मेरे चारों बच्चे मेरी जान-3

कुछ मिनटों के बाद, मैंने हलके हलके से उसके होंठ चूसना शुरू किया। अब वो भी मेरे चुम्बन का उतर दे रहा था। उसने धीरे से मेरे एक हाँथ में अपना हाँथ फसा लिया। मेरा दूसरा हाँथ उसके छाती पे आकर ठहरा तो वो बिलकुल ही तेज़ी से धकधक कर रहा था। मानो आवाज़ बाहर तक आ रही हो। मैंने महसूस किया की मेरा भी दिल काफी तेज़ी से धड़क रहा था। बिलकुल इसी अवस्था में हम 15 मिनट रहे।

तभी मैंने ध्यान दिया की उसके पैंट में एक तम्बू सा बन गया है। मैंने अपनी चुम्बन तोड़ दी। कल दोपहर से अब ये पहली बार था जब हम दोनों की नज़रे मिली। हम दोनों की धड़कने तेज़ थी।

मैंने उसका हाँथ पकड़ा और उसे खींचते हुए चल पड़ी। हम गाड़ी में आ गए और मैंने ड्राइवर को कहा की वो हमें वापस ऑफिस छोड़ दे, हमें एक मीटिंग की तैय्यारी करनी है। ऑफिस पहुँचते ही हम उतरे और मैंने ड्राइवर से कह दिया की वो गाड़ी घर पे लगा दे। वो गाड़ी लेकर चला गया। मैंने घर पे कॉल करके नौकरानी को कह दिया की बाकी बच्चों को सुला दे, हम किसी काम में फंसे हुए हैं, आने में देर होगी।

ऑफिस के अंदर घुसते ही मैंने गेट को बाहर से लॉक कर दिया। अभिषेक के हाँथ पकड़ कर अपने केबिन में आ गयी और उसका गेट भी बंद कर दिया। गेट बंद करते ही मैं अभिषेक के तरफ मुड़ी और उसके होंठों को खींच कर अपने होंठो में फसा कर चूमने लगी। अब मेरा बेटा भी मेरा साथ दे रहा था। वो भी अब मुझे मेरे कमर से पकड़ कर चुम रहा था।