पिछला भाग पढ़े:- स्कूल मैडम की जवानी-3
दोस्तों इस हिंदी सेक्स कहानी के पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि मैं और एकता मैडम ट्रेन में सफर कर रहे थे। वहां मैंने मैडम की खूब चुदाई की। फिर वो गांड चुदवाने की जिद करने लगी। अब आगे-
अब मैंने अपने लंड पर अच्छे से थूक लगाया, और थोड़ा उसकी गांड पर भी लगाया। फिर अपना लंड उसकी गांड पर सेट करके एक धक्का मारा। मेरा थोड़ा सा लंड गांड में गया तो वो चिलाने लगी। मैंने उसके मुंह को अपने हाथ से बंद किया, और एक झटका बहुत जोर से मारा। मेरा पूरा लंड उसकी गांड में चला गया। वो चीखने को थी, लेकिन मैंने उसके मुंह को बंद कर रखा था।
करीब पांच मिनट मैं उसे चोदता रहा। उसके बाद उसका दर्द कुछ कम हुआ, और वो आराम से चुदाने लगी। अब ट्रेन भी फुल स्पीड में भाग रही थी, और उसकी गांड की चुदाई भी फूल स्पीड में हो रही थी। कुछ देर में मैं उसकी गांड में ही झड़ गया, और लंड ढीला होने पर मैंने उसे बाहर निकाला। मुझे भी लंड में बहुत दर्द हो रहा था, क्योंकि ऐसी सील पैक गांड को चोदने का मेरा पहला अनुभव था।
मैंने अपना लोअर टी-शर्ट पहना, और बाथरूम गया। जब तक एकता ने भी अपनी नाइटी पहन ली थी बिना ब्रा और पैंटी के। उसे पता था अभी उसकी चूत की चुदाई फिर से होगी मशीनरी पोजिशन में, जो मुझे बहुत पसंद है।
मैं बाथरूम गया। वहां मैंने देखा मेरे लंड की हालत खराब हो गई थी। मैंने लंड को अच्छे से धोया, और केबिन में बिस्तर पर आ कर लेट गया।
एकता बोली: क्या हुआ मेरे राजा जी। ढीले हो गए?
फिर हमने लाइट बंद की, और एक-दूसरे से चिपट कर सो गए। ट्रेन अपनी फुल स्पीड में भाग रही थी। अब करीब एक घंटे बाद मैंने एकता की नाइटी थोड़ी उपर करके उसके कूल्हों पर हाथ फेरा, तो वो एक-दम टाइट हो कर मुझ से लिपट गई, और मुझे चूमने लगी।
मैंने पूछा: एकता तुम्हे दर्द तो नहीं हो रहा?
वो और कड़ा चिपटते हुए बोली: मेरे राजा, आप मुझे कभी दर्द नहीं कर सकते, और आपके प्यार के दर्द को मैं सहन कर लूंगी। आज आपने ट्रेन में मुझे चोद कर मेरी ऐसी तमन्ना जिसके बारे में सोचा तक नहीं था, बिन मांगे ही पूरी कर दी है। और मेरी गांड मरवाने की तमन्ना थी वो भी आज पूरी हो गई।
ऐसे ही लेटे हुए हम बाते करते रहे, और मैं उसकी चूत पर हाथ फेर रहा था। वो भी मेरे लंड को मसल रही थी, और मेरे निप्पल चूस रही थी। उसे पता था मेरे निप्पल चूसते ही लंड वापस खड़ा हो जाता है।
उसने मेरे लंड को रगड़-रगड़ कर वापस खड़ा कर दिया और बोली: आज आपकी फेवरेट पोजिशन का क्या हुआ?
उसके ऐसा बोलते ही मैंने अपनी उंगली उसकी चूत में डाल दी।
वो बोली: इससे कुछ नहीं होगा। अपना छः इंची हथियार डालो।
बस फिर क्या था, अंधेरे में ही मैं उसकी नाइटी ऊपर करके उसके उपर चढ़ गया। उसने लंड को पकड़ कर अपनी चूत पर सेट किया। मैंने एक झटके में उसकी चूत में डाल दिया। उसकी चूत टाइट थी, लेकिन पिछले एक महीने में उसको इतना पेला था कि अब मेरा लंड उसकी चूत में आसानी से चला जाता था। मैं उसे चोदे जा रहा था। वो दो बार झड़ चुकी थी, पर फिर भी मेरा भरपूर साथ दे रही थी।
मैं उसे आधे घंटे तक लगातार चोदता रहा। मेरा ये सैशन थोड़ा लम्बा चला क्योंकि पिछले दो घंटे में मैं दो बार झड़ चुका था। ये आज का मेरा तीसरी बार था। लेकिन मैं फिर भी एकता को चोदता रहा और दस मिनट बाद मैं एकता की चूत में ही झड़ गया। फिर मैं एकता के कड़ा लिपट गया, और दोनों ऐसे ही सो गए।
हमने अपने कपड़े सोने से पहले ठीक किए, क्योंकि हम ट्रेन में सेक्स कर रहे थे घर में नहीं, और वहां कोई भी आ सकता था। फिर हमने सुबह चार बजे उठ कर एक बार फिर सेक्स किया, और मैं बाथरूम हो कर आया। तब तक एकता ने भी अपनी ब्रा पैंटी पहन ली थी, और वो सही हो कर लेट गई। अब हम केबिन बंद करके एक दूसरे के चिपक कर सो गए।
फिर छह बजे रिंकू ने गेट खटखटाया, और बाहर से ही बोला: सर टी-कॉफी कुछ लेंगे क्या?
मैं बेड टी पीने का शौकिन हूं। तो मैंने एक चाय के लिए बोला। तब तक एकता सीट पर चादर ओढ़ कर सो गई।
फिर रिंकू चाय लाया और बोला: मैडम नहीं लेंगी क्या?
तो मैं बोला: आप आठ बजे सीधा नाश्ता ले आना। ये तब तक उठ जाएंगी।
वो ठीक है सर बोल कर चला गया। मैं भी चाय पी कर फ्रेश हो कर आया, और वापस बिस्तर पर लेट गया। एकाएक एकता भी आई और मुझसे लिपट कर सो गई। हम दोनों रात भर में काफी देर तक जागे थे, और थक भी गए थे, तो सो गए। सुबह करीब नौ बजे हमारी आंख खुली तो हम खड़े हुए। एकता अब फ्रेश होने चली गई। मैंने रिंकू को फोन लगाया नाश्ते के लिए, तो उसने बताया-
रिंकू: सर मैं आठ बजे आपके यहां नॉक करके गया था, लेकिन आप लोग शायद सोए गए थे। कोई बात नहीं मैं अभी दस मिनट में नाश्ता लेकर आ रहा हूं।
वो दस मिनट में नाश्ता लेकर आ गया। हमने उसे बेड उठाने को बोला, तो उसने बेड उठा कर साइड कर दिया। हमने सीट पर बैठ कर नाश्ता किया और बातें करने लगे। फिर केबिन बंद करके हमने कई बार एक-दूसरे को ब्लोजॉब दिया। बाकी प्रोग्राम वापस रात के लिए छोड़ दिया, मतलब सेक्स।
हमारा सफर 36 घंटे का था, तो ट्रेन में हमें दो रात और एक दिन गुजरना था। दिन में हमने रिंकू से जैसा खाना खाना था, मंगाया और खाते रहे। डिनर के लिए हमने उसे सात बजे के लिए बोल दिया, ताकि बाकी रात का टाइम हम साथ में ज्यादा बिता सके।
हमने रात में सात बजे हल्का खाना खाया। रिंकू हमारा बिस्तर लगा कर चला गया। उसके जाते ही हमारा सेक्स का प्रोग्राम चालू हो गया। हमने एक-दूसरे के साथ जी भर कर प्यार और सेक्स किया, कि ना जाने अब रात में कब मौका मिले, क्योंकि मेरे साथ अब मेरी बीवी और बेटा आने वाले थे, तो रात में तो एकता के घर रुक नहीं सकता था। और जैसे कि मैंने बताया अब एकता भी प्रेगनेंट थी, तो वो भी कुछ टाइम बाद ज्यादा सेक्स तो कर नहीं सकती थी।
हमारी ट्रेन सुबह छह बजे दिल्ली पहुंचने वाली थी। लेकिन कुछ डिस्टर्बेंस की वजह से लेट हो गई।
हमने रिंकू से पूछा तो वो बोला: सर हम नौ बजे तक दिल्ली पहुंचेंगे। अभी तीन घंटे लगेंगे।
एकता अपनी सीट पर लेट गई। मैं भी उसके उपर ही लेट गया। तब तक हमने चेंज नहीं किया था। मैंने एकता की नाइटी ऊपर की, और एक शिफ्ट उसकी चुदाई की जाते-जाते और मार दी। उसने भी भरपूर साथ दिया। करीब साढ़े आठ बजे रिंकू हमारे लिए कुछ हल्का नाश्ता लाया। हमने नाश्ता किया और फिर अपने-अपने कपड़े चेंज किए, और बैग पैक किए। अब हम दोनों एक सीट पर बैठ गए। एकता ने मेरे कंधे पर अपना सर रख कर बोली-
एकता: अरुण अब हम कब मिलेंगे?
मैंने कहा: पागल मैं कहां जा रहा हूं? वहीं तो रहूंगा तुम्हारे पास।
एकता अचानक से बोली: मुबारक हो अरुण, तुम एक बच्चे के बाप बनने वाले हो।
मैंने कहा: हां मुझे पता है तुम प्रेगनेंट हो।
उसने कहा: नहीं पागल, इस बार मां मैं नहीं साक्षी है।
मैं उसकी बात सुन कर चौंक गया।
एकता: कल रात में ही उसकी प्रेग्नेंसी कन्फर्म हुई है और उसका मैसेज आया था। उसके परिवार में ढेर सारी खुशियां आ गई है तुम्हारी वजह से डॉक्टर साहब।
मैंने पूछा: डॉक्टर साहब क्यों?
एकता बोली: साक्षी अपने घर पर बोल कर आई थी कि इलाज कराने बैंगलोर जा रही हूं। और यहां से जाने के बाद पांच दिन में ही उसकी प्रेगनेंसी कन्फर्म हो गई। उसकी सास और पति ने भी मुझे मैसेज किया था, और सभी थैंक्स बोल रहे थे। तो वो सारे थैंक्स तुम्हारे लिए है, इसलिए डॉक्टर साहब।
मैं हंस पड़ा: ओह माय गॉड, ऐसा क्या! अगर ऐसे ही चलता रहा, तो मैं तुम्हारी सारी दोस्तों के बच्चो का बाप बन जाऊंगा, और सब को मां बना दूंगा।
एकता बोली: तो इसमें क्या गलत है? अब से जो भी मेरी दोस्त जो मां नहीं बन पाई है, उसे ही डॉक्टर अरुण से मिलवाऊंगी।
ये सब बात करते हुए हमारा स्टेशन आ गया। रिंकू ने हमारे लगेज उतारने में हमारी मदद की। हमने उसे थैंक्स बोला और बाहर आ गए। एकता के पति उसे लेने स्टेशन आए थे। उसने मुझे अपने स्टूडेंट का पैरेंट्स बोल कर उससे मिलवाया। फिर वो अपनी गाड़ी में बाय बोल कर निकल गए। मैंने भी कैब ली और मेरी बीवी के मायके के लिए निकल गया।
दोस्तो ये एक रियल स्टोरी है आप बताना और कमेंट करना आपको ये मेरी स्टोरी कैसी लगी। मैंने इसे शब्दो में लिखने की कोशिश की है। लेकिन इसका एहसास कुछ और ही था।
एकता बैंगलोर आने पर हमारे घर भी आती रहती है, और मेरी बीवी उसका खयाल अपनी छोटी बहन जैसा रखती है, क्योंकि वो मां बनने वाली थी। इस बीच एकता ने अपने स्कूल की एक मैडम से और मिलवाया, जो मां बनना चाहती थी। उसके मिलन की कहानी मैं अपनी अगली कहानी में आपको बताऊंगा। एकता ने एक-एक करके अपनी आठ दोस्तों से मुझसे मिलवाया, और आज मैं उन सब के बच्चो का बाप हूं।
ओके दोस्तों, मिलते है अगली सेक्स कहानी के साथ।
अगला भाग पढ़े:- स्कूल मैडम की जवानी-5