रेनू भाभी का प्यार-1

सभी पाठको को मेरा प्रणाम, सलाम, नमस्कार। नई सेक्स कहानी के साथ आपके बीच में हूं। ये बात तब की है जब मेरी माता जी हॉस्पिटल में थी। वहां एक कुल्लू से प्रवासी भाभी थी, जो कि दिखने में गोल-मटोल और भरी हुई थी। उसकी उम्र 35 साल की थी। उसको देख कर कोई कह नहीं सकता था‌ कि उसके 3 बच्चे थे।

उसके साइज की बात करूं तो कमर 34″, दूदू 38″, गांड 40″ के थे। हिमाचल के ऊपरी इलाकों के लोगों का खाना-पीना और रहने का ढंग बहुत ही पौराणिक शैली का है। वहां मांस खाना एक आम बात है। इस वजह से वहां के लोग अधिक उम्र के भी होने के बावजूद युवा ही नज़र आते हैं। चलिए कहानी पर चलते हैं।

कहानी की नायिका का नाम रेनू है। वो बहुत ही सुंदर और छोटे कद-काठी की थी। जब हम हॉस्पिटल से घर आ गये, तो एक सप्ताह के बाद उसका मुझे कॉल आया। मैं बहुत हैरान था। यह रेनू का कॉल था। हॉस्पिटल में किसी ना किसी बात पर वो हाल-चाल पूछा करती थी। उसका उसके पति के साथ तलाक भी हो चुका था। फिर भी वो हॉस्पिटल में उसके साथ रह रहा था।

उसका ऐसे फोन आना पता नहीं क्या काम होगा जो उसने मुझे कॉल कर दी। उसके बात करने में पता चला कि वो नजदीकी ही कहीं शहर के पास वैध को अपनी बीमारी के चलते मिलने आना चाहती थी। परंतु उसका दवाखाना शाम को ही खुलता था, और उस वक्त वापिस जाने की कोई बस नहीं थी।

मैंने मम्मी को बताया तो उन्होंने रेनू को घर में बुला लिया। वो बस स्टैंड आने वाली थी। मैं भी खुशी-खुशी बस स्टैंड चल दिया। फिर वो बस से उतरी और मुझे देख कर मुस्कुराने लगी। उसके बाद हम दोनों बात करते हुए दवाखाने की तरफ चल पड़े।

वहां जाकर देखा तो वहां लोगों की बहुत भीड़ लगी हुई थी। अब समझ में नहीं आ रहा था कि हमारा चेकअप का नंबर कब आने वाला था। सभी लोग लाइन में पता नहीं कब से अपनी का बारी का इंतजार कर रहे थे।

तभी एकाएक रेनू खड़ी हो गई, और मेरे पास आ गई‌। फिर वो मुझे दवाखाने की पिछली तरफ ले गई। वहां जा कर वो मुझसे कहने लगी-

रेनू: मुझे कुछ पीठ पर काट रहा है। कुर्ता उठा कर देखो जरा‌ क्या चीज है।

मैं: मैं…?

मैं थोड़ी देर के लिए सहम गया। फिर मैंने उससे कहा-

मैं: तुम खुद उठा लो ना। मैं कैसे…?

वह मेरी बात नहीं मानी, और कहने लगी-

रेनू: जल्दी-जल्दी उठाओ ना, कुछ काट रहा है।

फिर मुझे मजबूरन कुर्ता उठाना पड़ा। मैंने देखा कि उसको पीठ पर किसी चीज़ ने थोड़ा सा काटा था। मेरा ध्यान सीधा उसकी क्रीम कलर की ब्रा-पेंटी पर गया। अब वो आगे से कुछ कह रही थी। पर मेरा ध्यान उसके बातों से ज्यादा उसकी ब्रा पर चला गया। मेरा लंड पीछे एक-दम खड़ा हो कर तंबू बन गया था।

दिल तो कर रहा था कि वहीं उसको घोड़ी बना कर गांड पर चढ़ जाऊं, लेकिन मैंने खुद पर नियंत्रण रखा। फिर आधे घंटे तक इंतजार करने के बाद हमने दवाई ली। उसके बाद हम घर की तरफ चल पड़े। हमारे घर पहुंचने तक शाम के 7:00 बज चुके थे।

रास्ते में मैं उसको पीछे से पूरा निहारता हुआ गया। उसकी मोटी गांड बहुत मटक रही थी, और वो बात-बात पर मजाक करती रहती थी। अंधेरा होने ही वाला था, और हम जल्दी घर पहुंच गए।

रात को मां ने खाना बनाया था। फिर हम सब ने खाना खाया, और इधर-उधर की बातें करते हुए सभी अपने-अपने कमरे में सोने चले गए। रेनू मेरे बेड के पास ही सोई थी। फिर मैं उसको मोबाइल में कुछ दिखाने के बहाने उसके बिस्तर में घुस गया।

जैसे ही उसने मुंह आगे किया, मैंने उसका मुंह चूम लिया। उसने मुझे मना नहीं किया। उसके मना नहीं करने से मेरी भी हिम्मत आगे बढ़ने की हो गई। फिर मैंने उसकी सलवार में हाथ डाल दिया। अब तक वो पानी-पानी हो चुकी थी। मैं उसकी छोटी सी चूत में उंगली करने लगा, और वो जोर-जोर से सिसकारियां लेने लगी।

मैंने अब उसके मुंह पर हाथ रखा, ताकि‌ उसकी आवाज़ बाहर ना जाए। उसकी चूत का पानी निकल गया था, और फिर मैं उसकी चूत को सूंघने लगा। बहुत ही मदहोश करने वाले खुशबू आ रही थी उसकी चूत में से।

फिर होश संभालते हुए मैंने उसको समझाया: दूसरे कमरे के दूसरी तरफ और भी लोग सोए है। तो आवाज मत करना।

और वो मेरा कहा मान गई। फिर मैंने उसके दूध पकड़ कर मसलने शुरू कर दिए। इससे वो मदहोश सी हो गई। अब उसकी आंखो में अलग ही चमक थी। उस समय वो बस मुझको अपने में समा लेना चाहती थी। फिर मैंने उसको कहा-

मैं: मेरे ऊपर आ जाओ।

बो बिना समय गवाएं झट से मेरे ऊपर आ गई। फिर उसने अपने दोनों कबूतरों को आजाद कर दिया। अब मैं उसके कबूतरो को पकड़ कर कबूतरों को दबाने लगा। मैं उनके बड़े-बड़े निप्पलों को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा। उसने अपनी आंखे बंद कर ली थी, और वो जोर-जोर से सिसकारियां भरने लगी थी।

रेनू: आह आह सी सी आह आह।

ये सब करके वो मेरा साथ देने लगी थी। मैं उसको बहुत तड़पाना चाहता था, और उसके निप्पलों से 20 मिनट तक खेलता रहा। रेनू भी अपना दूध मुझे पिलाने में मजा ले रही थी। फिर उसने चिड़े (लंड) को चिड़िया (चूत) में डालने के लिए कहा।

वो उठी और मेरे पप्पू पर बैठने लगी धीरे-धीरे। पर उसको बहुत दिनों के बाद पप्पू लेने पर दर्द होने लगा। रेनू दर्द से कराहने लगी। फिर थोड़ा रुकने के बाद धीरे-धीरे मेरे चिड़े पर उछलने लगी, और उसकी बलखाती चूचियां मेरे सामने उछलने लगी। मुझे तो ऐसे लग रहा था, की जैसे मैं स्वर्ग में झूल रहा था। 10 मिनट तक वो मेरे ऊपर ही उछलती रही,‌ और फिर थक गई। मैंने उसकी चूचियां बहुत काटी दांतो से, और वो बहुत गर्म हो गई थी। रेनू अब कहने लगी-

रेनू: मेरे ऊपर आओ, और चोदो मुझे। मैं कब से तुमसे चुदना चाहती थी। पर तुम ही नहीं मुझे देखते थे।

ये सुन कर मैं बोला: अब तो देख लिया ना, अब कर देता हूं तुम्हारी चिड़िया का काम तमाम।

दोस्तों ये कहानी यहीं रोक रहा हूं। इससे आगे की कहानी आपको अगले पार्ट में पढ़ने को मिलेगी।

अगला भाग पढ़े:- रेनू भाभी का प्यार-2