भाई-बहन की वासना-5

पिछला भाग पढ़े:- भाई-बहन की वासना-4

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम प्रितंका गुप्ता है। मैं अपनी सेक्स कहानी का अगला पार्ट लेके हाजिर हूं। मेरी कहानी के पिछले पार्ट को आप सब ने बहुत प्यार दिया। उसके लिए मैं आप सब की बहुत आभारी हूं। जिन लोगों ने भी अभी तक पिछला पार्ट नहीं पढ़ा है, तो पहले उसको जरूर पढ़ें।

पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि मैं अपने भाई को सिड्यूस करने के लिए और उससे अपनी चूत चुदवाने के लिए हर तरीका अपना रही थी। अब मैं जान-बूझ कर खुला नाइट-सूट पहन कर सोई थी, और रात को मैंने अपना पजामा घुटनों तक नीचे कर दिया। फिर मैंने अपने भाई को गिलास गिरा कर जगाया, और मुझे ऐसे देख कर वो नंगा हो गया। अब आगे बढ़ते है-

मेरे भाई का खड़ा हुआ लंड मेरी आँखों के सामने था, और मेरा दिल उसको अपने मुंह में लेने का कर रहा था। फिर मेरा भाई मेरे साथ आके लेट गया। मैं ऊपर की तरफ मुंह करके सीधी लेटी हुई थी। मेरे जिस्म में ये सोच कर अजीब सी हलचल हो रही थी, ये सोच कर, कि मेरा भाई मेरे साथ नंगा लेटा हुआ था। मैंने अपना गहरी नींद में होने का नाटक जारी रखा।

फिर मेरा भाई मेरे करीब आया। मैं उसकी गरम सांसे अपने कान पर महसूस कर पा रही थी। फिर उसने धीरे से मेरे गाल पर एक किस्स किया। मेरे बदन में इससे करेंट सा दौड़ गया। फिर उसने अपना हाथ मेरे कंधे पर रखा, और धीरे-धीरे मेरी ब्रा के स्ट्रैप को मेरे कंधे से खिसकने लगा। कुछ 2 मिनट में उसने में ब्रा के स्ट्रैप को खिसका-खिसका कर मेरे कंधे पर कर दिया। उसके बाद उसने ब्रा कप में हाथ डाल कर उसको नीचे किया, जिससे मेरा चूचा बाहर आ गया।

फिर वो अपनी जीभ आराम-आराम से मेरे निप्पल पर फेरने लगा। मेरा मन कर रहा था, कि उसको बोलूं कि मेरे चूचे को खा जाए। लेकिन अभी इसके लिए सही वक्त नहीं था। कुछ देर निप्पल चाटने के बाद वो नीचे गया, और मेरे पेट पर अपनी जीभ फ़िराते हुए मेरी पैंटी पर आ गया।

इस बार उसने मेरी पैंटी को नीचे खिसकाने की कोशिश की, लेकिन पैंटी टाइट होने की वजह से वो ऐसा नहीं कर पाया। फिर उसने दूसरा रास्ता अपनाया। उसने चूत वाली जगह से पैंटी को साइड किया, और चूत में उंगली करने लगा। चूत तो पहले से ही गीली थी, इसलिए उसने ज्यादा उंगली नहीं की, और मेरे ऊपर आ गया। मैं अभी तक अंजान बन कर सोई हुई थी।

फिर उसने अपना लंड मेरी चूत पर सेट किया, और धक्का मारा। धक्का लगते ही उसके लंड का टोपा मेरी कुंवारी चूत फाड़ते हुए अंदर चला गया। मैंने उसी वक्त अपनी आँखें खोली, और हल्की आवाज में चीख़ते हुए बोली-

मैं: आह भाई, ये क्या कर रहे हो? हटो मेरे ऊपर से।

भाई: माफ करना दीदी, लेकिन मैं अब और नहीं रुक सकता। आज मुझे आपको चोदना ही पड़ेगा।

मैं: ये कैसी बातें कर रहे हो भाई? मैं तुम्हारी बहन हूं। और बहन भाई में ऐसा रिश्ता नहीं हो सकता है।

भाई: रिश्ता तो सिर्फ चूत और लंड का बन रहा है। हम दोनों तो हमेशा बहन-भाई ही रहेंगे।

मैं: अगर किसी को पता चल गया तो?

भाई: किसी को पता नहीं चलेगा। इस कमरे में इस बिस्तर पर जो कुछ हो रहा है, वो सिर्फ आप और मैं जानते है। और हममें से कोई किसी को कुछ क्यों बताएगा?

मैं उसकी इस बात के बाद चुप हो गई। और उसने मेरी चुप्पी को मेरी हां समझ लिया। अब मेरा भाई थोड़ी तेजी से अपना लंड अंदर-बाहर करने लगा, और मैं आह आह करने लगी। अभी भी मैं उसका पूरी तरह से साथ नहीं दे रही थी। मैं चाहती थी, कि उसके मन में ये धारणा बने कि चुदाई शुरू होने के बाद भी दीदी काफी देर तक सोच ही रही थी, कि ये सही था के नहीं।

फिर 5 मिनट तक धक्के मारने के बाद भाई बोला: दीदी आपको मजा नहीं आ रहा है?

मैं: बात मजे की नहीं है, मुझे ये गलत लग रहा है?

भाई: गलत कुछ भी नहीं होता दीदी। समाज बस उसको गलत बना देता है। और वैसे भी कोई भी चीज अगर किसी को पता ही ना हो, तो कौन कहेगा उसको गलत? आप बस चुदाई का मजा लो। सोच कर अपना वक्त बरबाद ना करो।

मैं: शायद तुम ठीक कह रहे हो। और हां भाई, मुझे मजा आ रहा है आह।

मेरे सहमति पा कर भाई ने अपने धक्के तेज कर दिए। अब मैं आह आह करने लगी। फिर मैंने उसका चेहरा पकड़ा, और उसको अपने होंठों का रस पिलाने लगी। तभी भाई ने अपना लंड मेरी चूत से निकाला, और मेरी पैंटी निकालने लगा। मैंने गांड उठा कर उसको पैंटी निकालने में मदद की। मैंने अपनी ब्रा भी निकाल दी, और पूरी नंगी हो गई।

फिर मैंने अपने भाई की तरफ देखते हुए टांगें खोल दी। भाई के लंड पर चूत का थोड़ा खून लगा हुआ था। उसने कपड़े से खून साफ किया, और मेरे ऊपर आ गया। फिर चूत के मुंह पर लंड रख कर जोर का धक्का मारा, और लंड अंदर चला गया। मेरे मुंह से दोबारा चीख निकल गई, साथ ही मुझे मजा भी बहुत आया।

अब भाई मेरे चूचे चूसते हुए मेरी चूत चुदाई कर रहा था। मैं भी गांड उठा-उठा कर उसका लंड अपनी चूत में ले रही थी। मैं उसको अपनी आगोश में लेके कभी उससे अपने चूचे चुसवा रही थी, और कभी उसको अपने होंठों के रस का जाम पिला रही थी।

कुछ देर उसी पोजीशन में चुदने के बाद मैंने भाई को अपने ऊपर से हटाया, और बेड पर सीधा लिया दिया। फिर मैं उसके ऊपर आई, और उसके लंड को अपनी चूत पर सेट करके ऊपर बैठ गई। इस पोजीशन में उसका लंड ज्यादा अन्दर तक जा रहा था। इससे मुझे और ज्यादा मजा आने लगा।

मैं उसकी छाती पर हाथ रख कर उसके लंड पर गांड पटकने लगी। उसका लंड मेरी बच्चेदानी को लग कर मुझे चरमसुख का एहसास दे रहा था। बीच-बीच में भाई मेरे चूचे मसल रहा था, और उनको चूस रहा था। वो मेरी गांड पर हाथ रख कर मुझे गति बढ़ाने में मदद कर रहा था। बहुत मजा आ रहा था।

कुछ देर ऐसे ही उसके लंड पर उछलने के बाद मैं झड़ने वाली थी। वो भी झड़ने वाला था, तो हमने चुदाई की गति बढ़ा दी, और दोनों एक साथ झड़ गए। फिर मैं उसके ऊपर ही लेट गई, और हम वैसे ही सो गए। अब मुझे एक लंड, और मेरे भाई को एक चूत मिल चुकी थी, जिसका मजा हम जब चाहे ले सकते थे। बंद कमरे में हमारा ये रिश्ता चलता रहा।

दोस्तों कहानी कैसी लगी मुझे [email protected] पर मेल करके बताएं।