पिछला भाग पढ़े:- अंकिता और मेरी कामवासना-1
पिछले पार्ट में आपने पढ़ा मुझे मेरे पास पढ़ने आने वाली एक लड़की बहुत सेक्सी लगती थी। फिर मैंने उसको खुश रखना शुरू किया, और आखिरकार उसने मुझे अपने प्यार का इजहार किया। फिर हम दोनों एक-दूसरे को चूमने लगे। लेकिन तभी उसके घर से फोन आ गया।
अंकिता लगातार मुझे देख रही थी, और मैं उसे। उसने अपने घर पर कहा कि वो जया (अंकिता की वो दोस्त जिसका नाम लेकर वो मेरे साथ घूमने लगी थी। जो थी नहीं, बस नाम था) के यहां थी, खाना खा कर आयेगी, और देर हो जाएगी। फोन रख कर अंकिता एक बार फिर मेरी बाहों में थी।
कुछ देर बाद हम दोनों ने कुछ-कुछ अपनी शक्ल सही की, और डिनर के लिए बाहर गए। उस दिन अंकिता दोनों वक्त आते और जाते समय बिल्कुल मुझसे चिपक कर ही बैठी थी, और उसका एहसास मुझे हो रहा था। रात के करीब नौ बज चुके थे। मैंने अंकिता से कहा-
मैं: चलो, अब तुम्हें घर छोड़ आऊं।
तो उसने मुझे कुछ देर मेरे घर चलने के लिए कहा। मैं समझ चुका था कि अंकिता के अंदर की वासना को मैं हवा दे चुका था, तो सीधा हम मेरे घर पहुंचे। घर पहुंचने पर अंकिता को मैंने फिर एक बार अपनी बाहों में लिया, और उसने भी अपने दोनों हाथों से मेरी कमर पकड़ी हुई थी।
मैंने कहा: अंकिता रात होने लगी है, घर नहीं जाना क्या आज?
वो बोली: हां नहीं जाना, मुझे यही रहना है, आपकी बाहों में।
अब मेरे हाथ अंकिता की कमर से उसकी गांड पर थे। उसकी गांड कुछ थोड़ी ज्यादा ही सॉफ्ट थी। मैंने अंकिता के सर पर चूमा, उसके गाल पर चूमा, और फिर उसे इशारे से अपनी जीभ बाहर निकालने को कहा। अब मैं अंकिता की जीभ चूसने लगा। हम दोनों फिर एक-दूसरे के होठों का रसपान करने लगे।
कुछ देर बाद मैंने अंकिता को घड़ी दिखाई, तो दस बज चुके थे। अंकिता ने अपना फोन उठाया, फोन लाउड पर किया, और अपने घर पर कॉल करके मम्मी से बोली-
अंकिता: मम्मी जया अकेली है, जिद कर रही है कि यही रुक जाऊं।
तो उसकी मम्मी ने कहा: हां तो रुक जा, थोड़ा मूड भी तेरा ठीक हो जाएगा।
फिर उसने मम्मी को बाय कह कर फोन बंद कर दिया।
अंकिता मुझसे बोली: तो आज तो मैं आपकी हूं। मैं आपसे बहुत प्यार करती हूं। मैंने कहा: अंकिता आई लव यू टू मेरी जान। पर सारी रात यही रुकोगी तो… (मैं चुप हो गया)।
तो अंकिता बोली: रुकूंगी तो…?
मैंने कहा: कुछ नहीं, फिर मत कहना अगर कुछ…।
अंकिता बोली: अगर कुछ नहीं, आपको बहुत कुछ करने की इजाज़त है।
मैंने अंकिता को एक बार फिर सीने से चिपका लिया और बोला: अंकिता देखो, सोच लो एक बार।
फिर तो अंकिता ने मेरा हाथ अपने हाथ में लिया और बोली: सोच लिया।
और उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर रखा और बोली: इस प्यास को बुझाना भी तो आपकी जिम्मेदारी है।
मैंने अंकिता का हाथ पकड़ कर अपने लंड के ऊपर रखा, जो कड़क हुआ जा रहा था, और कहा-
मैं: ये बस मेरी जान अंकिता के लिए है।
अब हम दोनों काम के नशे में आ चुके थे। अब अंकिता और मैंने एक-दूसरे को आंखों ही आंखों में इशारे से अपने प्यार का इजहार किया। मैंने अंकिता की पीठ पर हाथ रखा, और उसकी टॉप की चैन नीचे करने लगा, जो उसकी गर्दन से लेकर कमर तक थी। चैन नीचे होते ही अंकिता का टॉप ढीला हो गया, और उसके बदन से सरकने लगा। मैंने उसके दोनों कंधों पर अपने हाथ रखे और बोला-
मैं: अंकिता आज की रात बहुत बड़ी होने वाली है।
अंकिता मेरी शर्ट के बटन खोलने लगी, और बोली: आज की रात यादगार होने वाली है।
इधर अंकिता ने मेरी शर्ट खोल दी, और उधर मैंने उसके टॉप को नीचे कर दिया। हम दोनों एक-दूसरे के जिस्म के ऊपर के हिस्से की गर्मी महसूस कर सकते थे। अंकिता ने लाल रंग ही ब्रा पहनी थी। मैं अब अंकिता के गाल चूमने लगा। मैंने उसके गाल और गर्दन पर किस की, और किस करते-करते मैं उसकी पीठ से होता हुआ कमर तक पहुंचा।
कमर पर किस करते हुए मैंने अंकिता के पेट और नाभि पर किस की, और फिर अपने दोनों हाथों से अंकिता के दोनों बूब्स पकड़े। अपने बूब्स पर मेरे हाथ पाकर अंकिता मचल उठी।
वो बोली: निचोड़ो इन्हें जान।
मैंने धीरे-धीरे अंकिता के बूब्स को मसला, और उसकी नाभि से होते हुए, उसके पेट पर किस करते हुए, उसके बूब्स तक पहुंचा, और एक बार नज़र भर के मैंने अंकिता को देखा। उसका वो काला बदन मुझे किसी अप्सरा जैसा लग रहा था। मैंने अंकिता की ब्रा के ऊपर ही से उसके बूब्स के निप्पल चूसने शुरू किए। कभी दाया, कभी बाया, दोनों निप्पल मैं बारी-बारी से चूस रहा था, और अंकिता आहें भर रही थी।
अंकिता का हाथ मेरे लंड पर था, और वो हल्के हाथों से मेरे लंड को दबा रही थी। अब मैं एक बार फिर अंकिता के होठों को चूमने लगा। अबकी बार मेरे हाथ उसकी सलवार का नाड़ा खोज रहे थे, जो मुझे मिल नहीं रहा था। तो अंकिता ने अपने हाथ से मेरा हाथ पकड़ा और अपनी सलवार के नाड़े पर ले गई। अब अंकिता मेरी पेंट खोलने लगी थी। इतने में मैंने उसका नाड़ा खींच दिया, जिससे उसकी सलवार उसके पैरों में जा गिरी।
इधर अंकिता ने मेरी पेंट खोल दी। मैंने देखा अंकिता ने लाल रंग की पैंटी पहनी थी। मैंने अंकिता की बड़ी सी गांड पर हाथ लगाया, और धीरे से दबाते हुए कहा-
मैं: अंकिता तुम्हारी गांड तो तुम्हारे बूब्स से भी कही ज्यादा सॉफ्ट है।
अंकिता ने भी मेरा लंड पकड़ा हुआ था। अब मैंने अंकिता को अपनी गोद में उठाया, और उसके होठों को चूमते हुए उसे बेडरूम की तरफ ले गया। वहां मैंने अंकिता को बिस्तर पर लिटा दिया, और उसके ऊपर मैं भी लेट गया। हम दोनों एक-दूसरे से चिपके हुए थे। हम एक-दूसरे को किस करते, एक-दूसरे के शरीर से खेल रहे थे। मैंने अपना हाथ अंकिता की पैंटी के ऊपर से उसकी चूत पर रखा, तो वो पूरी भीगी हुई थी।
मैंने कहा: अंकिता तुम्हारी पैंटी तो पूरी तरह से गीली हो चुकी है।
अंकिता ने मेरी आंखों में देखा और बोली: अब आप इतने प्यार से ये सब करेंगे, तो गीली तो होगी ही ना।
मैंने कहा: बोलो ना क्या गीली होगी अंकिता?
अंकिता बोली: नहीं मुझे शर्म आती है।
और उसने मेरी नज़रों से नज़रे हटा कर चेहरा एक साइड कर लिया। मैंने अंकिता का चेहरा सीधा किया, और अपनी आंखों से आंखे मिलते हुए बोला-
मैं: मुझसे कैसी शर्म अंकिता? मेरे साथ तो पूरी बेशर्म बन कर रहो मेरी जान।
अंकिता ने मेरी नज़रों से नज़रे मिलाई और एक कामुकता भरी मुस्कुराहट के साथ बोली: आपने अपनी अंकिता को इतना प्यार दिया, कि आपकी अंकिता की चूत गीली हो गई।
मैं अंकिता के मुंह से ये सुन कर जोश में आ गया।
इसके आगे इस हिंदी सेक्स कहानी में क्या हुआ, वो जानिए अगले पार्ट में। फीडबैक के लिए [email protected] या [email protected] पर मेल करें।
अगला भाग पढ़े:- अंकिता और मेरी कामवासना-3