मम्मी को सिड्यूस करके चोदने लगा-10

पिछला भाग पढ़े:- मम्मी को सिड्यूस करके चोदने लगा-9

दोस्तों मेरी अन्तर्वासना सेक्स कहानी में आपका स्वागत है। मेरी बुआ मुझे अपनी कहानी सुना रही थी। अब आगे बढ़ते है उन्हीं की कहानी में, उन्हीं के शब्दों में।

पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि मेरी 2 सहेलियां थी, जिनमें से एक बहुत बड़ी रंडी निकली। फिर मैंने उसकी सेक्स फोटोज और वीडियोस देखी, और दूसरी सहेली को बचाने निकली।

मैं पागलों की तरह इधर-उधर घूमते हुए ढूंढ रही थी, कि मेरी नज़र कोने में बनी पानी के टंकी के बगल वाले रूम पर गई, जो स्टोर रूम था। मैं धीरे-धीरे वहां तक गई, तो मुझे हल्के-हल्के हंसने की आवाज आने लगी। ये सुन कर मैंने खिड़की से झांका तो अंदर का नजारा देख कर सन्न रह गई

अंदर बेड पर यामिनी सीधी लेटी हुई थी। उसके बदन पर कपड़े के नाम पर सिर्फ पेंटी और ब्रा ही थे। उसके दोनों हाथों को ऊपर बेड के पाए से बांध रखा था। टीचर यामिनी के स्तनों को ब्रा के ऊपर से ही सहलाते हुए निप्पलों को मसल रहा था। वो सिर्फ अपने अंडरवियर में ही था, और यामिनी के होंठों को चूमने की कोशिश कर रहा था।

इधर नीचे मनीषा यामिनी के दोनों पैरों के बीच बैठ कर, दोनों पैरों को ऊपर उठा कर पेंटी के ऊपर से ही उसकी चूत चाट रही थी। इससे यामिनी की पेंटी हल्की गीली हो गई थी। यामिनी को देख कर लग रहा था, कि वो आधे नशे की हालत में थी। क्योंकि उसके चेहरे पर प्यार की जगह बैचेनी वाले हाव-भाव थे। मैं तुरत खिड़की से अंदर कूद गई। मेरे कूदने की आवाज सुन कर दोनों ने मेरी तरफ देखा।

मैंने बिना देरी किए मनीषा को पीछे‌ हटाया। ये देख कर टीचर भी वहां से भाग गया। मैं बिना देरी के यामिनी के पास गई। फिर मैंने जल्दी से यामिनी को उसकी पायजामी पहनाई, और टीचर के कुर्ते को पहनाया, क्योंकि सूट पहनाने का टाइम नहीं था। फिर मैंने यामिनी को खींच कर खड़ा किया और उसका एक हांथ अपने कंधे पर रख कर आगे ले जाने लगी। वो लड़खड़ा के चल रही थी।

फिर मैं उसे लेकर छत के गेट तक आ गई, और छत का दरवाजा बंद करके कुंडी लगा दी। तब जाकर मैंने राहत की सांस ली। जब मैंने यामिनी को देखा, तो वो अभी भी नशे में ही थी। बस किसी तरह से लड़खड़ा के चल पा रही थी। मैं धीरे-धीरे किसी तरह उसे सीढ़ियों से नीचे ला पाई। तभी मुझे सामने से 2 से 3 लड़कियां आती दिखी, तो मैंने उनसे इसके सिर का दर्द बता कर मदद मांगी।

फिर हमने मिल कर उसे उठाया, और गेट के बाहर रिक्शा करके मैं उसे क्लिनिक ले गई।‌ वहां डॉक्टर ने बताया कि उसे नींद की गोली दी गई थी, जिसका असर अपने आप खत्म हो जायेगा। डोज कम था तो कुछ घंटों में पूरी होश में आ जाएगी। ये सुन कर मुझे जान में जान आई। पर मैं अब उन दोनों को छोड़ने वाली नहीं थी। करीब 2 से 3 घंटे बाद यामिनी चलने के हालत में आई, तो फिर किसी तरह मैं यामिनी को वापस रूम में ले आई,‌ और उसे बेड पर सुला दिया।

फिर मैं उसके बगल में ही लेट गई। मैं उसके चेहरे की रौनक को देखते हुए सोच रही थी, कि अगर आज थोड़ी सी भी देर हो जाती तो क्या हो जाता? मैं प्यार से उसके माथे को सहलाने लगी। पर तभी यामिनी मेरी ओर घूम गई, और उसने अपने मुंह को मेरे सीने से चिपका कर अपना एक हाथ मेरी कमर में डाल दिया, और चिपक कर सो गई। मैं ये देख कर हल्के से मुस्करा उठी।

इतना कह कर बुआ ने मेरे हाथ को पकड़ते हुए कहा: बेटा अब पता चला, क्यों उसके बारे में जान कर मुझे गुस्सा आया था?

ये सुन कर मेरी भी आँखें लाल हो गई थी।

मैंने गुस्से में कहा: बुआ अगर मुझे उसके बारे में मालूम होता, तो में वहीं उसे उठा कर पटक देता।

ये सुन कर बुआ मुझे देख कर मुस्काने लगी। फिर उन्होंने मेरे गाल को सहला कर कहा, “अच्छा जी, क्या सच में पटक देते?” बुआ ने इस बात को इतने रोमांटिक अंदाज में कहा, कि मेरे मुंह से कुछ निकल ही नहीं पाया। और मैंने सिर झुका लिया। कुछ पलों बाद बुआ मेरी ठुड्ढी पकड़ कर बोली, “तू चिन्ता मत कर, तेरी बुआ ने तेरी मम्मी का बदला तो वही ले लिया था।”

ये सुन कर मैं बुआ को देखने लगा, तो बुआ मुस्करा के बोली,‌ “बताती हूं।” फिर वो आगे बताती है कि-

फिर मैं भी यामिनी के साथ सो जाती हूं। बाद में मुझे यामिनी ही जगाती है। मेरी आंख खुलने पर देखती हूं तो यामिनी नहा कर कपड़े बदल चुकी थी, और मुझे खींच कर उठा कर बिठा देती हैं। जैसे ही में बैठी, वो झट से मुझसे गले मिल कर सिसकियां भरने लगती है। उसने मुझे बहुत कस कर भींच रखा था। मैं उसे शांत कराने के लिए उसे अलग करने की कोशिश करती हूं, पर वो तो जैसे मुझे छोड़ने का नाम ही नहीं ले रही थी।

वो सिसकते हुए रो रही थी। करीब 2 से 3 मिनिट बाद उसका रोना शांत होता है, तो मैं उसे अपने से अलग करती हूं। फिर उसके चेहरे को हाथ में पकड़ कर पूछती हूं, “क्या हुआ है? तू इतना रो क्यों रही है?”

तो वो मुझे देखते हुए बोली: रागिनी मुझे सब मालूम है, कल क्या हुआ था। मैं थोड़ा बहुत होश में थी।

मैंने उससे पूछा: तू वहां करने क्या गई थी?

तो यामिनी बोली: मैं वहां नहीं गई थी, मनीषा कल जिद्द करके मुझे हॉस्पिटल ले जाने की जिद्द करने लगी। फिर जैसे ही हम हॉस्टल के गेट तक गए, उसे किसी का कॉल आ गया। उसके बाद वो मुझे जरूरी काम का बहाना देकर टीचर के रूम में ले गई, जहां टीचर ने चाय बना कर पीने को दिया।

यामिनी: चाय पीने के कुछ देर बाद जब हम उठने लगे, तो ऐसा लग रहा था कि मेरे जिस्म में जान ही नहीं रह गई थी। मैं मदहोश होकर कुर्सी पर गिरने लगी तो टीचर ने मुझे पकड़ कर अपने कंधे पर उठा लिया, और छत पर ले गया। वहां पहुंच कर वो मेरे साथ सेक्स करने की कोशिश करने लगा। पर तुमने सही टाइम पर आकर मुझे बचा लिया। वरना वो दोनों मिल कर मेरे साथ जो करते, उसके बाद मैं किसी को मुंह दिखाने के काबिल नहीं रहती।

ये सुन कर मैंने उसकी ठुड्ढी को पकड़ा, और प्यार से अपने मुंह के पास लाकर कहा: मेरे रहते मेरी यामिनी को कोई हाथ लगाएगा तो मैं उसकी हड्डियां तोड़ दूंगी। यामिनी सिर्फ मेरी हैं। ये कह कर मैं यामिनी के होंठों को चूमने लगी।

ये कह कर अचानक ही बुआ ने मेरा हाथ, जो उनके हाथों में था, उसे उठा कर अपनी जांघों पर रख कर दबा दिया। ऐसा होने से मैं हड़बड़ा गया, तो बुआ मेरे चेहरे के पास झुकते हुए बोली, “मालूम है मैंने कैसे तेरी मां को चूमा था?” और बिना देरी किए उन्होंने एक हाथ से मेरी ठुड्ढी को पकड़ कर अपने होंठों को मेरे होंठों से चिपका दिया।

इसके आगे क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा। pariwarkikahani@gmail.com पर अपनी फीडबैक दे।

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