पिछला भाग पढ़े:- अजब गांडू की गजब कहानी-31
चित्रा का गांड चुदवाने का पूरा मूड बना हुआ था। मस्त गांड चुदाई करवाई थी चित्रा ने। हम तीनों सोफे पर नंगे ही बैठे दारू के हल्के-हल्के घूंट भर रहे थे। तीनों बारी-बारी से पेशाब करके आये और फिर से सोफे पर बैठ गए। अब आगे-
मैंने युग से पूछा, “बता भाई युग अब क्या करना है। लंड खड़ा होगा या नहीं तेरा?”
युग ने उल्टा मुझी से सवाल कर दिया, “तेरा हो जाएगा राज?”
मैंने लंड हाथ में पकड़ा और हिलाते हुए उसी मस्ती में कह दिया, “हो भी सकता है। मगर शायद उसके लिए तुझे या चित्रा को मेहनत करने पड़ेगी।”
मैंने चित्रा की तरफ देख कर उससे पूछा, “क्यों चित्रा, सही कह रहा हूं ना मैं?” ये कहते हुए मैं हंस पड़ा।
— युग ने किया राज का लंड खड़ा
चित्रा ने तो मेरी बात पर कोइ जवाब नहीं दिया मगर युग ने बोला, “ठीक है, मैं ही करता हूं। युग ने मेरा लंड पकड़ा और दबाना शुरू कर दिया, और इससे पहले कि मैं कुछ सोच पाता, युग उठा, और मेरे सामने बैठ कर दुबारा मेरा लंड चूसने लग गया।
दारू का सुरूर फिर से होने लग गया था। जैसे ही चित्रा ने युग को मेरा लंड चूसते देखा, वो हंसने लग गयी और बोली, “अब ये क्या कर रहा है युग? दुबारा गांड चुदवायेगा क्या?”
फिर चित्रा युग के कंधे पर हाथ रख कर बोली, “युग ये क्या कर रहा है? एक बार और गांड चुदवानी है क्या?”
ये कहने के साथ ही चित्रा ने अपनी चूत में उंगली करनी शुरू कर दी।
युग कुछ नहीं बोला, मगर कुछ देर मेरा लंड चूसने के बाद उठा और आ कर मेरे पास ही सोफे पर बैठ गया। युग की चुसाई ने मेरा लंड फिर से खड़ा कर दिया था। उधर युग का लंड ढीला ही हुआ पड़ा था।
युग चित्रा से बोला, “मैं तो राज का लंड तेरे लिए तैयार कर रहा था। मेरा मन अब गांड चुदवाने का नहीं। मेरी तसल्ली हो चुकी है, अब और गांड में लेने का मन नहीं है।”
युग की लंड चुसाई देख कर चित्रा भी मस्ती में आ चुकी थी। युग की ये बात सुनते ही बोली, “अच्छा तो ये बात है? मेरे लिए तैयार कर रहा था तू राज का लंड?”
— चित्रा के मुंह में एक बार फिर युग का लंड
व्हिस्की के सुरूर में चित्रा उठी और युग के सामने बैठ गयी और बोली, “अगर तू राज का लंड मेरे लिए तैयार कर रहा था तो तेरा लंड कौन तैयार करेगा? तेरा लंड भी तो ढीला है पतिदेव। इसे में तैयार करती हूं, करती हूं इसको राज की लंड की तरह सख्त।”
ये कह कर चित्रा युग का लंड चूसने लगी। जल्दी ही युग का लंड खड़ा हो गया और वो सिसकारियां लेने लगा, “आआआह चित्रा क्या कर रही है, इतनी जोर-जोर से चूस रही हो, मुंह में ही निकल जाएगा।”
मगर चित्र थी कि रुक ही नहीं रही थी। उल्टा लंड चूसने के साथ-साथ चित्रा ने युग के लंड को हाथ से आगे-पीछे भी करना शुरू कर दिया। ऐसा लग रहा था चित्र मुंह में ही छुड़वाना चाहती थी।
जल्दी ही युग जोर से बोला, “आआह चित्रा ये क्या किया तूने, ले अब निकल गया मेरा तेरे मुंह में ही। आह मजा आ गया आह चित्रा।” युग के लंड की पिचकारी चित्रा के मुंह में निकल गयी।
चित्रा को तो लंड का पानी मुंह में निकलवाने में कोइ परेशानी नहीं होती थी। जिस तरीके से उसने युग के कहने के बाद भी लंड मुंह में से नहीं निकाला था और लंड का पानी मुंह में छुड़वाया था, लग ही रहा था चित्रा को इसमें भी मजा आया था।
चित्रा कुछ पल ऐसे ही बैठी रही। फिर युग का पानी गले से नीचे उतार कर मेरे लंड को पकड़ कर बोली, “आओ राज, युग का तो हो गया, अब तुम उठो और मेरी चूत को ठंडा करो। युग की बातों से गरम हो गयी थी, अब युग का लंड चूसने की बाद आग लगी हुई है इसमें। चलो उठो, डालो अपना लंड इसमें और करो इसकी आग ठंडी।”
चित्रा की चूत गरम हो चुकी थी। युग का लंड पानी छोड़ चुका था और ढीला हुआ पड़ा था। चित्रा को चूत में लंड चाहिए था और मेरा लंड युग और चित्रा की लंड चुसाई देख कर खड़ा हुआ ही पड़ा था। जैसे ही चित्रा ने कहा, “चलो उठो, डालो अपना लंड इसमें और करो इसकी आग ठंडी”, मेरे लंड ने एक झटका लिया और मुस्तैद फ़ौजी की तरह सीधा खड़ा हो गया।”
— चित्रा की एक चुदाई और
चित्रा ने मेरे लंड को पकड़ा और बोली, “ये तो हो गया तैयार चलो और देर मत करो, मुझ से और नहीं रहा जा रहा। चलो और मेरी चूत को ठंडा करो।”
इतना कह कर चित्रा बिस्तर पर लेट गयी और अपने चूतड़ों के नीचे तकिया लगा कर टांगें उठा कर चौड़ी कर दी। चित्रा की हल्की सी खुली हुई गुलाबी चूत का नजारा मस्त करने वाला था। मेरा लंड तो तैयार ही था। चित्रा के चुदाई के लिए तैयार होते देखते ही मैं भी उठा और चित्रा की चूत में एक बार जुबान घुमाई, टांगें चौड़ी करके लंड चूत के छेद पर रक्खा और एक झटके से पूरा लंड चित्रा की चिकनी हुई पड़ी चूत में बिठा दिया।
लंड अंदर जाने कि देर थी कि चित्रा ने अपनी टांगों में मुझे जकड़ लिया और जोर-जोर से चूतड़ घुमाने लगी और सिसकारियां लेने लगी। मतलब सच में ही चित्रा कि चूत कुछ ज्यादा ही गरम थी, और वो और ज्यादा इंतजार के चक्कर में नहीं थी। लगता था चित्रा का जल्दी से जल्दी मजा लेने का मन था।
मैंने चित्रा को बाहों में जकड़ लिया और धक्के लगाने शुरू कर दिए। पांच मिनट के धक्कों के बाद ही चित्रा, “आआआह राज, और जोर से, हां राज ऐसे ही लगाओ, आआह राज, आआह युग, मजा आ गया, राज, निकला मेरा, आआआह निकल गया राज।” इन सिसकारियों के साथ ही चित्रा ने एक बार जोर की सिसकारी के साथ चूतड़ घुमाये और ढीली हो गयी। चित्रा की चूत पानी छोड़ गयी थी।
मेरा लंड अभी खड़ा ही था, और चित्रा की चूत में मेरे लंड के धक्के चालू थे। मेरा मजा भी बस अटका सा ही हुआ था। अगले पांच मिनट में मेरा लंड भी पानी छोड़ गया।
मैंने लंड चित्रा की चूत में से निकाला, और जा कर युग के पास बैठ गया। चित्रा ने भी चूतड़ों के नीचे से तकिया निकाल लिया और मस्ती भरी आंखों से हमारी तरफ देखने लगी।
— युग का लंड फिर से खड़ा हो गया
चित्रा की मेरे साथ चुदाई देख कर युग का भी खड़ा होने लग गया था। चित्रा अभी लेटी ही हुई थी। युग ने एक बार मेरी तरफ देखा और उठ कर चित्रा के पास जा कर लेट गया।
चित्रा ने युग के खड़े होते हुए लंड की तरफ देखा और बोली, “क्या हुआ पतिदेव, आज क्या हो गया है? तुम्हारा लंड तो फिर खड़ा होता हुआ लग रहा है। एक और चुदाई करनी है क्या इसने?”
युग कुछ नहीं बोला और अपने लंड की साथ खिलवाड़ करता रहा।
चित्रा ने युग का लंड अपने हाथ में लिया और बोली, “युग मेरे होते हुए तुम क्यों इसे छेड़ रहे हो?” ये बोल कर चित्रा युग का लंड दबाने सहलाने लगी। चित्रा के हाथों में तो मानो जादू ही था। चित्रा के हाथ में लेते ही युग का लंड फिर से खड़ा हो गया।
ऑस्ट्रेलिया में जब पारुल, तबस्सुम या किम मेरा लंड हाथ में लिया करती थी, तब मेरा लंड भी उनका हाथ लगते ही खड़ा हो जाया करता था। इसका मतलब तो ये हुआ सभी लड़कियों के हाथों में लंड पकड़ने के मामले में एक सा ही जादू होता है।
युग के खड़े लंड को देख कर एक बार को मैंने भी सोचा कि इतनी बार लंड का पानी छुड़ाने के बाद फिर युग का खड़ा है, इसका तो मतलब यही हुआ कि युग अब चूत चुदाई के लिए पूरी तरह काबिल हो गया।
उधर चित्रा ने भी जैसे ही युग का खड़ा लंड देखा तो फिर से बोली, “अरे ये क्या युग, ये तो सच में ही फिर से खड़ा हो गया?”
फिर चित्रा उठते हुए बोली, “अरे खड़ा हो गया तो यहां मेरे पास लेटा हुआ क्या कर रहा है? चढ़ मेरे ऊपर और डाल अपना लंड मेरी चूत में और कर मेरी चुदाई। खुद भी मजा ले, मुझे भी मजा दे।”
जब युग वैसे ही लेटा रहा तो चित्रा उठ कर बैठ गयी और युग के लंड को चूमती हुई बोली, ” शर्मा क्यों रहा है? ये तो उल्टा अच्छी बात है कि मेरे हाथ लगाते ही तेरा लंड खड़ा हो गया।”
चित्रा बोली, “युग तेरी बीवी हूं मैं, तू तो जब चाहे जैसे चाहे मुझे चोद सकता है। अब जब तेरा लंड तो खड़ा हो ही गया है तो क्या सोच रहा है, किस बात की वेट कर रहा है? चोदनी है चूत तो बता, या मैं ही आऊं और बैठूं तेरे लंड के ऊपर और करूं तेरे लंड की चुदाई?” ये कहते हुए चित्रा हंस भी दी।
फिर चित्र उसी तरह हंसते हुए बोली, “अब तो तेरे लिए तो मेरी गांड भी हाजिर है मेरी जान। जब मर्जी मेरी गांड भी चोद। चल उठ आजा डाल लंड जहां भी डालना है – आगे वाली में या पीछे वाली में।”
मैं बैठा सोच रहा था दारू भी क्या चीज है। मेरी तो सब को ये सलाह है, चुदाई से पहले या चुदाई के दौरान दो चार पेग लगाने में कोइ हर्ज नहीं, बस ये ध्यान रखना बीवी कहीं ज्यादा ना पी ले, नहीं तो चित्रा के तरह काबू में नहीं रहेगी।
— युग ने की चित्रा की मस्त चुदाई
युग उठा और तकिया वापस चित्रा के चूतड़ों के नीचे सरका कर चित्रा की चूत उठा दी। युग ने चित्र की टांगें चौड़ी करके एक बार थोड़ी सी चित्रा की चूत चूसी और फिर उठ कर लंड चूत में डाल दिया।
लंड चित्रा की चूत में जाने के देर थी कि चित्रा ने अपनी टांगें युग की कमर के पीछे डालीं और युग को जकड़ कर नीचे से चूतड़ घुमाने झटकाने लगी। ऊपर से युग ने भी धक्के लगाने शुरू कर दिए।
चित्रा और युग की ये चुदाई एक तरह से जबरदस्त चुदाई थी। मैं हैरानी से युग को चित्रा की चुदाई करते देख रहा था। युग ने चित्रा को बाहों में जकड़ा हुआ था और हूं हूं हूं हूं करता हुआ जोर-जोर से धक्के लगा रहा था। घड़ी अपनी रफ्तार से चल रही थी, वक़्त निकल रहा था। पांच मिनट, दस मिनट, पंद्रह मिनट।
युग की चुदाई चालू थी।
अचानक चित्रा ने जोरदार सिसकारी ली और “आआह युग, गयी मैं, निकल गया मेरा तो।” इतना बोल कर चित्रा ने अपनी टांगें युग के पीछे से हटा ली और सीधी लेट गयी।
चित्रा झड़ चुकी थी और युग का लंड अभी तक कायम था। युग की चुदाई अभी भी चालू थी।
युग को ऐसी मस्त चुदाई करते देख चित्रा ने फिर से युग को अपनी टांगों में जकड़ लिया। मगर अब चित्रा पहले की तरह अपने चूतड़ नहीं घुमा झटका रही थी। इसका मतलब अब चित्र को मजा नहीं आने वाला था। चित्रा बस युग को मजा देना चाहते थी।
इस बार की चुदाई तो युग ने मस्त की, और चित्रा की पूरी तसल्ली करने के बाद ही झड़ा। जैसे ही युग लंड का पानी निकलने के बाद लंड चित्रा के ऊपर से उतर कर चित्रा के पास लेटा, चित्रा घूम कर युग के ऊपर आ गई और उसके होंठ अपने होठों में ले लिए, मानो कह रही थी, “युग इस बार तो कमाल की चुदाई की तूने। तू तो मस्त चुदाई के लायक हो गया है।”
उस रात की चुदाई, चुदाई क्या चुदाईयां थीं, और मस्त यादगार वाली चुदाईयां थीं।
— बाराबंकी से लखनऊ और लखनऊ से बाराबंकी
अगले दिन मैं लखनऊ वापस आ गया मगर इसके बाद तो मेरा और चित्रा की चुदाई का सिलसिला चल निकला। चित्रा से फोन पर बात होती ही रहती थी।
युग का जब भी मन करता मुझे बुला लेता और हम इक्क्ठे अंग्रेज़ी की थ्रीसम और हिंदी की तिगड़ी वाली चुदाई करते।
एक दिन युग के फोन आने के बाद जब शनिवार को मैं बाराबंकी गया, तो युग घर पर नहीं था।
मैंने चित्रा से पूछा, “चित्रा क्या हुआ, युग ने तो आज मुझे फोन करके बुलाया था। अब खुद कहां चला गया।”
चित्रा बोली, “कहीं नहीं गया, फार्म पर है। तुम्हारे आने का मुझे बोल कर गया है और कह रहा था तीन-चार बजे तक आ जाएगा।”
और चित्रा हंसते हुए बोली, “ये भी बोल गया है युग की उसके आने तक चुदाई का एक दौर चला लेना।” फिर हसते-हसते चित्रा बोली, “बड़ा ध्यान रखता है युग तेरा।”
“तुझे इस लिए बुलाया होगा कि आजकल अंकल फार्म पर ही रुकते हैं। डेयरी फार्म के लिए नया शेड बन रहा है और सुबह काम जल्दी शुरू करना होता है।”
फिर चित्रा कुछ रुकी और बोली, “बोल राज, क्या प्रोग्राम है, करनी है भी एक चुदाई?”
मैंने कहा, “रहने दे चित्रा, ऐसी भी क्या मारा मारी है। पूरी रात अपनी ही है। युग कि साथ इकट्ठी चुदाई करेंगे। बस एक बार अपने चिकने नरम चूतड़ों का गुलाबी छेद चटवा ले।”
चित्र हंसते हुए बोली, “साले लंगोट के कच्चे राज, अगर चूतड़ चाटते चाटते गांड में डालने का मन कर गया तो?”
मैंने बस इतना ही कहा, ” नहीं होगा।” और चित्रा सलवार नीचे करके बेड कि किनारे पर चूतड़ पीछे करके उलटा लेट गयी।
मस्त चूतड़ थे चित्रा के और उतना ही मस्त था चित्रा कि चूतड़ों का गुलाबी छेद , चूसने चाटने का मजा ही आ गया।
थोड़े चूतड़ चुसाई कि बाद हम दोनों सोफे पर बैठ गए।
चित्रा ही बोली, “राज तुम्हारी वजह से युग अब चुदाई तो बढ़िया करने लग गया है। जल्दी भी नहीं झड़ता और लंड कि सख्ती बनी रहती है। अब तो युग का अपने दोस्तों उन गांडू दोस्तों के साथ जाना बंद हो गया है।”
मैंने पूछा, “और चित्रा अंकल के साथ तुम्हारा कैसा चल रहा है?”
चित्रा बोली, “अंकल के साथ पहले जैसा तो नहीं है मगर ठीक चल रहा है। युग अब हफ्ते में चार पांच दिन रात को घर पर ही रहता है। हफ्ते में एक या दो दिन ही फार्म पर रुकता है। अंकल भी घर पर ही होते हैं। लेकिन जिस दिन युग फार्म पर होता है अंकल मुझे पूरी रात नहीं छोड़ते।”
चित्रा आगे बोली, “युग के ठीक से चुदाई करने वाली बात मैंने सुभद्रा चाची को भी ये बता दी थी। युग के ठीक होने की बात सुन कर चाची तो बड़ी ही खुश हुई, और अगले दिन ही आ कर अंकल से भी मिल गयी। जरूर चाची ने अंकल को भी ये बता दिया होगा कि युग अब मेरी मस्त चुदाई करने लग गया है।”
इस बात पर मैंने ही चित्रा से पूछा, “चित्रा तो इसके बाद अंकल ने क्या कहा?”
चित्रा बोली, ” राज, अंकल ने चाची को क्या कहा ये तो मुझे नहीं मालूम मगर चाची के अंकल से बात करने के बाद एक दिन चुदाई करते हुए अंकल ने मुझसे बोला था, “चित्रा सुभद्रा कह रही थी युग के साथ अब तुम्हारा ठीक ठाक चलने लग गया है।”
जब मैं कुछ नहीं बोली, तो अंकल तो अंकल ने साफ़-साफ़ ही बोल दिया, “चित्रा अब जब युग तुम्हारी चुदाई करने लग ही गया है, अब हमारी चुदाई बंद होनी चाहिए। तुम क्या कहती हो?”
मैंने हंसते हुए पूछा, ” अंकल अगर मेरी और आपकी चुदाई बंद हो गयी तो आप क्या करेंगे? मेरे चुदाई तो युग कर देगा, आपके लंड का पानी कौन छुड़ाएगा?”
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