पिछला भाग पढ़े:- मम्मी को सिड्यूस करके चोदने लगा-8
मेरी हिंदी अन्तर्वासना कहानी के पिछले पार्ट में आपने जाना कि कैसे मैंने बुआ को अपनी पिछली जिंदगी के बारे में बताने के लिए मजबूर कर दिया। तो बुआ बताना शुरू करती है कि-
हम लोग पहले गांव में रहते थे। जब भाई की नौकरी लगी, तो उन्होंने मुझे शहर में आकर पढ़ने के लिए कहा। तो मैंने शहर में आकर कॉलेज में एडमिशन लिया। तब तक कॉलेज से 3 महीने पूरे हो चुके थे, जब मैंने हॉस्टल लिया।
हॉस्टल में पहली बार मेरी मुलाकात यामिनी और मनीषा से हुई। यह दोनों मेरे रूम में थी। पहली नज़र में ही मुझे समझ आ गया था कि मनीषा बहुत तेज लड़की थी, और यामिनी शांत। धीरे-धीरे हमारी दोस्ती गहरी होती गई, पर मुझे मनीषा के लक्षण ठीक नहीं लग रहे थे।
रात को देर से आना, क्लास बंक करके गायब हो जाना, कई टीचरों के उसे रात में फोन भी आते थे। मैंने उसे पढ़ते हुए कभी नहीं देखा था, पर फिर भी वह पास हो जाया करती थी। मुझे यामिनी के साथ तो रहना पसंद था, पर मनीषा के साथ नहीं। इसलिए मैंने शाम के समय, कॉलेज में सेल्फ डिफेंस वाली क्लास भी ज्वाइन कर ली थी।
ऐसे ही एक दिन यामिनी बाजार गई थी। रूम में मैं मोबाइल चला रही थी, और मनीषा नहाने गई थी, तो मेरी नज़र उसके मोबाइल पर पड़ी, जो कि बिस्तर पर पड़ा हुआ था, और और उसमें कंप्यूटर टीचर का फोन आ रहा था। फोन साइलेंट था तो उसकी आवाज नहीं आ रही थी। मैंने जब फोन उठा कर देखा, तो फोन अनलॉक ही था। यह देख कर मैंने उसकी गैलरी चेक की, तो उसमें एक फोल्डर था जो कि पासवर्ड मांग रहा था। वह चार डिजिट का था, तो मैं कुछ सोच कर उसकी बर्थ ईयर लगा दी। सच में यही था पास पासवर्ड, और फोल्डर तुरंत अनलॉक हो गया। उसके बाद जो मैंने फोल्डर में देखा, मेरी तो सांस ही थम गई।
मनीषा ने अपनी कई सारी नंगी तस्वीरें खींच रखी थी। कभी बाथरूम में, कभी चूत में उंगली करते हुए, कभी आईने में तरह-तरह के पोज में। मैं धीरे-धीरे नीचे देखने लगी। तभी मुझे कंप्यूटर टीचर के साथ मनीषा की नंगी तस्वीरें दिखने लगी। जिसमें कि तरह-तरह से चोदते हुए सेल्फी ली गई थी।
फिर नीचे करने पर में पूरी तरह से हिल गई। मनीषा ने यामिनी की भी नंगी फोटो ले रखी थी, जब यामिनी बाथरूम में नहा रही थी। 6 से 7 फोटोज के बाद 6 वीडियो थे, पर अब मुझे महसूस हो रहा था कि मनीषा आने वाली थी, तो मैं गेट के पास जा कर बोली, “मनीषा नहा लिया क्या?” तो वो बोली, “हां बस।”
तो मैंने कहा, “मैं न्यू फैसमास्क लाई हूं। 5 मिनिट के लिए चेहरे पर लगा कर रख, फिर मुंह धो ले। दूं क्या?”
वो बोली, “हां दे दो।”
मैं खुश होकर अपने बैग से फेसमास्क उसे दे देती हूं। फिर तुरन्त ही उसके मेमोरी कार्ड को अपने फोन में लगा कर कॉपी पर लगा देती हूं। करीब 8 से 9 मिनट में कार्ड कॉपी हो जाता है तो मैं वापस सब ठीक करके फोन को लॉक करके बिस्तर पर रख देती हूं। 1 से 2 मिनट बाद मनीषा बाहर आ जाती है। फिर मैं बाहर जाने का कह कर निकल जाती हूं, और हॉस्टल के गार्डन में एक कोने में जाकर वीडियो देखना शुरू करती हूं। तो पता चलता है कि शुरू की 2 वीडियो तो उसके बॉयफ्रेंड के साथ हुई चुदाई की थी।
तीसरी उसने खुद बाथरूम में उंगली करने की बनाई थी। चौथी वीडियो उसने क्लासरूम में किसी लड़की की बनाई थी, जिसमें उसकी पेंटी दिख रही थी। पर पांचवीं वीडियो यामिनी के बाथरूम में नहाते वक्त की थी। मैंने पहली बार यामिनी को पूरी तरह नंगी देखी थी। क्या गजब लग रही थी। अभी-अभी उसकी जवानी अपने शबाब पर आने लगी थी। गोल-गोल कसे हुए स्तन। झुकते वक्त मोटे-मोटे चूतड़।
लाइट थोड़ी कम होने से बहुत ज्यादा साफ तो नहीं दिख रहा था, पर यामिनी का बदन दिखाने लायक था। मैं समझ गई थी, कि ये मनीषा बहुत रंडी थी। टीचरों से चुदा कर ही पास होती है। पर मेरे मन में एक सवाल आ गया था, कि कही इस रंडी ने यामिनी के ये फोटो और वीडियो कंप्यूटर टीचर को तो नहीं दिखाए थे ना?
ये सोचते हुए मैं वापस रूम में आई तो यामिनी आ चुकी थी। मनीषा बाहर चली गई थी। मैंने यामिनी को कुछ भी नहीं बताया, पर अब मेरा यामिनी को देखने का नजरिया बदल गया था। मैं उसके बदन को ज्यादा महसूस करने लगी थी।
खैर ऐसे ही दिन बीतने लगे। एक दिन यामिनी की तबियत खराब थी, तो वो क्लास में नहीं आई। मनीषा भी रात से गायब थी। मैं अकेले ही क्लास में गई। दोपहर में क्लास के बाद जब मैं रूम पर गई तो रूम में यामिनी नहीं थी, पर उसका फोन वही पर पड़ा था। दूसरी लड़कियों ने बताया कि मनीषा यामिनी को डॉक्टर के पास ले गई है इलाज के लिए।
मैंने मनीषा को कई बार कॉल किया तो उसने फोन नहीं उठाया। मैं परेशान सी होने लगी, इसलिए मैंने बाहर जाकर उन्हें ढूंढने का सोचा। मैं हॉस्टल के बाहर आई तो सामने से क्लास की एक और लड़की मिल गई। उसने पूछा, “रागिनी, कुछ हुआ है क्या?” मैं उसकी बात सुन कर अचानक से रुक गई। मेरी और उसकी बिल्कुल नहीं बनती थी। मैंने उसे घूरते हुए पूछा, “क्या हुआ है? तू अपने काम से काम रख।” ये सुन कर वो भी भड़क गई।
वो बोली, “मुझे क्या है? वो तो यामिनी आज तेरी जगह मनीषा के साथ कम्प्यूटर टीचर के रूम पर जा रही थी, तो पूछ लिया। पहले तो तुम दोनों ही साथ जाती थी। ऐसे भी तेरे जैसी नकचढ़ी से कौन दोस्ती रखेगा?” ये सुनते ही मेरा दिमाग हिल गया। यामिनी उसके यहां क्यों जा रही थी, वो भी बिना फोन लिए?
मैंने उस लड़की के कंधे को कस कर पकड़ कर पूछा, “कितनी देर पहले देखा तूने?” ये सुन कर वो मुझे घूरने लगी, पर फिर वो बोली, “बस मैं मैथ टीचर के यहां से निकल रही थी, तो गेट पर ही दोनों मिले थे। मैंने यामिनी से पूछा, पर उसने कुछ जवाब नहीं दिया। मनीषा ही बता रही थी।” ये सुन कर मैं जल्दी से वहां से निकल गई।
कॉलेज के टीचर के लिए अलग से कॉटेज बने हुए थे। जहां सारे टीचर रहा करते थे। और नॉर्मली लड़कियां वहां आती-जाती रहती थी। मैं करीब 7 से 8 मिनट में बिल्डिंग के नीचे पहुंच गई। टीचर का रूम तीसरी मंजिला पर था। मैं भागते हुए जब वहां पहुंची, तो उसके रूम में ताला लगा हुआ था। ये देख कर मुझे और टेंशन होने लगी। मैं वापस नीचे उतरते हुए मनीषा को फोन करने लगी, तभी मुझे मनीषा के कॉल की रिंग सुनाई दी।
ये सुन कर मैं रुक के इधर-उधर देखने लगी, तो पता लगा कि आवाज छत के ऊपर से आई थी। ये सुन कर मैं तुरंत ही ऊपर की तरफ भागी। चौथे फ्लोर के बाद छत थी। मैं छत पर जाकर इधर-उधर ढूंढने लगी, पर वो लोग नहीं दिख रहे थे। मैंने वापस मनीषा को कॉल किया, तो इस बार आवाज नहीं आई।
मैं पागलों की तरह इधर-उधर घूमते हुए ढूंढ रही थी, कि मेरी नज़र कोने में बनी पानी के टंकी के बगल वाले रूम पर गई, जो स्टोर रूम था। मैं धीरे-धीरे वहां तक गई, तो मुझे हल्के-हल्के हंसने की आवाज आने लगी। ये सुन कर मैंने खिड़की से झांका तो अंदर का नजारा देख कर सन्न रह गई।
अंदर का नज़ारा क्या देखा मैंने, और इसके आगे और क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा। pariwarkikahani@gmail.com पर मेल करके कहानी की फीडबैक दें।
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