करनाल का पांचवां दिन
अब तक आपने पढ़ा – सरोज संतोष का व्हिस्की का पैग बनाने और चुदाई का प्रोग्राम पूछने जा चुकी थी।
रजनी और मैं बातें कर रही थीं। रजनी बोली, “आभा दो तीन दिनों में हम वापस चली जाएंगी, मगर करनाल का ये ट्रिप हमेशा याद रहेगा। अब जा कर चुदाई पिलाई छोड़ कर पढ़ाई करनी है – नंबर कम नहीं आने चाहिए, नहीं तो मनमर्जी वाला लंड का नहीं मिलेगा।
“बात तो एकदम दुरुस्त थी ही रजनी की “।
अब आगे —- मैं और रजनी बैठी थीं। हमने ये तय कर लिया की करनाल की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद अब पढ़ाई की तरफ ध्यान लगाना है। नंबर किसी सूरत में कम नहीं आने चाहिए।
“अच्छी कमाई घर लाने वाला और अच्छी चुदाई करने वाला पति तभी मिलेगा “।
तभी सरोज आ गयी और पूछा, “तैयारी है आभा जीजी” ?
“तैयारी क्या करनी है सरोज ” ? रजनी बोली, ” कपड़े ही तो उतारने है और टांगें उठानी है, बाकी जो करना है वो तो संतोष ने ही करना है”। और वो हंस दी।
“तो फिर उतारो कपड़े”, सरोज बोली, “चलते हैं, शुभ काम में देर कैसी” ?
“यहीं उतारें ” ? मैंने सकुचाते हुए पूछा।
“तो और क्या ” सरोज बोली। “संतोष के मैं कपड़े मैं उतार आयी हूं – लंड सहला भी आयी हूं, चूस भी आयी हूं। खड़ा होना शुरू हो गया है, बाकी का काम आभा जीजी कर देंगी “।
हम लोगों ने कपड़े उतरे और एक कतार में सरोज के कमरे की तरफ बढ़ने लगी। आगे आगे सरोज, उसके पीछे रजनी और सब से पीछे मैं। कमरे में पहुंच कर सब से पहले मेरी नज़र संतोष के लंड पर पड़ी – मस्त था, मोटा ताजा। खड़ा भी हो चुका था। अब खाली सख्त ही करना था – और सब तैयार – चुदाई चालू ।
हम तीनो नंगी बेड पर बैठ गयीं।
संतोष के एक हाथ में गिलास था दूसरा हाथ लंड सहला रहा था। संतोष धीरे धीरे गिलास में से व्हिस्की की चुस्कियां ले रहा था।
जैसे ही गिलास खाली हुआ, सरोज उठी और बोली ,”मैं नया पैग बना कर लाती हूं, चलो आभा जीजी आप अपना काम शुरू करो”।
मैं उठी और जा कर संतोष की गोद में जा कर बैठ गयी।
“नीचे मेरी गांड पर संतोष का खड़ा लंड रगड़ खा रहा था”।
मैंने संतोष के होंठ अपने होठों में ले लिए और चूसने लगी। संतोष ने भी मेरे होंठ चूसने शुरू कर दिए। संतोष का एक हाथ मेरे कमर के पीछे था और एक हाथ मेरी चूचियों पर। संतोष मेरी चूची का निपल मसल रहा था। “बड़ा मजा आ रहा था”।
कुछ देर हम ऐसे ही चूसा चुसाई करते रहे।
सरोज पैग बना कर ले आई थी और खड़ी इंतज़ार ही कर रही थी की कब हमारे होंठ अलग हों और कब वो संतोष के हाथों में पैग पकड़ाए।
“मेरी गांड के नीचे संतोष का लंड और ज़्यादा सख्त हो रहा था”।
मैंने अपने होंठ संतोष के होठों से अलग किये और उठ कर फर्श पर बैठ गयी। संतोष का मोटा लंड मैंने अपने मुंह में ले लिया और सुपाड़े के छेद पर जुबान फेरने लगी। संतोष का लंड एक दम फनफना उठा। सरोज ने व्हिस्की का गिलास संतोष के हाथों में दिया और बेड पर जा कर रजनी के साथ ही बैठ गयी।
तीन चार हल्के हल्के घूंट लेने के बाद संतोष ने एक ही घूंट में गिलास खाली कर दिया। लंड मेरे मुंह से निकाला, मुझे गोद में उठाया और बेड पर लिटा दिया। सरोज और रजनी दोनों बेड से उठ गयीं।
” मैं संतोष का मोटा लंड अपनी चूत में महसूस करने के लिए बेचैन हो रही थी “।
सरोज मोटा तकिया ले कर आयी और मेरी कमर के नीचे रख के मेरे चूतड़ ऊपर उठा दिए । मेरी चूत भी ऊपर उठ गयी। मैंने अपनी टांगें उठा कर फैला दी।
संतोष ने जांघों से पकड़ कर मेरी टांगें चौड़ी कर दी। “पक्का ही संतोष को मेरी फुद्दी का गुलाबी छेद चूत की फांकों के बीच में दिखाई दे रहा होगा “।
आननफानन में संतोष ने अपना मोटा लंड एक ही झटके से लंड मेरी चूत में घुसेड़ दिया। “आआआआआह …… ” मेरी सिसकारी निकल गयी।
थोड़ा चोदने के बाद संतोष उठा और मेरी फुद्दी का दाना चूसने लगा – साथ ही संतोष नीचे से हाथ डाल कर गांड में भी उंगली कर रहा था।
“मस्ती के मारे मेरी हालत खराब हो रही थी”।
मेरे चूतड़ अपनेआप ही हिलने शुरू हो गए। संतोष समझ गया अब मैं पूरी चुदाई चाहती हूं – फुल स्पीड वाली। वो उठा, मेरी टांगें चौड़ी की, अपने लंड का सुपाड़ा मेरी फुद्दी के छेद पर रक्ख़ा और फच्च की एक आवाज के साथ अपना पूरा लंड अंदर डाल दिया।
” चुदाई शुरू हो गयी – पूरी चुदाई – फूल स्पीड वाली चुदाई – लगातार नॉन स्टॉप वाले धक्के”।
मेरे कंधों के पीछे से हाथ डाल कर मुझी भींच लिया और जो उसने ताबड़तोड़ धक्के लगाने शुरू कर दिए। मुझे लगा मैं जन्नत कि सैर कर रही हूँ । इतना कस के पकड़ा हुआ था संतोष ने मुझे कि मैं अपने चूतड़ भी नहीं हिला पा रही थी। बस अपनी चूत को कभी टाइट कर रही थी कभी ढीला छोड़ रही थी।
अगले बीस मिनट संतोष ने मेरा कचूमर निकाल दिया”। पानी पानी हो गयी मेरी चूत। मेरी चूत में से चुदाई में आवाज़ें आने लग गयी, फच्च फच्च फच्च….फच्च फच्च फच्च ।
“अब मैं झड़ने को थी। मजा कभी भी आ सकता था – चूत का पानी कभी भी छूट सकता था”।
संतोष की चुदाई लगातार चल रही थी। तभी मुझे लगा की अब मेरी चूत मजे वाला पानी छोड़ने वाली है। मैंने संतोष को कस कर पकड़ लिया और चूतड़ हिलने की कोशिश करने लगी।
संतोष समझ गया की मेरा काम होने ही वाला है। उसने एक दम से धक्कों की स्पीड बढ़ा दी – और तभी मैं छूट गयी।
एक सिसकारी निकली मेरे मुंह से, “आआआआह संतोष चुद गई मैं, झड़ गयी मैं…..आआआह……आआआआह…….आआआआह…..उईईई……उईईई….आआह…..संतोष। सरोज…..रजनी…..मजा आ गया। निकाल दिया मेरी चूत का पानी संतोष ने। आआआआह…..ऊऊऊ…ओह्आ……आआआह I “मजे में पता नहीं क्या क्या बोले जा रही थी मैं।
संतोष ने धक्के लगाने बंद कर दिए लेकिन वो अभी भी नहीं झड़ा था। मैं उसका खड़ा सख्त लंड अपनी चूत में महसूस कर रही थी।
थोड़ी देर मेरे ऊपर वैसे ही लेटने के बाद, संतोष ने खड़ा लंड बाहर निकाला और सोफे पर बैठ गया।
पांच सात मिनट के बाद जब मैं कुछ हिली तो सरोज मेरे पास आयी, “कैसा लग रहा है आभा जीजी “।
“स्वर्ग की सैर करवा दी सरोज आज तेरे संतोष ने – क्या मस्त चोदता है। मजा ही आ गया”।
सरोज मेरे पास ही बैठ गयी और रजनी से बोली, “रजनी जीजी तुम संतोष के लंड का ध्यान रखो, मैं जरा आभा जीजी की चूत को अगले दौर के लिए तैयार कर दूं।
सरोज मेरी चूत चूसने लगी और रजनी संतोष का लंड चूसने लगी।
एकाएक रजनी उठी और संतोष का लंड अपने हाथ में ले कर अपनी चूत पर रक्खा और उस पर बैठ गयी। लंड रजनी की चूत के पूरा अंदर था। रजनी कि पीठ संतोष कि तरफ थी। संतोष ने भी पीछे से हाथ डाल कर उसकी चूचियां पकड़ ली।
इधर सरोज घूमी और अपने चूत मेरे मुंह पर लगा दी। अब सब व्यस्त थे।
“रजनी संतोष का लंड अपनी चूत में ले कर बैठी थी। मैं और सरोज एक दूसरी की फुद्धियाँ चूस चाट रही थी। सरोज की चूत गीली हो रही थी और मेरी चूत तो थी ही गीली”।
मेरी चूत फिर से गरम होने लगी और मेरे चूतड़ हिलने शुरू हो गए।
“समझदार को इशारा ही काफी होता है – सरोज समझ गयी कि मैं चुदाई करवाने के अगले दौर के लिए तैयार हूं”।
सरोज मेरे ऊपर से उतर गयी, रजनी ने जब देखा सरोज मेरे ऊपर से हट गयी है तो वह भी संतोष की गोद से खड़ी हो गयी। संतोष का खम्बे जैसा लंड रजनी की फुद्दी से बाहर आ गया। रजनी ने बड़े ही प्यार से संतोष के लंड को देखा और एक बढ़िया सा चुम्मा संतोष के लंड के सुपडे पर जड़ दिया।
संतोष खड़ा हो गया। उसका फूला हुआ लंड बिलकुल सीधा था।
संतोष फिर से मेरे ऊपर आया, मेरी टांगें चौड़ी की और लंड फच्च की एक आवाज के साथ पूरा अंदर डाल दिया।
“लगता है सरोज ने सब कुछ पहले से ही तै किया हुआ था “।
इस बार कि चुदाई से लग ही रहा था कि संतोष अपना लेसदार सफ़ेद गर्म वीर्य मेरे अंदर छोड़ेगा। मुझे भी अब इच्छा हो रही थी कि संतोष मेरी चूत को गर्मागर्म पानी से भर दे।
”पता नहीं कितनी देर चली वो तबाड़तोड़ चुदाई”।
मेरी चूत कि मस्त रगड़ाई ने मेरा दिमाग़ सुन्न कर दिया था। मेरे लिए चूतड़ हिलने मुश्किल थे लेकिन मैं फिर जोर लगा लगा कर चूतड़ हिला रही थी। मेरा पानी निकलने वाला था। मैंने संतोष को कस के पकड़ लिया और अपनी गांड ऊपर नीचे करने कोशिश करने लगी।
संतोष के ध्क्के लम्बे हो गए थे। फच्च थच्च फच्च थच्च फच्च थच्च कि आवाजें आ रही थी।
अचानक से मेरी चूत का नमकीन पानी छूट गया। मेरे मुंह से फिर सिसकारियां निकल रही थी आआआह …आआआआह …आआआआह…उईईई…उईईई…आआ….आआआआह….ऊऊऊओह्आ….
आआआह “।
और तभी संतोष ने एक लम्बी हुंकार – आआआआह….. सरोज …….ओओओहहहह….. सरोज – के साथ मेरी चूत गरम मलाई के साथ भर दी।
संतोष चोद मुझे रहा था और जब मजा आया तो याद सरोज को किया। “ऐसा होता है पति पत्नी का सच्चा प्यार “।
थोड़ा ऐसे ही लेटने के बाद संतोष ने लंड मेरी चूत से बहार निकल लिया। पूरा गीला। मेरी चूत और उसकी अपनी मलाई से सना हुआ। संतोष जा कर सोफे पर बैठ गया।
सरोज उठी और जा कर अपने प्यारे प्यारे पति का लंड चूसने चाटने लगी।
रजनी मेरी चूत चाटने लगी। सपड़ सपड़ कि आवाजों के साथ मेरी चूत का सारा पानी साफ़ रही थी।
साफ़ क्या कर रही थी सपड़ सपड़ करके पी ही रही थी – मैं भी तो ऐसे ही करती हूं। सरोज भी ऐसे ही करती है । सारी लड़किया ही ऐसा करती हैं।
“चूत और लंड से निकला हल्का नमकीन पानी चाटने और पीने का भी अपना ही मजा है”।
सरोज ने संतोष का लंड चाट चाट कर साफ़ कर दिया और इधर रजनी ने मेरी चूत चाट चाट कर साफ कर दी। सरोज उठी, संतोष के होठों पर कस के एक चुम्मा दिया और पैग बनाने लगी।
पैग संतोष के हाथ में पकड़ा कर बोली, “संतोष अब तुमने हम तीनो को चोदना है – मगर अपना पानी इस बार भी आभा जीजी की चूत में ही छोडना है। आज कि तुम्हारी चुदाई केवल आभा जीजी के लिए है। मैं और रजनी तो बस साथ देने के लिए हैं। फिर रजनी कि तरफ देख कर बोली, “क्यों जीजी ” ?
रजनी ने भी सरोज कि हां में हां मिलाई ,”हां मैं तो संतोष से चुदाई करवाने के मजे ले ही चुकी हूं। जब से मैंने आभा को बताया कि संतोष मस्त चूत चुदाई करता है तभी से ये आभा संतोष का लंड लेने लिया उतावली हो रही थी”।
संतोष हल्के से हंसा और मेरी तरफ देख कर बोला ,” आभा को कोइ शिकायत का मौका नहीं मिलेगा ” फिर कहा ,”आभा कोइ थोड़ी सी भी चुदाई में कसर रह जाए तो बताना – एक चुदाई और कर दूंगा”।
सब हंस पड़े। मैंने भी हंसते हुए कहा, ” नहीं संतोष, उसकी जरूरत नहीं पड़ने वाली। तुम्हारा चोदना एक दम अव्वल है – फर्स्ट क्लास – मस्त। नीचे वाली की तस्सली कर के ही तुम अपना लंड बाहर निकालते हो और नीचे उतरते हो।
सब एक बार फिर हंसी। सतोष बोला, तो फिर हो जाओ तैयार अगली चुदाई के दौर के लिए।
सरोज बेड के किनारे पर घुटनों और कुहनियों के बल उकडू हो कर बैठ गयी और चूतड़ पीछे की तरफ कर के उठा दिए। “चूत का गुलाबी छेद सामने दिखाई दे रहा था”। सरोज की देखादेखी हम भी वैसे ही बैठ गयीं – उकडू – चूतड़ पीछे कर के चूतड़ ऊपर उठा के ।
“हमारी चूतों के गुलाबी छेद भी दिखाई दे रहे होंगे”।