पिछला भाग: मेरे बचपन का प्यार रूबी – भाग 2
शिमले में पहला दिन – मंगलवार की रात
रितू ने पैग बनाये और चली गयी।
“चल उठा विक्की – चीयर्स”। हमने गिलास टकराये। मेरे होठों का एक चुंबन और गिलास हाथ में ले कर एक चुस्की ली और बात जारी रक्खी, “विक्की तू हैरान हो रहा होगा मेरी आदतें देख कर “।
सच में मैं हैरान हो तो रहा था। साल में आठ नौं महीने अकेले रहना, घर में जवान नौकरानी वो भी अति सुन्दर – और उससे कुछ छुपा भी नहीं।
मैंने कहा, “रूबी सच कहूं तो थोड़ा हैरान तो मैं हूं। तेरा साल में इतना समय अकेला रहना…… मतलब अगर सेक्स की इच्छा हो तो ? 36 38 40 की उम्र में भी तो चुदाई पूरे जोर शोर से होती ही है I और ये रितु , मुझे तो लगता है तेरे बारे में काफी कुछ जानती है – तेरी हमराज़ है “।
रूबी बोली, ” हां तू ऐसा कह सकता है की ये मेरी हमराज़ है I देख विक्की ये किट्टी विट्टी पार्टी वाली जिंदगी और फालतू की गप्पबाजी में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं। तुझे मैंने बताया ही है की मैं दो क्लबों की मैं मेंबर हूं जहां कोर्ट से सीधा हफ्ते में तीन दिन या चार दिन जाती हूं। सेक्स या चुदाई मैं किसे ऐरे गैर से नहीं करवाती” I
रूबी बोलती गयी, “हालांकि बड़े बड़े मशहूर अमीर वकील मुझ पर लाइन बहुत मारते हैं I मगर मैं साथ वकालत करने वाले – अपने हमपेशा वकीलों से तो बिलकुल भी चुदाई नहीं करवाती, क्यों की ये सब साले यहीं के शिमला और आस पास रहने वाले हैं – बूढ़े भी यहीं होंगे मरेंगे भी यहीं। इनसे एक बार चुदाने का मतलब है पूरी जिंदगी का झंझट “।
“विक्की अभी तूने कहा था ना की लगता है ये रितु काफी कुछ जानती है – फिर मेरी आखों में देखती हुई बोली, ” विक्की ये सब कुछ जानती है”।
रूबी जो कह रही थी उसे मैं नहीं समझ पा रहा था – शराब का नशा या रूबी की चुदाई के ख्याल की उत्तेजना – एक्साइटमेंट के कारण – ये मुझे नहीं पता।
हम दो दो ड्रिंक खत्म कर चुके थे, तीसरा चल रहा था। रूबी की आँखें गुलाबी हो रही थी।
अचानक से रूबी ने अपना गिलास बार की टेबल पर रखा और मेरा हाथ पकड़कर बोली, “चल विक्की “।
मैं भी उठ खड़ा हुआ।
रूबी मुझे कमरे की तरफ ले गयी। दरवाजा भी बंद नहीं किया और अपने कपड़े उतार दिए।
“क्या कसा हुआ शरीर था। लग ही नहीं रहा था की एक दस ग्यारह साल के बच्चे की मां है”।
रूबी उठी और बेड पर सीधी लेट गयी और बाहें फैला कर बोली “आओ” I रूबी ने अपनी टांगें उठा दी और चौड़ी कर दी।
मैंने पहले तो रूबी की फुद्दी की दोनों फांकें खोली और जी भर कर फुद्दी को देखा। बिलकुल चिकनी चूत थी – गुलाबी। मैंने चूत को थोड़ा चाटा, चूत के दाने पर जुबान फेरी। चूत पानी छोड़ चुकी थी।
रूबी की बातों से ये तो मैं समझ गया था की रूबी मुझसे चुदाई करवाएगी, मगर इतनी जल्दी और पहले दिन ये सब हो जायेगा ये नहीं सोचा था।
मैंने कपड़े उतार दिए और रूबी के साथ ही लेट गया। रूबी ने मेरा लंड अपने हाथ में ले लिया और हल्का हल्का दबाने लगी। लंड फफनाने लगा – एकदम सख्त हो गया। “मेरी सालों पुरानी इच्छा जो पूरी होने वाली थी – और शायद रूबी की भी”।
रूबी उठी और लंड मुंह में ले कर चूसने लगी। लंड पूरा तन चुका था। “तुम्हारा लंड तो बहुत बढ़िया है विक्की – मोटा भी और लम्बा भी।
रूबी बार बार मेरी और देखने लगी और चूतड़ हिलाने लगी – लंड मांग रही थी।
मैंने तकिया रूबी की गांड के नीचे रखा, जांघें चौड़ी की और लंड अंदर डाल दिया।
रूबी ने एक झटके से चूतड़ ऊपर उठाए – पूरा लंड अंदर ले लिया और आराम से लेट गयी।
मैं धक्के लगाने लगाने लगा। कुछ ही देर में रूबी जोर जोर से चूतड़ हिलने घूमने ऊपर नीचे करने लगी। रूबी की चूत पानी से भर चुकी थी। मैं जोर जोर से धक्के लगाने लगा। बीस पच्चीस मिनट की धुआंधार चुदाई के बाद रूबी लम्बी सिसकारियों के बाद झड़ गयी। वो जोर जोर से सिसकारियां ले रही थी – आआह …आआआह… आआआह उउइइ आआआहा विक्की विक्की …गयी मैं आआआह…..।
इतनी जोर जोर की सिसकारियां जरूर रूबी की सिसकारियों की आवाज रितु ने भी सुनी होगी। दरवाजा खुला ही था।
रितु आयी और दरवाजा बंद कर के चली गयी।
मैं अभी धक्के लगा ही रहा था। उन्ह…उन्ह.. उन्ह… की आवाज के साथ आठ दस और जोरदार धक्कों के बाद मेरा भी पानी निकल गया I
“आआ…आह रूबी …..रूबी मेरी जान …..आआआह ……आआआह”।
और मैं पूरी तरह झड़ गया और लंड बाहर निकलकर रूबी की बगल में ही लेट गया। रूबी निढाल पडी थी आखें बंद कर के। लग रहा था की पूरी तरह तृप्त हो गयी है – चूत की पूरी तस्सली हो गई है।
मैं उठा और बाथ रूम चला गया। मेरे पीछे पीछे ही रूबी भी आ गयी। मैं पेशाब कर के हटा ही था।
रूबी टॉयलेट सीट पर पेशाब करने बैठ गयी, लेकिन पेशाब नहीं किया। हाथ नीचे चूत पर रख जोर लगा कर मेरा वीर्य अपनी चूत में से निकाला और चाट लिया और बोली , “इतनी सालों बाद ये मलाई मिली है , इसे बर्बाद कैसे जाने दूं “।
टॉयलेट सीट पर पेशाब करने के लिए बैठी रूबी ने रूबी ने मुझे इशारे से अपने पास बुलाया और मेरा लंड चूसने लगी – नीचे से पेशाब उसका निकलने की आवाज आ रही थी – फररररररर… सरररररर…. एक संगीत की तरह।
मैं कमरे में वापस आया और कपड़े पहन लिए और पास ही रखे सोफे पर बैठ गया। रूबी आयी और प्यार भरी नज़रों से मेरी और देखा और कपड़े पहनने लगीऔर बोली, ” तूने जन्नत दिखा दी विक्की – मजा ही आ गया I चलो “।
और हम फिर बार की तरफ चल पड़े। बचे हुए ड्रिंक खत्म किये। रूबी एक एक पैग और बना लिया। तभी रितु आ गयी – ऐसे जैसे कुछ हुआ ही ना हो। रूबी से पूछा, “मैडम खाना लगा दूं “? रूबी बोली, लगा दे। रूबी ने गिलास उठाया और बोली चल विक्की। हम डाइनिंग हाल में चले गए जो किचन के साथ ही था।
रितु ने मछली फ्राई और बाकी का सामान टेबल पर सजा दिया। हम इधर उधर की बातें करते रहे और खाना भी खाते रहे। रूबी बोली रितु तू भी आ जा। रितु ने एक बार भी मना नहीं किया और एक कुर्सी छोड़ रूबी के पास ही बैठ कर वो भी खाना खाने लगी
रितु ने मेरा सोने का इंतज़ाम साथ वाले कमरे कर दिया था। अप्रैल का महीना, मौसम ठीक ठाक था। मुझे कम कपड़ों में सोने की आदत है। उस दिन भी मैं अंडरवेयर और बनियान में ही लेट गया।
सफर की थकान, चार पैग जॉनी वॉकर, रूबी की चुदाई और फिश फ्राई – मुझे जल्दी ही नींद आ गयी।
कुछ देर हुई कि मुझे लगा की कोई मेरे लंड के साथ छेड़ छाड़ कर रहा है I मैंने नींद खुली तो देखा तो रितु ने मेरा लंड अंडरवियर से बाहर निकाला हुआ था और चूस रही थी। एक पल तो मुझे समझ ही नहीं आया की क्या हो रहा है और में क्या करूं।
जवान लड़की की लंड चुसाई लंड में कुलबुलाहट पैदा कर रही थी। लंड खड़ा होने लग गया था। मैंने धीरे से रितु के सर पर हाथ फेरा और धीरे से आवाज़ लगाई, “रितु” !!। रितु ने लंड मुहं में से निकल कर मेरी और देखा। एक पल रुकी और “सॉरी सर”, इतना बोल कर वो चली गयी।
मैंने यही सोचा कि लड़की जवान है, हम लोगों की चुदाई देखी तो चुदाई का मन हो गया होगा। चुदाई के वक़्त कमरे का दरवाजा भी तो खुला ही था I
सोचा सुबह रूबी से बात करेंगे और मैं फिर सो गया।
शिमले में दूसरा दिन – बुधवार – मेरे बचपन के प्यार रूबी और कुंवारी रितु – दोनों की चुदाई
सुबह मेरी नींद जल्दी खुल गयी। रितु उठ चुकी थी और किचन में चाय बना रही थी। मैंने कपड़े पहने और बाहर आ गया।
मुझे उठा देख रितु बोली, “नमस्ते सर – गुड मॉर्निंग “, जैसे रात को कुछ हुआ ही ना हो। उल्टा मुझे कुछ शर्म सी आ रही थी। रितु ने पूछा, “सर चाय बना दूं, मैडम तो अभी सो रही हैं”।
मैंने कहा नहीं रितु, उठ जाने दो रूबी को भी।
टेबल पर अख़बार पड़े थे – दो हिंदी के दो इंग्लिश के। मैंने बण्डल उठाया और बालकोनी का दरवाजा खोल बाहर कुर्सी पर बैठ गया। बाहर तीन कुर्सियां और एक टेबल रखे हुई थे।सुबह सुबह का शिमले के पहाड़ों का नज़ारा मस्त था।आसमान बिलकुल साफ़ था। नीचे की तरफ कहीं कहीं बादल थे। कहीं कहीं से धुंआ उठ रहा था। पहाड़ों में दूर दराज़ के लोग अभी भी कोयले वाली अंगीठी का ही प्रयोग करते हैं।
दस मिनट भी नहीं हुई होंगे कि रूबी भी आ गयी पारदर्शी गुलाबी नाईट गाउन में। बहुत ही सुन्दर लग रही थी। चूचियों के हल्के भूरे निप्पल और काली चड्ढी साफ़ दिखाई दे रही थी
“गुड मॉर्निंग विक्की”, और मेरे होठों पर एक चुम्मा किया और कुर्सी पर बैठ गयी। “रात कैसी कटी विक्की”
“अच्छी – बढ़िया”। मैंने जवाब दिया।
तभी रितु ट्रे ले कर आ गयी – चाय कि केतली और दो कप – साथ में बिस्कुट और ड्राई फ्रूट।
रितु ने ही कपों में चाय डाली और मुझे और रूबी को पकड़ा कर बोली, ”मैडम मैं कुछ सामान ले आऊं, अंडे वगैरह” और वो चली गयी।
हम चाय पीने लगे, रूबी भी अखबार पढ़ने लगी। फिर मुझसे पूछा, आज का क्या प्रोग्राम है विक्की ? जाखू मंदिर चलें पैदल ही”।
जाखू मंदिर मेरी शिमला की फेवरेट जगह थी। रिज से ढाई किलोमीटर ऊपर पहाड़ कि चोटी पर जाखू हनुमान जी का ऐतिहासिक मंदिर है। मैं जब भी शिमला जाता हूं जाखू मंदिर जरूर जाता हूं।
मैंने कहा ठीक है रूबी, बढ़िया है- आधा दिन निकल जाएगा।
मुझे रात कि रितु वाली बात याद आ गयी। मैंने रूबी से कहा, “रूबी एक बात करनी है”।
रूबी बोली,”अरे तो करो, पूछ क्या रहे हो “।
“रूबी रात को जब मैं सो रहा था तो रितु कमरे में आयी थी और मेरे अंडरवेअर से निकाल कर मेरा लंड चूस रही थी। जैसे ही मेरी नींद खुली तो ‘सॉरी सर’ बोल कर वो चली गयी “।
रूबी पर तो मानो कोइ असर ही नहीं हुआ,”अच्छा ? चुदाई करवाने का मन आ गया होगा पकड़ कर चोद देना था “।
मैंने कहा, “रूबी मजाक नहीं, मेरी उसमें कोइ दिलचस्पी नहीं। मैं अब ऐसा भी कोइ चुदाई का शौक़ीन नहीं , मगर ……..” मैं थोड़ा हिचकिचया सा शर्म सी आ रही थी मुझे।
मेरी बात काट कर मेरे घुटने पर हाथ रख कर बोली, “विक्की छोड़ो, लड़की है, जवान है। सोचो घर में अगर एक औरत की चुदाई हो रही हो और वो भी एक उन्नीस बीस साल कि तंदरुस्त लड़की कि मौज़ूदगी में तो क्या उसका मन चुदाई का नहीं करेगा ? मैं आज तक उसकी मौजूदगी में नहीं चुदी – कल पहली बार था। आ गया होगा चुदाई का उसका भी मन” I
मगर एक बात बोलूं विक्की ? मैंने उत्सुकतावश उसकी और देखा। रूबी बोली “तेरी शर्माने की आदत नहीं गयी, अभी भी वैसी है जैसे पहले थी। सोलन के कालेज दिनों में मैं तेरे साथ सेक्स – चुदाई के लिए राजी हो जाती अगर तूने एक बार भी मुझसे कहा होता”।
मैंने जवाब दिया,”मगर रूबी मैं तुझसे प्यार करता था, शादी करने की सोचता था। तेरे साथ सेक्स या चुदाई के उस समय मेरे लिए कोइ मायने नहीं थे। तू खुद ही सोच, अगर हमारी शादी जाती तो चुदाई तो अपने आप ही हो जानी थी”।
रूबी ने मेरा हाथ दबाया, “विक्की, तेरी यही बात तो मुझे अभी भी अच्छी लगती है और इसी लिए मैं अब, इतने सालों बाद भी तेरे से चुदाई के लिए तैयार हुई हूं “I और फिर खनखनाती हंसी के साथ बोली,” और विक्की तेरे साथ रात की चुदाई में मजा आ गया – शुक्र है कम से कम अब तू रात को मेरी चुदाई करते वक़्त नहीं शरमाया और पूरे मन के साथ तबीयत से चुदाई की I तस्सल्ली करवा दी मेरी “I
“वकीलों की स्पष्ट सोच “।
जब चुदाई कि बात छिड़ ही गयी तो मैंने पुछा, “अच्छा रूबी तेरा महीने में कितनी बार चुदाई का प्रोग्राम बन जाता है “।
बिना हिचकिचाहट के रूबी बोले, “महीने में यही कोइ दो या तीन बार, कोई ख़ास हुआ तो चार बार”। और फिर हंस कर मेरे घुटने पर हाथ मार कर बोली, “ये शर्त तुझ पर लागू नहीं है विक्की । तेरे लिए कोइ कायदा क़ानून नहीं। तू इन सात दिनों में जब चाहे चोद, जितनी बार चाहे चोद, जैसे जी चाहे चोद “।
“महीने में तीन या चार बार, ये तो कोइ ज़्यादा नहीं ” मैंने हंस कर कहा।
“रूबी बोली। “अभी अभी तूने क्या कहा था – ‘अब मैं भी ऐसा कोई चुदाई का शौक़ीन नहीं – मैं भी ऐसी कोइ चुदाई कि शौक़ीन नहीं”।
फिर कुछ रुक कर बोली ,”चुदाई के लिए मैं मर्द चुनने में बहुत एहतियात बरतती हूं “। मैंने बताया ही था तुझे – अपने हमपेशा वकीलों से तो मैं इस मामले में दूरी ही बना कर रखती हूं”।
फिर बदली सी आवाज़ में बोली “मैं चूत के पिस्सुओं को घास नहीं डालती जो सोचते हैं की ये औरत हमसे चुदाई भी करवाएगी और होटल का बिल भी भरेगी I साले चुदाई करवाने वाली लड़की या औरत को रंडी समझते हैं “।
मैंने पूछा, ” मगर रूबी तुझे पता कैसे चलता ही कौन असली और अच्छा है कौन”, मैंने हंस कर कहा, “और कौन चूत का पिस्सू “।
“मैं एक फौजदारी वकील हूं विक्की -क्रिमिनल लॉयर I लोगों के दिमाग में क्या चल रहा है ये मैं पांच मिनट में पढ़ लेती हूं। कौन फुकरा जेब से खाली है कौन असली रईस I ये पता करने में मुझे पांच मिनट से ज्यादा वक़्त नहीं लगता। फुकरों को मैं ऐसे मंहगे ड्रिंक्स और खाना मंगवाने के लिए बोलती हूं की वो बहाने बनाते हुए खिसक लेते हैं।
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