पिछला भाग पढ़े:- ममेरे भाईयों ने मुझे गांडू बनाया-1
मेरे मन में मैच से ज्यादा मेरे और रमेश भैया के बीच होने वाले खेल के बारे में खलबली मची हुई थी। मुझे पूरा विश्वास था कि आज पक्का भैया के लंड से अपनी गांड की चुदाई करा कर ही रहूंगा। हम भैया के घर तीन बजे पहुंच गए। मैच भी स्टार्ट हो चुका था। टीवी रमेश भईया के रूम में था।
कुछ देर बाद अमर बोला: आलोक तू मैच देख, मैं दुकान जाता हूं। रमेश भैया घर आएंगे चाय नाश्ता करने।
मैंने कहा: ठीक है। मेरे मन में लड्डू फ़ूटने लगे। भैया की कपड़े की दुकान थी घर से एक किलो मीटर। चूंकि हमारा गांव छोटा ही है। दस मिनट बाद रमेश भैया आए, और सीधा स्कूटी खड़ा कर अपने रूम में आ गए।
वहां मुझे देख कर बोले: आलोक कब आए?
मैंने कहा: भैया अमर के साथ आया था।
उन्होंने कहा: चलो ठीक है, साथ में मैच देखेंगे।
कपड़े उतारते हुए बोले: कौन खेल रहा है?
मैंने कहा: इंडिया बेटिंग कर रही है।
उन्होंने पेंट उतार कर टावल लपेट ली, और शर्ट उतारने लगे, तो मैं तिरछी नज़र से उनकी ओर देख रहा था। वो शर्ट के अंदर बनियान नहीं पहनते थे, तो सिर्फ टावल में ही चेंज कर वाश रूम चले गए। बाथरूम कमरे के बाहर आंगन में था। हाथ मुंह धोकर फ्रेश होकर कमरे में आ गए। और फिर कपड़े पहन लिए। अब हम बैठ कर मैच देखने लगे। तब तक दीदी, भैया की बहन जो मुझसे बड़ी थी, पोहा लेकर आई। हमने साथ में खाया और मजे से बात करते हुए मैच देखने लगे। फिर चाय पी साथ में।
फिर भैया उठे और बोले: तू मैच देख मैं दुकान जाता हूं।
मैंने कहा: ठीक है।
फिर भैया ने दीदी को आवाज देकर कहा: संजना आज मैं अपने दोस्त की बर्थडे पार्टी में जाऊंगा, लेट आऊंगा।
और चले गए। फिर थोड़ी देर बाद अमर आ गया। हम मैच देखने लगे। एक पारी समाप्त हो गई। तब हमने खाना खाया। रात के 9 बजे थे। ठंड के दिन में हमारे यहां बहुत ठंड होती है। मैच ग्यारह बजे समाप्त हो गया।
अब अमर ने कहा: चल सोते हैं।
वो अपने रूम में चलने को बोला, जो कि भैया के रूम एक रूम के बाद था। बीच में पूजा रूम था।
तो मैं बोला: तू चल मैं थोड़ा मैच का रीकैप देख कर आता हूं।
मैंने बहाना कर दिया क्योंकि मुझे तो रमेश भैया के साथ सोना था। अब मैं टी वी चालू करके सो गया और भैया के आने का इंतजार करने लगा। लाइट भी ऑफ कर दी। फिर करीब साढ़े ग्यारह बजे होंगे। गाड़ी की आवाज आई, और गेट खुलने की भी। मैं समझ गया भैया आ गए थे।
मैंने बहाना करके टी वी चालू छोड़ दिया और पीठ के बल करवट लेकर सो गया। मेरी सांसे तेज हो गई। मन में तरह-तरह के विचार आने लगे। सोचने लगा आज भैया का लंड चूसूंगा, पहली बार किसी का लंड अपनी गांड में लूंगा। भैया का लंड कैसा होगा। तभी भैया सीधा रूम में आए और लाइट ऑन की तो देखा कि मैं टीवी देखते-देखते ही सो गया।
उन्होंने अब अपने कपड़े उतारने चालू किए, तो बेल्ट खोलने की आवाज आई। मैंने थोड़ी आंख खोल कर देखा तो वो अपनी पेंट उतारे। फिर अपनी शर्ट उतारी। अब वो सिर्फ अंडरवेयर में थे। उनकी बॉडी देख कर मेरी गांड में खुजली होने लगी।
तब उन्होंने टावल लपेटा और बाहर चले गए। फिर दस मिनट बाद शायद फ्रेश होकर आए। भैया ने रैक से एक कंबल निकाला, और बेड पर रख दिया। फिर लाइट ऑफ कर बेड पर सो गए। रिमोट लेकर टीवी की आवाज कम करके देखने लगे। अब मेरे मन ये खयाल आया कि भैया अलग कंबल ओढ़ेंगे तो मेरा खेल खराब हो जायेगा।
कुछ देर बाद वो टीवी बंद कर सोने लगे। मैं डर रहा था कि मैं अगर कुछ करता हूं तो वो कैसा रिएक्ट करेंगे, मेरे बारे में क्या सोचेंगे। पर मैंने भी ठान लिया था कि कुछ भी हो आज मुझे तो उनसे चुदना ही था। कुछ देर बाद रमेश भैया की नींद लग गई। तब मैंने अपना काम चालू किया।
मैंने तेजी से अपना हाथ और एक पैर करवट के बहाने उनके ऊपर रख दिया। उन्हें लगा कि मैं नींद में था। बेड का साइज चार बाय छह का था। उन्होंने कुछ नहीं किया तो मेरी हिम्मत बढ़ी। मैंने अपना हाथ फिर उनकी गर्दन पर रख दिया, क्योंकि बाकी बदन कंबल में ढका था। मैंने हाथ को सरका कर उनके गालों पर रख दिया। उनकी हल्की दाढ़ी की चुभन मुझे बहुत अच्छी लगी। लेकिन फिर उन्होंने मेरा हाथ और पैरों को धीरे से अलग कर दिया।
मैं डर गया अब क्या होगा। मैं शांत पड़ा रहा। लेकिन मैं ठान चुका था आज तो मुझे प्रपोज करना ही था। फिर मैंने दोबारा करवट ली, और अपनी रजाई अपने ऊपर से फेंक दी ताकि मैं भैया को अपनी गांड दिखा सकूं। मैंने भी शॉर्ट्स और टी-शर्ट डाल रखे थे, जबकि भैया सिर्फ टावल और फ्रेंची में थे।
फिर एक बार बहाना कर रजाई को बेड से नीचे गिरा दिया। मैं वास्तव में ठंड से ठिठुर रहा था, और भैया को यही दिखाना चाहता था कि मुझे ठंड लग रही थी। भैया सोए हुए थे। फिर मैं नींद का बहाना कर उनका कंबल खींच कर ओढ़ने लगा। उन्होंने कुछ नहीं किया। अब मैं उनके साथ एक कंबल में था, और एक-दम सट कर उनकी बॉडी मुझसे चिपक रही थी। मुझे ऐसा लगा मेरा आधा काम हो गया।
थोड़ी देर बाद हम एक-दूसरे के सामने थे। मैं उनके ऊपर अपना हाथ रख दिया। जैसे ही मेरा हाथ उनके छाती पर लगा मेरे पूरे शरीर में करंट दौड़ गया। मैं थोड़ी देर ऐसे ही पड़े रहा, और भैया के रिएक्शन का इंतजार करने लगा। फिर भैया ने मेरा हाथ हटा के नीचे किया और पलट कर दूसरी तरफ करवट ले ली।
अब मुझे पक्का यकीन हो गया कि भैया को ये सब पसंद नहीं, या लडको में इंट्रेस्ट नहीं था। लेकिन मैंने अपना हौसला बढ़ाया और सोचा कि आज नहीं चुदा पाया तो फिर शायद ये मौका दोबारा नहीं मिलेगा। सोच कर मैं अपना हाथ और पैर भैया के ऊपर रख कर पीछे से चिपक गया। मैं ऐसे ही लिपटा रहा। उनकी बॉडी इतनी मजबूत थी कि सोच कर कांप गया कि लंड भी इतना ही सख्त होगा।
वो सोए रहे और कुछ भी नहीं किया। अबकी बार काफी देर तक मुझे अपने से अलग नहीं किया, तो मैंने अपना हाथ नीचे सरका कर कमर के ऊपर से पेट पर अपनी हथेली रख दी।
अब मैं उनसे कस कर लिपट गया। फिर उनके पेट में अपनी उंगलियां धीरे-धीरे फिराने लगा। तब भी उन्होंने कुछ भी रिएक्ट नहीं किया, और मैं अपने मन को दिलासा दिया कि आज शायद इतना ही होगा। फिर मैं सोने की कोशिश करने लगा, पर नींद भी कैसे आ सकती थी, जैसे कोई प्यासा कुएं के पास खड़ा हो। थोड़ी देर बाद भैया ने करवट ली और मेरी तरफ मुड़ गए। मेरी खुशी का ठिकाना ना रहा।
मैं जैसे उछल पड़ा। अब हम दोनों का मुंह एक ही तरफ था। मेरा हाथ भैया की कमर पर था। एक-दम से मेरी सांसे तेज हो गई क्यूंकि हमारे चेहरे आपस में टकरा रहे थे। मुझे लगा मैं सपना देख रहा था, पर ये सच था। कुछ देर तक हम ऐसे ही पड़े रहे। फिर अचानक भैया ने अपना हाथ मेरे ऊपर कंधे पर रख दिया।
अचानक मेरे लंड में भारी तनाव आ गया। ऐसा लगा कि मैं झड़ जाऊंगा। अब बारी भैया की थी, मैं शांत हो गया। फिर उन्होंने अपना हाथ मेरे सर के पीछे लगाया, और झटके से मुझे अपनी ओर खींच लिया और मेरे होंठ अपने होंठों में लगा लिया। मुझे ऐसा लगा मेरा जीवन सफल हो गया। वो मेरे होंठो को जोर से चूसने लगे।
तभी मैंने भी अपना हाथ उनकी गर्दन पर रख कर कस के पकड़ लिया। हम आपस में एक-दूसरे के होंठो को चूसे जा रहे थे। मैंने अब सोच लिया था कि आज मैं सब कुछ करूंगा, जो सोचा था। चाहे भैया मेरे बारे में कुछ भी सोचें। और मैंने हाथ से भैया का लंड झट से पकड़ लिया। उनकी फ्रेंची में हाथ डाला तो ऐसा लगा जैसे मेरे हाथों में कोई रॉड आ गया हो, इतना सख्त लंबा मोटा लंड।
मैंने तो सोच लिया कि कुछ भी हो आज मुझे अपनी गांड की सील तुड़वानी ही है चाहे मेरी गांड फट ही जाए। अब मैं उनके लंड को मसल रहा था और रमेश भैया मेरे होंठो को जोर से चूस रहे थे। अब उनका हाथ फिसल कर मेरे सीने में आ गया। वो मेरे बूब्स दबाने लगे जोर से। मेरी चूचियों को उंगली से काटने लगे, तो मैं जैसे हवा में उछल पड़ा। फिर भैया ने क्या सोचा और मुझे सीधा कर मेरे ऊपर चढ़ गए। मेरे दोनों हाथों को अपने हाथों से पकड़ा और मेरे गालों पर किस करने लगे।
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