रेनू भाभी का प्यार-2

पिछला भाग पढ़े:- रेनू भाभी का प्यार-1

दोस्तों भाभी चुदाई कहानी के अगले पार्ट में वेलकम। पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कैसे मुझे हॉस्पिटल में रेनू भाभी मिली। फिर अपना इलाज करवाने के चक्कर में वो मेरे घर आई, और रात को मेरे ही घर में ही रूकने वाली थी। उसका कामुक बदन देख कर मुझसे रुका नहीं गया, और मैं भाभी की चुदाई करने लगा। भाभी भी मेरा पूरा साथ देने लगी, और मेरे लंड पर चढ़ कर, उछल-उछल चुदने लगी। थोड़ी देर बाद उसने मुझे उसके ऊपर आने को कहा, और खुद नीचे लेट गई। अब आगे-

रेनू नीचे आ गई। उसकी टांगे उठा कर मैंने चूत का पानी साफ कर दिया, और फिर से उसके ऊपर चढ़ाई करने के लिए तैयार किया। इस बीच वो 2 बार झड़ चुकी थी। मैं उसकी चूची को काटता हुआ उसके ऊपर चढ़ गया। मेरा चिड़ा उसकी चिड़िया में चला गया, और मैं धक्के देने लगा। और वो मेरा साथ देने लगी।

मैं रुक-रुक के धक्के दे रहा था, और उसकी सिसकारियां बढ़ने लगती और कम हो जाती। ऐसे ही 15 मिनट तक चलता रहा। अब धक्के बड़ने लगे। मैं उसको बड़ी बेरहमी से चोदने लगा। अब हम दोनों थक चुके थे।

फा उसका शरीर अकड़ने लगा। हमने रफ्तार बढ़ा दी, और मेरा चिड़ा भी अकड़ने लगा। मैंने उसको बाहर निकाला। फिर चिड़े ने रेनू की चूत में उलटी मार दी। अब हम दोनों एक साथ शांत हो गए। हम एक-दूसरे से अलग होकर अपने-अपने बिस्तर में सो गए।

रात के 2 बजे मेरी नींद खुली तो देखा कि रेनू सोई हुई थी।‌ मैं उसके पास गया, और उसको चूमने लगा। वो भी गर्म होने लगी। उसकी टांगे उठा कर मैं उसको नींद में ही पेलने लगा। पर वो नींद की मारी, टांगे नहीं उठा रही थी।

मैंने जैसे-तैसे उसको घोड़ी बना दिया। पर वो मुंह के बल लेट गई। ‌मैं उसकी चूचियां दबाता हुआ उसकी पीठ पर किस करने लगा। वो सिसकारियां लेने लगी।

रेनू: आह आह आह आह मां‌ आह।

मैंने उसकी चूत में उंगली डाल कर देखा तो उसकी चिड़िया पानी से गीली हो चुकी थी। मैं भी समय गवाए बिना ही उसके ऊपर लेट गया, और चिड़ा उसकी चिड़िया में डाल कर धीरे-धीरे आगे-पीछे करने लगा। फिर गति बड़ा कर उसको जोर-जोर से पेलने में लगा रहा। उसको 20 मिनट तक अच्छे से पेला, और माल उसकी चिड़िया के अंदर ही डाल दिया। रेनू मुझे गुस्से से देखने लगी। वो मुझे फिर आगे बढ़ने के लिए मना करने लगी।

वो कहने लगी: मुझे नींद नहीं आ रही है, और कमर में बहुत दर्द है। तुमने जब मुझे टांग उठा कर चोदा था, तो मेरी कमर में झटकों से बहुत दर्द हो रहा है। मैं करवट भी नहीं बदल पा रही हूं। दर्द के मारे बहुत बुरा हाल है।

मैंने उसको पेनकिलर खाने को दी। फिर उसे सुला दिया। पर बो सुबह धीरे-धीरे ही चल रही थी। रेनू दो दिन तक हमारे घर पर रही। मुझे जब भी मौका मिलता, उसकी चुचियों को दबा देता। उसके गालों पर चूमने लगता। उसको गर्म कर देता था। उन दो दिनों में उसकी साथ 6 बार चुदाई की। वो फिर अपने घर वापिस चली गई।

हमारी फोन पर भी बातें होती तो मैं उसको गर्म कर देता था। हम घंटो एक-दूसरे से बात करते। वो फिर से प्यार करने को तड़पने लगती। एक दिन उसको कुल्लू वापिस जाना था मेला देखने, तो कहने लगी-

रेनू: मैं एक बार आपसे मिलना चाहती हू। फिर मैं कब बापिस आऊंगी पता नहीं।

उसने मुझे घर बुलाया। मैं उसके घर गया। उसने मुझे खाना बना कर अपने हाथों से खिलाया। हम इधर-उधर की बातें भी करते रहे।‌ फिर रात को में चुपके से उसके पास गया, और उसको चूमने लगा। उसने मुझे देखा और मुस्कुराने लगी, और मुझे बाहों में भर लिया। मैं उसके कपड़े उतारने लगा। ऊपर के कपड़े उतर चुके थे।

अब बो सिर्फ रेड कलर की ब्रा-पेंटी में थी। उसकी ब्रा-पेंटी उतार कर उसको नंगा कर दिया। क्या माल लग रही थी। उसको कच्चा खाने का दिल हो रहा था मेरा। मैं उसके दूदू को पकड़ कर जोर-जोर से दबा कर काटने लगा। उसके निपलो पर जीभ घुमाने लगा। वो सिसकारियां भरने लगी।

रेनू: आह आह आह उफ उई मां। ऐसे ही करो।

मुझे बहुत मजा आ रहा था। ‌उसकी चिड़ियां पानी-पानी होने लगी। वो मेरे चिड़े को दबाने लगी। मैं उसकी चूचियां काटने लगा, और उसको दर्द भी हो रहा था। वो मदहोश से होने लगी। मैं कहा मानने वाला था। उसको खूब चूसा और चिड़िया से खेलने लगा। उसकी काम वासना को देखते हुए‌ झटके से अपना चिड़ा उसके मुंह में डाल दिया। वो भूखे-प्यासे की बड़े प्यार से गूं‌ गूं करती हुई पूरा चिड़ा खा रही थी।

मैं भी बहुत मजा ले रहा था। अब बो गर्म हो चुकी थी। मैं अब उसको चोदना चाहता था। मैंने उसको लिटा कर सीधा किया। फिर टांगे ऊपर उठा कर उसकी चूत में लौड़ा पेल दिया। उसकी चुदाई खत्म ना होने तक वो मुझे कस के पकड़े हुए थी। उसकी चूत बहुत पानी छोड़ रही थी।

मेरा चिड़ा उसकी बच्चेदानी तक अन्दर जा रहा था। 15 मिनट तक उसको पेलने के बाद, अब मैंने उसको घोड़ी बनने को बोला। वो जल्दी उठ कर घोड़ी बन गई। उसकी चिड़िया को हाथ से मसलने के बाद उसको पीछे से चिड़ा डाल कर चोदने लगा। उसकी चूत लाल हो चुकी थी।

वो कहने लगी: अब मैं आ रही हूं। जल्दी करो।

मेरा भी निकलने वाला था। तो मैंने उसको बोला: कहा निकालूं?

तो उसने मुझे कहा: चूचियों पर डाल दो। मुझे नहला दो।

मैं चिड़ा बाहर निकाल कर चिड़े की मूठ मारने लगा। फिर सारा का सारा माल उसकी चूचियों पर डाल दिया। उस रात हमने 3 बार प्यार किया। सुबह में जल्दी उठ कर अपने कमरे में चला गया। फिर उस भाभी से मुलाकात नहीं हो पाई।

ये थी चुदाई कहानी मेरी और मेरी रेनू भाभी की। मुझे उम्मीद है। आप सभी को पसंद आई होगी। अगर किसी भी तरह की गलती हो तो मुझे माफ कर दे।

दोस्तों मेरी कहानी पर कमेंट करके अपनी फीडबैक जरूर दें। आपकी फीडबैक मेरा हौंसला बढ़ाएगी, और मुझे और ऐसी कामुक कहानियां लिख कर आपके सामने लाने के लिए प्रेरित करेगी। जल्दी ही मिलेंगे किसी नई कहानी के साथ। तब तक के लिए अलविदा।