सा पहाड़ टूट पड़ता। कौन है जो आपके ऐसा कुछ करने पर ऑब्जेक्शन कर सकता है?
आंटी: मैं अपने पति को धोखा नहीं दे सकती।
मैं: धोखा जिंदा लोगों को दिया जाता है। लेकिन आपके पति अब जिंदा नहीं है।
आंटी: लेकिन वो मेरी यादों में तो जिंदा ही है ना।
मैं: तो फिर उन्हीं यादों वाले पति के साथ बातें कीजिए। मुझे मैसेज मत करिए।
आंटी: तुम यहां आके बात करो एक बार।
मैं: मुझे कहीं नहीं आना। और बाद में धक्के खा कर निकालना भी नहीं है।
आंटी: अरे बाबा सॉरी। प्लीज आ जाओ। अपनी दोस्ती की खातिर आ जाओ।
मैं: चलिए ठीक है, मैं कल आता हूं।
दोस्तों इस आंटी सेक्स स्टोरी में इतना ही। इसके आगे की कहानी आपको अगले पार्ट में पढ़ने को मिलेगी। तब तक मुठ मारते रहिए, और चूत सहलाते रहिए।
अगला भाग पढ़े:- पार्लर वाली आंटी की चुदाई-2