मेरी खूबसूरत पत्नी को अकेले रहना पसंद नहीं-17

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आनंद सबसे झूठ कहता था कि उसने घर की औरतों को, अपनी मां को भी चुदवाते देखा है। लेकिन सच तो यह था कि शादी के पहले उसने सिर्फ़ रंडीयों को ही चोदा था। सभी को रुपया देकर चोदता था। अंजली या दूसरी किसी भी माल को वो 15-16 मिनट से ज़्यादा नहीं चोद पाया था। उसे ख़ुद भी आश्चर्य हो रहा था, कि माया को तीन बार चोदा और तीनों बार क़रीब एक घंटा चोदा।

केडिया के सामने अंजली को एक घंटे से ज़्यादा चोदा ही था। उस समय भी दर्ज़ी के सामने उसने अंजली को एक घंटा चोदा। पिछले दिन और उस दिन की चुदाई से उसका विश्वास बहुत बढ़ गया और मन ही मन उसने अपने से ही वादा किया कि जल्दी अपने मां बाप को बुलायेगा। अंजली को बाप से चुदवायेगा और ख़ुद अपनी मां को चोदेगा।

अंजली: चाचा, मेरी सास बहुत ही मस्त माल है। अब मैं उसे जल्दी बुलाऊंगी और तुमसे उस कुतिया को चुदवाऊंगी ही, तुम्हारी बेगम के यार बिहारी से भी चुदवाऊंगी। सच चाचा, बहुत ही ज़्यादा मज़ा आ रहा है।

आनंद अपनी मां को चोदने की सोच ही रहा था लेकिन अंजली ने खुल कर अपनी सास को दर्ज़ी से चुदवाने की बात की। आनंद को ये बहुत बुरा लगा। उसने अंजली के चूचियों को दबाया, बढ़िया से चूसा। चूचियों को बेदर्दी से मसलने लगा।

आनंद: इस माल को देख ही रहे हो। सोच लो कि इसकी मां और इसकी बहन भी कैसी माल होगी। सभी एक से बढ़ कर एक सुंदर है।

अंजली ने मुस्कुराते हुए आनंद के लंड को ज़ोर से दबाया। अंजली को अपने घरवाले के सामने छिनार-पना करने में बहुत ही ज़्यादा मज़ा आ रहा था। निःसंदेह दर्ज़ी की चुदाई अंजली को बहुत ही बढ़िया लग रही थी। चुदाई की मस्ती से ज़्यादा मज़ा उसे आनंद के सामने दूसरों से चुदवाने में आ रहा था।

सुबह में केडिया ने उसे बहुत ज़्यादा दे दिया था, लेकिन अब अंजली चाहती थी कि आनंद ख़ुद उसके लिए रोज़ नया-नया कस्टोमर ढूंढ कर लाए। अंजली ने माया को अपना दलाल बनाने का वादा किया था, लेकिन केडिया ने माया से ही ध्यान रखने कहा था कि अंजली को कोई दूसरा ना चोदे।

दर्ज़ी: आह, बेटी मज़ा आ गया, मुझे याद नहीं कि मैंने पहले किसी को इतना देर चोदा हो। बेटी मैं झड़ने वाला हूं।

अंजली ने ज़ोर से चूत्तड़ उछाला: चाचा, थोड़ी देर और संभालो, ऐसे बीच में छोड़ोगे तो फिर कभी नहीं चुदवाऊंगी।

लेकिन दर्ज़ी अपने को नहीं संभाल पाया, और उसके लंड ने बूर को रस से भर दिया। आनंद ने ज़ोर से दर्ज़ी को धक्का दिया। अंजली उसे रोकती उससे पहले आनंद ने लंड को बूर में पेल दिया और खूब जमा-जमा कर चोदने लगा।

आनंद: रानी, तुम कितना भी रंडी-पना करो, सैकड़ों मर्दों से चुदवाओ, लेकिन तेरी बूर को, तेरी जवानी को मेरे सिवा और कोई ठंडा नहीं कर सकता है। तुम्हें मेरे साथ संतुष्टि चाहे ना मिले, लेकिन मेरे सिवा तेरी बूर का और कोई ठिकाना नहीं है।

अंजली को विश्वास नहीं हो रहा था कि ये वही आदमी था, जिसके साथ उसे चुदवाने में मज़ा नहीं आता था। उसी आदमी ने एक ही दिन में माया को दो बार चोदा, और अब उसे भी तीसरी बार चोद रहा था।

अंजली: आनंद, माया तो तेरी दीवानी हो ही चुकी है। आज जैसा चोद रहे हो वैसा ही रोज चोदते रहोगे तो मैं भी तुम्हारी दीवानी हो जाऊंगी।

घरवाली की बात सुन कर आनंद बहुत खुश हो गया, और जोश में और भी जमा-जमा कर चोदने लगा। दर्ज़ी दुखी होकर चुदाई देखने लगा। आनंद ने देखा कि दर्ज़ी अपने लंड को पकड़े हुए उदास आंखों से दोनों की तरफ़ देख रहा था।

आनंद ने लंड बाहर खींचा।

आनंद: रानी देख, तेरा यार कितना उदास हो गया है। कुतिया बन जा, अपने चाचा का लंड चूस। मैं पीछे से लूंगा।

आनंद ने लंड बाहर निकाला तो अंजली को बहुत ग़ुस्सा आया। लेकिन जब उसने दर्ज़ी का लंड चूसने कहा तो वह खुश हो गयी। बिना कुछ बोले पलट गई। आनंद ने चूत्तड़ों को पकड़ कर उपर उठाया, और अंजली ने दर्ज़ी के लंड के उपर अपने को एडजस्ट किया।

अंजली: अभी तो तुम्हें चाचा के लंड को चाट कर चूसना था। ख़ैर कोई बात नहीं, अभी मैं अपनी चूत का स्वाद फिर लूंगी। लेकिन चाचा जब दुबारा बूर से लंड निकालेगा तो तुम्हें साफ़ करना पड़ेगा।

इतना बोल कर अंजली ने दर्ज़ी के लंड को पकड़ा और हर तरफ़ से चाटने लगी। आनंद ने भी लंड बूर में नहीं पेला। अंजली के चूत्तड़ों को फैला कर क्लिट से लेकर गांड के छेद तक जीभ से चाटते हुए चूसने भी लगा। बूर के रस के साथ-साथ दर्ज़ी ने जो रस अंदर गिराया था, वो मिला-जुला रस आनंद के मुंह में आने लगा।

दोनों पति-पत्नी ने क़रीब 15 मिनट इस तरह चाटा और चूसा। आनंद का लंड पूरा टाईट था ही, दर्ज़ी का लंड फिर बूर में घुसने के लिए बेताब होने लगा। तभी दरवाज़े पर नॉक हुआ। अंजली ने समय देखा। 5 बज कर 5 मिनट हुए थे। माया के आने का समय था।

अंजली: देखो माया होगी। ऐसे ही नंगे जाकर माया को अंदर लेकर आओ, फिर मुझे चोदना।

आनंद नंगा ही रुम के बाहर गया।

अंजली: चाचा, आज मैं तुम से बहुत खुश हूं। अभी आनंद की कुतिया माया आ रही है। साला दो दिन से मेरे सामने उसे चोद रहा है। अभी तुम उस कुतिया को मेरे सामने आनंद के सामने चोदो। मैं तुमसे एक बार और चुदवाऊंगी, तभी तुम्हें जाने दूंगी। तुमने बहुत बढ़िया से चोदा था।

माया को साथ लेकर आनंद अंदर आया। अंजली तब भी लंड को चूस रही थी। माया को ये सीन देख कर अचंभा हुआ। उसने 33 लंड को अपना बूर के अंदर लिया था, लेकिन दर्ज़ी के लंड जैसा मोटा और लंबा लंड उसने पहले नहीं देखा था। लंड देखते ही उसकी बूर पनिया गई। लेकिन उसने अपने आप को संभाला। आनंद ने माया के सामने अंजली के चूत्तड़ों को पकड़ा और खूब जमा कर धक्का मारा। धक्का मारता रहा और लंड बूर के अंदर घुसता चला गया।

माया: हरामजादी, कितनी गर्मी है तेरी बूर में। सुबह तुमने तीन बार चुदवाया। और फिर अभी।

अंजली ने चूसना छोड़ लंड को पकड़ कर रखा।

अंजली: ज्ञान मत दे। इतना बढ़िया लंड सामने हो और औरत ना चुदवाये। माया, तू भी चुदवा ले। ये चाचा बहुत ही बढ़िया चोदता है। तेरे कुत्ते (आनंद) से कहीं ज़्यादा बढ़िया चोदता है।

माया: चोदता होगा। लेकिन याद है ना कि उसने (केडिया) ने क्या कहा था। अब तू उसकी माल है। वो जिससे बोलेगा उसी से चुदवाना है तुम्हें।

अंजली: तू मेरी दीदी है ना! अपनी छोटी बहन की चुगली करेगी! वो बुड्ढा जिससे बोलेगा उससे चुदवाऊंगी, मैंने जैसा कहा था, अब से तू मेरे लिए दलाली करेगी। तू जिससे बोलेगी उस से क़ीमत लेकर चुदवाऊंगी। तू ही मेरी क़ीमत तय कर।

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