कामवाली ने चूसा लंड-2

पिछला भाग पढ़े:- कामवाली ने चूसा लंड-1

दोस्तों, अपनी कामवाली सेक्स स्टोरी शुरू कर रहा हूं।

अगली सुबह जब रानी आई तो मैंने ऐसा ही नाटक किया जैसे कि मैं बेसुध हुआ था। रानी ने इस बार भी मुझे हल्का सा हाथ लगा कर उठाने की कोशिश करी। जब उसको लगा कि मैं असली में बेहोश था, तो वो फिर से मेरे लंड को पकड़ कर गोटे सहलाते हुए चूसने लगी। बस फर्क इतना था कि इस बार मुझे सब पता था क्या हो रहा था, और पूरे होश में था।

उसने अपनी जींस उतारी और अपनी चूत में उंगली फेरती हुई मेरा लंड चूसे जा रही थी। ऐसा करने से उसकी चूत पूरी गीली हो गई थी। उसके बाद उसने अपनी चूत मेरे मुंह पर लगाई और रगड़ने लग गई।

रानी: आह राजू मेरी चूत चाटो आह। कल मैंने आपकी खीर खाई थी, आज मेरा नींबू पानी पियो।

रानी को लग रहा था कि मैं नशे में ही था, और और वो अपनी कामुकता मेरे साथ निकलती रही। हर तरफ से वो अपनी चूत मेरे उपर रगड़ रही थी। जब तक उसकी चरम सीमा नहीं आ गई, तब तक उसने मेरा इस्तेमाल किया। फिर उसकी चूत से खूब सारा पानी निकला, जो कि उसने मेरे मुंह पर ही निकल दिया। और साथ ही मेरे गोटे भी निचोड़ लिए।

उसके बाद वो अपना काम करके चली गई। मैं वही सोने का नाटक करते रहा। फिर उसके जाने के बाद उठा और तयार होकर ऑफिस गया। शाम को फिर वही रूटीन रहा। रानी आकर अपना काम करने लगी।

राजू: रानी तुमने कुछ नया स्प्रे मारा था क्या कमरे में? आज जब मैं उठा तो कुछ अलग ही खुशबू थी।

रानी: हां भैय्या वो मैं अपने साथ एक घरेलू पानी बना कर लाई थी। जिसे घर में छिड़कते है।

राजू: अच्छा तुमने क्या मेरे उपर भी छिड़का था? मेरा मुंह भी थोड़ा चिपचिपा हो रहा था।

रानी: हां भैय्या वो गलती से आपके उपर भी गिर गया था। पर वो पिया भी जा सकता है।

राजू: अच्छा हां, वैसे उसका स्वाद तो अच्छा लग रहा था जो भी था वो। मेरे होंठो पर था उसका स्वाद।

रानी: अच्छा भैय्या आपको अच्छा लग?

राजू: हां कौन सा पानी है जरा लाना फिर से। मुझे काफी पसंद आया।

रानी: ठीक है भैय्या लाऊंगी कभी।

फिर ऐसे ही कुछ दिन निकले और वीकेंड आ गया और मेरी गर्लफ्रेंड मेरे फ्लैट पर आकर रहने लगी। और मैंने हमेशा की तरह उसकी जबरदस्त चुदाई करी। मैं उसे रंडियों की तरह चोदता था। 2 दिन दिन रात लगातार चुदती थी वो। और उसके मुंह को तो मैं ऐसे चोदा करता था घंटो-घंटो तक।

शनिवार सुबह जब रानी आई तब मैं श्रिया को बिस्तर पर लिटा कर उसके मुंह को चोद रहा था। श्रिया का सिर दीवार की तरफ था और मैं अपना लंड उसके मुंह में डाल कर उसके उपर चढ़ा हुआ था। मेरे गोटे श्रिया की नाक और आंख पर थे। और मैं उसकी टांगे फैला कर उसकी चूत चाट रहा था।

रानी ने जैसे ही दरवाजा खोला तो उसने हमें ऐसी हालत में देखा। मैने रानी को देख लिया था पर श्रिया नहीं देख सकती थी। मैं फिर भी नहीं रुका और श्रिया को चोदता रहा। रानी जितनी देर काम करते रही श्रिया की चीखे सुनती रही और आज तो रानी को सुनाने के लिए मैं और जोरो से चोद रहा था श्रिया को।

फिर बीच में मैं एक बॉक्सर डाल कर बाहर पानी लेने गया। श्रिया मेरे बिस्तर पर ही पड़ी हुई थी। रानी रसोई में काम कर रही थी। मैं वहा गया और पानी भरने लगा।

राजू: रानी आज थोड़ा ज्यादा बना देना, श्रिया भी है। और वीकेंड पर तो तुमको पता ही है कुछ ज्यादा मेहनत करनी होती है।

रानी: हां भैय्या आपकी मेहनत बाहर तक सुनाई देती है।

राजू: आज तो देखी भी तुमने (कमर पर चिकोटी काटते हुए)।

रानी: वो तो भैय्या में गलती से आ गई थी।

राजू: कोई बात नहीं देख लिया तो क्या हुआ? तुम कोई छोटी बच्ची थोड़ी हो।

रानी की गांड पर मारते हुए मैं वापिस चला गया, और फिर से श्रिया की चुदाई करने लग गया। पूरे वीकेंड गांड श्रिया की मार रहा था, पर जल रानी की रही थी। फिर रविवार रात को आखरी चुदाई के बाद मैंने श्रिया को उसके फ्लैट छोड़ा, और वापिस आकर अगली सुबह की तयारी कर ली।

वैसे ही दारू का माहौल बना कर नंगा सो गया। सुबह रानी के आने के पहले मैंने लंड खड़ा करने वाली गोली भी खा ली। जब रानी आई तो वहीं हुआ जो मैंने सोचा था। रानी ने फिर मेरा फायदा उठाना शुरू करा बेहोश समझ कर। पर इस बार मैं भी रानी को चोदने के मूड में था।

रानी ने अपने कपड़े उतारे और पहले की तरह मेरे उपर बैठ गई और मेरे मुंह पर अपनी चूत रगड़ने लगी। उसकी चूत की खुशबू से मेरा लंड एक-दम खड़ा हो गया। उसने मेरा लंड पकड़ा और अपनी चूत रगड़ते हुए उसे भी हिलाने लगी।

रानी: आह राजू ऐसे ही चोदो मुझे। श्रिया की तरह मेरी भी चूत चाटो, आह आह।

फिर रानी पलट कर बैठ गई, मेरे बाल पकड़े और अपनी चूत मेरे मुंह पर रगड़ने लगी। मैंने भी अपना मुंह खोल दिया और जीभ बाहर निकल दी। उसे भी और मजा आने लगा। उसके बाद मैंने एक-दम से उसकी गांड अपने दोनों हाथो से पकड़ ली। जिसके बाद उसने मुझे देखा, और मैंने झट से अपनी आंखे खोल दी। रानी की चूत मेरे मुंह पर थी, और मैंने उसकी गांड पकड़ रखी थी।

रानी: भैय्या आप जाग रहे है?

मैने कुछ नहीं बोला और सीधे उसकी चूत को चूमते हुए अपने मुंह में लिया, और अपनी जुबान से जोरों से रगड़ने लगा। रानी सिसकियां लेने लगी, आह आह की आवाजें निकालने लगी। वो मेरे मुंह को पूरी तरह अपनी मोटी जांघो में दबा कर चोदने लगी। वो तब तक नहीं रुकी, जब तक उसे चरम सुख नहीं मिला, और मेरे मुंह पर अपना पानी छोड़ने लगी।

राजू: तो यहां से आया था वो खुशबूदार और स्वादिष्ट पानी।

रानी: आह्हह हां भैय्या, आप कहो तो मैं रोज आपको ये पानी पिला दूं।

राजू: रानी तुम्हारे तो हाथों में ही नहीं चूत में हुई स्वाद है। अब तो मैं ये रोज पियूंगा।

रानी: आप ही के लिए है भैय्या, जितना चाहे उतना पी लो।

राजू: और तुम आज अपनी खीर नहीं खा रही।

रानी: ऐसे कैसे बिना खीर खाए चली जाऊं? आज तो और अच्छे से खाऊंगी।

राजू: पर आज में अपने हाथ से खिलाऊंगा, खा तो लेगी ना?

रानी: हां भैय्या, मैंने आपको श्रिया दीदी को भी खिलाते हुए देखा है‌। एक-दम वैसे ही खिलाना मुझे भी।

बस फिर क्या था, मैंने रानी के बाल पकड़े और उसके मुंह में अपना लंड ठूस कर उसे चोदना शुरू कर दिया। कभी बिस्तर पर लिटा कर तो कभी घुटनों पर, कभी दीवार में दबा कर। पूरे घर में घुमा-घुमा कर लंड चुसाया। रानी बीच में बोली-

रानी: भैय्या अब खीर पिला भी दो, बहुत थका दिया।

राजू: मुंह थक गया है तो कुछ और भी कर सकते है।

ये बोल कर मैने रानी के मुंह में लंड ठूस कर उसका सिर पूरी तरह से दबा लिया। और फिर उसको उसी तरह घिसता हुआ वापिस बिस्तर पर ले गया। बिस्तर पर पटक कर उसकी टांगे फैलाई और उसकी गीली चूत पर लंड रख कर जोरदार झटका मारते हुए अंदर घुसा दिया।

रानी की चूत इतनी गीली थी कि उसमें से फच-फच की आवाज आ रही थी। 5 मिनट ऐसे ही चोदने के बाद उसे पलटाया, और घोड़ी बना कर चोदने लगा। पीछे से उसकी बड़ी गांड देख कर बहुत मजा आ रहा था। झटकों के साथ गांड पर चांटे भी मारे जा रहा था। इतनी नरम मुलायम गांड जबरदस्त हिले जा रही थी।

रानी तो थोड़ी-थोड़ी देर सब ही पोजीशन में चोदने के बाद मैंने उसके सुंदर चेहरे पर अपना माल छोड़ दिया, जिसको उसने बड़ी ही खुशी के साथ उंगलियों से चाट-चाट कर खा लिया।

इसी तरह पूरा हफ्ता रोजाना सुबह-शाम रानी के साथ चुदाई का कार्यक्रम चलता रहा। हमने एक नया नियम भी बना दिया था कि घर में जितनी देर भी रानी अपना काम करेगी, उसे कपड़े पहनना मना था। तो वो पूरा वक्त नंगी ही घूमती थी, खाना बनाते हुए, और झाड़ू-पोछे के वक्त भी। मैं सेक्स के बाद भी उसको बीच-बीच में छेड़ते रहता था।

हफ्ता भर तो बहुत हंसी-खुशी निकला, पर मैं खुद चिंतित था कि वीकेंड पर जब श्रिया आएगी, तो क्या होगा। ये जानने के लिए पढ़े अगला भाग।

कामवाली की चुदाई कहानी के बारे में अपने विचार जरूर दें।